लखनऊ। ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग होने की ओर अग्रसर समाजवादी पार्टी अपने लोगों को भी एकजुट करने में विफल होती जा रही है। इस बिखराव से जहां भाजपा खुश है, वहीं कांग्रेस ने अंदरखाने बसपा पर डोरे डालने शुरू कर दिये हैं। समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह और कांग्रेस से अलग राह अपनाने का असर तो लोकसभा चुनाव परिणाम आने पर पता चलेगा, लेकिन दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं में निराशा है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच पड़ी दरार बढ़ती जा रही है। सिर्फ दोनों दल यह देख रहे हैं कि इसके टूट की घोषणा हम न करें, वरना दूसरे साथी दल नाराज होंगे। इधर कांग्रेस पिछले एक चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर देख चुकी है, जिसमें उसको कोई फायदा नहीं हुआ था। इस कारण उसका झुकाव ज्यादा बसपा के साथ है, लेकिन बसपा गठबंधन से अलग राह अपना चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि अब भी बसपा के साथ बात चल रही है। उप्र में बसपा के साथ बात बन जाती है तो फिर समाजवादी पार्टी को कांग्रेस किनारे कर देगी। बसपा के साथ जाने में कांग्रेस को फायदा दिख रहा है। प्रियंका गांधी वाड्रा भी समाजवादी पार्टी के बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित कर रही हैं।
उधर समाजवादी पार्टी से राष्ट्रीय लोक दल भी अलग हो चुका है। उसके वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अलग राह अपना लिया। वहीं पल्लवी पटेल ने राज्यसभा के होने वाले चुनाव के लिए बागी तेवर दिखा दिये। इससे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता उलझन में आ गये हैं और अपनों को मनाने में जुट गये हैं।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार राजीव मिश्र का कहना है कि कांग्रेस की अहम के कारण क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन से अलग होती जा रही हैं। इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा। उप्र में तो कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो उसको खाता खोलना भी मुश्किल हो जाएगा।