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अपनी मांगों को लेकर विद्युत उपभोक्ता परिषद पहुंचा उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास

लखनऊ,। विद्युत उपभोक्ताओं की छह प्रमुख मांगों को आगामी लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। उपभोक्ता परिषद इन प्रमुख मांगों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के पास जाएगा और उन्हें अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग कर रहा है, जिससे विद्युत उपभोक्ताओं को पता चल सके कि किस पार्टी की क्या राय है।

उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर निकल निकल रहे उपभोक्ताओं के 33122 करोड के एवज में पांच सालों तक बिजली दरों में कमी किये जाने, निजीकरण पर पूर्णतया रोक, रोस्टर समाप्त कर सभी ग्रामीण व शहरी को 24 घंटे बिजली मुआवजा कानून को लागू न करने पर कठोर कार्रवाई व निजी घरानों की अनिवार्य रूप से सीएजी ऑडिट की उठाई मांग प्रमुख रूप से है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर उपभोक्ता परिषद ने देश व प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की कुछ प्रमुख मांगों पर उनकी राय लेने के बाद बहुमत से तय किए गए। कुछ नीतिगत मुद्दों पर जहां दो दिन पहले प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को पत्र लिखकर उसे पार्टियों के घोषणा पत्र व संकल्प पत्र में स्थान देने की मांग उठाई गई थी। वहीं आज 15 मार्च विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के शुभ अवसर पर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह ऐलान किया है कि उपभोक्ताओं की प्रमुख मांगों को घोषणा पत्र में शामिल कराने को लेकर प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारी से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश के उपभोक्ताओं की मांगों को सौंप कर घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की जाएगी।

उसी क्रम में आज उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर इसकी विधिवत शुरुआत करते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से उनके आवास पर 10 बजे मुलाकात कर लंबे समय तक राय शुमारी के उपरांत हजारों विद्युत उपभोक्ताओं से राय मसबरा कर बहुमत से तय की गई उपभोक्ताओं की 6 मांगों को सौंपते हुए उसे भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव के आगामी घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग उठाई और चर्चा की।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष की तरफ से जो मांगे रखी गई है। उसमें देश व प्रदेश के किसानों को फ्री बिजली रोस्टर समाप्त कर ग्रामीण व शहरी सभी को 24 घंटे बिजली बिजली क्षेत्र में निजीकरण पर पूर्णतया रोक और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे लगभग 33122 करोड के एवज में प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में अगले पांच वर्षों तक कमी देश के उत्पादन वितरण ट्रांसमिशन सहित सभी क्षेत्रों में कार्यरत देश के निजी घरानों की अनिवार्य रूप से सीएजी ऑडिट सहित देश व प्रदेश में लागू बिजली मुआवजा कानून को लागू न करने वाली बिजली कंपनियों पर कठोर कार्यवाही की प्रमुख मांग शामिल है।

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