-पहली बार आयोजित हुआ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर केन्द्रित अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन
नई दिल्ली। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) ने माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से कक्षा 12 तक) पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है। अब तक शिक्षकों के लिए टीईटी की परीक्षा सिर्फ 9वीं तक हुआ करती थी। सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित एनसीटीई द्वारा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सहयोग से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के आलोक में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी अनुशंसा की गई ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एनसीटीई की सदस्य सचिव केसांग वाई. शेरपा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विभिन्न स्तरों पर टीईटी को लागू करने की अनुशंसा की गई है। एनसीटीई माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से कक्षा 12 तक) पर टीईटी को प्रस्तावित एवं कार्यान्वित करने की दिशा में काम कर रहा है। सीबीएसई की अध्यक्ष निधि छिब्बर ने अपने संबोधन में कहा कि एक शिक्षक की क्षमता ही कक्षा में एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करती है, इसलिए शिक्षक पात्रता परीक्षा, एक शिक्षक की क्षमता एवं दक्षता को समझने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई पिछले लम्बे समय से टीईटी की परीक्षा आयोजित करता रहा है, जिससे उसके पास एक लंबा अनुभव है, हम एनसीटीई के साथ इस संदर्भ का डेटा का साझा करेंगे और भावी योजना को साथ मिलकर क्रियान्वित करेंगे। इनकम टैक्स के प्रिंसिपल कमिश्नर विक्रम सहाय ने कहा कि शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर चुनौतियों के स्तर में भी बदलाव आता है, इसलिए हर स्तर की पात्रता के लिए मानकीकरण भी आवश्यक है।
एनसीटीई के अध्यक्ष प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था का मुख्य ध्यान अंकों पर केन्द्रित होने के बजाय विद्यार्थियों में मूल्यों को विकसित करने पर भी होना चाहिए। शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि समझ की समझ को विकसित करना ही शिक्षा है। टीईटी, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के समन्वयक अभिमन्यु यादव ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर प्रजेंटेशन देते हुए स्कूल शिक्षकों की गुणवत्ता और क्षमता के सुधार में टीईटी की यात्रा पर प्रकाश डाला। इस दौरान यादव ने परीक्षा प्रक्रिया, पात्रता मानक व स्कूलों में योग्य टीचिंग प्रोफेशनल्स के चयन को सुनिश्चित करने और इसे स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों तक विस्तारित करने के महत्व जैसे बिंदुओं पर चर्चा की।