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आरडीएसएस योजना के तहत घटिया क्वालिटी, कार्रवाई की तैयारी

लखनऊ। केन्द्र सरकार की प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए लागू महत्वाकांक्षी आरडीएसएस योजना (रेवेम्प्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम अर्थात संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) में घटिया क्वालिटी का खुलासा हुआ है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा कराये गये सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। पूरे प्रदेश में हजारों करोड़ के हो रहे काम में निजी घरानों की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। इस जांच के बारे में पहले ही उपभोक्ता परिषद कई बार मांग कर चुका था। अब उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि करोड़ों का टेंडर हथियाकर निजी घराने लाखों में गोलमाल कर रहे हैं। इसके रेंडम भौतिक सत्यापन में भी खुलासा हो गया। सत्यापन में पाया गया कि नए ट्रांसफार्मर में आयल लीकेज की समस्या, स्टील ट्यूबलर पोल व अन्य सामग्री मिली अर्थात जंक स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइड लाइन का उल्लंघन स्टोर में मिली सामग्री में भारी कमियां देखने को मिली। डिस्काम अभियंताओं की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है। अब मध्यांचल विद्युत वितरण खंड इसकी कार्रवाई में जुट गया है।

वर्तमान में पूरे उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम आरडीएसएस योजना के तहत उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में हजारों करोड़ के कार्य कराए जा रहे हैं, जिसमें लॉस रिडक्शन मद में लगभग 13500 करोड़ का काम हो रहा है। प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से आरडीएसएस आधुनिकीकरण मद में लगभग 42968 करोड़ की कार्य योजना भारत सरकार को भेजी गई है, लेकिन वर्तमान में एक बड़ा खुलासा हुआ है। सभी बिजली कंपनियों में यह काम देश के बड़े निजी घराने कर रहे हैं। इसकी गुणवत्ता को लेकर भारत सरकार रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेन लिमिटेड द्वारा मध्यांचल विद्युत वितरण के अंतर्गत बाराबंकी के कुछ गांवों का भौतिक सत्यापन व निरीक्षण किया गया।

इसमें हैदरगढ नवाबगंज और रामसनेहीघाट में सनौली गांव लक्ष्मणगढ सहित मयूर विहार कॉलोनी में स्थित स्टोर सहित कार्यों की गुणवत्ता बेहद खराब निकली। इसको लेकर बिजली कंपनियों में हडकंप मच गया। रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के एजुकेटिव डायरेक्टर ने जब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम को घटिया क्वालिटी की रिपोर्ट भेजी, तो सभी के होश उड़ गए। इसके बाद मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से निदेशक तकनीकी द्वारा कहा गया कि जो स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन है। उसके तहत कार्य मापन में काफी विचलन है। मैसर्स एनसीसी लिमिटेड द्वारा कराए गए कार्य की गुणवत्ता अत्यंत खराब है।

इससे स्पष्ट होता है कि डिस्काम के क्षेत्रीय अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा द्वारा कमियों को छुपाया गया। इसे मध्यांचल डिस्काम को आर्थिक क्षति हुई है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि 63 केवीए का जो नया ट्रांसफार्मर स्टोर में मिला, वह आयल लीक कर रहा था, जो सामग्री स्टोर में होनी चाहिए वह नहीं मिली। स्टील ट्यूबलर पोल और अन्य सामग्री जंक खाई हुई थी। एलटी पोल की ग्राउटिंग नहीं सही थी। कॉइल की अर्थिंग नहीं सही थी। पोल की अर्थिंग नहीं सही थी।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी को पता है कि आरडीएसएस योजना में निजी घरानों को ऊंची दर पर टेंडर दिए गए और अब उनके द्वारा इस प्रकार क्वालिटी के साथ समझौता किया जा रहा है। घटिया काम किया जा रहा है। आरडीएसएस स्कीम की उत्तर प्रदेश सरकार को उच्च स्तरीय जांच कराना चाहिए।

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