लखनऊ। समाजवादी पार्टी(सपा) और कांग्रेस के बीच बने विपक्षी गठबंधन में दरार आ गई है। सीट बंटवारे को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बीच सहमति न बनने से यह गठबंधन भी लगभग टूटता नजर आ रहा है। विपक्षी गठबंधन में सपा के साथ उत्तर प्रदेश में अब लगभग कोई भी पार्टी सहयोगी के रूप में नहीं है। इससे लोकसभा चुनाव में उसके अकेले ही मैदान में उतरने की मजबूरी बन गई है।
देश की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने एक गठबंधन तैयार किया था। आईएनडीआईए नाम से बने इस गठबंधन में उत्तर प्रदेश से प्रमुख पक्षी दल के रूप में समाजवादी पार्टी शामिल थी। उसके साथ सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस राष्ट्रीय लोक दल,अपना दल (कमेरावादी) आदि दलों के नेतागण इसमें शामिल थे। इस विपक्षी दल ने सत्ता दल को लोकसभा चुनाव में रोकने की तैयारी किए जाने का दंभ भरा जा रहा था। लेकिन अब चुनाव के नजदीक आते-आते यह गठबंधन बिखर सा गया है। इस बिखराव में उत्तर प्रदेश से प्रमुख विपक्षी दल के रूप में सपा के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी हो गई है। सपा से एक-एक कर सभी दलों ने किनारा कर लिया है। मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने भी सीट बंटवारे को लेकर असहमति जताते हुए गठबंधन से नाता तोड़ लिया है।
सियासी चर्चा है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 20 साइट मांगी थी। लेकिन सपा उन्हें 17 सीट ही देने की बात पर अड़ी थी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने सपा की जनाधार वाली सीटें मांगी थी। जिनमें बिजनौर,सीतापुर,देवरिया, अमरोहा,सहारनपुर,झांसी,मुरादाबाद मंडल की सभी सीटें मांगी थी। लेकिन सपा उक्त सीटों को देने के लिए राजी नहीं हुई। बस यहीं पर मामला फंस गया। हालांकि अभी दोनों ही दलों के नेतृत्वकर्ता नेतागणों ने गठबंधन टूटने की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है। फिलहाल सपा कांग्रेस के बीच गठबंधन के दूसरे की चर्चा तेज हो गई है।
राहुल की न्याय यात्रा से पूर्व झटका
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस और सपा के शीर्ष नेतृत्व ने आपस में दूरियां बना ली है। राहुल गांधी की यात्रा के बीच यूपी में गठबंधन टूटना भाजपा के लिए बड़ा टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है।