कानपुर। अल नीनों कमजोर पड़ रहा है, जिससे उम्मीद है कि मानसून में अच्छी बारिश हो सकती है। प्रशांत महासागर के गर्म होने से अल नीनो कमजोर होना शुरू हो गया है। अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। देश के मौसम वैज्ञानिक भी घटनाक्रमों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। उनका मानना है कि जून-अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब है कि इस साल मानसून की बारिश पिछले साल की तुलना में बेहतर होगी। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा, जून-जुलाई तक ला-नीना विकसित होने की अच्छी संभावना है। यदि इस साल अल नीनो, ईएनएसओ (अल-नीनो साउदर्न ऑसीलेशन) तटस्थ स्थितियों में बदल गया तो भी इस साल का मानसून पिछले साल से बेहतर रहेगा।
भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग 70 फीसदी दक्षिण-पश्चिम मानसून से आता है। यह कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 14 फीसदी है। 1.4 अरब की आबादी वाले देश में आधी से ज्यादा जनसंख्या को आजीविका देता है। अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने इस सप्ताह पूर्व कहा था कि अप्रैल-जून तक अल-नीनो के ईएनएसओ के तटस्थ स्थिति में बदलने की 79 फीसदी संभावना है। इसके अलावा, जून-अगस्त तक ला नीना के विकसित होने की 55 फीसदी संभावना है।