नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने देश के दो-तीन उद्योगपतियों को लेकर भ्रामक और गलत बयान देने के आधार पर विपक्ष के नेताओं राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और दूसरे नेताओं के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की मांग खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि मतदाताओं की बुद्धिमता को कमतर कर नहीं आंकें।
हाई कोर्ट ने कहा कि देश के मतदाता जानते हैं कि कौन राजनीतिक नेता उनका नेतृत्व कर रहा है और कौन गुमराह कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता पीड़ित नहीं है। अगर कोई उद्योगपति पीड़ित है तो वो कोर्ट आ सकता है। वर्तमान याचिकाकर्ता की याचिका पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता है।
याचिका हिन्दू सेना के नेता सुरजीत सिंह यादव ने दायर की है। याचिका में कहा गया था कि इन नेताओं द्वारा अपने एजेंडे के अनुसार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर केंद्र सरकार की छवि के बारे में गलत धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है। लिए गए ऋणों को बट्टे खाते में डालने के वास्तविक अर्थ को जानबूझकर दूसरे अर्थों में पेश कर भ्रम पैदा किया गया है। इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार की छवि खराब हुई है।
याचिका में कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक बट्टे खाते में डालना माफी के समान नहीं है जबकि नेताओं द्वारा इसको ऋण माफी के रूप में पेश किया जा रहा है। याचिका में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के अलावा कुछ न्यूज चैनलों के ट्विटर हैंडल और यूट्यूब पर से इन उद्योगपतियों के खिलाफ चलाये जा रहे दुष्प्रचार को हटाने की मांग की गई थी।