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जातीय समीकरण के फेर में गठबंधन को लग सकता है बड़ा झटका

–संसदीय सीट से बसपा ने दशकों बाद पहली बार ब्राह्मण प्रत्याशी पर लगाया दांव

हमीरपुर। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर पहली बार मायावती ने ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार बनाया है। क्षेत्र के रहने वाले निर्दाेष दीक्षित पहली बार सांसद बनने के लिए हाथी पर सवार हुए हैं। जिससे यहां चुनावी महासमर में भाजपा और कांग्रेस, सपा गठबंधन के प्रत्याशी टेंशन में आ गए हैं। बसपा प्रत्याशी पिछली बार विधानसभा के चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं। अब उनके चुनाव मैदान में आने से यहां चुनावी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा पहले ही मौजूदा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को तीसरी बार प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी, जबकि कांग्रेस और सपा गठबंधन ने अजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाया है। इधर बसपा ने प्रत्याशी घोषित करने में जातीय समीकरणों को लेकर हफ्तों मंथन किया। पार्टी पहले जैमिनी सर्कस मालिक मोहम्मद फतेह खान पर दांव लगाने की तैयारी में थी लेकिन ऐन वक्त पर उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई जा सकी। महोबा के पनवाड़ी क्षेत्र के रहने वाले निर्दाेष दीक्षित ने कांग्रेस से नमस्कार किया और बसपा में आनन फानन इन्ट्री की।

इन्हें यहां की सीट से प्रत्याशी बनाने के लिए फिर से बसपा के शीर्ष नेतृत्व में मंथन चला और आखिरकार उन्हें पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित भी कर दिया। सूत्र बताते है कि हाल में ही सर्कस मालिक के नाम पर फैसला न होने के कारण पूर्व सांसद अशोक सिंह चंदेल की पत्नी राजकुमारी चंदेल के नाम को लेकर बसपा में चर्चा हुई थी। सूत्र बताते है कि भाजपा को सीधे तौर पर झटका देने के लिए कार्यकर्ता भी चाहते थे कि इन्हें संसदीय सीट से चुनाव लड़ाया जाए। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार घोषित कर प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को झटका दिया है। चुनावी महासमर में हाथी और साइकिल एक दूसरे के गढ़ में शह और मात का खेल भी खेल रहे हैं।

–हाथी की चाल से भाजपा समेत अन्य दलों के प्रत्याशियों की उड़ी नींद

हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में अबकी बार भाजपा प्रत्याशी पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल यहां की सीट पर हैट्रिक लगाने को बेताब हैं। वहीं साइकिल और हाथी की रफ्तार पकड़ने से उनके माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही है। इंडी गठबंधन में सपा से अजेन्द्र सिंह राजपूत ऐसे प्रत्याशी हैं जिनकी लोधी बिरादरी में मजबूत पकड़ बताई जा रही है। इस बिरादरी से इस बार यहीं चुनाव मैदान में है जिससे जातीय समीकरण भी तेजी से बदल रहे हैं। इस बार मायावती ने साइकिल को झटका देने के लिए पहली बार ब्राह्मण बिरादरी से निर्दाेष दीक्षित को चुनाव मैदान में उतारा है। जिससे भाजपा और सपा प्रत्याशियों की नींदें उड़ने लगी है। बता दे कि मायावती के सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले से 1999 और 2009 के आम चुनाव में ठाकुर बिरादरी से दो बार यहां की सीट से सांसद बने थे।

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