काठमांडू। नेपाल में अवैध रूप से रह रहे शरणार्थियों की संख्या पिछले तीन साल में तीन गुणा अधिक होने का तथ्य सामने आया है। इन अवैध शरणार्थियों में सबसे अधिक संख्या रोहिंग्या मुसलमानों और पाकिस्तानियों की है। नेपाल के सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ नेपाल के लिए नहीं बल्कि भारत के लिए भी सिरदर्द बन सकता है।
नेपाल स्थित संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग की तरफ से उपलब्ध कराए गए तथ्य के मुताबिक इस समय नेपाल में 16 देशों के 988 शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें से 682 लोगों को यूएन की तरफ से परिचय पत्र दे दिया गया है जबकि बाकी शरणार्थी का निवेदन अभी भी लम्बित है। उच्चायोग की तरफ से बताया गया है कि नेपाल में पिछले तीन वर्षों में शरणार्थियों की संख्या तीन गुणा बढ़ गई है। इनमें सबसे अधिक संख्या म्यामार से आने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की है। जबकि पाकिस्तान के नागरिकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
नेपाल के अध्यागमन विभाग में रहे रिकार्ड के मुताबिक नेपाल में आधिकारिक रूप से रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या 508 दर्ज की गई है। इसी तरह नेपाल में आकर शरणार्थी जीवन व्यतीत कर रहे पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या 353 बताई गई है। अध्यागमन विभाग के मुताबिक अफगानिस्तान से 36, सोमालिया से 31, श्रीलंका से 27, ईरान से 9, यूक्रेन से 6, बांग्लादेश से 5 लोग शरणार्थी के रूप में नेपाल में रह रहे हैं। ऐसे ही यमन से 3, रूस से 3, सुडान से 2 तथा चीन, फिलिपिन्स, इराक, दक्षिणी सुडान और रूवाण्डा से एक एक नागरिक शरणार्थी के रूप में नेपाल में रह रहे हैं।
सुरक्षा अधिकारियों ने नेपाल में अवैध रूप से रोहिंग्या और पाकिस्तानी नागरिकों का शरणार्थी के रूप में आने को देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बताया है। नेपाल पुलिस के पूर्व एआईजी नवराज सिलवाल ने कहा कि रोहिंग्या और पाकिस्तानी नागरिकों का अवैध प्रवेश ना सिर्फ देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे आतंकी घटना के मद्देनजर भी यह खतरा का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ खुली सीमा के कारण सिक्योरिटी थ्रेट सिर्फ नेपाल के लिए नहीं बल्कि भारत के लिए भी उतना ही है।
कई वर्षों तक नेपाल पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग में काम कर चुके पूर्व एआईजी बम बहादुर भण्डारी ने कहा कि भारत को अपनी खुली सीमाओं पर निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि नेपाल में आए रोहिंग्या हों या पाकिस्तानी सभी भारत की सीमा का प्रयोग कर ही नेपाल में प्रवेश किया है। सीमा सुरक्षा में लापरवाही के कारण ही यह हो पाने की बात कहते हुए भण्डारी ने कहा कि समय पर ही इस बात में सजग और सचेत होकर इसके स्थाई समाधान की व्यवस्था नहीं की गई तो बढ़ते शरणार्थियों की संख्या आने वाले दिन में भारत के लिए बड़ा सरदर्द बन सकता है।