जयपुर। राजधानी में फैली अपनी अरबों-खरबों की सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण ने लाखों की रुपये की तनख्वाह वाले अधिकारी तैनात कर रखे है, लेकिन भूमाफियों की नजर से अधिकारी सरकारी सम्पत्ति को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। यहीं वजह है कि शहर में बड़ी संख्या में जेडीए सम्पत्तियां अतिक्रमण की भेंट गईं और निरंतर चढ़ती जा रही है।
जेडीए सम्पत्ति के रिकॉर्ड संधारण और उसकी सुरक्षा के लिए हाल के वर्षों में लैंड बैंक का गठन किया गया। जेडीए सम्पत्ति की जानकारी एकत्रित करने के साथ उसे ऑनलाइन भी कर दिया गया। इससे जेडीए को यह पता रहेगा कि उसकी सम्पत्ति कहां-कहां पर बिखरी हुई और उसका क्या उपयोग हो रहा है। जेडीए आमजन सहित अपनी सहूलियत के हिसाब से योजनाएं ला सकता है।
कितनी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण जेडीए को नहीं जानकारी
चालीस किलोमीटर की परिधि में फैले जयपुर में कितनी सम्पत्तियों को भूमाफियाओं ने अतिक्रमण कर खुर्दबुर्द कर दिया, इसकी जेडीए को जानकारी नहीं है। हालांकि कई मौकों पर अतिक्रमण की जानकारी होने के बाद भी जेडीए राजनीतिक दबाव सहित अन्य कारणों से अपनी भूमि पर कब्जा नहीं ले पाता है।
एडिशनल कमिश्नर लैंड हरफूल सिंह यादव ने बताया कि जेडीए सम्पत्ति की देखभाल के लिए लगाए गए 54 अधिकारियों ने अभी तक 150 सम्पत्तियों पर कब्जे की शिकायत ऑनलाइन दी है। उस पर कार्रवाई का जिम्मा जोन डीसी का रहता है, अतिक्रमण हटाने को लेकर क्या कार्रवाई रही इनका रिकॉर्ड मेंटेन नहीं है। लैंड बैंक में जेडीए सम्पत्ति के 1971 खसरों की जानकारी है, लेकिन इन खसरों में कितनी जमीन इसकी जानकारी नहीं है।
आमजन की शिकायत पर प्रवर्तन शाखा करती कार्रवाई,लेकिन फिर हो रही अतिक्रमण
साल 2023 में भूमाफियाओं ने 225 स्थानों पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर 140 अवैध कॉलोनी बसाने का प्रयास किया। जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने सरकारी जमीन पर कब्जे के मामले में साल 2023 में 225 नोटिस 72 जेडीए एक्ट में जारी कर जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करवाया। जेडीए सम्पत्ति की सुरक्षा में लगाए गए अधिकारियों ने 150 स्थानों पर ही अतिक्रमण की शिकायत दी थी। सुरक्षा में लगाए गए अधिकारी निगरानी के नाम पर महज खाना पूर्ति कर रहे है।
अतिक्रमण मुक्त जमीन को लेकर नहीं जेडीए के पास ठोस प्लान
जेडीए की प्रवर्तन शाखा आमजन के साथ जेडीए अधिकारियों से मिली शिकायत के बाद अतिक्रमण हटाती है, लेकिन भूमाफिया उस जमीन पर फिर से कब्जा कर लेते है। इसकी वजह साफ है कि जेडीए अधिकारियों के पास अतिक्रमण मुक्त करवाई गई जमीन के उपयोग को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है। पिछले साल सरकारी जमीनों पर कब्जे के सबसे ज्यादा मामले जोन 9,10 और अजमेर रोड वाले जोन में आए है। जेडीए प्रशासन लगातार भूमाफियाओं पर सख्ती से कार्रवाई कर रहा है, लेकिन सरकारी जमीनों पर कब्जे के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। जेडीए की प्रवर्तन शाखा से साल 2020 में 130 अवैध कॉलोनियों को बसने से रोका और भूमाफियाओं पर लगातार शिकंजा कस रखने का प्रयास किया। अगर जेडीए चाहे तो अतिक्रमण मुक्त करवाई गई जमीन की सुरक्षार्थ तारबंदी सहित अन्य कदम उठा सकती है। जेडीए इन जमीनों पर नई स्कीम लॉच करती है या फिर प्राइवेट कॉलोनाइजर को योजनाएं काटने के लिए जमीन देकर मोटा राजस्व अर्जित कर सकता है।
इस मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त मंजू राजपाल का कहना है कि शहर में जेडीए की कितनी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण है इसकी पूरी जानकारी नहीं है। जो आमजन से शिकायत मिल जाती है उस पर कार्रवाई की जाती है। वहीं लैंड बैंक के तहत जेडीए सम्पत्ति की सुरक्षा में कई अधिकारी तैनात किए गए , जो महिने में एक बार अपने क्षेत्र की सम्पत्तियों का निरीक्षण करते है।