रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि बिना किसी उचित कारण के अपने पति से अलग रहने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं है। हाई कोर्ट ने यह आदेश जमशेदपुर के रहने वाले अमित कुमार कच्छप की क्रिमिनल रिवीजन पर सुनवाई करते हुए दिया है।
रांची सिविल कोर्ट की फैमिली कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि अमित कुमार कच्छप अपनी पत्नी संगीता टोप्पो को भरण-पोषण के रूप में 15 हजार रुपये प्रति माह दें। इस पर फैमिली कोर्ट ने उसके पक्ष में आदेश पारित करते हुए 30 अक्टूबर 2017 से हर माह 15 हजार रुपये का भरण-पोषण भत्ता निर्धारित किया था और पति को इस राशि का भुगतान करने को कहा था।
फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पति अमित कुमार कच्छप ने हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दायर किया था। उसका कहना था कि शादी के बाद उसकी पत्नी एक सप्ताह के लिए जमशेदपुर में उसके घर रही। इसके बाद वह अपने परिजनों की कुछ दिनों तक सेवा करने के नाम पर रांची चली गई। उसने कहा था कि 15 दिनों के भीतर वापस आ जाएगी, लेकिन बार-बार अनुरोध करने के बाद भी वह नहीं लौटी। जिसके बाद न्यायाधीश जस्टिस सुभाष चांद की कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पत्नी का अपने पति से अलग होने में उचित औचित्य का अभाव था।
संगीता टोप्पो ने रांची की फैमिली कोर्ट में अपने पति अमित कुमार कच्छप के खिलाफ दायर केस में आरोप लगाया था कि 2014 में आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी के बाद जब वह ससुराल गई तो उससे कार, फ्रिज और एलईडी टीवी सहित दहेज की मांग शुरू हो गई।
उसने दावा किया कि पति और उसका परिवार इसके लिए दबाव डालता था। पति छोटी-छोटी बातों पर उसकी उपेक्षा करता था, अक्सर शराब के नशे में उसके साथ दुर्व्यवहार करता था। उसने अपने पति पर एक महिला के साथ विवाहेतर संबंध रखने का भी आरोप लगाया। उसने भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 50 हजार रुपये का दावा ठोका था।