( ब्रह्मा नन्द पाण्डेय )
मऊ। जिले मे रिहायसी भवनो मे चल रहे निजी नर्सिंग होम्स द्वारा अविधिपूर्ण तरीके से अग्नि समन विभाग से अनापत्ति प्रमाण लेकर संचालित किये जा रहे हॉस्पिटलों को लेकर प्रसाशन गंभीर नही है। जबकि बीते माह ऐसे ही संचालित हॉस्पिटल मे अगलगी की घटना में कई नवजातो की मौत हो चुकी है।
मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय मऊ के सूत्रो की माने तो जिले मे ऐसा कोई निजी नर्सिंग होम्स नही है जिसकी बिल्डिंह नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत निर्माण है और न ही निर्माण पूर्व इनके हॉस्पिटल भवन के मानचित्र ही स्वीकृत है। मजे की बात यह है कि केवल अविधिपूर्ण तरीके से मुख्य अग्नि समन विभाग से विभागीय अधिकारोयो को मिलाकर अनापति प्रमाण लेकर जनहित को ताक पर रखकर इन निजी नर्सिंग होमो का संचालन किया जा रहा है।
क्लिनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट का इन हॉस्पिटलो के द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। किसी भी हॉस्पिटल मे न पार्किंग की ब्यवस्था है और न ही सेट बैक ही शेष है। ऐसी स्थितियों मे संचालित इन हॉस्पिटलो मे मरीजों और उनके तिमारदारो की जान को खतरे मे डालकर अबैध कमाई की जा रही है।
जिलाधिकारी के द्वारा जिले के हॉस्पिटलो के भवनों और उसमे तैनात प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टॉफ आदि की न्यायहित और समाजहित मे जाँच कर कार्यवाही की जानी चाहिए, अन्यथा जनपद मे रिहायसी भवानो मे संचालित हॉस्पिटलो, को उनके भवनो को नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत निर्मित नही होने, अविधिपूर्ण तरीके से अग्नि समन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्रों को लेकर उनके संचालन आदि वर्ष जंकल्याण सेवा समिति के द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंड पीठ मे योजित जनहित याचिका संख्या ५६९६(एम बी)/ २००५ मे जारी आदेश को पालन कराने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खट खटाया जाएगा। जिले मे संचालित निजी नर्सिंग होम्स के द्वारा उक्त मुकदमे पारित आदेश की अवहेलना की जा रही है।
बन्द्ना नर्सिंग होम पर कभी भी प्रसाशन की टेढ़ी हो सकती है नजर
गाजीपुर तिराहे के करीब स्थित बंदना नर्सिंग होम पर प्रसाशन की नजर कभी भी टेढ़ी हो सकती है।
हॉस्पिटल की अबिधता को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे योजित जनहित याचिका मे अदालत ने इंस्ट्रक्शन तलब किया है। मामले मे अगली तिथि को प्रसाशन को अपनी कार्रवाई से अदालत को अवगत करना है।