मीरजापुर। गरीब मजदूरों को रोजगार देने वाली मनरेगा योजना में अनैतिक कार्य का विरोध करना पंचायत मित्र को भारी पड़ गया। हेराफेरी में रोड़ा बन रहे पंचायत मित्र को रास्ते से हटाने के लिए साथियों की मदद से ग्राम प्रधान ने उसकी हत्या करा दी। पुलिस ने शुक्रवार को पांच हत्यारोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसमें एक आरोपित चंदौली का रहने वाला है। पिकअप, कार व चार मोबाइल भी बरामद हुआ है।
अपर पुलिस अधीक्षक आपरेशन ओपी सिंह ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर पंचायत मित्र हत्याकांड का खुलासा किया। उन्होंने मीडिया से बताया कि मृतक राजीव कुमार मौर्या ग्राम कोठी में पंचायत मित्र था, जो ग्राम प्रधान रामनरेश मौर्या के मनरेगा योजना में किए जा रहे अनैतिक कार्यों का विरोध कर रहा था। पूर्व में ग्राम प्रधान व मृतक के बीच इसी बात को लेकर वाद-विवाद, गाली-गलौज व मारपीट भी हुई थी। अवैध कमाई बंद होने से बौखलाए ग्राम प्रधान ने अपने साथियों के साथ मिलकर योजना बनाई और पंचायत मित्र राजीव की चार पहिया वाहन से कुचलकर हत्या कर दी और खुद बचने के लिए घटना को दुर्घटना का रूप दे दिया।
पुलिस अधीक्षक अभिनंदन के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक आपरेशन व क्षेत्राधिकारी लालगंज के नेतृत्व में लालगंज थाना पुलिस, एसओजी व सर्विलांस की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को लालगंज क्षेत्र से हत्या में पांच आरोपित ग्राम प्रधान रामनरेश मौर्या (35) पुत्र राजेन्द्र प्रसाद मौर्या निवासी मड़वा नेवादा कोठी, दिनेश मौर्या (35) पुत्र बेचू प्रसाद मौर्या, शिवकुमार (30) पुत्र श्यामनारायण, संतोष कुमार मौर्या (30) पुत्र सत्यनारायण मौर्या निवासी डांगरकेरी थाना लालगंज व सतीश मौर्या (30) पुत्र रामआसरे मौर्या निवासी रामगढ़ थाना बलुआ जनपद चंदौली को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त पिकअप व कार बरामद कर उसे सीज कर दिया। पुलिस ने चार मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं।
भाई को पहले ही थी हत्या की आशंका
दरअसल, गत पांच जून को संजय कुमार मौर्या पुत्र किशुन प्रसाद मौर्या निवासी लहंगपुर थाना लालगंज ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध थाने में तहरीर दी थी। जिसमें आरोप लगाया था कि उसके भाई पंचायत मित्र राजीव कुमार मौर्या की षड्यंत्र के तहत वाहन से दुर्घटना कर हत्या कर दी गई है।
पूर्व जिलाध्यक्ष तक पहुंची थी हत्या की आंच
पंचायत मित्र की हत्या की आंच पहले तो भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष तक जा पहुंची, लेकिन जब गहनता से मामले की जांच हुई तो नया मोड़ आया और आखिरकार हत्या का राज खुल गया। जनसेवा की आड़ में अपनी जेब भरने में लगे ग्राम प्रधान की नियत इस कदर बिगड़ गई कि पंचायत मित्र को मौत के घाट उतार दिया, जो किसी ने सोचा तक नहीं था।