प्रयागराज। मौनी अमावस्या की शुरुआत 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर होगी और समापन 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर होगा। इस दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या यानी मौन रहकर ईश्वर की साधना करने का अवसर है।
खुशनुमा मौसम होते ही माघ मेला क्षेत्र में मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर बुधवार की रात्रि से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। काशी सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि मौनी अमावस्या पर्व पर जो भी स्नान-ध्यान करता है, उसके कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। मौनी अमावस्या पर स्वर्गलोक से देवता भी संगम में स्नान करने आते हैं।
दण्डी संन्यासी के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर संगम में स्नान करने से जाने-अनजाने में हुए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। ये पवित्र पल मनुष्य को आत्मशुद्धि का सुअवसर प्रदान करता है। उक्त विधि पर तन, मन और वाणी को पवित्र रखना चाहिए। शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना सम्भव नहीं तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखे।
मौनी अमावस्या के मद्देनजर मेला प्रशासन, जिला प्रशासन व पुलिस विभाग की ओर से विशेष तैयारियां की गई हैं। पुलिस प्रशासन के व्यवस्था की बात की जाए तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस निगरानी कर रही है। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। वाहनों को बकायदा वाहन स्टैंडों पर खड़ा करने की व्यवस्था है और डायवर्जन की समुचित व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी श्रद्धालु या स्नानार्थी को किसी भी प्रकार की समस्या न होने पाए। वहीं, रेलवे एवं रोडवेज ने भी श्रद्धालुओं को ले आने व ले जाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।