मेरठ,। अक्सर चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दलों के महारथियों के बीच कांटे की टक्कर होती है, लेकिन 1974 के लोकसभा चुनाव में बिजनौर लोकसभा सीट पर टक्कर देने के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं उतरा और कांग्रेस के रामदयाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए। इसी तरह से बिजनौर सीट पर 1962 में प्रकाशवीर त्यागी शास्त्री ने निर्दलीय ही जीत का परचम लहरा दिया था।
बिजनौर लोकसभा सीट की गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट के रूप में होती है। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों को सात बार जीत हासिल हुई तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार चार बार सांसद बनने में कामयाब हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जनता पार्टी को दो-दो बार, समाजवादी पार्टी (सपा) एक बार तो एक बार निर्दलीय उम्मीदवार को कामयाबी मिली है। इस सीट पर 1974 में ऐसा वाकया हुआ, जो राजनीति में अपवाद स्वरूप ही दिखाई देता है। कांग्रेस के उम्मीदवार रामदयाल के सामने नामांकन करने के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं उतरा और उन्हें निर्विरोध ही निर्वाचित घोषित कर दिया। 1962 में बिजनौर की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव जिताकर संसद में भेजा। आर्य समाज के बड़े विद्वान प्रकाशवीर त्यागी शास्त्री ने उस समय निर्दलीय चुनाव जीतकर सभी को चौंका दिया था। 1967 में प्रकाशवीर ने गाजियाबाद सीट पर भी दिग्गज नेता बीपी मौर्य को हराकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत कर अपना परचम लहराया।
मीरा कुमार ने रामविलास पासवान को दी थी पटखनी
बिजनौर लोकसभा सीट 1985 में सुरक्षित सीट थी। 1984 के आम चुनावों में कांग्रेस के गिरधारी लाल यहां से सांसद चुने गए। उनके असमय निधन के कारण 1985 के उपचुनाव में इस सीट से दिग्गजों ने भाग्य आजमाया। कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार के सामने रामविलास पासवान जैसी हस्ती चुनाव लड़ी। इस रोचक मुकाबले में मीरा कुमार ने रामविलास पासवान को करारी शिकस्त दी। 1989 में इस सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेत्री मायावती चुनाव जीतकर संसद में पहुंची थी, लेकिन 1991 में हुए चुनाव में मायावती को भाजपा के मंगलराम प्रेमी के हाथ करारी हार झेलनी पड़ी।
रालोद-भाजपा के चंदन चौहान चुनावी मैदान में
बिजनौर लोकसभा सीट मेरठ, बिजनौर और मुजफ्फरनगर जनपद में फैली हुई है। बिजनौर लोकसभा सीट में पांच विधानसभा आती है। इसमें मुजफ्फरनगर जनपद की पुरकाजी सुरक्षित और मीरापुर सीट है तो बिजनौर जनपद की बिजनौर सदर सीट व चांदपुर और मेरठ जनपद की हस्तिनापुर सुरक्षित सीट शामिल हैं। इनमें से पुरकाजी और मीरापुर से राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) विधायक है। हस्तिनापुर और बिजनौर सदर से भारतीय जनता पार्टी विधायक है, जबकि चांदपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के स्वामी ओमवेश का कब्जा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा-रालोद गठबंधन से मीरापुर विधायक चंदन चौहान चुनाव मैदान में है। बसपा ने विजेंद्र सिंह पर दांव खेला हुआ है।
बिजनौर लोकसभा से चुनाव जीतने वाले सांसद
1952 में कांग्रेस के स्वामी रामानंद शास्त्री सांसद चुने गए। 1957 में कांग्रेस के अब्दुल लतीफ गांधी, 1962 में निर्दलीय प्रकाशवीर त्यागी शास्त्री, 1967 और 1971 में कांग्रेस के स्वामी रामानंद शास्त्री, 1974 में कांग्रेस के रामदयाल निर्विरोध चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के माहीलाल, 1980 में जनता पार्टी के मंगलराम प्रेमी, 1984 में कांग्रेस के गिरधारी लाल, 1985 में कांग्रेस की मीरा कुमार, 1989 में बसपा की मायावती, 1991 और 1996 में भाजपा के मंगलराम प्रेमी, 1998 में सपा की ओमवती देवी, 1999 में भाजपा के शीशराम सिंह रवि, 2004 में रालोद के मुंशीराम पाल, 2009 में बिजनौर सामान्य सीट हो गई तो रालोद के संजय चौहान, 2014 में भाजपा के भारतेंद्र सिंह और 2019 में बसपा के मलूक नागर चुनाव जीतकर सांसद बने।