-कोर्ट ने कहा, डीपीओ बच्ची की अभिरक्षा याची से इस कारण नहीं छीन सकता कि उसके जैविक बच्चे हैं
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) की धारा 68सी के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित दत्तक ग्रहण विनियम 2022 के तहत लगी कानूनी रोक के बावजूद चार बच्चों की मां को एक बच्ची गोद लेने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने कहा कि जैविक बच्चों की मां होने के बावजूद याची को बच्ची की अभिरक्षा से दूर नहीं किया जा सकता है। यह आदेश जस्टिस एस डी सिंह एवं जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने दिया है।
मामले के अनुसार याची को एक दूसरे व्यक्ति ने एक बच्ची को 2014 में सौंप दिया था। याची को चार बच्चे पहले से ही थे और वह उन चार बच्चों की जैविक मां होने के बावजूद उसने बच्ची को गोद ले लिया और उसका पालन पोषण करने लगी। 2021 तक यूपी सरकार के अधिकारियों की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई। नवम्बर 2021 में बच्ची को वह व्यक्ति उठा ले गया, जिसने याची को बच्चा गोद दिया था। इस पर याची ने फर्रूखाबाद स्थित फतेहगढ़ बाल कल्याण समिति के समक्ष अर्जी दी। जांच के बाद काउंसलर ने रिपोर्ट दी कि बच्ची अपने माता-पिता (याची) के पास रहना चाहती है। इसके बाद बच्ची को याची को सौंप दिया गया।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने जिला मजिस्ट्रेट आगरा को एक रिपोर्ट दी कि बच्ची की देखभाल याची की बजाय राज्य सरकार की निगरानी में बेहतर थी। इस पर बच्ची को सरकारी सुविधा में आगरा भेज दी गई। याची ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि बाल कल्याण समिति फर्रूखाबाद काउंसलर रिपोर्ट के मुताबिक याची और बच्ची के बीच स्पष्ट रूप मां-बेटी का बंधन बन गया था। बच्ची याची को अपनी मां के रूप में जानती है। हालांकि, प्रतिकूल रिपोर्ट याची को बच्ची की हिरासत सौंपने के लिए पर्याप्त नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी इसलिए बच्ची की अभिरक्षा याची से नहीं छीन सकता कि उसके चार बच्चे हैं। कोर्ट ने बच्ची को याची को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कानून को न्याय के उद्देश्यों को पराजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।