रांची,। झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में राज्य सरकार एवं सफल अभ्यर्थियों की ओर से पक्ष रखा गया।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार को अधिकार है कि वह नियमावली में परिवर्तन कर सकती है और रूल फ्रेम कर सकती है। जो भी नियुक्ति की गई है वह नियम संगत है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 29 फरवरी की तिथि निर्धारित की है। इस संबंध में सुनील टुडू सहित 60 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गयी हैं। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार एवं राकेश रंजन ने पैरवी की। पुलिस मेंस एसोसिएशन की ओर से दिवाकर उपाध्याय ने पैरवी की।
याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार की ओर से बनायी गई नियुक्ति नियमावली पुलिस मैनुअल के विपरीत है। नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त लगाना भी गलत है। ऐसे में उक्त नियमावली को रद कर देना चाहिए। हालांकि इस मामले में अदालत ने पूर्व में ही कहा है कि अदालत के अंतिम आदेश से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी।
वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। वर्ष 2018 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पूर्व के आदेश के तहत इस मामले में नियुक्त हुए सभी सिपाहियों को पक्ष रखने के लिए अदालत ने मौका दिया था। इसके लिए सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया गया था, जिसके बाद से करीब सात हजार सिपाही इस मामले में प्रतिवादी बने हैं।