नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में किए गए संशोधन पर रोक लगाने से फिर इनकार किया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने नई याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस तरह कानून पर रोक लगा नहीं सकते।
कोर्ट ने इस मामले को पहले से सुनवाई के लिए लंबित मामलों के साथ टैग कर दिया। आज मामले पर सुनवाई के दौरान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि नए कानून पर रोक लगाई जानी चाहिए। भूषण का कहना था कि एक चुनाव आयुक्त जल्द ही रिटायर होने वाले हैं और उनकी जगह नई नियुक्ति की जानी है। अगर कानून पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिका निष्प्रभावी हो जाएगी। हालांकि कोर्ट ने उनकी इस दलील को मंजूर नहीं किया।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले कुछ वकीलों ने याचिका दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कानून को चुनौती देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों में देश के चीफ जस्टिस को भी पैनल में शामिल करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव में पारदर्शिता लाने के मद्देनजर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल में चीफ जस्टिस को भी शामिल किया जाना जरूरी है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 02 मार्च 2023 में अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल में चीफ जस्टिस को भी शामिल किया जाएगा। जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा इस फैसले पर एक नया कानून बनाकर नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ जस्टिस की बजाय सरकार का एक कैबिनेट मंत्री शामिल कर दिया गया।