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दिल्ली के अस्पतालों में सुविधा व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, हाई कोर्ट ने 7 विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी बनाई

नई दिल्ली,। दिल्ली के अस्पतालों में सुविधा और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सात विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी का गठन किया है। हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

हाई कोर्ट ने इस कमेटी में जिन विशेषज्ञों को शामिल किया है उनमें डॉ. एसके सरीन, डॉ. दीपक, डॉ. एस रामजी, डॉ. उर्मिल झांब, डॉ. बीएस शेरवाल, डॉ. आरएस रौतेला और डॉ. विकास डोगिया शामिल हैं। हाई कोर्ट ने इस कमेटी को दिल्ली के अस्पतालों में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति को बेहतर करने के उपायों पर सुझाव देने का निर्देश दिया। कमेटी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों, बिना किसी रुकावट के अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने, टेक्निकल-नॉन टेक्निकल डिपार्टमेंट में भर्ती के लिए सुझाव देगी। कमेटी बेड की उपलब्धता को लेकर रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराने समेत अन्य मुद्दों पर सुझाव देगी। हाई कोर्ट ने कमेटी को चार हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों को मिलाकर केवल छह सीटी स्कैन मशीनों की उपलब्धता पर कड़ी आपत्ति जताई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सभी पदों पर नियुक्ति जरूरी है।

हाई कोर्ट ने 8 फरवरी को कहा था कि दिल्ली में लोगों की जान इसलिए जा रही है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को अटेंड करने वाला कोई नहीं होता। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सुविधाएं और स्टाफ नहीं हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी कमियां हैं। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और दवाइयों की कमी है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली के वर्तमान अस्पतालों में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में से करीब 33 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। पैरामेडिकल के स्वीकृत पदों में से 20 फीसदी पद खाली हैं। इसकी वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा-पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता है।

सौरभ भारद्वाज की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने दिल्ली के उप-राज्यपाल को 2 जनवरी को पत्र लिखकर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए यूपीएससी को निर्देशित कर नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया था।

दरअसल, 2017 में हाई कोर्ट ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड की उपलब्धता और वेंटिलेटर की सुविधा पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी।

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