नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन पर लोग अपने सुझाव एवं प्रतिक्रिया 30 दिनों के भीतर 16 मार्च तक केंद्रीय प्राधिकरण को दे सकते हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा कोचिंग संस्थानों, कानून फर्मों, सरकार और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
गाइडलाइंस के तहत विज्ञापन से जुड़ी शर्तें रखी गई हैं, जिनका अनुपालन न होने की स्थिति में कोचिंग से जुड़े व्यक्ति को भ्रामक विज्ञापन से जोड़ा जाएगा।
विज्ञापन को भ्रामक माना जाएगा अगर सफल उम्मीदवार के पाठ्यक्रम और अवधि की जानकारी छिपाए जाए, मनमाने ढंग से सफलता की दर निर्धारित की जाए, चयन और रैंकिंग से जुड़े झूठे दावे किए जायें, छात्र के व्यक्तिगत प्रयासों को नकारते हुए सारा श्रेय कोचिंग सेंटर को दिया जाए।
कोचिंग सेंटर को बताना होगा कि सफलता में कोचिंग की भूमिका क्या रही। अत्यावश्यकता की झूठी भावना या छूट जाने का डर पैदा करने वालों और पाठ्यक्रम की अवधि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी या कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने वाले कोचिंग सेंटर को भ्रामक विज्ञापन के दायरे में लाया जाएगा।
मंत्रालय का कहना है कि कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर दिशानिर्देश लागू होंगे। दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है।