नई दिल्ली,। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनहरी बाग स्थित मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका सिंगल बेंच के समक्ष लंबित है, इसलिए इस पर कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपकी प्रार्थनाएं ठीक वैसी ही हैं जैसी सिंगल बेंच के समक्ष दायर याचिका की हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का वहन करते हुए कदम उठाया है। ऐसे में इस मामले में किसी भी आदेश की जरूरत नहीं है। याचिका वक्फ वेलफेयर फोरम ने दायर की थी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के वकीलों ने याचिका का विरोध किया। प्रतिवादियों ने कहा कि ये याचिका सिंगल बेंच में दाखिल याचिका की कट एंड पेस्ट है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील संजय घोष ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियों को बचाने की अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का वहन कर रही है। उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच के समक्ष दायर याचिका पर 28 फरवरी को सुनवाई होनी है।
सिंगल बेंच के समक्ष मस्जिद के इमाम अब्दुल अजीज की ओर से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की ओर से एक अखबार में जारी उस इश्तेहार को चुनौती दी गई है, जिसमें मस्जिद को हटाने को लेकर लोगों की राय मांगी गई है। याचिका में कहा गया है कि मस्जिद डेढ़ सौ साल पुरानी है और ये दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। याचिका में मांग की गई है कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और केंद्रीय गृह और शहरी मामलों के मंत्रालय को इस मस्जिद को कोई भी नुकसान करने से रोका जाए।
याचिका में कहा गया है कि सुनहरी बाग स्थित इस मस्जिद से ट्रैफिक संचालन में कोई समस्या पैदा नहीं हुई। ये मस्जिद करीब सौ सालों से अपनी जगह पर खड़ी है और कभी भी ट्रैफिक के लिए बाधा नहीं बनी। याचिका में कहा गया है कि ट्रैफिक में कोई भी बाधा मस्जिद के बाद बनी इमारतों की वजह से है। अब जब ट्रैफिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी ने काफी प्रगति कर ली है तो सांस्कृतिक विरासत के इस मस्जिद को कोई नुकसान हुए बिना तकनीक से ट्रैफिक की समस्या को दूर किया जा सकता है।