रायबरेली। सपा के दिग्गज नेता और अखिलेश यादव के करीबी विधायक मनोज पांडेय ने इस्तीफ़ा दे दिया है और जल्द ही भाजपा में उनके शामिल होने की उम्मीद है। कम उम्र में ही राजनीति में जलवा क़ायम कर लेने वाले मनोज पांडे का रायबरेली के साथ आसपास के जिलों में भी खासा प्रभाव है और अपनी ज़मीनी पकड़ के कारण प्रदेश में ब्राम्हण चेहरे के रूप में माने जाते हैं। मनोज पांडे को दलों से परे सम्बंध बनाने व जनता में मजबूत पैठ के लिए जाना जाता है।
–दिग्गजों के भरोसे और जनता में पकड़ से राजनीति में जलवा
मनोज पांडे अपनी राजनीति के शुरुआत से ही राजनीतिक दिग्गजों के करीबी रहे हैं। पक्ष-विपक्ष हर तरफ़ के मजबूत नेताओं से वह सम्बंध बनाने में माहिर माने जाते हैं। रायबरेली नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रहते हुए तत्कालीन दिग्गज़ लालजी टंडन के वह खासमखास रहे और टंडन ने ही उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिलवा दिया था। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त के वह भरोसेमंद रहे। डॉ मुरली मनोहर जोशी की भी कृपा दृष्टि उन पर हमेशा रही। समाजवादी पार्टी में भी रहते हुए वह मुलायम सिंह यादव और जनेश्वर मिश्र के चहेते रहे। 2012 में विधायक बनने के बाद अखिलेश यादव के प्रिय बन गए।अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्री और मुख्य सचेतक तक बना दिया था। सपा से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले मनोज पांडे दलों से परे अपने सम्बंध बनाने के लिए जाने जाते हैं। सपा के विधायक रहते हुए वह सोनिया गांधी के भी नज़दीक रहे। दिग्गजों के भरोसेमंद होने का उन्हें ख़ूब फायदा भी मिला और 2012 में भारी विरोध के बावजूद उन्हें ऊंचाहार से सपा का टिकट मिल गया।
राजनीति की नब्ज़ समझने वाले मनोज पांडे की जनता में पकड़ का यह असर है कि विधानसभा के चुनाव में उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को दो बार हराया। 2022 में तो भाजपा द्वारा अमरपाल मौर्य के सहारे उन्हें घेरने के बावजूद वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। 2022 के चुनाव में भाजपा ने अपने प्रदेश महामंत्री अमर पाल मौर्य को उतारकर अभी नहीं तो कभी नहीं के नारे के साथ जंग लड़ी और गांव-गांव मनोज को हराने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी थी। इसके बावजूद वह सीट बचाने में कामयाब रहे।
वहीं, 2012 में पहली बार सपा के टिकट पर ऊंचाहार सीट से लड़ने आए डाॅ. मनोज पांडेय ने बसपा के टिकट पर लड़े स्वामी प्रसाद मौर्य के पुत्र को हराकर विधान सभा पहुंचे तो 2017 के चुनावी दंगल में भी मनोज का मुकाबला अशोक से हुआ और दुबारा विधानसभा पहुंचे। 2022 में तीसरी बार विधानसभा पहुंचे मनोज पाण्डेय का जन्म 15 अप्रैल, 1968 को रायबरेली में हुआ। सुल्तानपुर के मूल निवासी मनोज कुमार पाण्डेय के पिता आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ रमाकांत पांडे रायबरेली आये थे। रायबरेली में वह मशहूर चिकित्सक के रूप में विख्यात थे और दवा व्यवसाय में भी अग्रणी रहे। मनोज पांडे स्नातकोत्तर के साथ ही पीएचडी डिग्रीधारक है। इनका विवाह 01 मई, 1995 को नीलम पांडेय के साथ हुआ है।