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मऊ मे पुलिस से बदमाशों को छुड़ाने वाले अधिवक्ता की घटना के ४८ घंटे बाद भी नही लगा सुराग

–अयोध्या और वाराणसी मे हुई ऐसी ही घटना की विवेचना मे बड़ी घटना बनने से नही रुक पाई , फिर मऊ की घटना पर पुलिसिया चुप्पी क्यो

— घटना के समय दीवानी परिसर मे लगे सीसी टीवी कैमरो से फुटेज तक नही निकाला जाना और अनावरण को सार्वजानिक नही किये जाने से कोतवाली पुलिस सवालो के घेरे मे है

 (ब्रह्मा नंद पाण्डेय - एडवोकेट हाई कोर्ट)

मऊ। दीवानी कचहरी मे पुलिसिया हिरासत से असलहेधारियों को छुड़ाने वालो को कोतवाली पुलिस द्वारा जानबूझकर बचाने मे पदीय अधिकारों के दुरूपयोग की खबर है। पुलिस जानबूझकर “कास्टोडियन इंट्रोगेशन” से आरोपी की शीनाख्त को छुपाने मे परिसर मे लगे सीसी टीवी कैमरे से फुटेज को लेकर मुह नही खोल रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार दीवानी परिसर मे सुरक्षा मे लगे पुलिस कर्मचारियों की बिना सहमति के जबरदस्ती चार पहिया वाहन के पीछे से होकर घुसे असलहेधारियों को पुलिस की हिरासत से अधिवक्ताओं पर दबाव बनाकर छुड़ाने का सुरक्षा मे लगे एक उपनिरीक्षक द्वारा मामले मे अभियोग पंजीकृत किया गया है। घटना के दौरान दीवानी परिसर मे पहुंची पुलिस द्वारा हिरासत मे लिए गये अन्य लोगो को क्यो छोड़ा गया ? यह भी कोतवाली पुलिस की संदिग्ध कार्यप्रणाली को इंगित करता है।

दीवानी मे असलहा लेकर असलहेधारी जबरदस्ती क्यो प्रवेश किये ? को लेकर न तो कोई पूछताछ हुई न ही पुलिसिया हिरासत से असलहधारियों को छुड़ाने वाले अधिवक्ता की घटना के ४८ घंटे बीतने के बाद पुलिस चिन्हित ही कर पाई है।

“खरी दुनिया” के हाथ लगे कुछ फुटेज से घटना गंभीर प्रकृति की लग रही है। असलहेधारियों का जबरदस्ती दीवानी मे प्रवेश अयोध्या और वाराणसी दीवानी कचहरी मे हुई वारदात की याद ताजा कर रहा है। सूत्रों की माने तो दीवानी का बिकाऊ एक अधिवक्ता असलहाधारियों को पुलिस हिरासत से छुड़ाने मे दबँगई की है।

इसी अधिवक्ता को बचाने के लिए कोतवाल अनिल सिंह के द्वारा पदीय अधिकारों की आड़ मे अब तक मनमानी की जा रही है। उधर सीओ सिटी अंजनी कुमार मिश्रा ने खरी दुनिया से बातचीत मे आरोपियों के गिरफ्तारी पर किये गये सवाल पर एक ब्यक्ति के खिलाफ निरोधात्मक कार्यवाही किये जाने की बात बताई है।

दर्ज आरोप के मुताबिक सजा को ७ साल से कम का बताकर विवेचना को दर्ज आरोप तक ही सही मानकर आरोपियों को बचाये जाने की बात कही जा रही है जबकि घटना गंभीर प्रकृति की देखी जा रही है। पुलिस मामले की विवेचना मे पुलिस की हिरासत से असलहेधारियो को छुड़ाने वाले अधिवक्ता की शीनाख्त क्यो नहींकर रही है? फिलहाल सवाल बना हुआ है।

फेयर् इन्वेस्टीगेशन को लेकर “खरी दुनिया” ने अदालत मे अर्जी लगाने की योजना बना ली है। कल यानी शनिवार को खरी दुनिया द्वारा मा उच्च न्यायालय मे याचिका दाखिल की जाएगी।

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