नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के पीड़ितों से रविवार को तथ्यान्वेषी समिति के सदस्यों ने मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में समिति की सदस्य भावना बजाज ने बताया कि वे 28 से 70 साल की उम्र की 20 महिलाओं से मिलीं। इस दौरान 70 साल की महिलाएं खड़े होकर रो रही थीं, उन्हें अपनी बेटियों और बहुओं की चिंता है। उन्होंने बताया कि वे एक पीड़िता से मिलीं जिसके पूरे चेहरे पर चोट के निशान थे। हर रात वह अपनी चार साल की बच्ची को आरोपितों से बचाने के लिए छिपने को मजबूर होती थी। अपराधियों ने उसके पति को गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया।
भावना बजाज ने बताया कि अधिकतर पीड़ित महिलाओं ने शिबू हाजरा नामक एक व्यक्ति का नाम लिया है। जब भी लोग उनके पार्टी कार्यालय में जाते हैं, तो वे महिलाओं को लाते हैं और रखते हैं। मनोरंजन के लिए पूरी रात महिलाओं का इस्तेमाल करते थे। लोग इस कदर डरे हुए हैं कि वे बलात्कार या यौन उत्पीड़न शब्द का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन उनके शरीर पर चोट और चोट के निशान स्पष्ट रूप से उनकी कहानी बयान कर रहे हैं। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि वे अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास नहीं जा सकतीं क्योंकि कोई उनकी बात नहीं सुनता है।
भावना बजाज ने बताया कि ऐसा फिल्मों में सुना था लेकिन यह हकीकत में हो रहा है। पीड़ित महिलाओं की वेदना सुन कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं।