सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक रहना पड़ा था जेल में
हमीरपुर। बुन्देलखंड के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जातिवाद के चक्कर में हमेशा जनता ठगी गई है। आम चुनाव में भी जातीय रंग में मतदाताओं ने एक ऐसे बाहुबली को जनादेश देकर संसद पहुंचाया था जो यहां पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। पहली बार में ही क्षेत्र का बाहुबली आम चुनाव में भारी मतों से निर्वाचित हुआ था, लेकिन मतगणना से पहले ही वह गिरफ्तारी वारंट जारी होने से फरार हो गया। फरारी हालत में ही इसने लोकसभा पहुंचकर सांसद की शपथ भी ली थी। बाद में सांसद रहते हुए वह यहां की जेल में ढाई साल तक बंद भी रहा।
गौरतलब है कि कानपुर महानगर के किदवईनगर से अशोक सिंह चंदेल वर्ष 1980 में हमीरपुर जिले में सियासी पारी खेलने आए थे। शुरू में उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी जनता एस के टिकट से हमीरपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव मैदान में कदम रखा। हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप नारायण दुबे से वह पराजित हो गए थे। पहली मर्तबा में ही अशोक सिंह चंदेल ने 20549 मत हासिल किए थे। वह वर्ष 1985 में भी चुनाव हारे थे। इसके बाद 1989 में इन्होंने निर्दलीय रूप से चुनावी महासमर में आकर अन्य दलों के समीकरण फेल कर पहली बार जीत का परचम फहराया था। उन्हें 30813 मत मिले थे।
वर्ष 1991 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1993 में जनता दल की लहर में विधानसभा के चुनाव में 42882 मत हासिल कर वह विधायक बने। वर्ष 1996 में यहां की सीट पर चंदेल बीएसपी के प्रत्याशी से पराजित हुए थे। जातीय राजनीति करने वाले अशोक सिंह चंदेल 26 जनवरी 1997 को हमीरपुर शहर में पांच लोगों की हुई सामूहिक हत्या में नामजद होने के बाद भी बीएसपी में एन्ट्री लेकर 1999 के आम चुनाव में आए तो वह पहली बार में ही निर्णायक मतों के एकजुट हो जाने से सांसद भी बन गए। उन्हें 217732 मत मिले थे। लेकिन सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक इन्हें जेल की सलाखों में रहना पड़ा था।
कोर्ट से अशोक सिंह चंदेल दो बार कोर्ट से घोषित हुए थे भगोड़ा
सामूहिक हत्याकांड में गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे लेकर अशोक सिंह चंदेल संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार में जुटे रहे, लेकिन मतदान के बाद मतगणना से पहले ये फरार हो गए थे। सामूहिक हत्याकांड के वादी राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि मतगणना से पहले सुप्रीमकोर्ट में एसएसपी खारिज होने पर अशोक सिंह चंदेल फरार हो गए थे। मतगणना में ये सांसद चुने गए थे। लेकिन विजयी प्रमाणपत्र उनके मतगणना एजेंट शिवचरण प्रजापति ने लिया था। उन्होंने बताया कि हमीरपुर में विशेष सत्र न्यायाधीश (द.प्र.क्षेत्र) की अदालत ने बाहुबली अशोक सिंह चंदेल को दो बार भगोड़ा भी घोषित किया था।
गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सांसद ने किया था आत्मसमर्पण
वर्ष 1999 में आम चुनाव में अशोक सिंह चंदेल सांसद तो बन गए थे लेकिन उन्हें ढाई साल तक हमीरपुर की जेल की हवा खानी पड़ी थी। सामूहिक हत्याकांड के पीड़ित पक्ष के राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि तत्कालीन एसपी एलवी एंटनी ने फरार सांसद को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित की थी। पुलिस की टीमें दिल्ली गई थी जहां राजनेता की मदद से चंदेल लोकसभा पहुंचकर शपथ ली थी। बताया कि पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थी जिसके कारण सांसद को हमीरपुर स्थित कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। सांसद रहते हुए भी इन्हें यहीं की जेल की सलाखों में ढाई साल तक कैद रहना पड़ा था।
हाईकोर्ट के फैसले पर चंदेल आगरा जेल में काट रहे उम्रकैद की सजा
सामूहिक हत्याकांड में अशोक सिंह चंदेल समेत तमाम आरोपियों को अप्रैल 2019 में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद ये जेल गए थे। मौजूदा में ये आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सामूहिक हत्याकांड के वादी के मुताबिक अशोक सिंह चंदेल के खिलाफ डेढ़ दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्रकैद की सजा के बाद चंदेल का राजनैतिक जमीन भी खिसक गई है। बताते हैं कि हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में नौ फीसदी क्षत्रिय मत है, जिनमें अशोक सिंह चंदेल की मजबूत पकड़ थी। इन्होंने जातीय राजनीति के सहारे कई बार विधानसभा की सीट से विधायक भी बने थे।