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धोखाधड़ी के मामले में अर्चना मित्तल को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बैंकों से 46000 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में भूषण स्टील के पूर्व प्रमोटर नीरज सिंघल की बहन अर्चना अजय मित्तल को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर नोटिस जारी किया है। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने अर्चना अजय मित्तल को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

ईडी ने राऊज एवेन्यू कोर्ट की ओर से अर्चना अजय मित्तल को जमानत देने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 14 फरवरी को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अर्चना अजय मित्तल को जमानत दी थी। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा था आरोपित को जब भी जांच के लिए बुलाया गया वो ईडी के दफ्तर गई। कोर्ट ने कहा कि आरोपित 24 जुलाई 2023, 07 अगस्त 2023 और 10 जनवरी को ईडी के दफ्तर में गई थी। ईडी के समक्ष पेश होने को ईडी ने भी स्वीकार किया है। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपित ने पूछताछ के लिए बुलाने पर नोटिस को नजरअंदाज किया या वो पूछताछ से भाग गई। आरोपित का पहले कोई ऐसा व्यवहार सामने नहीं आया है, जिससे पता चले कि उसके भागने की संभावना है। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में दूसरे सह आरोपित जिनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं वे अभी तक गिरफ्तार नहीं किए गए हैं।

ईडी के मुताबिक भूषण स्टील ने विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से लोन हासिल किया। 31 मार्च 2017 तक कंपनी पर 46,646.73 करोड़ रुपये की देनदारी थी। अर्चना मित्तल के पति अजय मित्तल फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। अजय मित्तल पर आरोप है कि उसने इस अपराध में 70 करोड़ रुपये हासिल किए। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने भूषण स्टील की एक संपत्ति को गिरवी रखा और उससे मिले पैसों को नीरज सिंघल के परिवार को दे दिए। नीरज सिंघल भी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

ईडी ने छापा मारकर नीरज सिंघल को जून 2023 में गिरफ्तार किया था। ईडी ने अगस्त 2023 में आरोपितों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था। ईडी के मुताबिक सिंघल और उसके सहयोगियों ने कई फर्जी कंपनियां बनाई थी और उन सभी के प्रमोटर भूषण स्टील से जुड़े हुए थे। ये सभी मिलकर साजिश के तहत एक कंपनी से दूसरे कंपनी में पैसा घुमाते थे ताकि बैंकों को धोखा दिया जा सके।

बतादें कि भूषण स्टील के खिलाफ सीरियस फ्राड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने 2019 में केस दर्ज किया था। एसएफआईओ की ओर से चार्जशीट दाखिल होने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई शुरू की गई।

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