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  • बर्खास्त श्रमिक की पुन: नियुक्ति में खानापूर्ति, हाईकोर्ट ने जारी किए अवमानना नोटिस

    बर्खास्त श्रमिक की पुन: नियुक्ति में खानापूर्ति, हाईकोर्ट ने जारी किए अवमानना नोटिस

    जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के कई सालों बाद श्रमिक को पुन: नियुक्ति देने में खानापूर्ति करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने श्रम सचिव, जयपुर कलेक्टर, एसडीओ दूदू, मोटर गैराज नियंत्रक और अतिरिक्त श्रम आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने कहा कि श्रमिक को पुन: नियुक्ति प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए देने के आदेश जारी किए गए है, यह लेबर कोर्ट की ओर से आदेश के अनुरूप नहीं है। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए।

    अदालती आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से याचिकाकर्ता का नियुक्ति पत्र पेश किया गया। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता तन्मय ढंड ने कहा की यह नियुक्ति आदेश अदालत की आंख में धूल झोंकने वाला है और अदालती आदेश के अनुरूप भी नहीं है। लेबर कोर्ट ने जयपुर कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ता श्रमिक को 7 मई, 2015 से सेवा में मानते हुए बहाल करे और वह इस दौरान का पचास फीसदी वेतन भी प्राप्त करने का अधिकारी है। जबकि यह आदेश प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्ति का है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस नियुक्ति आदेश को प्रथम दृष्टया गलत मानते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किए हैं। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने श्रमिक पद से 7 मई 2015 को आदेश जारी कर सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इसे उसने लेबर कोर्ट में चुनौती दी। लेबर कोर्ट ने 7 फरवरी 2020 को उसकी बर्खास्तगी को रद्द करते हुए जयपुर जिला कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिया कि वे उसे 7 मई 2015 से ही सेवा में मानते हुए बहाल करें और वह इस दौरान का 50 फीसदी वेतन प्राप्त करने का अधिकारी है। लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई, लेकिन अदालत ने लेबर कोर्ट के आदेश को सही माना। गत सुनवाई को अदालत ने आदेश की पालना नहीं करने पर मुख्य सचिव को तलब किया था।

  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ जयपुर में मणिपाल प्रीमियर लीग का करेंगे उद्घाटन

    पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ जयपुर में मणिपाल प्रीमियर लीग का करेंगे उद्घाटन

    जयपुर। मणिपाल हॉस्पिटल ग्रुप के सभी हॉस्पिटल मणिपाल प्रिमियर लीग में हिस्सा लेने जयपुर पहुंचे। जिसमें छह महिलाओं की टीम के साथ 12 पुरुषों की टीम इसमें हिस्सा लेंगी। ये आयोजन 22 फरवरी से 24 फरवरी हो रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य टीम वर्क एवं एकता को बढ़ावा देना है।

    मणिपाल हेल्थ एन्टरप्राईजेज के सीओओ कार्तिक राजगोपाल ने बताया कि ग्रुप सामाजिक दायित्व के तहत एक क्रिकेट लीग का आयोजन कराने जा रहा है जिससे कि बच्चों और समाज में खेलों के प्रति रुझान बढ़े और शिक्षा के साथ-साथ खेलो पर ध्यान दिया जा सके जिससे बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में वृद्धि हो। इसी कार्यक्रम के तहत बाल आश्रम के कुछ बच्चों को भी आमंत्रित किया गया है जिनके साथ पूर्व क्रिकेटर मो. कैफ अपना कुछ समय बितायेंगे एवं उनके साथ क्रिकेट खेलकर उन्हे क्रिकेट के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

    प्रमोद आलागुरू सीओओ, नॉर्थ वेस्ट रीजन मणिपाल हॉस्पिटल्स् ने कार्यक्रम के दौरान प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि मणिपाल हॉस्पिटल के कर्मचारी डॉक्टर्स, नर्सिंग एवं ग्राउण्ड वर्किंग स्टॉफ इसमें हिस्सा ले रहे है। इस तरह के कार्यक्रमों के द्वारा भारत की संस्कृति को आपस में साझा करने का मौका मिलता है साथ ही इसमें और दृढ़ता आती है। मणिपाल हॉस्पिटल्स् इस तरह के आयोजन कराता आ रहा है।

    रंजन ठाकुर मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर के डायरेक्टर ने बताया की यह सभी मैच जयपुर के सॉलफील एकेडमी में आयोजित किये जा रहे है। इस प्रीमियर लीग की शुरुआत 23 फरवरी को प्रातः 8 बजे मो. कैफ पूर्व भारतीय क्रिकेटर के द्वारा की जा रही है।

  • रासुका में समीक्षा के आधार पर हिरासत अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती : हाईकोर्ट

    रासुका में समीक्षा के आधार पर हिरासत अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती : हाईकोर्ट

    -कहा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं, याची को रिहा करने का दिया निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 12(1) के तहत राज्य सरकार हिरासत की अवधि को समीक्षा के आधार पर आगे नहीं बढ़ा सकती है। किसी भी आरोपी की हिरासत की अवधि को बढ़ाने के लिए नए आदेश पारित करना आवश्यक है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कानपुर के याची मोहम्मद असीम उर्फ पप्पू स्मार्ट व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा याची की हिरासत की अवधि तीन महीने के लिए थी। इस अवधि के बाद हिरासत अवधि को समीक्षा के आधार पर बढ़ाई गई। नया आदेश पारित नहीं किया गया। लिहाजा, याची किसी अन्य मामले में हिरासत में न हो तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

    मामले में जिला मजिस्ट्रेट कानपुर ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3(2) के तहत आदेश पारित कर याची को तीन महीने में हिरासत में ले लिया था। तीन महीने की अवधि में हिरासत में रखने के लिए मामले को सलाहकार बोर्ड के पास भेजा गया था। राज्य सरकार की ओर से इसकी पुष्टि हो गई। याची को पहले तीन महीने के बाद छह महीने, फिर नौ महीने और फिर 12 महीने की अवधि के लिए हिरासत बढ़ा दी गई।

    याची अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के पास हिरासत की अवधि को बढ़ाने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा कि तीन महीने की प्रारंभिक अवधि के बाद किसी भी संशोधन और हिरासत को रद्द किया जा सकता है। सरकारी अधिवक्ता ने चेरूकुरी मणि बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। कहा कि प्रत्येक तीन महीने की अवधि के अंत में हिरासत अवधि को बढ़ाया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि हिरासत आदेश की समीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है और उस समीक्षा के अधार पर हिरासत की अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने याची को रिहा करने का निर्देश दिया।

  • ईडी ने केजरीवाल को सातवीं बार समन भेजा, सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया

    ईडी ने केजरीवाल को सातवीं बार समन भेजा, सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया

    नई दिल्ली, 22 फरवरी (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब घोटाले में सातवीं बार समन भेजा है। ईडी ने केजरीवाल को सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया है।

    ईडी मुख्यमंत्री को इससे पहले भी छह बार समन भेज चुकी है, लेकिन वह किसी न किसी वजह से ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए।

    उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने अरविंद केजरीवाल को पिछले साल 2 नवंबर, 21 दिसंबर और इस वर्ष 3 जनवरी, 18 जनवरी और 2 फरवरी को भी पूछताछ के लिए समन भेजा था। इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह अभी जेल में हैं।

  • केन्द्र सरकार चुनाव से पहले कांग्रेस को आर्थिक तौर पर पंगु बनाना चाहती है: कांग्रेस

    केन्द्र सरकार चुनाव से पहले कांग्रेस को आर्थिक तौर पर पंगु बनाना चाहती है: कांग्रेस

    नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार चुनाव से पहले पार्टी को आर्थिक तौर पर पंगु बनाना चाहती है। पार्टी का दावा है कि मोदी सरकार और आयकर अधिकारियों ने कांग्रेस के बैंक खातों से 65.8 करोड़ रुपए चोरी किए।

    कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने पार्टी महासचिवों जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल के साथ आज पत्रकार वार्ता कर कई गंभीर आरोप लगाये। पूरे मामले की जानकारी देते हुए माकन ने कहा कि कांग्रेस को 2018-19 में 142.83 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इसमें से सिर्फ 14.49 लाख रुपये हमारे विधायकों और सांसदों की एक महीने की सैलरी से मिले थे। 14 लाख रुपये कैश में आने की वजह से हमारे ऊपर 210 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगा दी गई।

    हमें 31 दिसंबर तक अपने खातों की जानकारी आयकर विभाग को देनी थी। हमने 2 फरवरी 2019 को यह जानकारी दी। ऐसे में सारे पैसे पर यह पेनल्टी लगाई गई। ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। मामले में 5 साल बाद सरकार और आयकर विभाग जागा है और वे भी तब जब चुनाव सिर पर हैं। ये कहां का न्याय है? ये कांग्रेस पार्टी को आर्थिक रूप से तोड़ने की कोशिश है ताकि हमलोग चुनाव न लड़ पाएं। अगर हमारे खाते फ्रीज हो जाएंगे तो हम चुनाव कैसे लड़ेंगे, प्रचार कैसे करेंगे?

    कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नोटबंदी कर दी गई थी। मोदी सरकार चाहती थी कि पार्टियां चुनाव न लड़ पाएं। ठीक उसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों पर ‘कर हमला’ किया गया है। इसका एक ही मकसद है- कांग्रेस पार्टी को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया जाए और हम चुनाव न लड़ पाएं।

  • सपा के पांच और बसपा के दो पूर्व विधायक भाजपा में शामिल

    सपा के पांच और बसपा के दो पूर्व विधायक भाजपा में शामिल

    लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी एवं उप मुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के समक्ष बुधवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर सपा, बसपा व कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हुए। भाजपा की सदस्यता लेने वालों में कई सपा के एक पूर्व सांसद समेत सपा के पांच एवं बसपा के दो पूर्व विधायक समेत प्रदेश स्तर के कई नेता भाजपा में शामिल हुए। भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने विभिन्न दलों से आए नेताओं का पटका पहनकार स्वागत किया।

    इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 10 साल केन्द्र और 7 वर्ष उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व भाजपा सरकार की सेवा, सुशासन तथा गरीब कल्याण की नीति के कारण जनमानस का स्नेह, समर्थन एवं विश्वास लगातार भाजपा के प्रति बढ़ रहा है।

    उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज विश्व पटल पर भारत की धाक भी बढ़ी है। धमक भी बढ़ी है। आज मोदी की गारन्टी विश्वास की गारन्टी है। खुशहाली की गारन्टी है। मिशन 2024 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश की सभी 80 सीटों पर कमल खिलाने के लिए मिलकर काम करना है।

    भाजपा में शामिल होने वाले प्रमुख नेता

    प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष सपा के पूर्व सांसद शीशराम सिंह रवि, सपा के पूर्व विधायक कालीचरन सोनकर, बसपा के पूर्व एमएलसी अनिल कुमार अवाना, सपा के पूर्व विधायक कमलेश दिवाकर, सपा से पूर्व विधायक अम्बेश कुमारी, सपा के पूर्व विधायक भोनूराम सोनकर व सपा के पूर्व विधायक डॉ. राम प्रकाश कुशवाहा भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। वहीं बसपा के पूर्व पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी डॉ. दानिश कमाल और बसपा से तीन बार विधायक छब्बू पटेल भी भाजपा में शामिल हुए।

    भाजपा में शामिल होने वाले अन्य नेतागण

    सपा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा की पुत्री प्रियम्वदा राणा, सपा से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी डॉ. ऋचा सिंह , फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेन्टस वेलफेयर ऐसोसिएशन के अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हरिओम कठेरिया, पूर्व सांसद स्वर्गीय रामनाथ दुबे के पुत्र राजेश कुमार दुबे, लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव राजेश कोरी, बहुजन समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखलाल गौतम, झांसी से बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष आर.के. अहिरवार, बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ भाजपा परिवार में शामिल हुए।

    इसके अलावा बसपा के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी संतोष कुमार कुशवाहा (ललितपुर), सपा के पूर्व एमएलसी प्रत्याशी मनोज कुमार यादव (जौनपुर), पूर्व प्रदेश सचिव सपा छात्रसभा विवेक यादव (जौनपुर), सपा के सुल्तानपुर जिला उपाध्यक्ष अफजल अंसारी, सपा महिला मोर्चा की प्रदेश सचिव रेनु बाला, व दीपक कुमार गुप्ता प्रमुख रूप से अपने समर्थकों के साथ सम्मिलित हुए।

    भाजपा में शामिल होने वाले नगर पंचायत अध्यक्ष

    झांसी से डॉ. अरूण मिश्रा, मेंडू हाथरस से सचेन्द्र कुशवाहा, मुण्डरेवा बस्ती से सुनील सिंह, सादाबाद हाथरस से हेमलता, भरगेंन कासगंज से चमन खां, मोहनपुर कासगंज से पुनीत यादव, सिढ़पुरा कासगंज से कंचन गुप्ता, उसावां बदायूं से प्रियंका चौहान अपने समर्थको के साथ भाजपा परिवार में सम्मिलित हुए। इसके साथ ही बड़ी संख्या में ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य व पार्षदों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

  • मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत पर सुनवाई को लेकर फैसला दो मार्च को

    मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत पर सुनवाई को लेकर फैसला दो मार्च को

    नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में आरोपित और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत पर ट्रायल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका लंबित रहने के दौरान सुनवाई कर सकता है कि नहीं, इस पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला टाल दिया है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने इस मसले पर अब दो मार्च को फैसला सुनाने का आदेश दिया।

    दरअसल, पहले की सुनवाई के दौरान ईडी और सीबीआई ने कहा था कि जमानत याचिका पर एक साथ दो कोर्ट में सुनवाई कैसे हो सकती है। दोनों जांच एजेंसियों ने कहा कि मनीष सिसोदिया की सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका लंबित है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट कैसे सुनवाई कर सकता है।

    सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। 25 नवंबर, 2022 को सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2022 को पहले चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। कोर्ट ने आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7, 7ए और 8 के तहत आरोप तय किए थे। पहले चार्जशीट में कोर्ट ने जिन आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट पर संज्ञान लिया है, उनमें कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, अरुण रामचंद्र पिल्लै, मुत्थू गौतम और समीर महेंद्रू शामिल हैं। ईडी ने इस मामले में सिसोदिया को 9 मार्च, 2023 को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। ईडी ने संजय सिंह को 4 अक्टूबर को उनके सरकारी आवास पर पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।

  • हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तरुण तेजपाल की याचिका पर पूर्व सैन्य अधिकारी को नोटिस

    हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तरुण तेजपाल की याचिका पर पूर्व सैन्य अधिकारी को नोटिस

    नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन ने तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल की 2001 में सेना के एक पूर्व अधिकारी को बदनाम करने के मामले में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को नोटिस जारी किया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।

    सुनवाई के दौरान आज तेजपाल और बहल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार में बिना शर्त माफी मांगी थी। इसके अलावा दोनों ने दस-दस लाख रुपये जमा भी कर दिए हैं। सुनवाई के दौरान जनरल एमएस अहलूवालिया की ओर से कोई मौजूद नहीं था। तब कोर्ट ने कहा कि वो याचिकाकर्ताओं की याचिका मंजूर कर सकता है, अगर दूसरा पक्ष भी मौजूद हो। तब लूथरा ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि दूसरा पक्ष उपस्थित हो जाए लेकिन जनरल अहलूवालिया की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। उसके बाद कोर्ट ने अहलूवालिया को नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया।

    12 जनवरी को तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि इस मामले में एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में बिना शर्त माफी मांगेंगे। दरअसल, हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 जुलाई 2023 को सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल को आदेश दिया था कि वो मेजर जनरल अहलूवालिया को बदनाम करने की एवज में दो करोड़ रुपये का मुआवजा दें।

    सुनवाई के दौरान तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने हाई कोर्ट से कहा था कि वे दस-दस लाख रुपये हाई कोर्ट में जमा कराने को तैयार हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि दस-दस लाख रुपये की रकम दो हफ्ते में जमा कराएं। मार्च 2001 में तहलका में एक खबर चलाई थी कि अहलूवालिया ने नए रक्षा उपकरणों को आयात किए जाने वाली डील में एक भ्रष्ट बिचौलिये की भूमिका निभाई। सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि अहलूवालिया की छवि न केवल आम लोगों की नजर में खराब हुई बल्कि उन आरोपों से वे उबर नहीं पाए। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तेजपाल और बहल ने पुनर्विचार याचिका के रूप में चुनौती दी। सिंगल बेंच ने दोनों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।

    उल्लेखनीय है कि मेजर जनरल अहलूवालिया ने मानहानि याचिका में जी टेलीफिल्म लिमिटेड, इसके चेयरमैन सुभाष चंद्रा और पूर्व सीईओ संदीप गोयल को भी आरोपित बनाया था लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया।

  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार

    नई दिल्ली,। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। आज इस मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस मामले की सुनवाई नौ बार स्थगित की जा चुकी है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले पर मैं सुनवाई नहीं कर रहा हूं। उस बेंच के समक्ष जाइए जिस बेंच के समक्ष ये मामला लिस्टेड है।

    सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई जल्दबाजी नहीं है, कुछ दिनों का इंतजार किया जा सकता है। इस पर सिब्बल ने कहा कि इंतजार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मामला 2021 का है और हम 2024 में हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सामान्य सहमति वापस ले ली है। इसके बावजूद सीबीआई मुकदमा दर्ज कर देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है।

    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सीबीआई एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है। इन मामलों को दर्ज करने में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। मेहता ने कहा था कि अगर सुप्रीम इस मामले को स्वीकार कर लेता है तो कई आदेशों को रद्द करना होगा। ऐसा करना जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के आदेश पर सवाल उठाना होगा।

    सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि हम जांच में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जब राज्य सरकार ने अपनी सामान्य सहमति को पहले ही वापस ले लिया है तब क्या सीबीआई के पास इसकी शक्ति है कि वो एफआईआर दर्ज करे। ऐसा कर सीबीआई देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के द्वारा दर्ज मामलों के अलावा सीबीआई ने कई मामले दर्ज कर लिए हैं। प्रमुख मसला उन मामलों का है।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 6 सितंबर 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका में कहा गया है कि कानून और व्यवस्था और पुलिस को संवैधानिक रूप से राज्यों के विशेष अधिकार क्षेत्र में रखा गया है। सीबीआई की ओर से मामले दर्ज करना अवैध है। ये केंद्र और राज्यों के बीच संवैधानिक रूप से वितरित शक्तियों का उल्लंघन है।

  • हाई कोर्ट ने सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

    हाई कोर्ट ने सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

    नई दिल्ली,। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनहरी बाग स्थित मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका सिंगल बेंच के समक्ष लंबित है, इसलिए इस पर कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है।

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपकी प्रार्थनाएं ठीक वैसी ही हैं जैसी सिंगल बेंच के समक्ष दायर याचिका की हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का वहन करते हुए कदम उठाया है। ऐसे में इस मामले में किसी भी आदेश की जरूरत नहीं है। याचिका वक्फ वेलफेयर फोरम ने दायर की थी।

    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के वकीलों ने याचिका का विरोध किया। प्रतिवादियों ने कहा कि ये याचिका सिंगल बेंच में दाखिल याचिका की कट एंड पेस्ट है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील संजय घोष ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियों को बचाने की अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का वहन कर रही है। उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच के समक्ष दायर याचिका पर 28 फरवरी को सुनवाई होनी है।

    सिंगल बेंच के समक्ष मस्जिद के इमाम अब्दुल अजीज की ओर से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की ओर से एक अखबार में जारी उस इश्तेहार को चुनौती दी गई है, जिसमें मस्जिद को हटाने को लेकर लोगों की राय मांगी गई है। याचिका में कहा गया है कि मस्जिद डेढ़ सौ साल पुरानी है और ये दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। याचिका में मांग की गई है कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और केंद्रीय गृह और शहरी मामलों के मंत्रालय को इस मस्जिद को कोई भी नुकसान करने से रोका जाए।

    याचिका में कहा गया है कि सुनहरी बाग स्थित इस मस्जिद से ट्रैफिक संचालन में कोई समस्या पैदा नहीं हुई। ये मस्जिद करीब सौ सालों से अपनी जगह पर खड़ी है और कभी भी ट्रैफिक के लिए बाधा नहीं बनी। याचिका में कहा गया है कि ट्रैफिक में कोई भी बाधा मस्जिद के बाद बनी इमारतों की वजह से है। अब जब ट्रैफिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी ने काफी प्रगति कर ली है तो सांस्कृतिक विरासत के इस मस्जिद को कोई नुकसान हुए बिना तकनीक से ट्रैफिक की समस्या को दूर किया जा सकता है।