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  • बरेली दंगे के मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के आदेश

    बरेली दंगे के मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के आदेश

    बरेली। आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा सोमवार को भी कोर्ट में पेश नहीं हुए, इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पेश होने की अगली तारीख 8 अप्रैल तय कर दी है। कोर्ट ने मौलाना के खिलाफ कुर्की के भी आदेश दिए हैं।

    बरेली जिला जज विनोद कुमार दुबे ने तौकीर के खिलाफ जारी किया एनबीडब्ल्यू और 82 सीआरपीसी की भी कार्यवाही की। ऐसे में तौकीर रजा की मुसीबतें बढ़ गई हैं। 8 अप्रैल को तौकीर रज़ा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गए हैं।

    उल्लेखनीय है कि साल 2010 में हुए बरेली दंगे के मामले में कोर्ट से मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ दो बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुके हैं। पहले ये मामला एडीजे फर्स्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था, जिसके बाद ट्रांसफर होकर अब मामले पर जिला जज के कोर्ट में सुनवाई हो रही है। जिला शासकीय अधिवक्ता सुनीति कुमार पाठक ने बताया कि तौकीर रजा सोमवार को भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए, अब अगली तारीख 8 अप्रैल तय की गई है।

  • लोकसभा चुनाव : प्रेक्षकों ने कंट्रोल रूम, पोलिंग पार्टी रवानगी स्थल एवं मतगणना स्थल का निरीक्षण किया

    लोकसभा चुनाव : प्रेक्षकों ने कंट्रोल रूम, पोलिंग पार्टी रवानगी स्थल एवं मतगणना स्थल का निरीक्षण किया

    मेरठ,। लोकसभा चुनावों को पारदर्शी, निष्पक्ष और सकुशल संपन्न कराने के लिए चुनाव प्रेक्षक लगातार दौरे कर रहे हैं। मेरठ मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मेरठ की सरधना विधानसभा के सामान्य प्रेक्षक राजेश मीणा, व्यय प्रेक्षक शिवा कुमार तथा पुलिस प्रेक्षक दिव्या गोपीनाथ द्वारा सोमवार को नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की गई। इसके बाद कंट्रोल रूम, पोलिंग पार्टी रवानगी स्थल और मतगणना स्थल का निरीक्षण किया।

    विकास भवन में आयोजित बैठक में प्रेक्षकों द्वारा चुनाव से संबंधित मतदान, मतगणना कार्मिक व्यवस्था, माइक्रोआर्ब्जवर, कार्मिकों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण, प्रेक्षक व्यवस्था, वीडियोग्राफी, वेबकास्टिंग, ईवीएम, वीवीपैट, राजनैतिक दलों को जानकारी उपलब्ध कराना, निर्वाचन तैयारी का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना, कमिशनिंग, रेन्डेमाईजेशन को लेकर जानकारी ली। इसके साथ ही निर्वाचन सामग्री, मतपत्र व्यवस्था संबंधी कार्य, बैलेट पेपर प्रिन्टिंग, सीसीटीवी कैमरा, रूट चार्ट, सुरक्षा, शस्त्र लाईसेंस जमा, कम्युनिकेशन प्लॉन, क्रिटीकल बूथ, बैरियर, वाहन अधिग्रहण, पोस्टल बैलेट प्लॉन, मीडिया ब्रीफिंग, एपिक, पोलिंग बूथ, पोस्टल बैलेट, आदर्श आचार संहिता, स्वीप, एमसीएमसी आदि कार्यों को समग्रता से कार्रवाई करने के निर्देश दिए।प्रेक्षकों ने सी-विजिल ऐप, एनजीएसपी, मीडिया व सोशल मीडिया सैल का निरीक्षण किया गया।

    प्रेक्षकों ने कहा कि मतदान कार्मिकों की ट्रेनिंग को भलीभांति तथा गंभीरता से कराया जाए। जिससे मतदान प्रक्रिया में कोई भी बाधा उत्पन्न न हो। पोलिंग बूथ पर मतदान वाले दिन बैठने के लिए शेड, पानी, बिजली इत्यादि की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए। व्यय अनुवीक्षण समिति, लेखा टीम, एसएसटी, एफएसटी आदि टीमों द्वारा प्रतिदिन की जा रही कार्रवाई की रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। चुनाव आयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराया जाए। प्रेक्षकों ने कंट्रोल रूम, विक्टोरिया पार्क स्थित पोलिंग पार्टी रवानगी स्थल और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में होने वाली मतगणना के स्थल का निरीक्षण किया।

    इस अवसर पर जिला निर्वाचन अधिकारी दीपक मीणा, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण, सीडीओ नूपुर गोयल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गामिनी सिंगला, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट श्रुति शर्मा, अपर जिलाधिकारी प्रशासन बलराम सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व सूर्यकांत त्रिपाठी, एसपी ट्रैफिक राघवेन्द्र मिश्रा, मुख्य कोषाधिकारी वरूण खरे, एसडीएम सरधना पंकज प्रकाश राठौर आदि उपस्थित रहे।

  • अफजाल अंसारी के घर पहुंच सपा नेता धर्मेन्द्र ने मुख्तार अंसारी की मौत पर जताया दुख, कब्र पर चढ़ाया फूल

    अफजाल अंसारी के घर पहुंच सपा नेता धर्मेन्द्र ने मुख्तार अंसारी की मौत पर जताया दुख, कब्र पर चढ़ाया फूल

    —सांसद अफजाल अंसारी बोले, जिन्होंने समझा कि मुख्तार की कहानी खत्म हो गयी है,वो गलतफहमी में

    गाजीपुर। समाजवादी पार्टी के नेता और आजमगढ़ से पार्टी प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव सोमवार को गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी के मोहम्मदाबाद स्थित पैतृक आवास पहुंचे। यहां सपा नेता ने मुख्तार अंसारी के कब्र पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्तार के परिजनों खासकर उनके बेटे से मिले और ढाढ़स बढ़ाया। परिजनों से बातचीत के बाद धर्मेन्द्र यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उच्च न्यायालय के सिटिंग न्यायाधीश से इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। न्यायिक अभिरक्षा में सिर्फ मुख्तार अंसारी की मौत नहीं हुई है। बल्कि इसके पहले अन्य कई लोगों की भी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट को भी मामले का संज्ञान लेना चाहिए।

    इसके पहले सांसद अफजाल अंसारी ने भी पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकार समझ रही है कि मुख्तार की कहानी का द ऐंड कर दिया। ये सही है कि मुख्तार अब दुनिया में नहीं रहे। जो राज धर्म है उसकी हत्या हुई है। डाक्टर, जेल प्रशासन, एलआईयू, एसटीएफ ने वेल प्लान्ड मर्डर किया है। जांच के लिये उनका बिसरा प्रीजर्व हुआ है।

    अफजाल अंसारी ने कहा कि जिन्होंने समझा कि मुख्तार की कहानी खत्म हो गयी है,वो गलतफहमी में है। अब तो कहानी शुरु हुई है। अफजाल अंसारी ने कहा कि मुख्तार के शव को खास तरीके से दफनाया गया है, जिससे आने वाले 20 सालों तक शव की जांच हो सकती है। शव को इस तरह से दफनाया गया है कि 5, 10 या 20 साल बाद भी नाखून और बाल से जांच हो सकती है। जिससे मौत के कारणों का पता चल जाएगा।

    अफजाल अंसारी ने कहा कि जेल में बंद होने के दौरान भी मुख्तार के खिलाफ 50 से अधिक केस दर्ज किए गए। ये अन्याय की पराकाष्ठा है। मुख्तार की मौत कस्टडी में हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्तार को जेल में जहर देकर मारा गया है और पूरी योजना के तहत मुख्तार की हत्या की गई। इस दौरान अफजाल अंसारी के परिजन भी मौजूद रहे।

  • लोकसभा चुनाव : उत्तराखंड में इनकम टैक्स, आबकारी और पुलिस ने अब तक जब्त किए 10.71 करोड़

    लोकसभा चुनाव : उत्तराखंड में इनकम टैक्स, आबकारी और पुलिस ने अब तक जब्त किए 10.71 करोड़

    – उत्तराखंड में पहली बार लागू की गई है ईएसएमएस व्यवस्था

    देहरादून। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के बाद इलेक्शन सीजर मैनेजमेंट सिस्टम (ईएसएमएस) के माध्यम से इंफोर्समेंट एजेंसी पुलिस विभाग, इनकम टैक्स, आबकारी विभाग, कस्टम और अन्य विभागों की ओर से रिपोर्टिंग की कार्रवाई की जा रही है।

    ईएसएमएस व्यवस्था राज्य में पहली बार लागू की गई है। पिछले 16 दिनों में अब तक 10 करोड़ 71 लाख रुपये जब्त किए जा चुके हैं। इसमें पुलिस ने पांच करोड़ 29 लाख, इनकम टैक्स चार करोड़ 95 लाख, आबकारी विभाग ने 39 लाख रुपये जब्त किया है। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य में पुलिस ने एक करोड़ 97 लाख, इनकम टैक्स ने 45 लाख और आबकारी विभाग ने 19 लाख रुपये नकद जब्त किए थे।

    कम्पोनेंट वाइज सीजर में हरिद्वार में सबसे अधिक 2.80 करोड़ जब्त-

    अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि कम्पोनेंट वाइज सीजर में अब तक तीन करोड़ 59 लाख का कैश, नारकोटिक्स, ड्रग्स और एनडीपीएस के तहत दो करोड़ 55 लाख रुपये, आबकारी के मामले में एक करोड़ 86 लाख व दो करोड़ 70 लाख रुपये अन्य सामग्रियों की जब्ती हुई है। हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक दो करोड़ 80 लाख रुपये व नैनीताल जनपद में एक करोड़ एक लाख रुपये जब्त की गई है।

    11 हजार 729 बूथों पर बीएलओ पहुंचाएंगे वोटर इंफार्मेशन स्लिप-

    अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि सभी निर्वाचक नामावलियां तैयार होने के उपरांत सभी 11 हजार 729 बूथों पर वोटर इंफार्मेशन स्लिप बांटने की कार्रवाई प्रारंभ हो गई है। सभी बीएलओ मतदाताओं के घर तक जाकर वोटर इंफार्मेशन स्लिप बांट रहे हैं। उन्होंने राज्य के सभी मतदाताओं से अनुरोध किया कि वे अपने वोटर इंफार्मेशन स्लिप प्राप्त करें। यदि कहीं बीएलओ से संपर्क नहीं हो पा रहा है तो संबंधित एआरओ को इसके बारे में सूचित करें।

  • कांग्रेस बोली- जुमले छोड़ने में माहिर है भाजपा, लोस चुनाव में जनता दिखाएगी बाहर का रास्ता

    कांग्रेस बोली- जुमले छोड़ने में माहिर है भाजपा, लोस चुनाव में जनता दिखाएगी बाहर का रास्ता

    – युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही भाजपा सरकार : दीपिका पांडेय

    देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की सह प्रभारी दीपिका पांडेय ने कहा कि भाजपा जुमले छोड़ने में माहिर है। भाजपा की जनविरोधी नीतियों व देश-प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच जाएगी। भाजपा सरकार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। जनता लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाएगी।

    प्रदेश सह प्रभारी दीपिका पांडेय ने साेमवार को देहरादून पहुंच कांग्रेस मुख्यालय में वॉर रूम का जायजा लिया। साथ ही प्रदेश महामंत्री व वॉर रूम अध्यक्ष नवीन जोशी से विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा करने के साथ समस्त लोकसभा में हो रहे कार्यक्रमों का ब्यौरा तलब किया। वॉर रूम अध्यक्ष जोशी ने बताया कि वह लगातार कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वहीं वॉर रूम टीम लगातार प्रदेश के समस्त बीएलए व पांचों लोकसभा के कोऑर्डिनेटर के साथ संवाद स्थापित कर काम कर रही है।

    इस दौरान प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. चयनिका उनियाल, वॉर रूम के को-चेयरमैन गोपाल सिंह गडिया, आशीष नौटियाल, विरेंद्र सिंह पंवार, आलोक मेहता, डॉ. सुरेंद्र सिंह प्रजापति, अनुराग मित्तल, गोदावरी थापली आदि थे।

  • मुख्तार अंसारी की मौत के बाद, जेल अधीक्षक को मिली जान से मारने की धमकी

    मुख्तार अंसारी की मौत के बाद, जेल अधीक्षक को मिली जान से मारने की धमकी

    बांदा,। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद जेल अधीक्षक को जान से मारने की धमकी मिली है। फोन करने वाले ने 14 सेकेंड में बातचीत करते हुए कहा ‘अब तुझे ठोकना है, बच सकता हो तो बच।’ अधीक्षक के सीयूजी नंबर में फोन करने वाले ने बेसिक फोन के जरिए यह धमकी दी। धमकी मिलने के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में तहरीर दी, जिसके आधार पर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के लिए खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

    माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के 28 मार्च को रात में हुई थी, जिसकी पुष्टि मेडिकल कॉलेज द्वारा रात को लगभग 10.30 बजे की गई थी। माफिया की मौत के कुछ ही घंटे बाद मंडल कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा को उनके सीयूजी नंबर पर जान से मारने की धमकी दी गई। धमकाने वाले ने स्पष्ट कहा है कि अब तुझे ठोकना है… बच सके तो बच। यह धमकी 28/29 की रात 1:37 बजे वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा के सीयूजी नंबर 9454418281 पर 0135-261349 से किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा दी गई है। फोन करने वाले ने 14 सेंकेड की बात में अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें जान से मारने की धमकी दी है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने मामले से पुलिस प्रशासन के आलाधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद रविवार शाम शहर कोतवाली में अधीक्षक की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया।

    इस बारे में अपर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी निवास मिश्र ने बताया कि जेल अधीक्षक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर धमकी दिए जाने वाले नंबर की जांच कराई जा रही है। अभी नंबर ट्रेस नहीं हो सका है। नंबर ट्रेस करने के लिए सर्विलांस की मदद ली जा रही है। जल्दी ही आरोपित तक पुलिस पहुंच जाएगी।

  • लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक रहना पड़ा था जेल में

    हमीरपुर। बुन्देलखंड के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जातिवाद के चक्कर में हमेशा जनता ठगी गई है। आम चुनाव में भी जातीय रंग में मतदाताओं ने एक ऐसे बाहुबली को जनादेश देकर संसद पहुंचाया था जो यहां पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। पहली बार में ही क्षेत्र का बाहुबली आम चुनाव में भारी मतों से निर्वाचित हुआ था, लेकिन मतगणना से पहले ही वह गिरफ्तारी वारंट जारी होने से फरार हो गया। फरारी हालत में ही इसने लोकसभा पहुंचकर सांसद की शपथ भी ली थी। बाद में सांसद रहते हुए वह यहां की जेल में ढाई साल तक बंद भी रहा।

    गौरतलब है कि कानपुर महानगर के किदवईनगर से अशोक सिंह चंदेल वर्ष 1980 में हमीरपुर जिले में सियासी पारी खेलने आए थे। शुरू में उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी जनता एस के टिकट से हमीरपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव मैदान में कदम रखा। हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप नारायण दुबे से वह पराजित हो गए थे। पहली मर्तबा में ही अशोक सिंह चंदेल ने 20549 मत हासिल किए थे। वह वर्ष 1985 में भी चुनाव हारे थे। इसके बाद 1989 में इन्होंने निर्दलीय रूप से चुनावी महासमर में आकर अन्य दलों के समीकरण फेल कर पहली बार जीत का परचम फहराया था। उन्हें 30813 मत मिले थे।

    वर्ष 1991 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1993 में जनता दल की लहर में विधानसभा के चुनाव में 42882 मत हासिल कर वह विधायक बने। वर्ष 1996 में यहां की सीट पर चंदेल बीएसपी के प्रत्याशी से पराजित हुए थे। जातीय राजनीति करने वाले अशोक सिंह चंदेल 26 जनवरी 1997 को हमीरपुर शहर में पांच लोगों की हुई सामूहिक हत्या में नामजद होने के बाद भी बीएसपी में एन्ट्री लेकर 1999 के आम चुनाव में आए तो वह पहली बार में ही निर्णायक मतों के एकजुट हो जाने से सांसद भी बन गए। उन्हें 217732 मत मिले थे। लेकिन सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक इन्हें जेल की सलाखों में रहना पड़ा था।

    कोर्ट से अशोक सिंह चंदेल दो बार कोर्ट से घोषित हुए थे भगोड़ा

    सामूहिक हत्याकांड में गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे लेकर अशोक सिंह चंदेल संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार में जुटे रहे, लेकिन मतदान के बाद मतगणना से पहले ये फरार हो गए थे। सामूहिक हत्याकांड के वादी राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि मतगणना से पहले सुप्रीमकोर्ट में एसएसपी खारिज होने पर अशोक सिंह चंदेल फरार हो गए थे। मतगणना में ये सांसद चुने गए थे। लेकिन विजयी प्रमाणपत्र उनके मतगणना एजेंट शिवचरण प्रजापति ने लिया था। उन्होंने बताया कि हमीरपुर में विशेष सत्र न्यायाधीश (द.प्र.क्षेत्र) की अदालत ने बाहुबली अशोक सिंह चंदेल को दो बार भगोड़ा भी घोषित किया था।

    गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सांसद ने किया था आत्मसमर्पण

    वर्ष 1999 में आम चुनाव में अशोक सिंह चंदेल सांसद तो बन गए थे लेकिन उन्हें ढाई साल तक हमीरपुर की जेल की हवा खानी पड़ी थी। सामूहिक हत्याकांड के पीड़ित पक्ष के राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि तत्कालीन एसपी एलवी एंटनी ने फरार सांसद को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित की थी। पुलिस की टीमें दिल्ली गई थी जहां राजनेता की मदद से चंदेल लोकसभा पहुंचकर शपथ ली थी। बताया कि पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थी जिसके कारण सांसद को हमीरपुर स्थित कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। सांसद रहते हुए भी इन्हें यहीं की जेल की सलाखों में ढाई साल तक कैद रहना पड़ा था।

    हाईकोर्ट के फैसले पर चंदेल आगरा जेल में काट रहे उम्रकैद की सजा

    सामूहिक हत्याकांड में अशोक सिंह चंदेल समेत तमाम आरोपियों को अप्रैल 2019 में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद ये जेल गए थे। मौजूदा में ये आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सामूहिक हत्याकांड के वादी के मुताबिक अशोक सिंह चंदेल के खिलाफ डेढ़ दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्रकैद की सजा के बाद चंदेल का राजनैतिक जमीन भी खिसक गई है। बताते हैं कि हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में नौ फीसदी क्षत्रिय मत है, जिनमें अशोक सिंह चंदेल की मजबूत पकड़ थी। इन्होंने जातीय राजनीति के सहारे कई बार विधानसभा की सीट से विधायक भी बने थे।

  • लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण में 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 28 मार्च को निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही इन निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इन 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अब तक 12 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इसमें 08 प्रत्याशियों ने सोमवार 1 अप्रैल को नामांकन किया है। इसके पूर्व 04 प्रत्याशियों ने 30 मार्च को नामांकन किया था। नामांकन भरने पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 03 बजे के मध्य की जा सकेगी।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में लोकसभा सामान्य निर्वाचन के दूसरे चरण में 01 अप्रैल को अमरोहा में भारतीय जनता पार्टी से कंवर सिंह तंवर, बागपत में राष्ट्रीय लोकदल से राजकुमार संगवान, गाजियाबाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस से डॉली शर्मा, सुभाषवादी भारतीय समाज पार्टी से धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, राष्ट्रीय सुरक्षा पार्टी से मोनिका गौतम ने नामांकन किया।

    इसी प्रकार गौतमबुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी से महेन्द्र, अलीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी से सतीश कुमार गौतम तथा निर्दलीय प्रत्याशी में सतीश कुमार ने आज नामांकन किया।

    उन्होंने बताया कि दूसरे चरण में प्रदेश की अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर (सुरक्षित), अलीगढ़ तथा मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन सम्पन्न किया जाना है। दूसरे चरण की 08 लोकसभा सीटों में 07 सीटें सामान्य श्रेणी की हैं और 01 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह सभी 08 सीटें प्रदेश के 09 जिलों अमरोहा, हापुड़, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़ तथा मथुरा के अंतर्गत हैं।

    दूसरे चरण के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि 04 अप्रैल है। नामांकन पत्रों की जांच 05 अप्रैल को की जायेगी। 08 अप्रैल को अपराह्न 03 बजे तक नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित है। दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल होगा।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण के 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों मंअ 1.67 करोड़ मतदाता हैं। इसमें 90.11 लाख पुरूष मतदाता, 77.38 लाख महिला मतदाता तथा 787 थर्ड जेन्डर हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 7797 मतदान केन्द्र तथा 17677 मतदेय स्थल (पोलिंग बूथ) हैं।

  • चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत

    चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत

    कानपुर। नर्वल थाना क्षेत्र में सोमवार को किसी चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत हो गई। सूचना पर पहुंचे पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर विधिक कार्रवाई की।

    पुलिस उपायुक्त पूर्वी श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि नर्वल खास निवासी परशुराम कुशवाहा 55 वर्ष पुत्र शिव प्रसाद प्रजापति सोमवार को अपने छोटे भाई सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा के साथ मोटरसाइकिल से किसी काम के लिए निकले। घर से कुछ ही दूरी पर पहुंचे थे कि किसी अज्ञात वाहन ने मोटरसाइकिल में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।

    हादसे की सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों भाइयों को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले गई। जहां चिकित्सकों ने बताया कि उनकी मृत्यु हो गई है। उधर खबर मिलते ही परिवार के लोग बदहवास हालत में पहुंचे। पुलिस ने परिवार से तहरीर लेकर विधिक कार्रवाई करते हुए दोनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

  • लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लखनऊ,। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला अपने सियासी वजूद की वजह से न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में अपनी पहचान रखता है। उत्तराखंड के पहाड़ों से सटा यह जिला भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में लंबे समय से है। पीलीभीत बरेली मंडल में आता है।

    इतिहास के अनुसार राजा मोरोध्वज का किला पीलीभीत के नजदीक दियूरिया जंगल में आज भी है। गोमती नदी के तट पर एक पौराणिक मंदिर इकहत्तरनाथ स्थित है। पीलीभीत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, कागज, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। यहां कुटीर उद्योगों में बांस और जरदोजी का काम प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पहचान बांसुरी नगरी के नाम से होती है।

    यह क्षेत्र ज्ञान और साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। इतिहासकार नारायणानंद स्वामी अख्तर, कवि राधेश्याम पाठक, फिल्म गीतकार अंजुम पीलीभीत से ही हैं। उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा पीलीभीत वो लोकसभा सीट है जिसे देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है।

    पीलीभीत सीट का संसदीय इतिहास

    स्वतंत्र भारत में पीलीभीत और नैनीताल लोकसभा सीट एक होती थी। पीलीभीत से कांग्रेस के मुकुंद लाल अग्रवाल ने पहली जीत 1952 में दर्ज की थी। पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सियासत में कुर्मी बहुल सीट के नाम पर जाना जाता था। इस सीट पर सात बार कुर्मी बिरादरी का ही सांसद चुना गया। लेकिन जनपद की राजनीति में गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी की वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई। जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरीं मेनका कुर्मी बिरादरी के दिग्गज कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह को करारी शिकस्त दे दीं। इसके बाद पीलीभीत के सियासी माहौल बदलने लगे। भाजपा के परशुराम गंगवार ने 1991 के पहली बार यहां कमल खिलाया था। उसके बाद से कुर्मी बिरादरी के दिग्गज चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन संसद में दाखिल नहीं हो सके।

    1996 मेनका गांधी जनता दल प्रत्याशी के तौर पर चुनी गई तो 1998 और 1999 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का झंडा गाड़ा। 2004 के चुनाव में मेनका गांधी भाजपा की टिकट पर मैदान से उतरी। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। इन चुनावों में कभी मेनका गांधी तो कभी वरुण गांधी सांसद रहे हैं। मेनका गांधी ने यहां से 6 बार चुनाव जीता है। वहीं वरुण गांधी दो बार यहां से सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का यहां कभी खाता खुल नहीं पाया। मां-बेटा की राजनीतिक विरासत वाला पीलीभीत मेनका और वरुण के लिए एक घर जैसा ही है। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि लगभग तीन दशकों से मां-बेटे का पीलीभीत लोकसभा सीट पर जादू कायम है।

    2019 लोकसभा चुनाव का नतीजा

    2019 में पीलीभीत से भाजपा ने वरुण गांधी को टिकट दिया। वरुण गांधी ने इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया। वरुण को 704549 (59.34 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के हेमराज वर्मा को 448922 (37.81 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2014 के चुनाव पर नजर डालें तो इस सीट से मेनका गांधी सांसद चुनी गई थीं। मेनका गांधी को 546934 (53.06 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के बुद्धसेन वर्मा को 239882 (22.83 फीसदी) वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था। बसपा के अनीस अहमद इस दौरान तीसरे नंबर पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी को 196294 (18.68 फीसदी) वोट मिले। इस दौरान कांग्रेस यहां चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। कांग्रेस ने संजय कपूर को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्हें महज 29169 (2.78 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2024 में गठबंधन के साथी कौन हैं

    पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था। इस बार भाजपा-रालोद गठबंधन में हैं। इंंडिया गठबंधन में सपा-कांग्रेस शामिल हैं। इंडिया गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। बसपा अकेले मैदान में है। भाजपा-रालोद गठबंधन में यह सीट भाजपा के हिस्से में है।

    चुनावी रण के योद्धा

    मेनका गांधी और वरुण गांधी के नाम से पहचान रखने वाली पीलीभीत सीट पर इस बार भाजपा ने चेहरा बदल दिया है। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं, बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को मैदान में उतारा है। इंडिया गठबंधन के अंतर्गत सपा ने पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को प्रत्याशी बनाया है।

    पीलीभीत का जातीय समीकरण

    पीलीभीत के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुल 18 लाख मतदाता है। इनमें सवा दो लाख कुर्मी, 4.30 लाख मुस्लिम, 1.7 लाख ब्राह्मण, 1 लाख सिख और चार लाख दलित वोटर आते हैं। इनमें बांग्लादेश से आए शरणार्थियों भी शामिल हैं। मुस्लिम और दलित वोटर ही प्रत्याशियों का खेल बनाते और बिगाड़ते हैं। इन सभी समुदायों पर मेनका गांधी और वरुण गांधी के जरिए भाजपा ने अच्छी पकड़ बनाई है।

    पीलीभीत लोकसभा की विधानसभा सीटों का हाल-चाल

    रामपुर लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं। चार विधानसभाओं में पीलीभीत, पूरनपुर, बीसलपुर, बरखेड़ा और व बरेली जिले की बहेड़ी सीट शामिल है। चार सीटों पर भाजपा और एक सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। पीलीभीत से संजय सिंह गंगवार (भाजपा), पूरनपुर से बाबू राम (भाजपा), बीसलपुर से विवेक कुमार वर्मा (भाजपा), बरखेड़ा से जयद्रथ उर्फ प्रवक्तानंद (भाजपा) और बहेड़ी से अताउर्रहमान (सपा) विधायक हैं।

    पीलीभीत का चुनावी गणित

    समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज बरेली के भगवत सरन गंगवार को मैदान में उतार कर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है। दो बार पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रहे चुके सपा के भगवत सरन गंगवार के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। बसपा ने अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को अपना प्रत्याशी बनाने से पहले वोट बैंक के अलावा जातीय समीकरण और कैडर वोट बैंक को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई है। फूलबाबू बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रहे चुके हैं। ऐसे में उनकी सर्व समाज में गहरी पैठ बताई जाती है। वे 2009 और 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों बार वे तीसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि पीलीभीत से अब तक बसपा और सपा ने एक बार भी संसदीय चुनाव नहीं जीता है।

    लंबे समय से भाजपा के पास रही पीलीभीत सीट पर दबदबा कायम रखना संगठन और प्रत्याशी के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद पर दांव लगाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। जतिन प्रसाद राजनीतिक परिवार से हैं। और स्वयं उनके पास भी राजनीतिक अनुभव की कमी नहीं है। राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार यूपी में पहले चरण की शायद ही किसी अन्य सीट पर नतीजों की तस्वीर इतनी साफ हो,जितनी पीलीभीत की है। अलबत्ता बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी की जद्दोजहद मुकाबले को रोमांचक जरूर बना रही है।

    पीलीभीत से कौन कब बना सांसद

    1952 मुकन्द लाल अग्रवाल (कांग्रेस)

    1957 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1962 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1967 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1971 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1977 मो0 शमशुल हसन खां (भारतीय लोकदल)

    1980 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1984 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1989 मेनका गांधी (जनता दल)

    1991 परशुराम गंगवार (भाजपा)

    1996 मेनका गांधी (जनता दल)

    1998 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    1999 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    2004 मेनका गांधी (भाजपा)

    2009 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)

    2014 मेनका संजय गांधी (भाजपा)

    2019 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)