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  • मऊ में CFO की अबैध NOC बनी हॉस्पिटल्स के पंजीकरण का कारण : नोडल अधिकारी

    मऊ में CFO की अबैध NOC बनी हॉस्पिटल्स के पंजीकरण का कारण : नोडल अधिकारी

    राहुल हॉस्पिटल्स में मरीजों से फिस ले नही दिया जाता रसीद

    मऊ। जिले की गलियों में क्यो न चले अबैध निजी अस्पताल जब अग्नि समन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दे रहा सच्चाई के खिलाफ अनापत्ति प्रमाण पत्र? यह सवाल खरी दुनिया से मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में बतौर नोडल आर एन सिंह का है। आर एन सिंह खरी दुनिया को उसके द्वारा वंदना नर्सिंग होम पर मा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में पारित आदेश और उसको लेकर विभागीय कार्यवाही की जानकारी देते हुए यह सवाल किया है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय जिले की गलियों में अबैध हॉस्पिटल को होने यहां पंजीकृत करने के लिए बाध्य है। पंजीकरण के लिए मुख्य अग्नि समन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जिले की गलियों में संचालित अस्पतालो के नाम जारी किये जा रहें अनापत्ति प्रमाण पत्र आधार बनते है। यदि अग्नि समन विभाग नियमानुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने लगे तो जिले की गलियों में संचालित अबैध हॉस्पिटल्स अपने आप बंद हो जाएंगे। यह मानना है सीएमओ दफ्तर में बतौर नोडल अधिकारी आर एन सिंह का है।

    राहुल हॉस्पिटल मरीजों से नही लेता ऑनलाइन पेमेंट

    राहुल हॉस्पिटल मरीजों को पंजीकृत कर नही देता रसीद
    मऊ। राहुल हॉस्पिटल में इलाज को गये मरीजों को पंजीकरण के समय कोई रसीद नही दी जाती है। पंजिलरण के नाम पर फिस ले कर एक कागज पर सीरियल नंबर लिखा टोकन दिया जाता है। जिसकी कानूनन को बैधता नही होती है।


    एक मरीज ने नाम नही छपाने कि शर्त पर बताया कि राहुल हॉस्पिटल में मरीजों को दिखाने के लिए डॉक्टर का नम्बर लेना पड़ता है। इस नंबर को लेते समय हॉस्पिटल प्रबंधन फिस लेकर एक नंबर लिखा टोकन देता है। इसी टोकन नंबर से ही मरीजों को डॉक्टर देखते है। दवा हो या फिर कोई अन्य जाँच हॉस्पिटल में सभी नकद भुगतान ही लिया जाता है। ऑनलाइन लेने से सीधे मना है।

  • मऊ में स्वास्थ्य और खाद्य विभाग की मिली भगत में अबैध अस्पतालो और कारखानो का संचालन – नगर मजिस्ट्रेट

    मऊ में स्वास्थ्य और खाद्य विभाग की मिली भगत में अबैध अस्पतालो और कारखानो का संचालन – नगर मजिस्ट्रेट


    मऊ। नगर मजिस्ट्रेट मऊ की जाँच में स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के अफसरों की कलई खुलने लगी है। निजी अस्पतालो तथा खाद्य पदार्थो के कारखानो के अबैध संचालन में इन विभागों के अफसरों की मिली भगत उजागर हुई है।


    बतौर नगर मजिस्ट्रेट बृजेन्द्र कुमार द्वारा बीते दिनों नगर के तमसा किनारे अबैध तरीके से बिना रजिस्ट्रेशन संचालित पंकज पेठा के अबैध संचालन की जानकारी मिलने पर जाँच की गई । इस दौरान नगर मजिस्ट्रेट ने खाद्य विभाग के अफसरों को जब इस मामले की जानकारी दी तो विभाग के अफसरों के द्वारा बिना मौके पर आये नियमों की जानकारी दी जाने लगी। नगर मजिस्ट्रेट ने पंकज पेठा का संचालन अबैध पाया था।

    खाद्य विभाग के अफसर न मौके पर तत्काल नही आये। इसी बींच नगर मजिस्ट्रेट ने मीडिया से बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि जिले में जितने अबैध अस्पताल और खाद्य विभाग के कारखाने चल रहे है उनसे स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के अफसरों की मिली भगत होने का खुलासा किया।

    नगर मजिस्ट्रेट के इस खुलासे के बाद जिले में अबैध रूप से संचालित हॉस्पिटलो के अबैध संचालन के कारणों से तो पर्दा उठ गया लेकिन इस पर्दे को उठने के बाद उन कारणों का सफाया कब तक होगा ? इस पर अभी संसय बना हुआ है। हलाकि नगर मजिस्ट्रेट के इस खुलासे के बाद जिले में नर्सिंग होम्स की जाँच के हुए ऑर्डर को प्रतिफल स्वरूप देखा जा रहा है।

  • मऊ में अब अबैध हॉस्पिटल्स की खैर नही, होगी जांच, लेकिन जाँच किसकी ? तय नही है मानक

    मऊ में अब अबैध हॉस्पिटल्स की खैर नही, होगी जांच, लेकिन जाँच किसकी ? तय नही है मानक

    पोखरे तक की जमीनों पर है जिले में मौजूद हॉस्पिटल्स, वानगी है राहुल हॉस्पिटल

    न तो एनबीसी, महायोजना के तहत है निर्मित भवन, न तो नियमतः जारी है अग्नि समन की “एनओसी”, १० फिट चौड़ी गली तक में हो रहा अबैध हॉस्पिटल्स

    मऊ। जिले में अबैध हॉस्पिटल्स को लेकर “खरी दुनिया” द्वारा चलाई गई खबरों से प्रसाशन की तन्द्रा अंततः टूट गई । खबरो के प्रकाशन और एक हॉस्पिटल को लेकर मा उच्च न्यायालय द्वारा दाखिल जनहित याचिका के बाद प्रसाशन हरकत में आ गया है। अब ऐसे हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी की जाँच का आदेश हुआ है जिन्हे राहुल हॉस्पिटल जैसे वैध होने पर संदेह है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार “खरी दुनिया” द्वारा निरंतर जिले में “नेशनल बिल्डिंग कोड” और “महायोजना” के खिलाफ निर्मित निजी नर्सिंग होम्स को लेकर प्रकाशित खबरो और मा उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका के बाद प्रसाशन हरकत में आ गया है। सूत्रों पर यकीन करे तो प्रसाशन ने अब निजी नर्सिंग होम्स और पैथोलोजी सेंटर्स की जाँच कराने का आदेश जारी कर दिया है। अब अवैध रूप से संचालित हॉस्पिटल्स की अब जांच होगी लेकिन इस जांच का मानक क्या होगा? कों लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नही है।

    कही ऐसे हॉस्पिटल्स भी है जो नेशनल बिल्डिंग कोड और महायोजना के खिलाफ निर्मित है तो कही ऐसे भी हॉस्पिटल्स है जो नॉन जेड ए की पोखरे की जमीनों पर नेशनल बिल्डिंग कोड और महायोजना के खिलाफ निर्मित है। यही नही ऐसे हॉस्पिटलो के भवन के नक्शे भी नियम विरुद्ध तरीके स्वीकृत है। ऐसे हॉस्पिटल में एक नाम राहुल हॉस्पिटल्स और प्रकाश हॉस्पिटल का है, जिसके भवन एनबीसी और महायोजना के खिलाफ है लेकिन विभागीय और अग्नि समन विभाग की कृपा पर संचालित हो रहे है। अस्था और सत्यम हॉस्पिटल का भी कमोबस यही हाल है।

  • मऊ में पागल भाई की संरक्षिका बहन ममता ने उसकी करोड़ो की जमीन बेच, प्रसाशन को दी चुनौती

    मऊ में पागल भाई की संरक्षिका बहन ममता ने उसकी करोड़ो की जमीन बेच, प्रसाशन को दी चुनौती

    दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बहन द्वारा भाई की जमीनों को जमीनों को बेचने को अधिकृत बता, गलत तरीके से बेचीं गई जमीनो की बैधता पर सवाल

    संरक्षिका ममता मेहरोत्रा ने अदालत से बिना आदेश लिए बेच दी, पागल भाई की करोड़ो की जमीन, अदालत ने बहन को दिमागी रूप से दिवालिया भाई का तय किया है संरक्षिका

    मऊ। दिमागी रूप दिवालिया भाई की अदालत से संरक्षिका घोषित होने के बाद से बहन द्वारा उसकी करोड़ो की नॉन जेड ए की सम्पत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच रकम हड़प लिए जाने कि खबर है। दिमागी रूप से दिवालिया भाई की बहन का नाम ममता मेहरोत्रा है। ममता बनाम मधुबहल के नाम से एक अदालत में मुकदमा कर संरक्षिका बन कर ममता ने भाई की सम्पत्तियों को बेचने के लिए लोगो से अधिकृत बताकर बेचने का आरोप है, जबकि ममता भाई के लिए बतौर केयर टेकर की भूमिका में है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार ममता मेहरोत्रा ने अदालत में अपने दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बनने के बाद अदालत से विना सहमति लिए करोड़ो की सम्पत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच कर अदालत के आदेश कि अवमानना तो करते हुए दर्जनों लोगो से अबैध तरिके से धन ऐठने का अपराध कर दिया है।

    ममता ने जिन लोगो को अपने दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बनने के बाद खुद को उसकी जमीनों को बेचने का अपराध किया है उनमे, भरत यादव, चैनरी देवी, द्रोपदी, राजकुमार केडिया, गिरधर केडिया, सत्यदेव केडिया आदि लोग है, जिनको सरकारी मालियत से कम कीमत में जमीने बेची है। ममता मेहरोत्रा द्वारा दिनांक २३.३.२०२३ को भरत यादव के नाम बेचीं गई है।

    इस विक्रय मे विक्रेता श्याम मोहन सहगल पुत्र मोहन लाल सहगल संरक्षिका बहन ममता मेहरोत्रा पत्नी रवी मेहरोत्रा द्वारा पुत्री मोहन लाल सहगल साकिन आलमगंज शहर जौनपुर हाल मुकाम वाजीद पुरा कोपागंज तहसील सदर जनपद मऊ का उल्लेख है।

    इस जमीन जमीन की सरकारी मालियत १५,५० हजार तो बेचा गया है ४ लाख में। दिनांक २४.३.२०२३ को दुबारा इसी भारत यादव के पक्ष में ममता मेहरोत्रा ने सरकारी मालियत १७.९३ हजार कि मालियत वाली जमीन को केवल ५ लख में बेच दिया है। दिनांक २४.३/२००७ को फिर ममता मेहरोत्ता ने खेवट नंबर १ के गाता संख्या ४३५/८ रकबा .०२० हेक्टेयर कि जमीन को राज कुमार केडिया, जय प्रकाश केडिया, सत्यदेव केडिया, गिरधर गोपाल केडिया के पक्ष में को ७ लाख रुपये में ही जिसकी सरकारी मालियत ९०१००० रुपये बताया गया गया है, बेचा गया है।

    पुनः दिनांक २४.३/२००७ को ममता ने इसकी खेवट के उक्त गाटा संख्या से २८ कड़ी जमीन को राजकुमार केडिया आदि को८ लख रुपये में जिसकी सरकारी मालियत ११.६८ हजार बता कर बेच दिया है।

    दिनांक २४/३/२०७ को फिर ममता ने द्रोपदी देवी के नाम ७ लाख रुपये में सरकारी मालियत ८६ लख ५ हजार बता कर बेच दिया है। इसी दिन ममता मेहरोत्रा ने चैनरी देवी के नाम भी इतनी ही सरकारी मालियत वाली जमीन को ७ लाख रुपये में बेच दिया है।

  • बलिया बीएसए, अपने ही कर्मचारी का नही दे पा रहे रिकॉर्ड, विधिक कार्यवाही हो रही बाधक

    सहायक अध्यापक चक्रधारी सिंह पर दो दो जगह पर सरकारी नौकरी करने का है आरोप


    शिकायत बाद चक्रधारी सिंह ने मऊ की नौकरी से दे दिया है इस्तीफ़ा

    केशरी देवी बालिका विद्यालय में में नौकरी करते हुए मऊ में भी चक्रधारी कर रहे थे नौकरी

    मऊ / बलिया। बलिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी एक कर्मचारी कि नियुक्ति संबंधी रिकॉर्ड को अपने अधीनस्थ केशरी देवी बालिका विद्यालय कैंसो बलिया के प्रबंधक से नही ले पाए है। कर्मचारी को दो दो जगह पर सरकारी में नौकरी करने का आरोप है। सीडीओ मऊ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से बिद्यालय में तैनात कर्मचारी कि नियुक्ति संबंधी रिकॉर्ड तलब किया है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया ने केशरी देवी बालिका विद्यालय कैंसो के सहायक अध्यापक चक्रधारी सिंह कि नियुक्त से संबंधित रिकॉर्ड को आज तक तलब करने में फेल साबित हुए है।

    विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात चक्रधारी सिंह इसी तथ्य को छुपाकर जनपद मऊ के डीसी मनरेगा के अधीन तकनीकी सहायक के पद पर भी सेवा दिये है। दो दो जगह पर सरकारी नौकरी कर वेतन उठाने की आई शिकायत के बाद चकरधारी सिंह ने मऊ की नौकरी से त्याग पत्र दिया है।

    मऊ और बलिया में तथ्यगोपन करते हुए सरकारी सेवा करने के आरोपी सहायक अध्यापक चक्रधारी सिंह अपने पिता और प्रबंधक केशव सिंह आजाद के अधीन केशरी देवी बालिका बिद्यालय कैंसो में तैनात है।

    शिकायत के बाद सीडीओ मऊ ने चक्रधारी सिंह कि केशरी देवी बालिका बिद्यालय में नौकरी के रिकॉर्ड तलब किये है। सीडीओ के द्वारा मांगे गये रिकॉर्ड को बेसिक सिलशा अधिकारी बलिया आज तक उपलब्ध नही करवा सके है।

    बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा रिकॉर्ड को उपलब्ध करवाने में जानबूझकर की जा रही मनमानी के कारण चक्रधारी सिंह के खिलाफ विधिक कार्यवाही नही हो पा रही है।

  • मऊ में एक महिला का 2 नाम दो दो बैंक खाते, दोनो से हड़प लिया गया सरकारी धन

    मऊ में एक महिला का 2 नाम दो दो बैंक खाते, दोनो से हड़प लिया गया सरकारी धन

    — ” कही नन्हकी बन गई तारा तो कही तारा बन गई नन्हकी ‘

    मऊ। शिक्षा क्षेत्र कोपागंज के प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद मे तैनात तारा का असल नाम मे क्या है? को लेकर प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद के हेडमास्टर रसोइया तारा की वकालत मे उसे तारा ही करार दे रहे है तो नन्हकी पत्नी दयाशंकर से पल्ला क्यो झाड़ रहे है? जांच का विषय है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायत मीरपुर रहीमाबाद के प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया के पद पर तैनात तारा पत्नी दायशंकर असल मे नन्हकी पत्नी दयाशंकर ही है क्यकि नन्हकी पत्नी दयाशंकर के नाम से ही तारा ने वर्ष २००८ मे कोइरियापार के बदौड़ा यूपी बैंक मे खाता संख्या खोला और इसी खाते मे ग्राम विकास अभिकरण मऊ से आवास के मद मे कुल ३५ हजार रुपये हड़प लिए है।

    यह धन हड़पने के बाद नन्हकी ने खुद को तारा पत्नी दयाशंकर बता कर एक तरफ जहा प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया बन गई तो वही पर ग्राम पंचायत सदस्य भी रही है। तारा नन्हकी है या नन्हकी तारा है, पर संसय बना हुआ है। पुरे मामले मे बैंक खाते ही प्रमाण है, लेकिन बैंक खाते भी दो होने के प्रबल आसार है क्योकि विद्यालय से मानदेय भी उसके तारा नाम से खोले गये खाते मे ही जाता है।

    मानदेय के रूप में रसोइया के पद के माध्यम से महीने के रूप मे तारा सरकारी धन हड़प रही है तो “नन्हकी” के नाम से भी सरकारी धन हड़प ली है। फिर भी “सवाल” कायम है, तारा नन्हकी है या फिर नन्हकी तारा है! एक ही ब्यक्ति द्वारा दो फर्जी खाते खोल लर धन हड़पने के मामले में ग्राम विकास और बेसिक शिक्षा अधिकारी मौन साधना में है, देखना है साधना टूटती भी है कि नही ?

  • मऊ मे रसोइया तारा ने खुद को नन्हकी बता हड़प लिया है सरकारी धन

    मऊ मे रसोइया तारा ने खुद को नन्हकी बता हड़प लिया है सरकारी धन


    मऊ। शिक्षा क्षेत्र कोपागंज के प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद मे रसोइया के पद पर तैनात तारा देवी के द्वारा ग्राम विकास अभिकरण के माध्यम से सरकारी आवास लेने के लिए खुद के नाम को बदल सरकारी धन हड़पने की खबर है।


    ग्राम पंचायत मीरपुर रहीमाबाद के सूत्रों के अनुसार तारा देवी ने वर्ष २००८ मे खुद को नन्हकी पत्नी दयाशंकर बनकर तथा सरकारी अभिलेखो मे नन्हकी के नाम से कुट रचित प्रमाणक लगा कर कोइरियापार स्थित बैंक अफ बदौड़ा मे खाता संख्या १९६२३ मे सरकार द्वारा नन्हकी के नाम आवास के लिए जारी चेक संख्या २५८२६९ व १८५९३५ के माध्यम से कुल ३५ हजार रुपये हड़प लिए गये है।

    इस धन को हड़पने के लिए तारा देवी पत्नी दयाशंकर ने जाली प्रमाणको के माध्यम से यूपी बदौड़ा बैंक मे खुद को नन्हकी बता कर खाता खोलवाया और फिर सरकार से आवास के मद मे ३५ हजार रुपये हड़प लिए गये है।

    इस मामले मे पूर्व मे पड़ी शिकायत की जाँच मे जाँच अधिकारियो ने लीपापोती कर मामलैंको ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया है। तारा देवी पूर्व मे ग्राम पंचायत मे सदस्य भी रही है और वर्तमान मे प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया के पद पर तैनात है। प्राथमिक बिद्यालय के हेडमास्टर ने खरी दुनिया को बताया की तारा देवी की नियुक्ति सही है। रही बात नन्हकी पत्नी दयाशंकर कि तो वह इस नन्हकी के बारे मे कुछ भी नही जानते है।

    बैक् खाते कि जाँच खोलेगी नन्हकी की असलियत

    ग्रम् पंचायत के सूत्रों कि माने तो नन्हकी पत्नी दयाशंकर कौन हो, के लिए बैंक खाते की जाँच ही नन्हकी की असलियत खोलेगी। फिलहाल ग्राम विकास इस वर्ष मे आवंतित आवसो की सूची को खंगालने का काम कर रही है।

  • मऊ मे “सीएफओ” ने “प्लॉट एरिया” से “कवर्ड एरिया” को अधिक दिखा राहुल “हॉस्पिटल” के नाम जारी की है NOC

    मऊ मे “सीएफओ” ने “प्लॉट एरिया” से “कवर्ड एरिया” को अधिक दिखा राहुल “हॉस्पिटल” के नाम जारी की है NOC

    — हॉस्पिटल भवन के निरीक्षण से पूर्व ही लिफाफे के बोझ तले दबे “सीएफओ” मऊ ने अनापत्ति प्रमाण पत्र किया तैयार


    मऊ । मुख्य अग्नि समन अधिकारी हॉस्पिटलो के “इंस्पेक्शन” से पहले ही “इंस्पेक्शन रिपोर्ट” तैयार कर हॉस्पिटलो के लिफाफे के बोझ को उतारने का काम करते है, साहब बहुत ईमानदार अफसर है। यह “खरी दुनिया” की नही खुद सीएफओ द्वारा जिले मे NBC और महायोजना के बिपरीत निर्मित हॉस्पिटलो मे मौजूद राहुल हॉस्पिटल के नाम जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र ने खुलासा किया है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य अग्नि समन अधिकारी किंटी वर्मा बहुत ईमानदार अफसर है, साहब कानून कायदों के साथ ही पदीय अधिकारों का निर्वहन करते है। साहब ने अपनी इसी ईमानदारी मे पत्रांक दिनांक १३/२/२०२४ को युआईडी संख्या यूपी एफ एस /२०२४/१०/८/११८/ मऊ/ मऊ/ ६६६/ सीएफओ के माध्यम से राहुल हॉस्पिटल के नाम जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे प्लॉट एरिया ९९८.६३ वर्ग मीटर मे कवर्ड एरिया १५५३.२२ वर्ग मीटर निकाल दिया है।

    साहब की गणित काफी उम्दा है, इनके इस उम्दा दर्जे की गणित को देखते हुए इनके शीर्ष अफसर भी इनसे मुख़ातिब होने मे दुस्वारी समझते है। आखिर साहब प्लॉट एरिया से अधिक कवर्ड एरिया जो निकाल देते है। प्लॉट एरिया से कवर्ड एरिया कैसे अधिक निकाली जाती है ? को लेकर सीएफओ से “खरी दुनिया” कोई सवाल पूछे, साहब ने खरी दुनिया के मोबाइल नंबर को सरकारी अपने मोबाइल से ब्लॉक कर दिया ।

    राहुल हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन पूर्व तैयार रिपोर्ट के मुताबिक सीएफओ ने हॉस्पिटल कि मालकिन मीरा राय के साथ हॉस्पिटल बिल्डिंग का इंस्पेक्शन बिना किसी महिला सरकारी कर्मचारी की उपस्थिति मे भी किये जाने का खुलासा किया है। सीएफओ ने नोट के नीचे साफ शब्दों मे यह लिखते हुए कि राहुल हॉस्पिटल के भवन का उनके द्वारा बिना निरीक्षण किये, हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत अभिलेखो सूचनाओ के आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र को निर्गत करने की बात कही है।

    साहब अपनी गणित मे जारी अनापत्ति प्रमाण पत्रों को लेकर फंसने का कोई माध्यम तो अपने ज्ञान मे नही छोड़ते है लेकिन राहुल हॉस्पिटल को जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे उनकी कलम फंस जरूर गई है। अपने बचाव मे साहब हर आनपत्ति प्रमाण पत्र मे नोट जरूर लगाते है।

    अब यही लीजिये साहब ने राहुल हॉस्पिटल के मालिकिन मीरा राय के साथ हॉस्पिटल बिल्डिंग के इंस्पेक्शन की भी बात को अपने द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे भी लिख दिया और नोट के नीचे सीएफओ ने अनापत्ति प्रमाण पत्र को उन्ही के द्वारा उपलब्ध करवाए गये अभिलेखो के अनुसार भी प्रमाण पत्र को जारी करने की भी बात कोनकह दिया है। यही नही सीएफओ ने यह जानते हुए भी कि राहुल हॉस्पिटल की बिल्डिंग नेशनल बिल्डिंग कोड़ के अनुसार नही है, इसको नेशनल बिल्डिंग कोड़ के अनुसार निर्मित भी बता दिया है।

  • मऊ मे बिजली के तार नीचे बने भवन मे हॉस्पिटल को CFO ने जारी की NOC , अफसर मौन

    मऊ मे बिजली के तार नीचे बने भवन मे हॉस्पिटल को CFO ने जारी की NOC , अफसर मौन

    वर्तमान सीएफओ ने अबैध भवन मे मौजूद हॉस्पिटल को नही दी NOC तो जानबूझकर नही की विभागीय कार्यवाही को शिर्ष अधिकारियो को सूचना

    मऊ। नेशनल बिल्डिंग कोड़ के खिलाफ बने बंदना नर्सिंग होम के नाम मुख्य अग्नि समन अधिकारी कार्यालय द्वारा पूर्व मे जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र को गलत पाए जाने की जानकारी को अग्नि समन अधिकारी द्वारा दबाये जाने कि खबर है। पूर्व मे स्वलाभ मे जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र के बारे मे वर्तमान सीएफओ ने विभाग के शीर्ष अधिकारियों भी सूचना नही दी ।

    मुख्य अग्नि समन अधिकारी किंटी वर्मा ने दिनांक २४ मार्च २०२४ को वंदना नर्सिंग होम का निरीक्षण किया और निरीक्षण मे हॉस्पिटल भवन को बिजली के तार के नीचे पाए जाने पर अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया गया था। मजे कि बात यह थी कि वंदना नर्सिंग होम को बिजली के तार के नीचे होने के बावजूद तत्कालीन मुख्य अग्नि समन अधिकारी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया था।

    अब यहां पर रोचक बात यह है कि मुख्य अग्नि समन अधिकारी किंटी वर्मा ने मार्च २०२४ को खुद के द्वारा किये गये इंस्पेक्शन मे वंदना नर्सिंग होम के भवन को गलत पाया लेकिन पूर्व मे ततकालीन सीएफओ द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र के बारे मे न तो जिलाधिकारी को बताया और नही खुद के विभाग के शीर्ष अधिकारियो को, जिससे अबैध रूप से बिजली के तार के नीचे संचालित वंदना नर्सिंग होम के खिलाफ कार्यवाही नही की जा सकी।

    सीएफओ ने क्यो नही बिभाग के शीर्ष अधिकारियो के साथ जिलाधिकारी को मामले से अवगत कराया ? यह भी जाँच का विषय है। पूर्व मे जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे युआईडी नंबर मे भी जारी कर्ता तत्कालीन सीएफओ ने बदल दिया है। वर्तमान इंस्पेक्शन और तत्कालीन NOC की युआईडी मे अंतर भी है।

    पुराने रिहायसी भवन मे वंदना नर्सिंग होम के संचालन को CFO द्वारा NOC देने की तैयारी

    दूसरी जगह वर्षो पुराने रिहायसी भवन मे वंदना नर्सिंग होम के संचालन को CFO के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिये जाने की योजना पर काम किये जाने की भी खबर है।


    सीएफओ करीब ८ फिट चौड़ी गली मे स्थित एक रिहायासी भवन मे वंदना नर्सिंग होम के संचालन कि योजनानुसार् अग्नि समन की अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की योजना पर काम कर रहे है। जबकि सीएफओ इस बात को जानबूझकर छुपाने की कोशिश कर कि हॉस्पिटल की बिल्डिंग नेशनल बिल्डिंग कोड़ और महायोजना मे वर्णित कायदों के खिलाफ बिना सेट बैक और पार्किंग स्थल वाले रिहायासी भवन मे संचालित किया जा रहा है।

    खरी दुनिया ने जब सीएफओ की इस करतूत को लेकर जब सवाल किया तो अग्नि समन अधिकारी के द्वारा खरी दुनिया को भी नेशनल बिल्डिंग कोड़ मे हॉस्पिटल भवन के चारो तरफ ६ मीटर खुले चौड़े रास्ते को लेकर गलत जानकारिया दी गई।सीएफओ ने कहा कि ६ मीटर की बाध्यता अब नही है।

    बताते चले कि सीएफओ द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए कई ऐसे हॉस्पिटलो के नाम अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जिनके भवन नेशनल बिल्डिंग कोड़ और महायोजना मे वर्णित कायदों के खिलाफ निर्मित है और जिनके हॉस्पिटल भवन के चारो तरफ 6 मीटर चौड़े खुले रास्ते सेट बैक और पार्किंग जैसी मूलभुत जरूरतों का आभाव है।

  • मऊ मे पोखरे की जमीन मे है राहुल हॉस्पिटल, कल तक के अधिकारियो ने लिफाफा ले साधा है मौन

    मऊ मे पोखरे की जमीन मे है राहुल हॉस्पिटल, कल तक के अधिकारियो ने लिफाफा ले साधा है मौन

    राजस्व के पुराने रिकॉर्ड १३६९ फ़सली के खतौनी मे २६१/२ पर मुहम्मद जहीर के नाम है दर्ज

    जलमग्न प्रकृति के इस जमीन की प्रकृति को बदला नही जा सकता, न ही खरीद फरोख्त ही की जा सकती है, यहा के कल (यस्टरडे) तक के अधिकारियो ने लिफाफा ले न सिर्फ इस जमीन को बेचवाया बल्कि जलमग्न जमीन को पाट कर उस पर राहुल हॉस्पिटल के रूप मे अबैध हॉस्पिटल भी खड़ा करा दिया

    मऊ। जिले का राहुल हॉस्पिटल पुराने रिकॉर्ड मे नान जेड ए की जलमग्न भूमि पर मौजूद है। इस भूमि को अपराधिक साजिस के तहत जेड ए मे लाकर उसकी अविधिपूर्ण तरीके से खरीदारी कर नेशनल बिल्डिंग कोड के खिलाफ निर्मित भवन मे राहुल हॉस्पिटल का संचालन शुरु कर दिया गया।


    राजस्व रिकॉर्ड मे जिले का राहुल हॉस्पिटल राजस्व रिकॉर्ड मे 6 (1) श्रेणी की भूमि मे उल्लिखित “जलमग्न” भूमि है। नकल खतौनी दिमारकेशन संख्या १३६९ परागना सहादतपुरा परागना मऊ तहसील मुहम्मदाबाद जिला आजमगढ़ ( हाल मऊ) बाबत खाता संख्या ५० मे खाता संख्या २६१/२ मुँहम्मद जहिर के नाम पर दर्ज है।

    यह जमीन श्रेणी ६(१) मे जलमग्न प्रकृति की जैसे तालाबा ,झील, नहर आदि हो, के नाम की है। जानकारों की माने तो इस प्रकार की जमीन की खरीद फरोख्त नही किया जा सकता है, और न ही जमीन की प्रकृति को ही बदला जा सकता है।

    मजे कि बात यह कि राजस्व के सभी कानून कायदों को ताक पर रखकर न सिर्फ खरीद फरोख्त हुई बल्कि जमीन की प्रकृति से छेड़छाड़ कर जलमग्नता को बदल कर उस पर अबैध भवन बनाकर अविधिपूर्ण तरीके से राहुल हॉस्पिटल का नियम विरुद्ध संचालन शुरु कर दिया गया।

    इस हॉस्पिटल की अबैधता के साथ पर्यावरण हित मे की गई शिकायत का लेकर आज तक कोई अधिकारी गंभीर नही हुआ। कल तक (Yesterday) के सभी कलेक्टर ने शिकायत को लिफाफे का आधार बना हॉस्पिटल प्रबंधन के अपराध मे शामिल हो आते और जाते रहे, जब जिसको जहा जरूरत हुई लिफाफा पहुँचता रहा, और हॉस्पिटल अबैध होते हुए ऐसे चलता रहा जैसे वह बैध हो ।

    अधिकारियो के द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए शिकायतों के साथ किये गये दुराचार के कारण राहुल हॉस्पिटल जलमग्न भूमि मे आज भी मौजूद ,पर्यावरण हित मे न्याय को भटक रहा है।

    भ्रस्टाचार : NBC के खिलाफ है राहुल हॉस्पिटल का भवन, फिर भी स्वीकृत है हॉस्पिटल के भवन का नक्शा

    राहुल हॉस्पिटल द्वारा हॉस्पिटल के भवन के नक्शे को पास करने से पूर्व सहयुक्त की ली गई आंख्या के अनुसार आज भी हॉस्पिटल के भवन का नक्शा बिपरीत है। भवन के निर्माण मे नेशनल बिल्डिंग कोड़ , महायोजना , के खिलाफ होते हुए आज भी इसमे संचालित राहुल हॉस्पिटल की बैधता पर कल का कोई अफसर नौकरी को तैयार नही हुआ, सभी ने जिसको जहा मौका मिला लिफाफा लिया चलता फिरा, परिणाम मे आज यह हॉस्पिटल कानून कायदों के बिपरीत सीना तान कर चल रहा है।

    हॉस्पिटल की खामिया, जिसपर कार्यवाही की है अपेक्षा

    नोन् जेड ए की जमीन का श्रेणी ६ मे होना, नियम विरुद्ध खरीद फरोख्त और बावजूद इसके पर्यावरण के खिलाफ जाकर जमीन भूमि कि प्रकृति को बदलना, फिर उस पर अबैध तरीके से भवन बनाना है राहुल हॉस्पिटल की खामिया …