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  • अमेरिका ने भारत के लिए 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन सौदे को मंजूरी दी

    अमेरिका ने भारत के लिए 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन सौदे को मंजूरी दी

    सौदे की घोषणा जून, 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी

    – समुद्री मार्गों और चीन सीमा पर भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी

    नई दिल्ली। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद अमेरिका ने 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32 हजार करोड़) की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस मेगा ड्रोन सौदे की घोषणा जून, 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी। भारत को यह ड्रोन मिलने के बाद समुद्री मार्गों में मानव रहित निगरानी और टोही गश्ती को सक्षम करके वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी। खास तौर पर चीन सीमा पर भारत की निगरानी आसान होगी।

    हालांकि, भारत सरकार की ओर से इस सौदे को मंजूरी मिलने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने एक बयान में इस सौदे की पुष्टि की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि भारत सरकार को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर एमक्यू-9बी रिमोटली पायलटेड विमान और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी देने का निर्णय लिया गया है। एजेंसी ने अमेरिकी कांग्रेस को इस संभावित बिक्री के बारे में सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणीकरण भी प्रदान किया है।

    बयान में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री प्रमुख रक्षा भागीदार की सुरक्षा में सुधार करके अमेरिकी-भारतीय रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी। इसके साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी, जो हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बनी हुई है। प्रस्तावित बिक्री से परिचालन के समुद्री मार्गों में मानव रहित निगरानी और टोही गश्त को सक्षम करके वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार होगा। भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है और इन वस्तुओं और सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में समाहित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

    डीएससीए ने कहा है कि एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। इस सौदे में मुख्य ठेकेदार जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स कंपनी होगी। यह एक सैन्य ठेकेदार और जनरल एटॉमिक्स की सहायक कंपनी है, जो दुनिया भर में अमेरिकी सेना और वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए मानव रहित हवाई वाहनों और रडार सिस्टम को डिजाइन और निर्माण करती है। इस प्रस्तावित बिक्री के कार्यान्वयन के लिए भारत में किसी भी अतिरिक्त अमेरिकी सरकार या ठेकेदार प्रतिनिधियों की नियुक्ति की आवश्यकता नहीं होगी।

    डीएससीए ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश को इन वस्तुओं और सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इसमें कहा गया है कि इस उपकरण और समर्थन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा और इस प्रस्तावित बिक्री के परिणामस्वरूप अमेरिकी रक्षा तैयारी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। किसी भी सौदे में क्रेता आम तौर पर ऑफसेट का अनुरोध करता है, इसलिए इस ऑफसेट समझौते को क्रेता और ठेकेदार के बीच बातचीत में परिभाषित किया जाएगा। अमेरिकी प्रक्रिया के अनुसार अब अमेरिकी कांग्रेस अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन को बिक्री की सिफारिश की जाएगी।

    डीएससीए ने कहा कि भारत ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन विमान खरीदने का अनुरोध किया था। लंबी दूरी का यूएवी किसी भी खतरे पर नज़र रखते हुए 36 घंटे तक हवा में रह सकता है। दी गई मंजूरी में 170 एजीएम-114 आर हेलफायर मिसाइलें, 16 एम36ई9 हेलफायर कैप्टिव वायु प्रशिक्षण मिसाइलें, 310 लेजर छोटे व्यास वाले बम और लाइव फ्यूज के साथ आठ लेजर निर्देशित परीक्षण वाहन भी शामिल हैं। भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी मिलेंगे, जिनमें से नौसेना को 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ लैंड वर्जन स्काई गार्डियन मिलेंगे।

  • तिहाड़ जेल में बंद यासिन मलिक एम्स में इलाज के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा

    तिहाड़ जेल में बंद यासिन मलिक एम्स में इलाज के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा

    नई दिल्ली। टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद यासिन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एम्स में इलाज कराने की मांग की है। जस्टिस अनूप मेंहदीरत्ता की बेंच ने यासिन मलिक के वकील से पूछा है कि वो यासिन मलिक से पूछकर बताएं कि क्या वो एम्स के मेडिकल बोर्ड से इलाज कराएंगे या अपनी पसंद के किसी डॉक्टर से। मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने मलिक की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील रजत नायर ने कहा कि यासिन मलिक को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें ओपीडी में दिखाने की जरूरत है। एम्स ने यासिन मलिक का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चेकअप करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया था लेकिन मलिक ने डॉक्टरों से मिलने से मना कर दिया था।

    नायर ने कहा कि यासिन मलिक उच्च श्रेणी के हाई रिस्क कैदी हैं और उन्हें जेल में सभी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके बाद कोर्ट ने मलिक की ओर से पेश वकील को निर्देश दिया कि वो यासिन मलिक से पूछें कि वो एम्स के मेडिकल बोर्ड से इलाज कराना चाहते हैं या अपने किसी पसंद के डॉक्टर से। पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

    पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

  • महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण और विनोद तोमर कोर्ट में पेश हुए

    महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण और विनोद तोमर कोर्ट में पेश हुए

    नई दिल्ली। महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप मामले में आज भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। आज दोनों आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर आंशिक दलीलें पेश की गईं। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने मामले की अगली सुनवाई 6 और 7 फरवरी को करने का आदेश दिया।

    आज सुबह जब सुनवाई शुरू हुई तो इस मामले के आरोपितों बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर पेश हुए। सुनवाई के दौरान आरोपितों की ओर से पेश वकीलों ऋषभ भट्ट और रेहान खान ने इस मामले की सुनवाई कुछ देर बाद करने की मांग की, क्योंकि मुख्य वकील जाम में फंस गए। उसके बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कोर्ट से कहा कि उन्हें कुछ जरूरी काम से जाना है इसलिए कोर्ट छोड़ने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने इस आग्रह को मंजूर कर लिया। कुछ देर बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कोर्ट से कहा कि जब उनके मुख्य वकील आएंगे तभी वे कोर्ट छोड़ कर जाएंगे। बाद में जब बृजभूषण शरण सिंह के वकील राजीव मोहन कोर्ट पहुंचे तो आंशिक दलीलें रखीं। बृजभूषण शरण सिंह लंच के बाद कोर्ट से चले गए।

    23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था। महिला पहलवानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (पॉश) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं किया गया था। उन्होंने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है। ऐसे में ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है।

    उल्लेखनीय है कि महिला पहलवानों की ओर से 20 जनवरी को कहा गया था कि उन्हें आरोपितों के हाथों लगातार यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। रेबेका जॉन ने कहा था कि मंगोलिया में कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ की गई।

    6 जनवरी को आरोप तय करने के मामले पर दिल्ली पुलिस ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थी। 6 जनवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि इस मामले का क्षेत्राधिकार इसी कोर्ट का बनता है। इसके पहले दिल्ली पुलिस ने बृजमोहन पर आरोप लगाया था कि उसने महिला पहलवानों को धमकाते हुए मुंह बंद रखने को कहा था।

    कोर्ट ने 20 जुलाई, 2023 को बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपित विनोद तोमर को जमानत दी थी।

    उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई, 2023 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। 15 जून, 2023 को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह बालिग महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के मामले में चार्जशीट दाखिल की है।

  • सत्येंद्र जैन पर आरोप तय करने के लिए कोर्ट ने ईडी की आंशिक दलीलें सुनीं

    सत्येंद्र जैन पर आरोप तय करने के लिए कोर्ट ने ईडी की आंशिक दलीलें सुनीं

    नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली आबकारी घोटाला मामले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर ईडी की ओर से आंशिक दलीलें सुनीं। स्पेशल जज राकेश स्याल ने आरोप तय करने पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को करने का आदेश दिया।

    आज सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन के साथ उनकी पत्नी पूनम जैन भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुईं। इसके अलावा अजीत जैन, वैभव जैन और अंकुछ जैन सशरीर कोर्ट में पेश हुए। ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन और एनके माटा ने आरोप तय करने के मामले में आंशिक दलीलें रखी। दोनों वकीलों ने कोर्ट से कहा कि उन्हें किसी दूसरे मामलों की सुनवाई में जाना है, इसलिए सुनवाई टाली जाए। उसके बाद कोर्ट ने आरोप तय करने पर सुनवाई 14 फरवरी तक के लिए टाल दिया।

    इससे पहले कोर्ट ने 20 दिसंबर, 2023 को आरोप तय करने के मामले में आंशिक दलीलें सुनी थी। एक दिसंबर, 2023 को कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को दस्तावेजों की जांच की अनुमति दे दी थी। सत्येंद्र जैन की ओर से 18 नवंबर, 2023 को दस्तावेज जांच की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की गई थी। जैन की ओर से कहा गया था कि गवाहों की लिस्ट में योगेश मलिक का नाम है, लेकिन हमें दी गई लिस्ट में योगेश मलिक का नाम नहीं है। आखिर ईडी कोर्ट से यह खेल क्यों खेल रही है।

    जैन पर आरोप है कि उन्होंने 2009-10 और 2010-11 में फर्जी कंपनियां बनाई। इन कंपनियों में अकिंचन डेवलपर्स प्रा.लि.. इंडो मेटल इम्पेक्स प्रा.लि.. प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्रा.लि.. मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. शामिल हैं।

  • भारत ने सोमालिया के पूर्वी तट पर एक और समुद्री डकैती रोकी, लुटेरों को खदेड़ा

    भारत ने सोमालिया के पूर्वी तट पर एक और समुद्री डकैती रोकी, लुटेरों को खदेड़ा

    – अपहृत ईरानी जहाज और बंधक चालक दल के 19 सदस्यों को मुक्त कराया

    – नौसैनिकों ने हेलीकॉप्टर और नौकाओं का इस्तेमाल करके लुटेरों को घेरा

    नई दिल्ली। सोमालिया के पूर्वी तट पर लगातार बढ़ रही घटनाओं के बीच भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को एक और समुद्री डकैती को नाकाम करके लुटेरों को खदेड़ दिया है। ईरानी जहाज और उसके चालक दल को सात समुद्री लुटेरों ने बंधक बना लिया था।

    भारत ने लाल सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती रोकने के लिए अपने दस से ज्यादा जहाज ‘एंटी पायरेसी मिशन’ पर तैनात किये हैं। भारतीय नौसेना को मछली पकड़ने वाले ईरानी जहाज एफवी ओमारी को सोमालिया के पूर्वी तट पर अपहृत करके चालक दल को बंधक बनाए जाने की जानकारी 31 जनवरी को मिली। इस पर क्षेत्र में निगरानी कर रहे भारतीय नौसेना ने एफवी ओमारी का पता लगाने के बाद समुद्री डकैती विरोधी मिशन के लिए तैनात आईएनएस शारदा को मौके पर जाने के लिए मोड़ दिया।

    दरअसल, ईरानी ध्वज वाले जहाज एफवी ओमारी पर सात समुद्री लुटेरों ने कब्ज़ा करके चालक दल को बंधक बना लिया था। भारत का युद्धपोत आईएनएस शारदा 02 फरवरी को सुबह मौके पर पहुंचा। भारतीय नौसैनिकों ने अपने हेलीकॉप्टर और नौकाओं का इस्तेमाल करके अपहृत जहाज को घेरकर समुद्री लुटेरों को जहाज के साथ चालक दल की सुरक्षित रिहाई के लिए समुद्री डाकुओं को मजबूर कर दिया। भारत ने जहाज सहित चालक दल के 19 सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया, जिसमें 11 ईरानी और 08 पाकिस्तानी नागरिक हैं।

    भारतीय नौसेना के कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि सोमालियाई समुद्री डाकुओं से रिहा कराए गए चालक दल के स्वास्थ्य की जांच करने के साथ जहाज को सफाई करने के बाद अपने कब्जे में लिया है। उन्होंने कहा कि समुद्री डकैती रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात भारतीय नौसेना प्लेटफॉर्म मिशन के अथक प्रयास, समुद्र में बहुमूल्य जीवन बचाने के लिए जारी हैं, जो समुद्र में सभी जहाजों और नाविकों की सुरक्षा के प्रति भारतीय नौसेना के संकल्प का प्रतीक है।

    गौरतलब है कि नौसेना ने दो माह में आधा दर्जन से ज्यादा अपहृत विदेशी जहाजों को डाकुओं से छुड़ाकर समुद्र में अपना दबदबा कायम किया है।

  • बजट – इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परिदृश्य को मजबूत और व्यापक बनाने पर रहेगा जोर

    बजट – इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परिदृश्य को मजबूत और व्यापक बनाने पर रहेगा जोर

    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश को कार्बन तटस्थ बनाने के दृष्टिकोण के तहत सरकार इलेक्ट्रिक बसों को व्यापक रूप से अपनाने को तैयार है। स्थायी परिवहन की इस दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की।

    उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक पहल विनिर्माण और चार्जिंग बुनियादी ढांचे दोनों पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परिदृश्य को मजबूत और व्यापक बनाना है। इसके तहत ई-बस ऑपरेटरों के बीच विश्वास को बढ़ावा देते हुए भुगतान सुरक्षा तंत्र के कार्यान्वयन के माध्यम से इसे सुविधाजनक बनाया जाएगा। इस पहल से सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल आवागमन के तरीके को बढ़ावा देने की उम्मीद है। सतत विकास के लिए एक मजबूत नींव बनाने पर जोर देने के साथ, स्वच्छ और हरित भविष्य को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

  • एक करोड़ परिवार को प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली होगी उपलब्ध

    नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में रूफ-टॉप सोलर एनर्जी को लेकर बड़ा एलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे मध्यम वर्ग को हर साल बिजली में खर्च होने वाली बड़ी राशि बचाने में मदद मिलेगी।

    वित्त मंत्री के एलान के मुताबिक छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली प्राप्त कर सकेंगे।

    यह योजना अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन प्रधान मंत्री के संकल्प के अनुसरण में लाई गई है। इससे निःशुल्क सौर बिजली और अधिशेष बिजली वितरण कंपनियों को बेचने से परिवारों को हर वर्ष पंद्रह हजार से अठारह हजार रुपये की बचत होगी।

    इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन की स्थापना से आपूर्ति तक बड़ी संख्या में वेंडरों को काम मिलेगा। विनिर्माण, स्थापना और रखरखाव में तकनीकी कौशल रखने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मिलेगा।

  • आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 62 साल करने का फैसला बरकरार, राज्य सरकार की एसएलपी खारिज

    आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 62 साल करने का फैसला बरकरार, राज्य सरकार की एसएलपी खारिज

    नई दिल्ली/ जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु साठ साल से बढाकर 62 साल करने के संबंध में हाईकोर्ट की ओर से 13 जुलाई, 2022 को दिए आदेश को सही माना है। इसके साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ दायर राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है।

    राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सकों का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है। एलोपैथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु दो साल बढाना राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय था और ऐसा एलोपैथी डॉक्टर्स की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया था। इसलिए एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह आयुर्वेद डॉक्टर्स की आयु 60 साल से बढाकर 62 साल करने वाले फैसले को रद्द किया जाए। इसके जवाब में आयुर्वेद डॉक्टर्स की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में भी एनडीएमसी बनाम डॉ. रामनरेश के मामले में आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु भी 62 साल करने की मंजूरी दी है। इसलिए आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 से बढाकर 62 साल करने का हाईकोर्ट का फैसला सही है और ऐसे में राज्य सरकार की एसएलपी खारिज की जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी खारिज कर दी।

    गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ना केवल आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु दो साल बढाई थी, बल्कि यह भी कहा था कि जिन आयुर्वेद डॉक्टर का रिटायरमेंट हाल में हुआ हो और जिनकी आयु 62 साल से कम है उन्हें वापस सेवा लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि जब एलोपैथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 62 साल है तो आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु भी 62 साल की जाए और इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। आयुर्वेद डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार ने 31 मार्च 2016 को एलोपैथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 से बढाकर 62 साल कर दी, लेकिन आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 साल ही रखी है।

  • ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाना में पूजा की अनुमित हरगिज स्वीकार्य नहीं: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

    ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाना में पूजा की अनुमित हरगिज स्वीकार्य नहीं: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

    -मुस्लिम पक्षकार इलाहाबाद हाई कोर्ट में देगा चुनौती

    नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि वाराणसी जिला जज ने आज अपनी सर्विस के अंतिम दिन ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाना में एक हिंदू पक्षकार को पूजा की इजाजत दे दी है। अदालत ने अपने फैसले में जिला मजिस्ट्रेट से कहा है कि वह हिंदू पक्षकार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के जरिए नामजद किए गए पुजारी के जरिए पूजा राजभोग की व्यवस्था कराएं। जिला जज का यह फैसला मुसलमानों के लिए हरगिज भी काबिले-कबूल नहीं है और वह इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ कासिम रसूल इलियास ने वाराणसी जिला जज के फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि यह फैसला बेहद गलत और बेबुनियाद दलीलों पर दिया गया है। अदालत ने इसको आधार बनाकर फैसला दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाना में 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार पूजा करता था और उस वक्त की राज्य सरकार के आदेश पर इसे बंद कर दिया गया था, जबकि यह बेबुनियाद है। 24 जनवरी को जिला इंतजामिया ने तहखाने को अपने कंट्रोल में ले लिया था। अदालत में उस वक्त अपने ऑर्डर में यह भी कहा था कि यथास्थिति बनाई रखी जाएगी। आज इस फैसले को बदलते हुए पूजा की इजाजत दे दी गई है। निराशाजनक बात यह है कि मुस्लिम पक्षकार को इसमें अपील का मौका भी नहीं दिया गया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को भी ताक पर रख दिया गया है कि पहले यह फैसला किया जाए कि यह केस 1991 के कानून के तहत चल भी सकता है या नहीं?

    अफसोसनाक बात यह है कि मीडिया इस फैसले को गलत अंदाज में पेश करके आम जनता को गुमराह कर रहा है कि हिंदू पक्षकारों को मस्जिद में पूजा की इजाजत दे दी गई है। हम यह बात स्पष्ट कर देना जरूरी समझते हैं कि इस तहखाना में कभी भी पूजा नहीं होती थी। एक आधारहीन बात को बुनियाद बनाकर जिला जज ने अपनी सर्विस के आखिरी दिन आपत्तिजनक और बेबुनियाद फैसला देते हुए कहा है कि 7 दिनों के अंदर पूजा का प्रबंध कराया जाए। मस्जिद इंतेजामिया कमेटी इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चैलेंज कर रही है।

    उन्होंने कहा कि है निराशाजनक बात है कि निचली अदालत टुकड़ों-टुकड़ों में फैसला करके इस केस को हिंदू पक्षकारों के पक्ष में मजबूत करती जा रही है। पहले पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में यह आवेदन देकर कहा कि एक हिंदू मंदिर था, जहां पर पूजा होती थी। जिसे औरंगजेब ने गिराकर मस्जिद निर्माण करा दिया था। इसलिए हमें पूजा की अनुमति दी जाए। जब मस्जिद इंतेजामिया ने इसे यह कहकर सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया कि धार्मिक स्थल से संबंधित 1991 के कानून के तहत इस मस्जिद को सुरक्षा हासिल है तो सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जिला अदालत के हवाले कर दिया और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने फैसला दिया कि इस पर ना तो धार्मिक स्थल से संबंधित 1991 का कानून और ना ही इस पर वक्फ एक्ट लागू होता है। इसके बाद अदालत ने मस्जिद के अंदर सर्वे का आदेश दे दिया, जिसमें सर्वे टीम ने वजूखाने के फव्वारे को शिवलिंग करार देकर वजूखाने के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। अभी मामला यहां पर थमा नहीं था कि एक और ऑर्डर में मस्जिद के सर्वे का आदेश पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान को दे दिया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद के नीचे एक बड़े मंदिर के आसार बरामद कर लिए और अब एक तीसरे फैसले में मस्जिद के तहखाना में पूजा की इजाजत दी जा रही है।

    डॉ इलियास ने कहा है कि बाबरी मस्जिद के स्थान पर मंदिर निर्माण कर लेने के बाद ऐसा लगता है कि अब देश के विभिन्न इलाकों के विभिन्न मस्जिदों को टारगेट किया जा रहा है, चाहे वह कितनी ही पुरानी मस्जिद ही क्यों ना हों। दिल्ली में सुनहरी मस्जिद का मामला अभी थमा नहीं था कि कल सुबह महरौली के इलाके में एक पुरानी मस्जिद को बुलडोजर से गिरा दिया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह धार्मिक स्थलों से संबंधित 1991 के कानून को सख्ती से पालन कराने का आदेश सरकार को दें और निचली अदालतों को इस बात का पाबंद बनाएं कि वह इस कानून की मौजूदगी में मस्जिदों से संबंधित नई याचिका को स्वीकार ना करें।

    अगर ऐसा नहीं होता है तो न तो धार्मिक स्थल सुरक्षित रह पाएंगे और ना ही देश में अमन और शांति बाकी रहेगी।

  • मेडिकल टीम पहुंची ईडी कार्यालय, हेमंत सोरेन की हुई जांच

    रांची। रांची के हिनू स्थित ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में सदर अस्पताल से बुधवार रात मेडिकल टीम पहुंची है। मेडिकल टीम हेमंत सोरेन की स्वास्थ्य जांच करेगी। एम्बुलेंस से डॉक्टरों की टीम जांच करने पहुंची है।

    हेमंत सोरेन को पूछताछ के बाद ईडी ने गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें ईडी कार्यालय ले गए। बताया गया कि मेडिकल चेकअप किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से गिरफ्तारी की कार्रवाई के बाद एक सामान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत संबंधित व्यक्ति का बीपी, शुगर सहित अन्य चीजें मापी जाती है।