Category: देश

  • कलेक्ट्रेट में बाबू का रिश्वत लेते वीडियो वॉयरल

    कलेक्ट्रेट में बाबू का रिश्वत लेते वीडियो वॉयरल

    झांसी। एक बाबू का रिश्वत लेते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह वीडियो एडीएम के बाबू का बताया जा रहा है। बिना रिश्वत के बाबू ने जमानत के आदेश को देने मना कर दिया था। इसके बाद अधिवक्ताओं ने उसका रिश्वत लेते हुए वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस पर अधिवक्ताओं का सम्मान हमेशा बरकरार रखने का बार संघ के सचिव केपी श्रीवास्तव द्वारा आश्वासन दिया गया है।

    जूनियर अधिवक्ता से बदसलूकी करने वाले बाबू का रिश्वत लेते हुए वीडियो शोशल मीडिया पर वायरल करते हुए सचिव केपी श्रीवास्तव ने जिला प्रशासन से कार्यवाही की मांग की। बार संघ के सचिव केपी श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि जूनियर अधिवक्ता किसी आरोपी की जमानत कराने अपर नगर मजिस्ट्रेट की न्यायालय में गए थे। जहां न्यायिक अधिकारी ने आरोपी की जमानत स्वीकार करते हुए आदेश जारी कर दिया और वह चले गए। उनका आरोप है कि वहां तैनात बाबू ने जूनियर अधिवक्ताओं से बदसलूकी की ओर रिश्वत न देने पर आदेश देने से मना कर दिया। इस पर जूनियर अधिवक्ताओं ने उनका रिश्वत लेते वीडियो बना लिया। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा की ऐसे भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

  • चुनाव आयोग ने की 15 जिलों के स्वीप कार्यों की समीक्षा, मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर

    चुनाव आयोग ने की 15 जिलों के स्वीप कार्यों की समीक्षा, मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर

    लखनऊ। लोक सभा चुनाव के मद्देनजर भारत निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के स्वीप कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान आयोग की स्वीप टीम ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया।

    आयोग की स्वीप टीम के सचिव संतोष कुमार, सीनियर कन्सलटेंट स्वीप आरके सिंह तथा कम्यूनिकेशन कन्सलटेन्ट स्वीप रजनी उपाध्याय के द्वारा प्रदेश के 15 जनपदों के स्वीप नोडल अधिकारियों के साथ आज राजधानी स्थित योजना भवन के सभागार में समीक्षा बैठक की गयी। बैठक में भारत निर्वाचन आयोग की टीम द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया गया और स्वीप नोड़ल अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनपदों में पिछले लोकसभा चुनाव में कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों को चिन्हित किया जाय। चिन्हित बूथों पर कम मतदान प्रतिशत के कारणों या समस्याओं को दूर करने हेतु विशेष प्लान तैयार कर मतदान प्रतिशत बढ़ाया जाय।

    भारत निर्वाचन आयोग की टीम ने स्वीप नोड़ल अधिकारियों को निर्देश दिये कि टारगेट ग्रुपों पर विशेष ध्यान देकर उन्हें मतदान करने हेतु प्रेरित किया जाय तथा लोगों को स्वीप गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जाए। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग की टीम द्वारा अपेक्षा की गयी कि आकाशवाणी में प्रत्येक शुक्रवार सायं 07.15 बजे 23 भाषाओं में प्रसारित हो रहे मतदाता जंक्शन कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

    प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने स्वीप नोडल अधिकारियों से कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से मतदाता बनने तथा वोट देने के लिए जागरूक किया जाय। मतदाताओं को भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाईट तथा वोटर हेल्पलाईन ऐप के माध्यम से आनलाईन अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक करने और उसे संशोधित करने की जानकारी दी जाय। मतदाताओं को स्थानीय निकाय तथा विधानसभा निर्वाचन की मतदाता सूची के अन्तर के बारे में जानकारी दी जाय। जनपदों की ऐसी विधानसभाएं और उनके बूथ जहाँ वर्ष 2019 में मतदान प्रतिशत राज्य औसत 59.11 प्रतिशत से कम है, वहां मतदान प्रतिशत बढ़ाये जाने के लिये टारगेटेड स्वीप गतिविधियां संचालित किया जाय। उन्होंने कहा कि मतदान के दिन जारी होने वाले सार्वजनिक अवकाश का सभी सरकारी एवं निजी संस्थाओं में पूरी तरह से अनुपालन कराया जाय, जिससे सभी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

    चुनाव आयोग की टीम द्वारा प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के 40 जनपदों के स्वीप नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की जा रही है, जिसके क्रम में गुरूवार को 15 जनपदों के स्वीप नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की गयी तथा शेष 25 जनपदों के स्वीप नोडल अधिकारियों की बैठक शनिवार को की जायेगी। इसके बाद द्वितीय चरण में शेष जनपदों के स्वीप नोडल अधिकारियों के बैठक की तिथि निर्धारित की जायेगी।

    बैठक में प्रयागराज, प्रतापगढ़, चित्रकूट, हमीरपुर, गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, लखनऊ, जौनपुर, सोनभद्र, बांदा तथा महोबा जनपद के स्वीप नोडल अधिकारी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से जनपदों मे चल रही स्वीप गतिविधियों की जानकारी दी। चित्रकूट एवं हमीरपुर जनपदों में मतदाता जागरूकता के लिए किये जा रहें प्रयासों विशेषकर बोटिंग फॉर वोटिंग टैग लाईन की आयोग की टीम के द्वारा सराहना की गयी।

    समीक्षा बैठक में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी निधि श्रीवास्तव, संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनय पाठक, विशेष कार्याधिकारी आलोक कुमार एवं संजय सिंह तथा सांख्यकीय अधिकारी टीपी गुप्ता उपस्थित रहे।

  • युवती से दुष्कर्म के प्रयास में निजी क्लीनिक संचालकों समेत 4 पर केस दर्ज

    युवती से दुष्कर्म के प्रयास में निजी क्लीनिक संचालकों समेत 4 पर केस दर्ज

    मुरादाबाद। मुरादाबाद के थाना बिलारी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी युवती ने थाना पुलिस को दी तहरीर में क्षेत्र के सहसपुर गांव के एक निजी क्लीनिक में क्लीनिक संचालक समेत चार पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया। थाना बिलारी एसएचओ आरपी सिंह ने बताया शिकायकर्ता युवकी की तहरीर के आधार पर गुरुवार को दो क्लीनिक संचालक समेत 4 पर केस दर्ज कर लिया और विवेचना शुरू कर दी है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

    क्षेत्र के एक गांव निवासी युवती ने बताया कि छह माह पहले थाना क्षेत्र में रहने वाली डा. सहाना उसके घर आई थी। महिला चिकित्सका के कहने पर पीड़िता ने उसके क्लीनिक पर नौकरी शुरू कर दी। युवती के अनुसार डाक्टर का परिचित डॉ साजिद भी क्लीनिक चलाता है। युवती ने आरोप लगाया कि सहसपुर निवासी साजिद के अलावा टांडा अमरपुर गांव निवासी अकरम व असगर उस पर बुरी नीयत रखने लगे। 19 जनवरी सुबह करीब 11 बजे साजिद, अकरम व असगर ने उसे क्लीनिक के एक कमरे में बंद कर लिया। उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की। महिला डॉक्टर ने भी आरोपियों का साथ दिया। साजिद ने उसकी कनपटी पर तमंचा रखा दिया और कहा कि अगर वह 70 हजार रुपये चोरी की बात कबूल ले तो वे उसे छोड़ देंगे।

    वहीं युवती ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपितों के दबाव में आकर उसने चोरी की बात कबूली, जिसका आरोपियों ने वीडियो बना लिया। साथ ही उसे रुपये न देने पर संबंधबनाने की धमकी दी। मुरादाबाद पुलिस अधीक्षक देहात संदीप कुमार मीना ने बताया कि इस मामले में आरोपित डा. सहाना, डा. साजिद, अकरम, असगर और कुछ अज्ञात के खिलाफ गुरुवार को केस दर्ज कर लिया गया है। विवेचना के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

  • ज्ञानवापी में मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

    ज्ञानवापी में मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

    -हाईकोर्ट ने सुरक्षित किया फैसला

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी गृहतल में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति देने की जिला जज के आदेश की वैधता की चुनौती अपीलों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल जिला जज के दो आदेशों की चुनौती अपीलों की सुनवाई कर रहे थे।

    मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी व पुनीत गुप्ता ने तर्क दिया कि पूजा के अधिकार की मांग में दाखिल सिविल वाद में अधिकार तय किए बगैर अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ देना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। तहखाने में पूजा की अनुमति देकर वस्तुतः सिविल वाद स्वीकार कर लिया गया है। साथ ही जिला जज ने स्वयं ही दो विरोधाभाषी आदेश दिए हैं।

    यह भी कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 152 के अंतर्निहित अधिकार का प्रयोग करते हुए अदालत मूल आदेश की प्रकृति में बदलाव का आदेश नहीं दे सकती। मूल आदेश में केवल एक मांग मानी गई। जिलाधिकारी को रिसीवर नियुक्त कर दिया गया। बिना किसी अर्जी के केवल मौखिक अनुरोध पर पूजा का अधिकार दे दिया गया है। अदालत ने अपनी अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने का आदेश में उल्लेख नहीं किया है। कहा कि जिला अदालत ने 17 जनवरी को अर्जी स्वीकार कर केवल एक रिलीफ ही दी। दूसरी मांग पर आदेश नहीं देना ही अनुतोष से इंकार माना जाएगा।

    कहा गया कि 17 जनवरी 24 के मूल आदेश से जिला जज ने विवादित भवन की सुरक्षा व देख-रेख करने व किसी प्रकार का बदलाव न होने देने का भी निर्देश दिया है और 31 जनवरी 24 के आदेश से बैरिकेडिंग काट कर तहखाने में पूजा के लिए दरवाजा बनाने तथा ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तहखाने में स्थित देवी देवताओं की पूजा करने की अनुमति देकर अपने ही आदेश का विरोधाभासी आदेश दिया है। यह भी कहा गया कि तहखाने पर किसका अधिकार है यह साक्ष्यों के बाद सिविल वाद के निर्णय से तय होगा। जिला जज ने अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ देकर गलती की है। इसलिए जिला जज के आदेश रद्द किए जाय।

    मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने पक्ष रखा। इनका कहना था कि अदालत को धारा 151 व 152 के अंतर्गत न्याय हित में आदेश देने का अंतर्निहित अधिकार है। वादी अधिवक्ता के संज्ञान में लाने के बाद अदालत ने छूटी हुई प्रार्थना स्वीकार की है। वादी के बजाय अदालत ने ट्रस्ट को पुजारी के जरिए पूजा का अधिकार बहाल किया है। वादी व्यास जी के तहखाने में वर्षों से पूजा अर्चना करता आ रहा है। वर्ष 1993 मे श्रीराम जन्मभूमि विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद ज्ञानवापी की लोहे की बाड़ से बैरिकेडिंग करने के कारण तहखाने में पूजा करने से बिना किसी आदेश के रोक लगा दी गई थी। अदालत ने कोई नया अधिकार नहीं दिया है।

    कहा कि जिला जज ने अर्जी की तीन बार सुनवाई की तिथि तय की किंतु मस्जिद पक्ष की तरफ से कोई आपत्ति नहीं की गई। दोनों पक्षों को सुनकर जिला जज ने 31 जनवरी का दूसरा आदेश जारी किया है जो 17 जनवरी के मूल आदेश का ही हिस्सा है। अदालत को गलती दुरूस्त करने व छूटे आदेश को पारित करने का पूरा अधिकार है। आदेश कानूनी प्रक्रिया के तहत पारित किया गया है।

    बहस की गई कि दीन मोहम्मद केस में कोर्ट ने व्यास जी के तहखाने का जिक्र किया है। जितेंद्र व्यास के पूजा करने को स्वीकार किया गया है। इसलिए अपीलें बलहीन होने के नाते खारिज की जाय। प्रदेश सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि व हरे राम त्रिपाठी ने पक्ष रखा। महाधिवक्ता का कहना था कि कानून व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। अदालत के आदेश पर अमल कराना सरकार का दायित्व है।

    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने लगभग 40 मिनट तक तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है, जहां हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। सीपीसी के आदेश 40 नियम एक के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया है। पूजा का आदेश किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि मुसलमान कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ता था।

  • अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द

    अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द

    –दोनों बालिग ने अपनी मर्जी से की है शादी

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हंडिया प्रयागराज निवासी मोहम्मद चांद बाबू के खिलाफ पीड़िता का अपहरण करने के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है।

    कोर्ट ने कहा पीड़िता याची ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और अभियुक्त चांद बाबू से शादी की। एक बच्ची भी पैदा हुई है। दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। ऐसे में अपराध में सजा मिलने की सम्भावना नहीं है। इसलिए एफआईआर निरस्त होने योग्य है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति गजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने श्रीमती ज्योति कुशवाहा व मोहम्मद चांद बाबू की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

    याची का कहना था कि दोनों बालिग है। पीड़िता ने अपनी मर्जी से शादी की है और साथ रह रही है। इसलिए द्वितीय याची के खिलाफ अपहरण करने का केस नहीं बनता। क्योंकि पीड़िता को जबरन नहीं ले जाया गया है। इस पर कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी।

  • निदेशक माध्यमिक शिक्षा व डीआईओएस बांदा आदेश का पालन करें या हाजिर हो : हाईकोर्ट

    निदेशक माध्यमिक शिक्षा व डीआईओएस बांदा आदेश का पालन करें या हाजिर हो : हाईकोर्ट

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महेंद्र देव, निदेशक माध्यमिक शिक्षा व विजय पाल सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक बांदा को 6 मार्च तक आदेश का पालन करने या हाजिर होने का निर्देश दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने कमल नारायण चतुर्वेदी की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना है कि हाईकोर्ट ने याचिका आंशिक रूप से मंजूर करते हुए याची को छह हफ्ते में ज्वाइन कराने तथा जितने दिन काम नहीं किया उतने दिन के आधे वेतन के भुगतान का आदेश दिया था। पालन नहीं करने पर दाखिल अवमानना नोटिस के बाद डी आई ओ एस ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि 16 मार्च 22 को याची को ज्वाइन करा लिया गया है। 17 मार्च 22 से 31 मार्च 22 तक के बकाया वेतन का आधा 18811 रूपये के भुगतान के लिए उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया गया है। बजट आते ही भुगतान कर दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने निदेशक व डीआईओएस को पक्षकार बनाते हुए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।

  • 84 सिख दंगा मामला: सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टली

    84 सिख दंगा मामला: सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टली

    नई दिल्ली,। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में आरोपित और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई टल गई है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने मामले की अगली सुनवाई 04 मार्च को करने का आदेश दिया।

    आज अभियोजन पक्ष की ओर से पेश वकील मनीष रावत ने आंशिक दलीलें रखी। आज एसआईटी की ओर से पेश वकील गौरव सिंह ने कहा कि इस मामले में आरोपित सज्जन कुमार को मिली जमानत के खिलाफ एसआईटी की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जमानत के आदेश पर रोक लगा दिया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट एसआईटी की याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई करेगा।

    बता दें कि कोर्ट ने 30 नवंबर 2023 को बचाव पक्ष की ओर से साक्ष्य बंद कर दिया था। 01 नवंबर 2023 को सज्जन कुमार ने अपना बयान कराया था। कोर्ट ने 27 अप्रैल 2022 को सज्जन कुमार को जमानत दी थी। 19 अप्रैल 2022 को इस मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों सरबजीत सिंह बेदी और दिलीप कुमार ओहरी ने अपने बयान दर्ज कराए थे। कोर्ट में 93 वर्षीय गवाह डीके अग्रवाल के बयान की सील बंद प्रति कोर्ट में पेश की गई थी। अग्रवाल का बयान कड़कड़डूमा कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया था। 29 मार्च 2022 को कोर्ट ने डीके अग्रवाल की बीमारी और उनकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उनके बयान उनके घर पर ही दर्ज कराने का आदेश दिया था।

    29 मार्च 2022 कोर्ट में दो गवाहों डॉ पुनीत जैन और मनोज सिंह नेगी के बयान दर्ज किए गए। 23 दिसंबर 2021 को कोर्ट में दस्तावेजों का परीक्षण किया गया था। 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। पिछले 04 दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

    मामला 01 नवंबर 1984 की है जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे।

    शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया। भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए।

  • पश्चिम बंगाल सरकार और ट्रायल कोर्ट के सभी पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट से नोटिस

    पश्चिम बंगाल सरकार और ट्रायल कोर्ट के सभी पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट से नोटिस

    -पं. बंगाल में 2021 के विस चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई पर रोक

    नई दिल्ली,। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़े राज्य के विभिन्न ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दिया है। जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार और ट्रायल कोर्ट के सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।

    याचिका सीबीआई ने दायर की है। सीबीआई ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच पश्चिम बंगाल से बाहर कराने की मांग की है। सीबीआई ने कहा है कि हिंसा से संबंधित गवाहों और वकीलों को धमकाया जा रहा है। राज्य प्रशासन के समक्ष इसकी शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

  • समीर वानखेड़े को हाई कोर्ट से राहत, रंगदारी मामले में 20 फरवरी तक कार्रवाई पर रोक

    समीर वानखेड़े को हाई कोर्ट से राहत, रंगदारी मामले में 20 फरवरी तक कार्रवाई पर रोक

    मुंबई,। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई के पूर्व डिविजनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग मामले में 25 करोड़ की रिश्वत लेने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 20 फरवरी तक रोक लगा दी है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि उनकी ओर से इस दरमियान समीर वानखेड़े पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

    कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग मामले में फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान पर मामला दर्ज न करने के लिए समीर वानखेड़े पर ईडी ने 25 करोड़ की रिश्वत मांगने का ईसीआईआर दर्ज किया है। ईडी की ओर से दर्ज इस मामले के विरुद्ध समीर वानखेड़े के वकील करण जैन के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले की सुनवाई गुरुवार को न्यायाधीश प्रकाश नाईक और न्यायाधीश एनआर बोरकर की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। ईडी की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश पाटिल ने पीठ से कहा कि चूंकि ईडी द्वारा दर्ज ईसीआईआर को दिल्ली में वर्गीकृत किया गया था, इसलिए उसे वहां की अदालत में अपील दायर करनी चाहिए। वानखेड़े की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अबाद पोंडा ने दावे का प्रतिवाद किया और पीठ को बताया कि आईआरएस अधिकारी को मुंबई अदालत में जाने के लिए कहा गया था जब उन्होंने सीबीआई, भ्रष्टाचार और जबरन वसूली मामले के खिलाफ दिल्ली अदालत का दरवाजा खटखटाया था। तब कोर्ट ने कहा कि गुरुवार और शुक्रवार को समय की कमी और सोमवार को कोर्ट की छुट्टी होने के कारण मंगलवार (20 फरवरी) को छोड़कर याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकेगी। ईडी की ओर से आश्वासन दिया गया कि 20 फरवरी तक वानखेड़े के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी।

  • इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कांग्रेस ने किया स्वागत, भाजपा को दी नसीहत

    इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कांग्रेस ने किया स्वागत, भाजपा को दी नसीहत

    नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बांड योजना को समाप्त किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी ने आशा व्यक्त की है कि भारतीय जनता पार्टी अब सुप्रीम कोर्ट की सुनेगी और भविष्य में पारदर्शी, लोकतांत्रिक और समान अवसर वाली परिस्थितियों को नुकसान पहुंचाने से बचेगी।

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि पार्टी का पहले दिन से ही मानना है कि योजना में स्पष्टता की कमी है और यह अलोकतांत्रिक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस काले धन को बदलने की योजना को असंवैधानिक करार दिया है। भाजपा ने आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष सभी पर बुलडोजर चलाते हुए योजना को पारित कराया था। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि योजना से प्राप्त 95 प्रतिशत धन केवल भाजपा को ही गया था। कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणा पत्र में साफ कहा था कि सरकार में आने पर योजना को समाप्त किया जाएगा।

    पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिए जाने का फ़ैसला स्वागत योग्य है। यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। इस फ़ैसले की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी। मोदी सरकार ‘चंदादाताओं’ को विशेष तरह के अधिकार और छूट दे रही है जबकि ‘अन्नदाताओं’ के साथ अन्याय पर अन्याय करती जा रही है।

    साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी और साफ़ है तो फिर समय न देने की ज़िद क्यों?