Category: देश

  • यूपी के पांच जिला जजों का तबादला, संजीव पांडेय बने वाराणसी के जिला जज

    यूपी के पांच जिला जजों का तबादला, संजीव पांडेय बने वाराणसी के जिला जज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन ने पांच जिलों के जिला जजों का तबादला कर दिया है। संजीव पांडेय को वाराणसी का जिला जज बनाया गया है। इसके साथ ही अन्य जिला अदालतों को नए जिला जज मिले हैं।

    महानिबंधक राजीव भारती की ओर से जारी स्थानांतरण सूची में बागपत के जिला जज संजीव पांडेय को अब वाराणसी का जिला जज बनाया गया है। सिद्धार्थनगर के जिला जज संजय कुमार मलिक को बागपत की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह बस्ती के पीठासीन अधिकारी, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्वास प्राधिकारी विजेंद्र कुमार सिंह को सिद्धार्थनगर का जिला जज बनाया गया है। जबकि, ललितपुर के जिला जज चंद्रोदय कुमार को कन्नौज का, झांसी वाणिज्यिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी रवींद्र विक्रम सिंह को सोनभद्र का जिला जज बनाया गया है।

  • तेज आंधी में बिजली के तार से निकली चिंगारी में गेहूं की फसलें खाक

    तेज आंधी में बिजली के तार से निकली चिंगारी में गेहूं की फसलें खाक

    हमीरपुर,। कुरारा विकास खंड क्षेत्र के डामर गांव में शुक्रवार को आई आंधी से विद्युत आपूर्ति के दौरान तार से निकली चिंगारी से गेंहू की फसल में आग लग गई। जिससे तीन किसानों का नुकसान हुआ है। वही ग्रामीणों ने एकत्र होकर आग पर काबू पाया। तथा दमकल दस्ते को घटना की जानकारी दी।

    कुरारा क्षेत्र के डामर गांव में आज शाम पांच बजे के लगभग आई आंधी से कुतुबपुर खोड़ जाने वाले सड़क किनारे खेतों में खड़ी गेंहू की फसल में विद्युत आपूर्ति के दौरान हुई स्पार्किंग से गिरी चिंगारी से गेंहू की फसल में आग लग गई। जिससे गेंहू की फसल जलकर राख हो गई। लोगों के शोर मचाने पर ग्रामीणों ने एकत्र होकर आग पर काबू पाया।

    इस आग की घटना में गांव निवासी महेश कुमार की डेढ़ बीघा गेंहू की फसल, राधे कृष्ण की दो बीघा गेंहू की फसल, सुखदेव की डेढ़ बीघा गेंहू की फसल आग की चपेट में आ गई। जिससे गेंहू की फसल का नुकसान हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि विद्युत लाइन जर्जर होने के कारण आए दिन विद्युत तार टूटने की घटनाएं बढ़ रही है। एक सप्ताह पूर्व कुशौली पुरवा गांव में भैंसा पाली गांव को गई विद्युत लाइन का तार टूटकर गिर जाने से ओमप्रकाश की एक बीघा गेंहू की फसल जलकर खाक हो गई थी।

    डामर गांव निवासी पंकज के चना की फसल विद्युत तार टूटने से जल गई थी। मजदूर मौके पर होने पर फसल बच गई थी। कुरारा देहात फीडर से ग्रामीण क्षेत्रों को जाने वाली विद्युत लाइन के तार पुराने व जर्जर हो चुके हैं। गर्मी के मौसम में आंधी तूफान आने से तार से चिंगारी निकल कर गेंहू की फसल में गिर रही है। जिससे फसल जल रही है।

    किसान बाबू सिंह ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर में विद्युत विभाग द्वारा विद्युत आपूर्ति शाम पांच बजे तक बंद रहती थी। लेकिन आज दिन भर विद्युत आपूर्ति होती रही है। जिससे आगजनी की घटना हो गई है। वही दमकल दस्ते भी एक घंटा देरी से मौके पर पहुंचे। तब तक ग्रामीणों ने आग पर काबू पा लिया था।

  • वाराणसी : दरोगा पर हमले के तीन आरोपियों ने किया कोर्ट में आत्म समर्पण, भेजे गए जेल

    वाराणसी : दरोगा पर हमले के तीन आरोपियों ने किया कोर्ट में आत्म समर्पण, भेजे गए जेल

    वाराणसी,। दशाश्वमेध थाने में तैनात दरोगा आनंद प्रकाश के साथ मारपीट, वर्दी फाड़ने और बिल्ला नोचने के मामले में आरोपित तीन हमलावरों ने शुक्रवार को न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया। अदालत ने रिमांड बनाने को लेकर दोनों पक्षों की बहस के बाद तीनों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।

    अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सप्तम) वर्तिका शुभानंद की कोर्ट में आरोपित नीतीश सिंह, सनी गुप्ता और संतोष सिंह उर्फ़ गप्पू सिंह के अधिवक्ताओं ने तीनों का न्यायिक रिमांड बनाए जाने का कोर्ट से अनुरोध किया। जिस पर अभियोजन अधिकारी राघवेंद्र सिंह, बृजेश पटेल और विजय पाण्डेय ने आत्मसमर्पण प्रार्थना पत्र पर पहले वांछित आख्या मंगवाने की बात कही। इस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने आपत्ति की और उच्च न्यायालय की नजीरें दाखिल की। दशाश्वमेध थाने पर तैनात उपनिरीक्षक आनंद प्रकाश ने दशाश्वमेध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

    आरोप था कि 7/8 अप्रैल 2024 की रात्रि को वह क्षेत्र में गस्त करते हुए गोदौलिया चौराहे पर पहुंचे, जहां पर दर्शनार्थियों की सुरक्षा के मद्देनजर संदिग्ध व्यक्ति और वाहन की चेकिंग की जा रही थी। उसी दौरान एक नारंगी रंग की बिना नम्बर प्लेट की बाइक पर एक व्यक्ति बांसफाटक से दशाश्वमेध की तरफ जा रहा था। जब उसे रोककर नम्बर प्लेट न होने, हेलमेट न लगाने, गाड़ी का कागजात मांगा गया, तब वह वाहन सवार अपशब्दों का प्रयोग करने लगा। उसी दौरान दो मोटर साइकिल से कुछ युवक आए जो इनके साथी थे। फिर वहां 10-15 अन्य अज्ञात युवक बुलाने पर पहुंचे। सभी मिलकर मुझे, हमराही पुलिस वालों को गालीगलौज देते हुये धक्का मारकर नीचे गिरा दिया। इसके बाद सभी अफरा-तफरी में इधर-उधर भागने लगे। इसके बाद हमलावरों ने मेरे वर्दी के बटन बिल्ला स्टार नोच दिया तथा सरकारी वाहन में तोड़फोड़ की। वीडियो फुटेज को देखने के बाद पता चला कि नितिश सिंह, नितेश नरसिंघानियां, राहुल सिंह, सन्नी गुप्ता, संतोष सिंह उर्फ़ गप्पू सिंह तथा अन्य अज्ञात लोग हैं। दरोगा आंनद प्रकाश की तहरीर पर नीतीश सिंह, नितेश नरसिंघानी, राहुल सिंह, सन्नी गुप्ता, गप्पू सिंह सहित 15 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज है।

  • लोकसभा चुनावः मप्र में तीसरे चरण के लिए पहले दिन सात अभ्यर्थियों ने भरे नामांकन

    लोकसभा चुनावः मप्र में तीसरे चरण के लिए पहले दिन सात अभ्यर्थियों ने भरे नामांकन

    भोपाल,। लोकसभा निर्वाचन-2024 के कार्यक्रम के अनुसार तीसरे चरण में मध्य प्रदेश के नौ संसदीय क्षेत्रों में शुक्रवार को निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। तीसरे चरण के नामांकन के पहले दिन सात अभ्यर्थियों ने आठ नाम-निर्देशन पत्र प्रस्तुत किए। यह जानकारी प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने दी।

    उन्गोंने बताया कि तीसरे चरण में लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-3 ग्वालियर, लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-4 गुना एवं लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-19 भोपाल में 1-1 अभ्यर्थी द्वारा 1-1 नाम-निर्देशन पत्र, लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक क्रमांक-18 विदिशा में दो अभ्यर्थियों द्वारा दो नाम निर्देशन पत्र और लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-20 राजगढ़ में दो अभ्यर्थियों द्वारा तीन नाम निर्देशन पत्र दाखिल किये गये। शेष लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-1 मुरैना, लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-5 सागर और लोकसभा संसदीय क्षेत्र क्रमांक-2 भिण्ड (अजा) में किसी भी अभ्यर्थी द्वारा कोई भी नाम-निर्देशन पत्र दाखिल नहीं किया गया। संसदीय क्षेत्र क्र. 29 बैतूल के लिये केवल बहुजन समाज पार्टी के अभ्यर्थी द्वारा नामांकन भरा जाना है। इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शुक्रवार को कोई भी नामांकन पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।

    मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजन ने बताया कि नाम-निर्देशन पत्र दाखिल किये गये अभ्यर्थियों के शपथ पत्र एवं अन्य जानकारियाँ भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट की लिंक https://affidavit.eci.gov.in/ पर देखी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि शुक्रवार, 19 अप्रैल है। इसके अगले दिन शनिवार, 20 अप्रैल को नाम-निर्देशन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी। नाम निर्देशन पत्र दाखिल कर चुके प्रत्याशी सोमवार 22 अप्रैल तक अपने नाम वापस ले सकेंगे। तीसरे चरण के लिए मंगलवार 7 मई को मतदान होगा। सभी चरणों के मतदान की मतगणना मंगलवार, 4 जून को होगी।

  • आईपीएल 2024ः दिल्ली ने लखनऊ को छह विकेट से हराया

    आईपीएल 2024ः दिल्ली ने लखनऊ को छह विकेट से हराया

    नई दिल्ली। आईपीएल 2024 के 26वें मैच में दिल्ली कैपिटल्स ने लखनऊ सुपर ज्वाइंट को छह विकेट से हरा दिया है। इस सीजन में अपने घर में लखनऊ की यह पहली हार है।

    शुक्रवार को लखनऊ के इकाना क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए मुकाबले में लखनऊ सुपरजायंट्स (एलएसजी) ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की और निर्धारित 20 ओवर में 7 विकेट पर 167 रन का स्कोर बनाया। लक्ष्य का पीछा करने उतरी दिल्ली टीम की शुरुआत खराब रही। 24 के स्कोर पर डेविड वॉर्नर का विकेट गिरा। 63 के स्कोर पर पृथ्वी शॉ आउट हुए। इसके बाद पंत और जेक फ्रेजर के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हुई। अपने डेब्यू मैच में जेक फ्रेजर मैक्गर्क 55 रन बनाकर आउट हुए जबकि ऋषभ पंत 41 रन बनाकर आउट हुए। अंत में शाई होप और ट्रिस्टन स्टब्स ने मैच जिता दिया। लखनऊ की तरफ से रवि बिश्नोई ने दो विकेट चटकाए जबकि यश ठाकुर और नवीन उल हक को एक-एक विकेट मिला।

    इससे पहले पहले बल्लेबाजी करते हुए लखनऊ की टीम ने महज 94 रन पर 7 विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद आयुष बडोनी (55) अरशद खान (20) ने आठवें विकेट के लिए रिकॉर्ड साझेदारी कर टीम को लड़ने लायक स्कोर दिया। इन दोनों ने 42 गेंद में 73 रन की नाबाद साझेदारी की। कुलदीप यादव ने मैच में सबसे बेहतरीन गेंदबाजी की। उन्होंने 20 रन देकर 3 विकेट झटके। कुलदीप ने लोकेश राहुल (39), मार्कस स्टोइनिस (8) और निकोल्स पूरन (0) के अहम विकेट चटकाए। खलील अहमद ने दो विकेट लिये जबकि इशांत शर्मा और मुकेश कुमार को एक-एक विकेट मिला।

  •  मप्रः रीवा में बोरवेल में गिरा 6 साल का मासूम 60 फीट की गहराई में फंसा, रेस्क्यू जारी

     मप्रः रीवा में बोरवेल में गिरा 6 साल का मासूम 60 फीट की गहराई में फंसा, रेस्क्यू जारी

    रीवा,। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में जनेह थाना क्षेत्र अंतर्गत मनिका गांव में शुक्रवार शाम को एक छह साल का मासूम खेत में खेलते समय बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया। सूचना मिलते ही पुलिस और बचाव दल मौके पर पहुंचा और बचाव कार्य शुरू किया। बच्चा बोरवेल के गड्ढे में 60 फीट गहराई में फंसा हुआ है। सात घंटे से रेस्क्यू जारी है। जेसीबी की मदद से बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदा जा रहा है। कलेक्टर-एसपी समेत आलाधिकारी मौके पर मौजूद हैं।

    जानकारी के अनुसार, मनिका गांव निवासी विजय कुमार आदिवासी का छह साल का बेटा मयंक आदिवासी शुक्रवार शाम चार बजे अपने घर के पास खेत में दोस्तों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान मयंक अचानक बोरवेल के गड्ढे में गिर गया। परिजनों ने तत्काल घटना की जानकारी पुलिस को दी। घटना की सूचना मिलते ही त्योंथर एसडीम संजय जैन तत्काल रेस्क्यू दल एवं पुलिस बल के साथ घटना स्तर पर पहुंच कर राहत और बचाव कार्य जारी शुरू कराया। रीवा से एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई है और राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई है।

    एसडीम संजय जैन ने बताया कि बोरवेल लगभग 70 फीट गहरा है, इसमें दो ओर से पोकलेन मशीन द्वारा खुदाई लगातार की जा रही है। बच्चे को लगातार ऑक्सीजन दी जा रही है। बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। बच्चे के उपचार के लिए मेडिकल टीम भी एंबुलेंस के साथ मौके पर तैनात है। आवश्यकता होने पर विशेषज्ञ दलों को भी बचाव कार्य के लिए बुलाए जाने की व्यवस्था की जाएगी।

    ग्राम मनिका रीवा जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर है, जहां यह हादसा हुआ है। बोरवेल में गिरे बच्चे को सकुशल बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कलेक्टर प्रतिभा पाल तथा पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य की लगातार निगरानी कर रहे हैं।

    रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि बच्चा मयंक 60 फीट की गहराई में फंसा हुआ है। फिलहाल उसे बोरवेल से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है।

  • गुजरात के खिलाफ आखिरी गेंद पर मिली हार के बाद संजू सैमसन ने कहा- हम इससे सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे

    गुजरात के खिलाफ आखिरी गेंद पर मिली हार के बाद संजू सैमसन ने कहा- हम इससे सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे

    जयपुर। राजस्थान रॉयल्स (आरआर) के कप्तान संजू सैमसन ने गुजरात टाइटन्स (जीटी) के खिलाफ अंतिम गेंद पर मिली हार के बाद कहा कि उनकी टीम इस हार से सिखेगी और आगे बढ़ेगी।

    शुभमान गिल के शानदार अर्धशतक और राहुल तेवतिया और राशिद खान की शानदार फिनिशिंग से गुजरात टाइटंस (जीटी) ने बुधवार को जयपुर में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैच में राजस्थान रॉयल्स (आरआर) पर तीन विकेट से रोमांचक जीत हासिल की। राशिद ने आखिरी गेंद पर चौका लगाकर गुजरात को जीत दिलाई।

    आवेश खान ने आखिरी ओवर फेंका जब गुजरात को 6 गेंदों में 15 रन चाहिए थे। आखिरी ओवर के ड्रामे में राशिद ने ओवर की पहली 3 गेंदों पर दो चौके लगाए. इसके बाद उन्होंने एक रन लिया जिससे जीटी को अंतिम 2 गेंदों पर 4 रन चाहिए थे। इसके बाद तेवतिया ने आवेश को मिड-ऑफ फील्डर के ऊपर से मारा और तीसरा रन लेने की कोशिश में रन आउट हो गए। अंतिम गेंद पर जीटी को 2 रन चाहिए थे, राशिद ने बैकवर्ड पॉइंट पर चौका जड़ दिया और टीम को जीत दिला दी।

    सैमसन ने मैच के बाद कहा, “सच कहूं तो, इस समय बोलना बहुत मुश्किल है। कप्तान का सबसे कठिन काम होता है मैच हारने के बाद बोलना और यह बताना कि हम कहां हारे। जिस तरह से गुजरात ने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण किया, उसके लिए उन्हें श्रेय देना होगा।”

    सैमसन ने कहा कि वह मैच जीतने के अपने लक्ष्य को लेकर आशावादी हैं और उनका मानना है कि आरआर हार से सीखेगा और आगे बढ़ेगा।

    उन्होंने कहा,”हम इससे सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे। जब मैं बल्लेबाजी कर रहा था, तो मैंने सोचा था कि 180 के आसपास का स्कोर लड़ने लायक होगा। मैंने सोचा था कि 197 विजयी स्कोर होगा। ओस नहीं थी और विकेट थोड़ा सूखा और नीचा था। हमें ऐसा करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की।”

    मैच की बात करें तो इस मुकाबले में राजस्थान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान संजू सैमसन (नाबाद 68 रन, 38 गेंद, 7 चौके 2 छक्के) और रियान पराग (48 गेंद 76 रन, 3 चौका 5 छक्का) की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 20 ओवर में 3 विकेट पर 196 रन बनाए।

    जवाब में गुजरात ने 20 ओवर में 7 विकेट पर 199 रन बनाकर जीत हासिल की। गुजरात को आखिरी ओवर में 15 रन चाहिए थे और हरफनमौला राशिद खान ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए ये जरूरी रन बना लिए, उन्होंने आखिरी गेंद पर चौका लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई। राशिद 11 गेंदों पर 24 रन बनाकर नाबाद रहे। राशिद के अलावा कप्तान शुभमन गिल ने 72 रनों की शानदार पारी खेली।

  • धीमी ओवर गति के कारण राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन पर 12 लाख रुपये का जुर्माना

    धीमी ओवर गति के कारण राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन पर 12 लाख रुपये का जुर्माना

    नई दिल्ली। जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में गुरुवार को गुजरात टाइटंस के खिलाफ टाटा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 मैच के दौरान धीमी ओवर गति के कारण राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

    लीग द्वारा शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, “राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन पर 10 अप्रैल को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में गुजरात टाइटंस के खिलाफ आईपीएल 2024 मैच के दौरान धीमी ओवर गति बनाए रखने के बाद जुर्माना लगाया गया है। चूंकि न्यूनतम ओवर गति अपराधों से संबंधित आईपीएल की आचार संहिता के तहत यह उनकी टीम का सीज़न का पहला अपराध था, सैमसन पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।”

    मैच की बात करें तो इस मुकाबले में राजस्थान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान संजू सैमसन (नाबाद 68 रन, 38 गेंद, 7 चौके 2 छक्के) और रियान पराग (48 गेंद 76 रन, 3 चौका 5 छक्का) की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 20 ओवर में 3 विकेट पर 196 रन बनाए।

    जवाब में गुजरात ने 20 ओवर में 7 विकेट पर 199 रन बनाकर जीत हासिल की। गुजरात को आखिरी ओवर में 15 रन चाहिए थे और हरफनमौला राशिद खान ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए ये जरूरी रन बना लिए, उन्होंने आखिरी गेंद पर चौका लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई। राशिद 11 गेंदों पर 24 रन बनाकर नाबाद रहे। राशिद के अलावा कप्तान शुभमन गिल ने 72 रनों की शानदार पारी खेली।

  • आत्मसमर्पित नक्सलियों व 322 जवानों ने डाक मतपत्र से किया मतदान

    आत्मसमर्पित नक्सलियों व 322 जवानों ने डाक मतपत्र से किया मतदान

    दंतेवाड़ा। जिला पुलिस के कुल 380 कर्मचारियों ने डाक मतपत्र से मतदान के लिए आवेदन किया है। जिनमें कुल 322 पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने आज गुरुवार को डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान किया है। जबकि 52 पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी अभी अपने मत का प्रयोग करेंगे। वहीं आत्मसमर्पित नक्सलियों ने भी मुख्य धारा में शामिल होने के बाद लोकतंत्र और गणतंत्र पर भरोसा जताते हुए डाक मतपत्र से मतदान किया। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में भी आत्मसमर्पित नक्सलियों ने अपने मतदान का प्रयोग किया था। जिला निर्वाचन अधिकारी मयंक चतुर्वेदी की अगुवाई में कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों का जागरुक कर रहे हैं।

    उल्लेखनीय है कि बस्तर लोकसभा सीट पर चुनाव के पहले चरण के मतदान को लेकर जोर शोर से तैयारियां चल रही है। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों के 12 विधानसभा सीटों में से बस्तर लोकसभा सीट के लिए नौ विधानसभा सीटों को मिलाकर चुनाव होने हैं। इसमें दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बस्तर, चित्रकोट, जगदलपुर, कोंडागांव, नारायणपुर, केशकाल और बीजापुर शामिल है। जबकि कांकेर सीट पर दूसरे चरण में चुनाव होगा।

  • राजनीति सियासत के ”मैला आंचल” में टिक नहीं पाए रेणु, साहित्य के नाम कर दी जिंदगी

    राजनीति सियासत के ”मैला आंचल” में टिक नहीं पाए रेणु, साहित्य के नाम कर दी जिंदगी

    फारबिसगंज/अररिया। हिंदी साहित्य के चमकते सितारे रहे अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की आज पुण्यतिथि है फणीश्वर नाथ ”रेणु” का जन्म 4 मार्च 1921 को और निधन 11 अप्रैल 1977 को हुआ। रेणु जी का जन्म बिहार के फारबिसगंज के पास औराही हिंगना नामक गांव में हुआ था। उस समय यह गांव पूर्णिया जिले में था। पर अब यह गांव अररिया जिले में पड़ता है।

    फणीश्वर नाथ ”रेणु” की शिक्षा भारत और नेपाल में हुई थी। 1942 में वे स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े। रेणु के पिता शिलानाथ मंडल एक संपन्न व्यक्ति थे। भारत के स्वाधीनता संघर्ष में उन्होंने भाग लिया था। रेणु के पिता कांग्रेसी थे।इस मौके पर उनसे जुड़ी बेहद रोचक बातें आपको बता रहा हूँ। जयंती पर फणीश्वर नाथ रेणु के चुनाव लड़ने से लेकर उनके साहित्य की बातों को जानना बेहद जरूरी है।

    वैसे देश में अभी चुनाव की हवा चल रही है लोकसभा चुनाव कुछ महीनों में होने को है। इसके बाद अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने को है। ऐसे समय में ”मैला आंचल और ”परती: परिकथा” जैसी बड़ी रचनाओं के लेखक फणीश्वरनाथ रेणु के जन्म जयंती वर्ष में याद करना बेहद ज़रूरी रहेगा। आज से लगभग 51 वर्ष पहले इस लेखक ने भी एक बार विधानसभा चुनाव लड़ने का हिम्मत कहें या दुस्साहस किया था। उन्होंने आपसी भाईचारे को बांटने वाली सियासत, भुखमरी और बेरोज़गारी से तंग आकर फणीश्वरनाथ रेणु ने बिहार के फारबिसगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और वही हुआ, जो एक निर्दलीय उम्मीदवार के साथ अक्सर होता आया है।

    रेणु 1952 तक वह सोशलिस्ट पार्टी के जरिये राजनीति में सक्रिय हुए थे। मगर उन्हें जल्दी ही समझ में आ गया कि राजनीति में लेखक की स्थिति दूसरे दर्जे की होती है। हर पार्टी का अपना एक ”तबेला” होता है। इसके चारों तरफ दीवारें खींच कर वह अपने ”कमअक्ल” सहकर्मी को इधर-उधर आकर्षित होने से बचाती है। मानवेन्द्रनाथ राय जो की भारत के स्वतंत्रता-संग्राम के राष्ट्रवादी क्रान्तिकारी तथा विश्वप्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धान्तकार थे। उनके विचारधारा से जुड़े एक कलाकार के साथ उन्हें देख लिया गया तो अगले दिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें बुलाया और एमएन राय के विरुद्ध भाषण देने के लिए उनके दिमाग़ में डाल दिया ।

    अपने एक अच्छे मित्र और कम्युनिस्ट छात्र नेता से वह मिला करते थे। एक बार रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने भी उन्हें देख लिया तो समझाया कि क्यों उन्हें कम्युनिस्टों से बातें नहीं करनी चाहिए। रेणु ने देखा कि नेता आत्म प्रचार से ऊपर नहीं उठ पाते। यह भी समझ में आया कि दलगत राजनीति में बुद्धिजीवी से भी अपेक्षा रहती है कि वह अपनी बुद्धि गिरवी रख कर पार्टी का काम करे। वहां किसी व्यक्ति, किसी गुट का होना भी आवश्यक है। ये सब पाबंदियां उन्हें रास नहीं आ रही थीं। वह 1952 के प्रथम आम चुनाव से पहले ही दलगत राजनीति को विदा कहने का मन बना चुके थे रेणु। वही, इन सब कारणों से रेणु को उस पार्टी से भी भरोसा उठ गया था, जिसके लिए बरसों उन्होंने लगन से काम किया था। इसके बावजूद उनका विश्वास समाजवादी आदर्शों और जयप्रकाश नारायण में अंत तक बना रहा।

    वह सक्रिय राजनीति से दूर थे, लेकिन इससे बिल्कुल अलग-थलग नहीं। रेणु अपने अनेक उपन्यासों को इसका प्रमाण मानते थे। रेणु राजनीति के प्रति आभारी थे कि उसने उन्हें गांव- गांव जाने का मौका दिया, लोगों को, उनकी संस्कृति और भाषा को जानने का अवसर दिया। बतौर एक लेखक उन्हें बनाया।

    इन सब के बीच रेणु ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी फिर तो बुद्धिजीवियों में हलचल सी मची गई। उन्हें जानने वाले इस फैसले से चकित थे तभी हर कोई कह रहा था कि रेणु के सिर पर यह क्या भूत सवार हो गया है जब वे राजनीति में थे, तब तो चुनाव लड़ा नहीं, अब क्यों लड़ रहे हैं? जिस पार्टी-पॉलिटिक्स से घबरा कर इन्होंने उससे दूरी बनाई थी, उसमें फिर से क्यों पड़ रहे हैं? और चुनाव लड़ना ही था तो किसी पार्टी से टिकट मांगते। इतने बड़े लेखक को कोई भी पार्टी टिकट दे देती। इस तरह कई सवाल तब उठ रहे थे और रेणु जी अपने फ़ैसले पर अटल थे वही, उन्हें बेहद क़रीब से जानने वाले लोग नामांकन पत्र भरने के बाद से इसे वापस लेने की आखिरी तारीख तक इंतजार करते रहे कि शायद उनका मन बदल जाए। कुछ दलों उन्हें अपना समर्थन देने की पेशकश भी की। रेणु ने ऐसे सभी प्रस्ताव ठुकरा दिए। इस बीच वह पटना से अपने चुनाव क्षेत्र फारबिसगंज में पर्चा दाखिल करने और अपनी उम्मीदवारी का प्रचार करने चले आएं ।

    वही, रेणु ने चुनाव लड़ने के चार बड़े कारण बताए थे। एक तो उनके क्षेत्र में पहली बार राजनीति हिंदू-मुसलमानों को बांटने में सफल हुई थी। इस संघर्ष में बहुत से लोग जख्मी हुए थे। कुछ गिरफ्तारियां हुई थीं, मुकदमे चले थे। गांव के सैकड़ों लोग महीनों कचहरी में परेशान किए गए थे। एक और घटना ने उन्हें विचलित किया था। उनके गांव में भूख से दो ग़रीबों की मौत हो गई थी।। क्षेत्र के विधायक ने इसे भूख से हुई मौत बताया, लेकिन राज्य सरकार ने हमेशा की तरह इसे मानने से इनकार कर दिया।

    वही, दूसरा कारण, एम. ए. तक जिस नौजवान ने सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था, उसे कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी। चुने हुए प्रत्याशियों में उसका नाम पहले स्थान पर होते हुए भी उसे नौकरी नहीं दी जाती थी। रेणु के यह सलाह देने पर कि उसे क्षेत्र के विधायक और सांसद से इस बारे में मिलने चाहिए। उसका जवाब था कि इनकी वजह से ही यह सब हो रहा है। गुस्से में आकर उसने रेणु को भी नहीं बख्शा। उसने कहा कि आप जैसे लोग राजनीति से निर्विकार हो गए, उसी कारण यह सब हो रहा है। उनके क्षेत्र में 14 निरपराध आदिवासी संथाल मार मार दिए गए थे। इसके बाद उन्हें लगा कि अब भी वह कुछ नहीं करते तो वे अपनी ही निगाह में गिर जाएंगे।

    उस वक्त़ लाठी, पैसे और जाति के जोर से चुनाव जीते जाते थे। और रेणु इनके बगैर चुनाव लड़कर दुनिया के सामने नज़ीर कायम करना चाहते थे। वह अपनी चुनाव सभाओं में दिनकर, अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह, सुमित्रा नंदन पंत और रघुवीर सहाय की कविताएं पढ़ते। वह कहते थे कि अकेला और निर्दलीय होने के कारण उनकी आवाज़ कोई बंद नहीं कर पाएगा।

    वैसे तो चुनाव लड़ते समय ही यह स्पष्ट हो गया था कि वह जीतेंगे नहीं, लेकिन उस समय लिए गए साक्षात्कारों में जाहिर है कि उन्होंने यह नहीं कहा। जिस समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि उनके घर आकर अपनी पार्टी का समर्थन उन्हें देने की पर्ची लिखकर छोड़ गया था, वही उनके खिलाफ खड़ा हुआ था।

    चुनाव की डुगडुगी बजते ही आदमी किस तरह बदल जाता है, इसका अनुभव उन्हें चुनाव के दौरान हुआ। वह कहते हैं, आप मूंगफली वाले से बात कीजिए, आप उससे मूंगफली ले लीजिए, लेकिन वो वोट आपको देगा या नहीं देगा, इसके बारे में वह एकदम चुप रहेगा। उनके बारे में यह भी कहा जाने लगा था कि इनकी तो कोई पार्टी नहीं है और अकेला चना भांड़ नहीं फोड़ सकता। उनके विरोधियों ने नारा लगाया कि पद्मश्री टाइटल वाले लेखक हैं लेकिन विधानसभा में जाकर क्या करेंगे?

    और जिस दिन वोट पड़े, उस दिन देखा कि मधुबनी में जो प्रयोग छोटे पैमाने पर हुआ था, वह वहां व्यापक रूप से हो रहा है। गांव- गांव लोग वोट देने जा रहे हैं और खाली वापस आ रहे हैं क्योंकि लाठी लेकर वहां गुंडे खड़े हैं। रेणु को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार से भी कम वोट मिले।

    तब उन्हें लगा था कि नहीं, ये लड़के ठीक कहते हैं कि चेंज बैलट से नहीं होगा। बैलट की डेमोक्रेसी भ्रमजाल है। तब जो निराशा बढ़ी, उसकी तुलना वह प्रेम में असफल हुए उस व्यक्ति से करते हैं, जो कविता करने लगता है। उन्होंने कहा, ‘राजनीति में असफल होकर मैं उपन्यास लिखने लगा लेकिन चुनाव हारने के बाद मैं क्या करूंगा? चुनाव हारने वाला व्यक्ति घर में बीवी तक की निगाह में गिर जाता है।’ थोड़ा कर्ज उन पर चढ़ गया था। लोगों ने कहा कि चुनाव में अनुभव पर लिखो तो उन्होंने कहा कि मेरा चुनाव चिन्ह नाव था, इसलिए कागज की नाव शीर्षक से एक रिपोर्ताज लिखूंगा। लेकिन लगा कि अब कलम छूने का अधिकार उन्हें नहीं है। अगर कुछ थामना है तो दो ही चीजें थाम सकते हैं या तो बंदूक या कलेजा। अब कलेजा थाम कर बैठो। अब कहीं से कुछ नहीं होने वाला, लेकिन एक बार फिर उन्हें बिहार आंदोलन में रोशनी दिखी और वह इसका अटूट हिस्सा बन गए।

    वही, 4 नवंबर 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर पटना में अर्ध सैनिक बलों ने लाठी चला दी। नानाजी देशमुख ने उस लाठी को अपनी बांह पर रोक लिया था। इस घटना से बिहार के आन्दोलनकारी काफी आहत थे। वही, फणीश्वरनाथ रेणु ने नौजवानों से खचाखच भरे गांधी मैदान में मंच पर पहुंचकर ने जेपी के सामने पद्मश्री को पापश्री कहकर लौटा दिया।