मऊ । जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ के चुनाव के विरुद्ध ,चन्द्रशेखर राय उर्फ नन्दन ने जनपद न्यायाधीश मऊ के समक्ष याचिका सँख्या 139/2022 योजित किया था ,जिसको जनपद न्यायाधीश मऊ ने अपने आदेश दिनाँक 20 /3/2024 के द्वारा विलम्ब के आधार पर निरस्त कर दिया था । चन्द्रशेखर राय ने जनपद न्यायाधीश के इस आदेश को याचिका संख्या 8160/2024 अंतर्गत अनुच्छेद 227 के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था ।
जिस पर दिनांक 22/7/2024 को सुनवाई करते हुये ,उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ को नोटिस जारी किया है ।
चंद्र शेखर राय की ओर से उनके द्वारा नियुक्त अधिवक्ता ब्रह्मा नंद पाण्डेय व सुधीर कुमार सिंह ने मामले में वकालत की है ।
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जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ को उच्च न्यायालय की नोटिस
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जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के बीच विवाद समाप्त, समन्वय स्थापित करने का भी निर्णय
मऊ स्पोर्टिंग क्लब की नई कार्यकारिणी का गठन
मऊनाथ भंजन। मऊ स्पोर्टिंग क्लब जनपद मऊ की सबसे पुरानी फुटबाल क्लब है। मुहल्ला हैदर नगर में मौलाना अब्दुल्लतीफ नोमानी स्टेडियम के नाम से मऊ स्पोर्टिंग क्लब का अपना ग्राउण्ड है। इस ग्राउण्ड पर अनेकों बार राष्ट्रीय स्तर के फुटबाल टुर्नामेंट का आयोजन हो चुका है। मऊ स्पोर्टिंग क्लब के अनेकों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर मऊ का नाम रौशन किया है।पिछले कुछ वर्षाें से जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के बीच विवाद के कारण मऊ स्पोर्टिंग क्लब की तरक्की का रास्ता बाधित रहा। मऊ स्पोर्टिंग क्लब के उपाध्यक्ष पूर्व सांसद सालिम अंसारी और नगर पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल के हस्तक्षेप के बाद पालिकाध्यक्ष के आवास पर एक मीटिंग हुयी जिस में सभी पहलुओं पर चर्चा के उपरान्त सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के विवाद को तत्काल समाप्त करते हुये जिला फुटबाल संघ मऊ और उ0प्र0 फुटबाल संघ के नेतृत्व में मऊ स्पोर्टिंग क्लब आगे बढ़ेगी तथा फुटबाल संघ उत्तर प्रदेश के निर्देशों का पालन करते हुये जनपद में फुटबाल की तरक्की में मऊ स्पोर्टिंग क्लब अग्रणी भुमिका निभायेगी।
बैठक में यह भी तय हुआ कि मऊ जपनद में जितनी भी फुटबाल क्लब हैंे सभी के पदाधिकारियों से वार्ता कर के फुटबाल संघ उ0प्र0 से समन्वय बनाने का प्रयास किया जाये, जिसके लिये नगर पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल को जिम्मेदारी सौंपी गयी कि वह मऊ की सभी क्लबों के पदाधिकारियों से बात करेंगे। बैठक में मऊ स्पोर्टिंग क्लब की नई कार्यकारिणी का सर्वसम्मति से गठन हुआ जिसमें हाजी मुल्तान अहमद को अध्यक्ष, पूर्व सांसद मु0 सालिम अंसारी, नगर पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल, मुहम्मद ओवैस तरफदार, जमील सेठ, आनंद कुमार गुप्ता को उपाध्यक्ष, खुर्शीद अहमद को सेक्रेट्री, गिरीश चन्द को ज्वाइंट सेक्रेट्री, मुहम्मद मुस्तफा चमन को कोषाध्यक्ष के साथ ही हाजी शमशाद अहमद, हाजी शमीम अहमद, एजाज अहमद सीए, डा0 मुहम्मद तैय्यब, हाजी मुम्ताज अहमद शिमला, मुहम्मद राशिद ज्या, अरशद अल्मास, अब्दुल्लाह नूर जरी, इश्तियाक एजेंट, मास्टर शमीम सभासद, गुफरान साजिद, शोबान नोमानी, गजनफर अली, ओम प्रकाश गुप्ता, नसीम अहमद हलचल, मु0 सदाकत को क्लब कमेटी का सदस्य नामित किया गया है। बैठक की अध्यक्षता हाजी मुल्तान अहमद और संचालन खुर्शीद हैदर ने किया। -

मऊ में गोटी बैठाने को सीएमओ दफ्तर में, सीएमओ साथ अबैध हॉस्पिटलो के चिकत्सकों की बैठको का दौर
सीएमओ को पटाने में जुट गये है बिना एनबीसी २००५ के तहत निर्मित अबैध हॉस्पिटल्स के चिकित्सक, सीएमओ के साथ चल रहा है बैठको का दौर
मऊ। मुख्य चिकित्साधिकरी मऊ के कार्यालय में अबैध तरीके से निजी नर्सिंग होम संचालित कर रहें चिकत्सको का दबाव देखा जा रहा है। बंदना नर्सिंग होम पर कार्यवाही को लेकर चल रहें मंथन में सीएमओ पर सीलिंग की कार्यवाही को नही किये जाने का दबाव सामने देखा जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार विना एनबीसी २००५ निर्मित दो दो खंडो में तथ्यगोपन कर हॉस्पिटल भवन के नक्शे को नियत प्राधिकारी कार्यालय से स्वीकृत कराने वाले चिकित्सक सत्य नन्द राय,पोखरे की जमीन पर बिना एनबीसी २००५ निर्मित हॉस्पिटल के भवन को सीएफओ के जाली हस्ताक्षर से नक्शा पास कराने वाले राहुल हॉस्पिटल के चिकित्सक सुरेंद्र राय और बिजली के तार के नीचे रिहायसी भवन में संचालित बंदना नर्सिंग होम के चिकित्सक के सी राय आदि ने सीएमओ दफ्तर में बैठ अपनी अपनी गोटी बैठाने ले लगे है।उल्लेखनीय है कि मा उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका के बाद बंदना नर्सिंग होम पर बंदी कि तलवार को गिरने से रोकने के लिए बिना एनबीसी निर्मित अबैध हॉस्पिटलो में राहुल हॉस्पिटल, सत्यम हॉस्पिटल और बंदना नर्सिंग होम के चिकित्सकों ने कुछ दर पहलें सीएमओ दफ्तर में उपस्थित हुए है। सीएमओ के साथ ये चिकित्स्क कौन सी “डील” को धरातल पर उतारने को इच्छुक है ? खरी दुनिया को कोई अधिकारिक जानकारी हाथ नही लगी है लेकिन बैठको का दौर जारी है।
बताते चले कि बिभागीय हरकत को देखते हुए बंदना नर्सिंह होम ने हॉस्पिटल को खुद ही बंद करने का सपथ पत्र दे दिया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह सपथ पत्र कार्यवाही में काफी होगा ?। मामले में 23 जुलाई 2024 को इस मामले में उच्च न्यायालय में डीएम को जबाव देना है।
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मऊ में CFO की अबैध NOC बनी हॉस्पिटल्स के पंजीकरण का कारण : नोडल अधिकारी
राहुल हॉस्पिटल्स में मरीजों से फिस ले नही दिया जाता रसीद
मऊ। जिले की गलियों में क्यो न चले अबैध निजी अस्पताल जब अग्नि समन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दे रहा सच्चाई के खिलाफ अनापत्ति प्रमाण पत्र? यह सवाल खरी दुनिया से मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में बतौर नोडल आर एन सिंह का है। आर एन सिंह खरी दुनिया को उसके द्वारा वंदना नर्सिंग होम पर मा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में पारित आदेश और उसको लेकर विभागीय कार्यवाही की जानकारी देते हुए यह सवाल किया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय जिले की गलियों में अबैध हॉस्पिटल को होने यहां पंजीकृत करने के लिए बाध्य है। पंजीकरण के लिए मुख्य अग्नि समन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जिले की गलियों में संचालित अस्पतालो के नाम जारी किये जा रहें अनापत्ति प्रमाण पत्र आधार बनते है। यदि अग्नि समन विभाग नियमानुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने लगे तो जिले की गलियों में संचालित अबैध हॉस्पिटल्स अपने आप बंद हो जाएंगे। यह मानना है सीएमओ दफ्तर में बतौर नोडल अधिकारी आर एन सिंह का है।राहुल हॉस्पिटल मरीजों से नही लेता ऑनलाइन पेमेंट
राहुल हॉस्पिटल मरीजों को पंजीकृत कर नही देता रसीद
मऊ। राहुल हॉस्पिटल में इलाज को गये मरीजों को पंजीकरण के समय कोई रसीद नही दी जाती है। पंजिलरण के नाम पर फिस ले कर एक कागज पर सीरियल नंबर लिखा टोकन दिया जाता है। जिसकी कानूनन को बैधता नही होती है।
एक मरीज ने नाम नही छपाने कि शर्त पर बताया कि राहुल हॉस्पिटल में मरीजों को दिखाने के लिए डॉक्टर का नम्बर लेना पड़ता है। इस नंबर को लेते समय हॉस्पिटल प्रबंधन फिस लेकर एक नंबर लिखा टोकन देता है। इसी टोकन नंबर से ही मरीजों को डॉक्टर देखते है। दवा हो या फिर कोई अन्य जाँच हॉस्पिटल में सभी नकद भुगतान ही लिया जाता है। ऑनलाइन लेने से सीधे मना है। -

मऊ में स्वास्थ्य और खाद्य विभाग की मिली भगत में अबैध अस्पतालो और कारखानो का संचालन – नगर मजिस्ट्रेट
मऊ। नगर मजिस्ट्रेट मऊ की जाँच में स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के अफसरों की कलई खुलने लगी है। निजी अस्पतालो तथा खाद्य पदार्थो के कारखानो के अबैध संचालन में इन विभागों के अफसरों की मिली भगत उजागर हुई है।
बतौर नगर मजिस्ट्रेट बृजेन्द्र कुमार द्वारा बीते दिनों नगर के तमसा किनारे अबैध तरीके से बिना रजिस्ट्रेशन संचालित पंकज पेठा के अबैध संचालन की जानकारी मिलने पर जाँच की गई । इस दौरान नगर मजिस्ट्रेट ने खाद्य विभाग के अफसरों को जब इस मामले की जानकारी दी तो विभाग के अफसरों के द्वारा बिना मौके पर आये नियमों की जानकारी दी जाने लगी। नगर मजिस्ट्रेट ने पंकज पेठा का संचालन अबैध पाया था।खाद्य विभाग के अफसर न मौके पर तत्काल नही आये। इसी बींच नगर मजिस्ट्रेट ने मीडिया से बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि जिले में जितने अबैध अस्पताल और खाद्य विभाग के कारखाने चल रहे है उनसे स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के अफसरों की मिली भगत होने का खुलासा किया।
नगर मजिस्ट्रेट के इस खुलासे के बाद जिले में अबैध रूप से संचालित हॉस्पिटलो के अबैध संचालन के कारणों से तो पर्दा उठ गया लेकिन इस पर्दे को उठने के बाद उन कारणों का सफाया कब तक होगा ? इस पर अभी संसय बना हुआ है। हलाकि नगर मजिस्ट्रेट के इस खुलासे के बाद जिले में नर्सिंग होम्स की जाँच के हुए ऑर्डर को प्रतिफल स्वरूप देखा जा रहा है।
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मऊ में अब अबैध हॉस्पिटल्स की खैर नही, होगी जांच, लेकिन जाँच किसकी ? तय नही है मानक
पोखरे तक की जमीनों पर है जिले में मौजूद हॉस्पिटल्स, वानगी है राहुल हॉस्पिटल
न तो एनबीसी, महायोजना के तहत है निर्मित भवन, न तो नियमतः जारी है अग्नि समन की “एनओसी”, १० फिट चौड़ी गली तक में हो रहा अबैध हॉस्पिटल्स
मऊ। जिले में अबैध हॉस्पिटल्स को लेकर “खरी दुनिया” द्वारा चलाई गई खबरों से प्रसाशन की तन्द्रा अंततः टूट गई । खबरो के प्रकाशन और एक हॉस्पिटल को लेकर मा उच्च न्यायालय द्वारा दाखिल जनहित याचिका के बाद प्रसाशन हरकत में आ गया है। अब ऐसे हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी की जाँच का आदेश हुआ है जिन्हे राहुल हॉस्पिटल जैसे वैध होने पर संदेह है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार “खरी दुनिया” द्वारा निरंतर जिले में “नेशनल बिल्डिंग कोड” और “महायोजना” के खिलाफ निर्मित निजी नर्सिंग होम्स को लेकर प्रकाशित खबरो और मा उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका के बाद प्रसाशन हरकत में आ गया है। सूत्रों पर यकीन करे तो प्रसाशन ने अब निजी नर्सिंग होम्स और पैथोलोजी सेंटर्स की जाँच कराने का आदेश जारी कर दिया है। अब अवैध रूप से संचालित हॉस्पिटल्स की अब जांच होगी लेकिन इस जांच का मानक क्या होगा? कों लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नही है।
कही ऐसे हॉस्पिटल्स भी है जो नेशनल बिल्डिंग कोड और महायोजना के खिलाफ निर्मित है तो कही ऐसे भी हॉस्पिटल्स है जो नॉन जेड ए की पोखरे की जमीनों पर नेशनल बिल्डिंग कोड और महायोजना के खिलाफ निर्मित है। यही नही ऐसे हॉस्पिटलो के भवन के नक्शे भी नियम विरुद्ध तरीके स्वीकृत है। ऐसे हॉस्पिटल में एक नाम राहुल हॉस्पिटल्स और प्रकाश हॉस्पिटल का है, जिसके भवन एनबीसी और महायोजना के खिलाफ है लेकिन विभागीय और अग्नि समन विभाग की कृपा पर संचालित हो रहे है। अस्था और सत्यम हॉस्पिटल का भी कमोबस यही हाल है।

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मऊ में पागल भाई की संरक्षिका बहन ममता ने उसकी करोड़ो की जमीन बेच, प्रसाशन को दी चुनौती
दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बहन द्वारा भाई की जमीनों को जमीनों को बेचने को अधिकृत बता, गलत तरीके से बेचीं गई जमीनो की बैधता पर सवाल
संरक्षिका ममता मेहरोत्रा ने अदालत से बिना आदेश लिए बेच दी, पागल भाई की करोड़ो की जमीन, अदालत ने बहन को दिमागी रूप से दिवालिया भाई का तय किया है संरक्षिका
मऊ। दिमागी रूप दिवालिया भाई की अदालत से संरक्षिका घोषित होने के बाद से बहन द्वारा उसकी करोड़ो की नॉन जेड ए की सम्पत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच रकम हड़प लिए जाने कि खबर है। दिमागी रूप से दिवालिया भाई की बहन का नाम ममता मेहरोत्रा है। ममता बनाम मधुबहल के नाम से एक अदालत में मुकदमा कर संरक्षिका बन कर ममता ने भाई की सम्पत्तियों को बेचने के लिए लोगो से अधिकृत बताकर बेचने का आरोप है, जबकि ममता भाई के लिए बतौर केयर टेकर की भूमिका में है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार ममता मेहरोत्रा ने अदालत में अपने दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बनने के बाद अदालत से विना सहमति लिए करोड़ो की सम्पत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच कर अदालत के आदेश कि अवमानना तो करते हुए दर्जनों लोगो से अबैध तरिके से धन ऐठने का अपराध कर दिया है।
ममता ने जिन लोगो को अपने दिमागी रूप से दिवालिया भाई की संरक्षिका बनने के बाद खुद को उसकी जमीनों को बेचने का अपराध किया है उनमे, भरत यादव, चैनरी देवी, द्रोपदी, राजकुमार केडिया, गिरधर केडिया, सत्यदेव केडिया आदि लोग है, जिनको सरकारी मालियत से कम कीमत में जमीने बेची है। ममता मेहरोत्रा द्वारा दिनांक २३.३.२०२३ को भरत यादव के नाम बेचीं गई है।

इस विक्रय मे विक्रेता श्याम मोहन सहगल पुत्र मोहन लाल सहगल संरक्षिका बहन ममता मेहरोत्रा पत्नी रवी मेहरोत्रा द्वारा पुत्री मोहन लाल सहगल साकिन आलमगंज शहर जौनपुर हाल मुकाम वाजीद पुरा कोपागंज तहसील सदर जनपद मऊ का उल्लेख है।
इस जमीन जमीन की सरकारी मालियत १५,५० हजार तो बेचा गया है ४ लाख में। दिनांक २४.३.२०२३ को दुबारा इसी भारत यादव के पक्ष में ममता मेहरोत्रा ने सरकारी मालियत १७.९३ हजार कि मालियत वाली जमीन को केवल ५ लख में बेच दिया है। दिनांक २४.३/२००७ को फिर ममता मेहरोत्ता ने खेवट नंबर १ के गाता संख्या ४३५/८ रकबा .०२० हेक्टेयर कि जमीन को राज कुमार केडिया, जय प्रकाश केडिया, सत्यदेव केडिया, गिरधर गोपाल केडिया के पक्ष में को ७ लाख रुपये में ही जिसकी सरकारी मालियत ९०१००० रुपये बताया गया गया है, बेचा गया है।
पुनः दिनांक २४.३/२००७ को ममता ने इसकी खेवट के उक्त गाटा संख्या से २८ कड़ी जमीन को राजकुमार केडिया आदि को८ लख रुपये में जिसकी सरकारी मालियत ११.६८ हजार बता कर बेच दिया है।
दिनांक २४/३/२०७ को फिर ममता ने द्रोपदी देवी के नाम ७ लाख रुपये में सरकारी मालियत ८६ लख ५ हजार बता कर बेच दिया है। इसी दिन ममता मेहरोत्रा ने चैनरी देवी के नाम भी इतनी ही सरकारी मालियत वाली जमीन को ७ लाख रुपये में बेच दिया है।
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मऊ में एक महिला का 2 नाम दो दो बैंक खाते, दोनो से हड़प लिया गया सरकारी धन
— ” कही नन्हकी बन गई तारा तो कही तारा बन गई नन्हकी ‘
मऊ। शिक्षा क्षेत्र कोपागंज के प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद मे तैनात तारा का असल नाम मे क्या है? को लेकर प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद के हेडमास्टर रसोइया तारा की वकालत मे उसे तारा ही करार दे रहे है तो नन्हकी पत्नी दयाशंकर से पल्ला क्यो झाड़ रहे है? जांच का विषय है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायत मीरपुर रहीमाबाद के प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया के पद पर तैनात तारा पत्नी दायशंकर असल मे नन्हकी पत्नी दयाशंकर ही है क्यकि नन्हकी पत्नी दयाशंकर के नाम से ही तारा ने वर्ष २००८ मे कोइरियापार के बदौड़ा यूपी बैंक मे खाता संख्या खोला और इसी खाते मे ग्राम विकास अभिकरण मऊ से आवास के मद मे कुल ३५ हजार रुपये हड़प लिए है।यह धन हड़पने के बाद नन्हकी ने खुद को तारा पत्नी दयाशंकर बता कर एक तरफ जहा प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया बन गई तो वही पर ग्राम पंचायत सदस्य भी रही है। तारा नन्हकी है या नन्हकी तारा है, पर संसय बना हुआ है। पुरे मामले मे बैंक खाते ही प्रमाण है, लेकिन बैंक खाते भी दो होने के प्रबल आसार है क्योकि विद्यालय से मानदेय भी उसके तारा नाम से खोले गये खाते मे ही जाता है।
मानदेय के रूप में रसोइया के पद के माध्यम से महीने के रूप मे तारा सरकारी धन हड़प रही है तो “नन्हकी” के नाम से भी सरकारी धन हड़प ली है। फिर भी “सवाल” कायम है, तारा नन्हकी है या फिर नन्हकी तारा है! एक ही ब्यक्ति द्वारा दो फर्जी खाते खोल लर धन हड़पने के मामले में ग्राम विकास और बेसिक शिक्षा अधिकारी मौन साधना में है, देखना है साधना टूटती भी है कि नही ?
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मऊ मे रसोइया तारा ने खुद को नन्हकी बता हड़प लिया है सरकारी धन
मऊ। शिक्षा क्षेत्र कोपागंज के प्राथमिक विद्यालय मीरपुर रहीमाबाद मे रसोइया के पद पर तैनात तारा देवी के द्वारा ग्राम विकास अभिकरण के माध्यम से सरकारी आवास लेने के लिए खुद के नाम को बदल सरकारी धन हड़पने की खबर है।
ग्राम पंचायत मीरपुर रहीमाबाद के सूत्रों के अनुसार तारा देवी ने वर्ष २००८ मे खुद को नन्हकी पत्नी दयाशंकर बनकर तथा सरकारी अभिलेखो मे नन्हकी के नाम से कुट रचित प्रमाणक लगा कर कोइरियापार स्थित बैंक अफ बदौड़ा मे खाता संख्या १९६२३ मे सरकार द्वारा नन्हकी के नाम आवास के लिए जारी चेक संख्या २५८२६९ व १८५९३५ के माध्यम से कुल ३५ हजार रुपये हड़प लिए गये है।इस धन को हड़पने के लिए तारा देवी पत्नी दयाशंकर ने जाली प्रमाणको के माध्यम से यूपी बदौड़ा बैंक मे खुद को नन्हकी बता कर खाता खोलवाया और फिर सरकार से आवास के मद मे ३५ हजार रुपये हड़प लिए गये है।
इस मामले मे पूर्व मे पड़ी शिकायत की जाँच मे जाँच अधिकारियो ने लीपापोती कर मामलैंको ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया है। तारा देवी पूर्व मे ग्राम पंचायत मे सदस्य भी रही है और वर्तमान मे प्राथमिक विद्यालय मे रसोइया के पद पर तैनात है। प्राथमिक बिद्यालय के हेडमास्टर ने खरी दुनिया को बताया की तारा देवी की नियुक्ति सही है। रही बात नन्हकी पत्नी दयाशंकर कि तो वह इस नन्हकी के बारे मे कुछ भी नही जानते है।
बैक् खाते कि जाँच खोलेगी नन्हकी की असलियत
ग्रम् पंचायत के सूत्रों कि माने तो नन्हकी पत्नी दयाशंकर कौन हो, के लिए बैंक खाते की जाँच ही नन्हकी की असलियत खोलेगी। फिलहाल ग्राम विकास इस वर्ष मे आवंतित आवसो की सूची को खंगालने का काम कर रही है।
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मऊ मे “सीएफओ” ने “प्लॉट एरिया” से “कवर्ड एरिया” को अधिक दिखा राहुल “हॉस्पिटल” के नाम जारी की है NOC
— हॉस्पिटल भवन के निरीक्षण से पूर्व ही लिफाफे के बोझ तले दबे “सीएफओ” मऊ ने अनापत्ति प्रमाण पत्र किया तैयार
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मऊ । मुख्य अग्नि समन अधिकारी हॉस्पिटलो के “इंस्पेक्शन” से पहले ही “इंस्पेक्शन रिपोर्ट” तैयार कर हॉस्पिटलो के लिफाफे के बोझ को उतारने का काम करते है, साहब बहुत ईमानदार अफसर है। यह “खरी दुनिया” की नही खुद सीएफओ द्वारा जिले मे NBC और महायोजना के बिपरीत निर्मित हॉस्पिटलो मे मौजूद राहुल हॉस्पिटल के नाम जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र ने खुलासा किया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य अग्नि समन अधिकारी किंटी वर्मा बहुत ईमानदार अफसर है, साहब कानून कायदों के साथ ही पदीय अधिकारों का निर्वहन करते है। साहब ने अपनी इसी ईमानदारी मे पत्रांक दिनांक १३/२/२०२४ को युआईडी संख्या यूपी एफ एस /२०२४/१०/८/११८/ मऊ/ मऊ/ ६६६/ सीएफओ के माध्यम से राहुल हॉस्पिटल के नाम जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे प्लॉट एरिया ९९८.६३ वर्ग मीटर मे कवर्ड एरिया १५५३.२२ वर्ग मीटर निकाल दिया है।
साहब की गणित काफी उम्दा है, इनके इस उम्दा दर्जे की गणित को देखते हुए इनके शीर्ष अफसर भी इनसे मुख़ातिब होने मे दुस्वारी समझते है। आखिर साहब प्लॉट एरिया से अधिक कवर्ड एरिया जो निकाल देते है। प्लॉट एरिया से कवर्ड एरिया कैसे अधिक निकाली जाती है ? को लेकर सीएफओ से “खरी दुनिया” कोई सवाल पूछे, साहब ने खरी दुनिया के मोबाइल नंबर को सरकारी अपने मोबाइल से ब्लॉक कर दिया ।
राहुल हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन पूर्व तैयार रिपोर्ट के मुताबिक सीएफओ ने हॉस्पिटल कि मालकिन मीरा राय के साथ हॉस्पिटल बिल्डिंग का इंस्पेक्शन बिना किसी महिला सरकारी कर्मचारी की उपस्थिति मे भी किये जाने का खुलासा किया है। सीएफओ ने नोट के नीचे साफ शब्दों मे यह लिखते हुए कि राहुल हॉस्पिटल के भवन का उनके द्वारा बिना निरीक्षण किये, हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत अभिलेखो सूचनाओ के आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र को निर्गत करने की बात कही है।
साहब अपनी गणित मे जारी अनापत्ति प्रमाण पत्रों को लेकर फंसने का कोई माध्यम तो अपने ज्ञान मे नही छोड़ते है लेकिन राहुल हॉस्पिटल को जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे उनकी कलम फंस जरूर गई है। अपने बचाव मे साहब हर आनपत्ति प्रमाण पत्र मे नोट जरूर लगाते है।
अब यही लीजिये साहब ने राहुल हॉस्पिटल के मालिकिन मीरा राय के साथ हॉस्पिटल बिल्डिंग के इंस्पेक्शन की भी बात को अपने द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मे भी लिख दिया और नोट के नीचे सीएफओ ने अनापत्ति प्रमाण पत्र को उन्ही के द्वारा उपलब्ध करवाए गये अभिलेखो के अनुसार भी प्रमाण पत्र को जारी करने की भी बात कोनकह दिया है। यही नही सीएफओ ने यह जानते हुए भी कि राहुल हॉस्पिटल की बिल्डिंग नेशनल बिल्डिंग कोड़ के अनुसार नही है, इसको नेशनल बिल्डिंग कोड़ के अनुसार निर्मित भी बता दिया है।