Category: इलाहाबाद

  • पिता पेंशनर तो कर्मचारी मां की मौत पर आश्रित की नियुक्ति से इंकार का आदेश रद्द

    पिता पेंशनर तो कर्मचारी मां की मौत पर आश्रित की नियुक्ति से इंकार का आदेश रद्द

    -उप नगर आयुक्त फिरोजाबाद को पुनर्विचार करने का निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप नगर आयुक्त नगर निगम फिरोजाबाद को याची की मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।

    इससे पहले यह कहते हुए नियुक्ति से इंकार कर दिया गया था कि याची के पिता पेंशन पा रहे हैं। इसलिए नगर निगम कर्मचारी मां की मृत्यु पर उसे मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने उप नगर आयुक्त के नियुक्ति से इंकार करने के आदेश 20 मार्च 23 को रद्द कर दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने रवि आजाद की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने खंडपीठ के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें पेंशन पाने के आधार पर आश्रित नियुक्ति से इंकार करने को नियमावली के विपरीत करार दिया गया है। कहा गया कि नियमावली के उपबंधों के तहत आश्रित होने के तथ्यों पर विचार किया जाय। याची का मामला भी वैसा ही है।

  • चीफ जस्टिस ने पांच जजों को दिलाई शपथ, बने स्थाई जज

    चीफ जस्टिस ने पांच जजों को दिलाई शपथ, बने स्थाई जज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने आज हाईकोर्ट में कार्यरत पांच एडिशनल जजों को बतौर स्थाई जज के रूप में शपथ दिलाई।

    शपथ ग्रहण समारोह चीफ जस्टिस कोर्ट में सुबह 10 बजे सम्पन्न हुआ। चीफ जस्टिस के अलावा इस मौके पर हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीश, रजिस्ट्री के सभी न्यायिक अधिकारी तथा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे।

    शपथ ग्रहण समारोह चीफ जस्टिस कोर्ट में हुआ। शपथ जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव, जस्टिस ओमप्रकाश शुक्ला, जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरिसी, जस्टिस ज्योत्सना शर्मा एवं जस्टिस सुरेंद्र सिंह-प्रथम को दिलाई गई। इस अवसर पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सचिव, एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष समेत उत्तर प्रदेश सरकार के कई अपर महाधिवक्ता, मुख्य स्थाई अधिवक्ता तथा अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता सहित शपथ ग्रहण कर रहे न्यायमूर्तियों के परिवारीजन एवं रिश्तेदार भी उपस्थित रहे।

  • फर्जी सर्टिफिकेट पर नियुक्त होने के आरोपी टीचर की गिरफ्तारी पर रोक

    फर्जी सर्टिफिकेट पर नियुक्त होने के आरोपी टीचर की गिरफ्तारी पर रोक

    –हाईकोर्ट ने नियुक्ति में शामिल रहे अधिकारियों को भी विवेचना में शामिल करने का पुलिस को दिया निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

    याची अनिल कुमार सिंह बतौर सहायक अध्यापक प्राथमिकी विद्यालय कूड़ी बाजार जिला गोरखपुर में वर्ष 2010 में नियुक्त हुआ था। बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर द्वारा याची समेत 37 सहायक अध्यापकों के विरूद्ध उक्त प्राथमिकी मार्च 2020 में थाना राजघाट गोरखपुर में अन्तर्गत धारा 417, 419, 420, 423, 467, 468, 471 भारतीय दण्ड संहिता दर्ज करायी गयी थी, जिसकी विवेचना आज तक प्रचलित है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खण्डपीठ ने याची अध्यापक की याचिका पर पारित किया है। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया है कि विवेचना में इन तथ्यों को भी शामिल किया जाए कि याची की नियुक्ति के समय कौन कौन से जिम्मेदार अधिकारी तैनात थे और उन्होने शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन को लेकर क्या प्रयत्न किया था।

    कोर्ट ने सारे तथ्यों के साथ विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया है। अदालत ने याचिका पर 24 सितम्बर 2024 की तारीख नियत करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कहा है। कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार की नियुक्ति विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना सम्भव नहीं है।

    याची के अधिवक्ता अरविन्द कुमार त्रिपाठी का कहना है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा विधिक प्रक्रिया का अनुपालन किए बगैर याची समेत 37 सहायक अध्यापकों को गोरखपुर में बर्खास्त कर दिया गया। याची ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि अधिकारियों की मिलीभगत से कोर्ट के आदेश के अनुपालन के बजाय याची समेत 37 सहायक अध्यापकों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि विभाग ने प्रमाणपत्रों को नियमानुसार सत्यापित कराए बगैर प्राथमिकी दर्ज करायी है जो कि गलत है।

  • हाई कोर्ट बार कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त, एल्डर कमेटी ने संभाला चार्ज

    हाई कोर्ट बार कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त, एल्डर कमेटी ने संभाला चार्ज

    – एल्डर कमेटी सदस्य के सत्यापन पर अध्यक्ष व महासचिव के हस्ताक्षर से होगा बार के खातों का संचालन

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी का 20 मार्च को कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही एल्डर कमेटी ने 21 मार्च को कार्यभार संभाल लिया।

    एल्डर कमेटी के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता छोटेलाल पांडेय ने गुरुवार को बताया कि कमेटी के चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी सिंह की अध्यक्षता में हुई एल्डर बैठक में निर्णय लिया गया कि बार एसोसिएशन के दैनिक ख़र्च का संचालन एल्डर कमेटी के किसी सदस्य के अनुमोदन से अध्यक्ष अशोक सिंह व महासचिव नितिन शर्मा के हस्ताक्षर से किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि बार एसोसिएशन के कर्मचारियों के बकाये वेतन, मेडिकल क्लेम, अधिवक्ता निधि आदि के मद में नये सिरे से चेक जारी होंगे और उनका भुगतान किया जाएगा।

    कर्मचारियों का वेतन रुके होने के कारण काफी असंतोष था। सफाई व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई थी। कार्यकारिणी के पदाधिकारियों में खींचतान के कारण कई भुगतान रुके हुए थे।

  • प्रयागराज में बुआ ने दो भतीजों को मौत के घाट उतारा

    प्रयागराज में बुआ ने दो भतीजों को मौत के घाट उतारा

    प्रयागराज। जनपद में बुधवार को एक बुआ ने अपने दो भतीजों की पटरे से पीट-पीटकर हत्या कर दी। वारदात के बाद आरोपित महिला फरार है, जबकि घर वाले उसे मानसिक विक्षिप्त बता रहे हैं। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी।

    हरगढ़ गांव में रहने वाला संजय मुम्बई में नौकरी करता है। उसकी पत्नी पार्वती अपने दो बच्चे लकी (05), अभी (03) और संजय की बहन पूजा जो मानसिक विक्षिप्त है, के साथ रहती है। परिवार के लोगों ने बुधवार को बताया कि ननद पूजा का अपनी भाभी से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। इससे गुस्साई ननद ने अपने दो भतीजों को लकड़ी के पटरे से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

    परिजन घायल बच्चों को लेकर प्रयागराज अस्पताल पहुंचे, जहां पर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घटना के बाद पूजा घर से फरार हो गयी है। वहीं, संजय अपने दोनों बच्चों की हत्या की खबर सुनकर मुम्बई से घर लौट रहा है।

    इस संबंध में यमुनानगर डीसीपी श्रद्धा नरेंद्र पाण्डेय ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि मेजा थाना क्षेत्र के हरगढ़ गांव में एक बुआ ने अपने दो बच्चों की पटरे से पीट-पीटकर हत्या कर दी है। घटना के बाद से वह भागी हुई है। घरवाले उसे मानसिक विक्षिप्त बता रहे है। फिलहाल पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है।

  • उतरांव में युवक की निर्मम हत्या, पुलिस जांच में जुटी

    उतरांव में युवक की निर्मम हत्या, पुलिस जांच में जुटी

    प्रयागराज। उतरांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत मोतिहा गांव में एक युवक की निर्मम हत्या कर दी गई। उसका शव उसके घर से कुछ दूरी पर मिला है। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस को वहीं उसकी बाइक एवं एक तमंचा मिला है।

    उक्त गांव निवासी रंजित कुमार मौर्य (29) पुत्र स्व0 हरिलाल मौर्य के परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं। हत्या की सूचना पर तत्काल पुलिस बल मौके पर पहुंची। परिजनों से तहरीर लेकर पुलिस अग्रिम विधिक कार्रवाई कर रही है। मौके पर एसीपी हंडिया, थाना प्रभारी हंडिया, एस.एस.एल.फील्ड यूनिट, डॉग स्क्वायड की टीमों ने पहुंचकर जांच पड़ताल की। पुलिस के मुताबिक इस मामले में चार संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

    मृतक रंजीत कुशवाहा की पत्नी द्वारा तहरीर में एक हरिजन पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि रंजीत और उस हरिजन (निवासी अंदावा) ने साथ में ठेकेदारी का आवेदन किया था। पैसे की अनबन के कारण उस हरिजन ने रंजीत को कुछ दिन पहले जान से मारने की धमकी दी थी।

  • अखिलेश यादव, भूपेश बघेल, जयंत चौधरी व अफजाल अंसारी को राहत

    अखिलेश यादव, भूपेश बघेल, जयंत चौधरी व अफजाल अंसारी को राहत

    –कोविड गाइडलाइंस के उल्लंघन के आरोप में चल रहा आपराधिक केस

    –नीतिगत मसले पर सरकारी निर्णय आने तक इनके खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर, नोएडा के सेक्टर 49 मे कोविड नियमों का उल्लघंन कर जुलूस निकालने के आरोपी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, जयंत चौधरी व अफजाल अंसारी के विरुद्ध याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 16 अप्रैल तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

    इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी। गृह सचिव संजीव गुप्ता ने 17 मार्च के पत्र से जानकारी दी कि यह सरकारी नीति का मसला है और सरकार द्वारा निर्णय लेने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते का समय देते हुए नीतिगत मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने चारों नेताओं की तरफ से अलग अलग दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट 16 अप्रैल को सभी की याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करेगी।

    मालूम हो कि फरवरी 22 में इन नेताओं ने नोएडा में रैली की और कोविड नियमों व गाइडलाइंस का उल्लंघन कर भीड़ इकट्ठी कर जुलूस निकाला। जिसको लेकर एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और ए सी जे एम गौतमबुद्धनगर ने उस पर संज्ञान भी ले लिया है। जिसमें कोर्ट ने सरकार द्वारा निर्णय लिए जाने तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

  • बरेली दंगे के अभियुक्त तौकीर रजा को सरेंडर करने का निर्देश

    बरेली दंगे के अभियुक्त तौकीर रजा को सरेंडर करने का निर्देश

    –हाईकोर्ट ने सम्मन आदेश में हस्तक्षेप से किया इन्कार

    –आदेश में निजी राय देने पर ट्रायल कोर्ट के जज की हाईकोर्ट ने निंदा की

    –बरेली की अदालत ने मौलाना को सीआरपीसी की धारा 319 में सम्मन किया था, नहीं उपस्थित होने पर गिरफ्तारी वारंट

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में बरेली दंगे में अभियुक्त के तौर पर जारी सम्मन के खिलाफ दाखिल मौलाना तौकीर रजा की याचिका पर सुनवाई कर उसे ट्रायल कोर्ट में सरेंडर कर जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने तौकीर के खिलाफ़ जारी गैर ज़मानती वारंट में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

    साथ ही कोर्ट ने तौकीर को जारी आदेश में ट्रायल कोर्ट जज द्वारा निजी अनुभव के आधार पर टिप्पणी करने की निंदा की है और उनके आदेश के पेज 6 के पैरा 8 को स्पंज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया।

    इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के चीफ मौलाना तौकीर रजा पर बरेली में 2010 में हुए दंगे को भड़काने का आरोप है। बरेली की अदालत ने मौलाना तौकीर रजा को इस मामले में अभियुक्त मानते हुए सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सम्मन जारी किया। सम्मन पर मौलाना के उपस्थित नहीं होने पर अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। अदालत में पेश नहीं होने पर उसके खिलाफ दो बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है।

    अदालत ने बरेली पुलिस को मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार कर पेश करने का भी आदेश दिया है। याचिका में सम्मन आदेश को चुनौती दी गई है। याचिका पर मंगलवार को सुनवाई में मौलाना तौकीर रजा के वकीलों ने पक्ष रखा। कहा गया कि बिना किसी आवेदन के ट्रायल जज ने उनको गवाहों के बयान के आधार पर स्वत संज्ञान लेकर तलब किया है। जबकि उसके मामले में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि तौकीर रजा 2010 में हुए बरेली दंगे का मास्टर माइंड है। उसके खिलाफ़ काफी साक्ष्य है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने तौकीर रजा को 27 मार्च तक सरेंडर कर ज़मानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

  • मृतक शिक्षक के परिवार की मदद के लिए शिक्षक संगठनों ने बोर्ड सचिव को सौंपा ज्ञापन

    मृतक शिक्षक के परिवार की मदद के लिए शिक्षक संगठनों ने बोर्ड सचिव को सौंपा ज्ञापन

    -कहा, 22 तक मांग पूरी न हुई तो शुरू होगा व्यापक आंदोलन

    प्रयागराज,। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के सभी संगठनों ने राजकीय शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त रूप से मंगलवार को बैठक की। इसके उपरान्त बोर्ड सचिव दिव्य कांत शुक्ल से मांग की गई कि सरकार और शिक्षा विभाग 22 मार्च तक हमारी मांगों पर विचार करते हुए आदेश निर्गत करे। अन्यथा शिक्षक संगठन उप्र के सभी मूल्यांकन केंद्रों पर एक साथ मूल्यांकन बहिष्कार करने के लिये बाध्य होंगे।

    एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉ हरिप्रकाश यादव ने बताया कि हमारी पांच सूत्री मांगों में मृतक शिक्षक धर्मेंद्र कुमार के परिवार को विशेष आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान की जाए, मृतक शिक्षक की पत्नी को पेंशन के रूप में शिक्षक की शेष सेवा तक पूर्ण नियमित वेतन प्रदान किया जाये। हत्यारोपी पुलिसकर्मी के विरुद्ध फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर समयबद्ध कठोरतम सजा सुनिश्चित कराई जाए, बोर्ड परीक्षा एवं मूल्यांकन के दौरान संकलन केंद्र से मूल्यांकन केंद्रों तक एवं मूल्यांकन केंद्रों से परिषद तक उत्तर पुस्तिकाओं को पहुचाने के कार्य से शिक्षकों को मुक्त किया जाए। उपरोक्त मांगों से सम्बंधित ज्ञापन संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकान्त शुक्ल को सौंपते हुए त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित कराने का आग्रह किया।

    प्रतिनिधि मंडल में राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री रविभूषण, पाण्डेय गुट के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय, उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉ हरिप्रकाश यादव, प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र वर्मा, जिलाध्यक्ष सुनील शुक्ला, शर्मा गुट के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी, चेतनारायण गुट के प्रदेश कोषाध्यक्ष महेश यादव, प्रदेश मंत्री तीरथराज पटेल जिलाध्यक्ष मोहम्मद जावेद जिला मंत्री देवराज सिंह, विजय यादव सहित सैकड़ों शिक्षक उपस्थित रहे।

  • जमीन का पट्टा रद्द करने के सरकारी फैसले के खिलाफ जौहर यूनिवर्सिटी की याचिका खारिज

    जमीन का पट्टा रद्द करने के सरकारी फैसले के खिलाफ जौहर यूनिवर्सिटी की याचिका खारिज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर जिले में मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की भूमि के पट्टे को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की रिट याचिका में विश्वविद्यालय से जुड़े लीज डीड को रद्द करके जमीन जब्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती दी गई थी।

    राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान की मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे की शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए 3.24 एकड़ भूमि का पट्टा रद्द कर दिया। जिसमें आरोप लगाया गया था कि मूल रूप से एक शोध संस्थान के लिए आवंटित भूमि पर एक स्कूल चल रहा था। नियमानुसार लीज रद्द होने के बाद जमीन का कब्जा स्वतः सरकार के पास चला जाता है।

    न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने दिसम्बर 2023 में जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट की याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले को सुरक्षित रखते हुए, पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के अंत तक रामपुर पब्लिक स्कूल के बच्चों के लिए हेल्पलाइन चालू रखेगी।

    मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने इस आधार पर बिना कारण बताओ नोटिस के पट्टा रद्द करने का बचाव किया था कि जनहित सर्वोपरि है। यह तर्क दिया गया कि उच्च शिक्षा (अनुसंधान संस्थान) के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई भूमि का उपयोग रामपुर पब्लिक स्कूल चलाने के लिए किया जा रहा था।

    तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान द्वारा सरकारी जमीन के खुलेआम दुरुपयोग के आधार पर पट्टा रद्द करने का बचाव करते हुए महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया था कि यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान कैबिनेट मंत्री रहते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का पद संभाल रहे थे। उन्होंने अध्यक्ष की हैसियत से ट्रस्ट का नेतृत्व किया, जो हितों का टकराव था।

    ट्रस्ट की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता अमित सक्सेना ने यूपी सरकार द्वारा लीज डीड को रद्द करने और संपत्ति को सील करने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया था। ट्रस्ट का प्राथमिक तर्क था कि अनुसंधान संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले समिति के किसी भी सदस्य या ट्रस्ट को कोई नोटिस नहीं दिया गया था और याची ट्रस्ट को विशेष जांच दल की रिपोर्ट कभी नहीं दी गई थी। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि यदि याची को उन रिकॉर्डों को दिखाया गया होता, जिस पर पट्टा रद्द करने और परिसर को सील करने के लिए आधार बनाया गया था। उस पर याची पर्याप्त रूप से जवाब दे सकता था