Category: इलाहाबाद

  • यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को हाईकोर्ट से झटका

    यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को हाईकोर्ट से झटका

    -सम्पत्ति कुर्क किए जाने के बस्ती सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक से इंकार

    प्रयागराज। यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सम्पत्तियां कुर्क किए जाने के बस्ती जिला के सेशन कोर्ट के आदेश मामले में अमरमणि त्रिपाठी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज कोई राहत नहीं मिल सकी है। हाईकोर्ट ने आज की सुनवाई में बस्ती सेशन कोर्ट के आदेश पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है।

    मालूम हो कि बस्ती की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी को फरार घोषित कर यूपी के डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह से उनकी सम्पत्तियों को जल्द से जल्द कुर्क किए जाने का आदेश दिया है। कुर्क किए जाने के आदेश पर अमल नहीं किए जाने पर नाराजगी भी जताई है। बस्ती की स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ ही अमरमणि त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। कोर्ट इस मामले पर 15 मार्च को अगली सुनवाई करेगी।

    त्रिपाठी की इस याचिका पर आज हाईकोर्ट में जस्टिस संजय कुमार सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान त्रिपाठी द्वारा दाखिल किए गए रिकार्ड और यूपी सरकार के हलफनामे में तारीखों पर अंतर देखने को मिला। इस पर हाईकोर्ट ने बस्ती की स्पेशल कोर्ट से आर्डर शीट के रिकॉर्ड सील बंद लिफाफे में पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट में 15 मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। हालांकि आज की सुनवाई में अदालत ने स्पेशल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाए जाने की अमरमणि त्रिपाठी की मांग को मंजूर नहीं किया। हाईकोर्ट ने इस मामले में आज कोई भी अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है।

    मामला व्यापारी के बेटे के अपहरण से जुड़ा है। 6 दिसम्बर 2001 को बस्ती के व्यापारी धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था। पुलिस ने व्यापारी के बेटे को लखनऊ में अमरमणि त्रिपाठी के घर से बरामद किया था। इस मामले में अमरमणि समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था। त्रिपाठी जेल से छूटने के बाद भी इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं हुए थे।

    निचली अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर सम्पत्तियां कुर्क करने का आदेश दिया। अमरमणि की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी में निचली अदालत के कुर्की के आदेश पर रोक लगाए जाने और कोर्ट में सरेंडर करने पर उन्हें उसी दिन जमानत पर रिहा किए जाने की गुहार लगाई गई थी।

  • हिन्दू बन प्रेमजाल में फंसाकर धर्म बदलने का दबाव डालने के आरोपी शाहरूख की जमानत अर्जी खारिज

    हिन्दू बन प्रेमजाल में फंसाकर धर्म बदलने का दबाव डालने के आरोपी शाहरूख की जमानत अर्जी खारिज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाम बदल प्रेम जाल में फंसाकर शारीरिक शोषण करने व धर्म परिवर्तन का दबाव बनाकर खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपी शाहरूख को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा आरोप गम्भीर है, इसलिए आरोपी जमानत पाने का अधिकारी नहीं है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कानपुर नगर के शाहरुख की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। मालूम हो कि शिकायतकर्ता की बहन रेनू ने 24 अप्रैल 23 को खुदकुशी कर ली। छोटी बहन रेशू ने बताया कि वह सौरभ से प्रेम करती थी, जो बाद में शाहरुख निकला। उसने धर्म बदलने व निकाह करने का दबाव बनाया और कहा कि धर्म बदल लो या इज्जत बचाने को खुदकुशी कर लो।

    याची का कहना था कि वह पड़ोसी हैं। दोनों एक-दूसरे को जानते हैं। आरोप झूठे लगाये गये हैं। कोर्ट ने कहा हिन्दू बनकर प्रेम जाल में फंसाकर कर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाना गम्भीर अपराध है। कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।

  • हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव की दोगुनी हुई जमानत राशि

    हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव की दोगुनी हुई जमानत राशि

    -लोकसभा, विधानसभा चुनाव से महंगा है बार एसोसिएशन का चुनाव

    -एक दिसम्बर 2022 से लागू बाईलाज को पूरे साल का मानकर मांगा केसों का विवरण, वकीलों में आक्रोश

    प्रयागराज,। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का चुनाव लोक सभा और विधान सभा चुनाव से भी महंगा हो गया है। मतदाता सूची को लेकर जहां विवाद है, वहीं जमानत राशि और केसों की संख्या सहित अन्य मामलों को लेकर अधिवक्ताओं में रोष देखा जा रहा है। तीन दिनों में सैकड़ों अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों, एल्डर कमेटी और चुनाव कमेटी से शिकायत कर इसे वापस लेने की मांग की है। बुधवार को भी बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने इस सम्बंध में मांग पत्र सौंपा।

    हाईकोर्ट बार एसोसिएशन कार्यकारिणी, एल्डर कमेटी, चुनाव कमेटी को सौंपे गए ज्ञापन में अधिवक्ताओं का कहना है कि पिछले दो सालों में प्रत्याशियों की ओर से जो जमानत राशि जमा कराई गई। वह रकम वर्तमान में जमा कराई जा रही सिक्योरिटी मनी से आधी थी। यानी इस साल दोगुनी जमानत राशि ली जा रही है। जैसे अध्यक्ष के लिए यह रकम एक लाख रूपये कर दी गई है। वहीं महासचिव के लिए 70 हजार रूपये ली जा रही है। जबकि, लोक सभा प्रत्याशियों की जमानत राशि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी से चार गुना कम है। लोक सभा प्रत्याशी को 2019 के चुनाव में 25 हजार रूपये जमा करना पड़ा था। जबकि, 2022 के विधानसभा के चुनाव में प्रत्याशियों को 10 हजार रूपये जमानत राशि के रूप में जमा करनी पड़ी। जबकि, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में गवर्निंग काउंसिल के पदाधिकारियों को विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के बराबर की जमानत राशि जमा करनी पड़ रही है।

    सौंपे गए मांग पत्र में अधिवक्ता मृत्यंजय तिवारी, वेणु गोपाल, पारिजात तिवारी, आनंद श्रीवास्तव, सुधीर, प्रखर श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं का कहना है कि चुनाव कमेटी ने केसों का विवरण भी गलत मांगा है। उनका कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का संशोधित बाईलॉज एक दिसम्बर 2022 से लागू हुआ है। संशोधित बाईलॉज जब से लागू हुआ चुनाव कमेटी को उसी के अनुसार काम करना चाहिए था। जबकि, चुनाव कमेटी ने संशोधित बाईलॉज को उसके पहले भी लागू कर दिया है। जबकि, कोरोना का दौर 2020 से लेकर 2022 तक चला। उस दौर में अधिवक्ता परेशान थे। लिहाजा, प्रत्याशियों से पिछले वर्ष की तरह एक वर्ष का ही केसों का विवरण लिया जाना चाहिए। इन अधिवक्ताओं ने चुनाव कमेटी पर पर आरोप लगाया कि कमेटी ने जमानत राशि और केसों की संख्या तय करते समय अधिवक्ताओं से आम राय भी नहीं ली।

    इसके अलावा मतदाता सूची को लेकर आपत्तियों को दर्ज कराने के बावजूद पूरी सूची नहीं जारी हुई। अधिवक्ताओं का कहना है कि सदस्यता शुल्क और पांच केस होने के बावजूद उनका नाम सूची में शामिल नहीं है। जबकि, उन्होंने आपत्ति भी दर्ज कराई। इसी तरह की शिकायत सैकड़ों अधिवक्ताओं की है। अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि चुनाव कमेटी ने आचार संहिता लागू कर प्रत्याशियों द्वारा सभी तरह के चुनाव प्रचार सामग्री के प्रयोग पर रोक लगा दी है लेकिन यह नहीं बताया कि प्रत्याशी अपना प्रचार किस तरह से करें। जबकि, नामांकन पत्र की बिक्री के दो दिन हो गए हैं। लिहाजा, जमानत राशि कम की जाए। कोविड के दौर को देखते हुए पिछले साल की तरह ही एक साल का ही केसों का विवरण लिया जाय। साथ ही मतदाता सूची में आपत्ति दर्ज करने वाले अधिवक्ताओं का नाम शामिल किया जाए।

  • श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद : कृष्ण कूप के पूजा की मांग को लेकर अर्जी दाखिल

    श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद : कृष्ण कूप के पूजा की मांग को लेकर अर्जी दाखिल

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के सीढ़ियों के पास स्थित कृष्ण कूप की नियमित पूजा की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई है। कहा गया है कि होली के बसोड़ा पर इसकी विशेष पूजा होती रही है और यह पूजा जमाने से चली आ रही है। लेकिन इसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से अनावश्यक आपत्ति की जा रही है। इसे रोका जाना चाहिए।

    यह अर्जी महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे 18 सिविल वादों में वाद संख्या 13 के वादी हैं और उन्होंने भी 1968 में श्रीकृष्ण जन्म भूमि संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते को चुनौती देते हुए मस्जिद को मिली ढाई एकड़ भूमि दिए जाने की मांग की है। मामला न्यायमूर्ति मयंक जैन की पीठ के समक्ष लम्बित हैं। कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 13 मार्च की तिथि तय की है। उस दिन इस अर्जी पर भी सुनवाई हो सकती है। मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से बहस जारी है।

    दाखिल अर्जी में याची की ओर से यह दावा किया गया है कि कृष्ण कूप शाही ईदगाह मस्जिद की सीढ़ियों के पास स्थित है। पुराने जमाने से ही यहां पूजा होती आ रही है। श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने इस कूप का निर्माण कराया था। कूप हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। होली के बाद बसोड़ा पर शीतला माता की पूजा होती है। यहां बच्चों का मुंडन सहित धार्मिक क्रियाएं कराई जाती हैं। इस दिन कृष्ण कूप की पूजा का भी प्रचलन है। 2022 में यहां विवाद होने पर पुलिस बल की तैनाती कर पूजा कराई गई थी। होली के बाद महिलाएं यहां पूजा को जाएंगी। उनकी पूजा में कोई व्यवधान न हो। लिहाजा, पूजा के अधिकार के साथ उनकी सुरक्षा की भी व्यवस्था की जाए।

  • 1998 की सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित को 2006 में नियुक्ति पर पुरानी पेंशन देने से इंकार

    1998 की सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित को 2006 में नियुक्ति पर पुरानी पेंशन देने से इंकार

    -कोर्ट ने कहा, बीटीसी प्रशिक्षण योग्यता से चयन प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जा सकती

    प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूल सहायक अध्यापक भर्ती 1998 में चयनित याची की प्रशिक्षण प्राप्ति के बाद 2006 में हुई नियुक्ति के कारण पुरानी पेंशन का लाभ देने से इंकार कर दिया है।

    कोर्ट ने कहा कि यदि अभ्यर्थी प्रशिक्षण योग्यता हासिल कर रहा हो तो यह नहीं कहा जा सकता की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। नियुक्ति के बाद ही चयन प्रक्रिया पूरी मानी जायेगी। कोर्ट ने कहा याची ने विशेष बीटीसी प्रशिक्षण 2006 में पूरा किया और नई पेंशन स्कीम 1 अप्रैल 2005 को लागू कर दी गई। याची की नियुक्ति 20 मई 2006 को हुई। इसलिए वह भर्ती 1998 की होने के आधार पर पुरानी पेंशन की मांग नहीं कर सकती।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रीमती सुषमा यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची का कहना था कि उसका चयन 1998 की भर्ती में हुआ है। नियुक्ति में देरी के लिए उसे दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट के अंतरिम आदेश से याची ने 20 जुलाई 04 को जंगीपुर प्राइमरी स्कूल गाजीपुर में सहायक अध्यापक पद पर ज्वाइन किया। विशेष बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाणपत्र जारी होने के बाद उसे 2006 में नियुक्त किया गया। नियुक्ति के 17 साल बाद याची ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 17 नवम्बर 23 को पुरानी पेंशन के लिए प्रत्यावेदन दिया। नियुक्ति में देरी पर उसकी गलती नहीं है।

    मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने कहा कि बीटीसी प्रशिक्षण नियुक्ति की योग्यता है। जिसे चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं माना जा सकता। इसलिए याची पुरानी पेंशन की हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने जनार्दन राय केस के फैसले का अनुसरण करते हुए पुरानी पेंशन की मांग निराधार करार देते हुए याचिका खारिज कर दी।

  • पत्नी के पास आय के साधन नहीं तो कैसे खरीद ली सम्पत्ति : हाईकोर्ट

    पत्नी के पास आय के साधन नहीं तो कैसे खरीद ली सम्पत्ति : हाईकोर्ट

    -कोर्ट ने गैंगस्टर की पत्नी की ओर से दाखिल अपील को किया खारिज

    -कहा, पति ने अपराध से अर्जित कमाई से ही लिखाई थी सम्पत्ति

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट से आजमगढ़ के गैंगस्टर की पत्नी को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि जब पत्नी के पास आय का स्रोत नहीं है तो वह सम्पत्ति कैसे खरीद सकती है।

    कोर्ट ने मामले में जिलाधिकारी आजमगढ़ की ओर से की गई कार्रवाई को सही मानते हुए विशेष न्यायालय गैंगस्टर के आदेश को सही माना और गैंगस्टर की पत्नी की अपील को खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने मीना देवी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

    याची ने आजमगढ़ के विशेष न्यायालय गैंगस्टर के आदेश को चुनौती दी थी। विशेष न्यायालय ने याची की अपील को इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उसके पास आय का कोई जरिया नहीं है। लिहाजा, पति द्वारा ही उसके नाम सम्पत्ति लिखाई गई है। याची ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

    मामले में डीएम आजमगढ़ ने गैंगस्टर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसकी पत्नी/याची की दो सम्पत्तियों को भी संलग्न कर दिया था। याची ने जिलाधिकारी की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई लेकिन जिलाधिकारी ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद याची ने विशेष सत्र न्यायाधीश गैंगस्टर आजमगढ़ के समक्ष गुहार लगाई लेकिन वहां से भी उसे झटका लगा। याची ने उसे गैंगस्टर कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची की ओर से कहा गया कि उसकी अपनी मेहनत की कमाई है। उसने अपने मेहनत की कमाई से दोनों सम्पत्ति खरीदी है। जबकि, विरोधी पक्ष के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि याची के पास पति की आय के अलावा कोई आय का स्रोत नहीं है।

    कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची की जो सम्पत्तियां कुर्क की गईं, वे याची के पति गैंगस्टर राजेंद्र यादव द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर लिखाई गई थी।

  • निदेशक स्थानीय निकाय व प्रमुख सचिव नगर आदेश का पालन करें या हाजिर हों : हाईकोर्ट

    निदेशक स्थानीय निकाय व प्रमुख सचिव नगर आदेश का पालन करें या हाजिर हों : हाईकोर्ट

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निदेशक स्थानीय निकाय उप्र लखनऊ नितिन बंसल व प्रमुख सचिव नगर विकास उप्र लखनऊ अमृत अभिजात को एक माह में 28 अप्रैल 23 को पारित आदेश का पालन करने या स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को आदेश का पालन न करने की दशा में कारण बताने को कहा है कि क्यों न उन्हें अवमानना आरोप में दंडित किया जाय। याचिका की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने विनय कुमार सक्सेना की अवमानना याचिका पर दिया है।

    मालूम हो कि बरेली जिले का याची बदायूं जिले के बीसलपुर नगर पालिका परिषद में अवर अभियंता पद से वर्ष 2020 में सेवानिवृत्त हुआ था। उसकी नियुक्ति 7 मार्च 1995 से तदर्थ रूप में की गई थी। सेवा विनियमितीकरण 3 नवम्बर 2015 को किया गया। पेंशन लाभ हेतु अपनी तदर्थ सेवाओं को जोड़ने की मांग की। कोर्ट ने चार माह में विपक्षी को निर्णय लेने का आदेश दिया। जिसका पालन नहीं किया गया तो यह अवमानना याचिका दायर की गई। सरकारी वकील का कहना था कि आदेश के खिलाफ विशेष अपील दायर की गई है।

    इस पर कोर्ट ने कहा केवल अपील दाखिल करने से अपने आप आदेश स्थगित नहीं हो जाता। आदेश पर रोक लगने तक पालन किया जाना अनिवार्य है। इस पर कोर्ट ने आदेश का पालन एक माह में करने या हाजिर होकर कारण बताने को निर्देश दिया है कि क्यों न अवमानना के आरोप में दंडित किया जाय।

  • यूपी बोर्ड : उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 13 दिवसों में होगा

    यूपी बोर्ड : उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 13 दिवसों में होगा

    –3.01 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में 1,47,0़97 परीक्षक नियुक्त

    प्रयागराज,। यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 16 से 31 मार्च तक यानि कुल 13 दिवसों में करायेगा। कुल 3.01 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 1,47,097 परीक्षकों को नियुक्त किया गया है।

    यूपी बोर्ड सचिव दिव्य कांत शुक्ल ने सोमवार को बताया कि होली के मद्देनजर 24 से 26 मार्च तक मूल्यांकन कार्य स्थगित रहेगा। इस वर्ष हाईस्कूल परीक्षा में 29,47,311 एवं इण्टर में 25,77,997 यानि कुल 55,25,308 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। हाईस्कूल की 1.76 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 94,802 तथा इण्टर की 1.25 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 52,295 परीक्षकों को नियुक्त किया गया है।

    बोर्ड सचिव ने बताया कि हाईस्कूल मूल्यांकन कार्य के लिए 131 एवं इण्टर के लिए 116 मूल्यांकन केन्द्र निर्धारित किये गये हैं। 13 मिश्रित मूल्यांकन केन्द्रों पर हाईस्कूल व इण्टर दोनों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य होगा। इस प्रकार कुल 260 केन्द्रों में से 83 राजकीय तथा 177 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को मूल्यांकन केन्द्र बनाया गया है।

  • यूपी बोर्ड : सोमवार को दोनों पालियों में महत्वपूर्ण परीक्षा, सख्त रहेगी व्यवस्था

    यूपी बोर्ड : सोमवार को दोनों पालियों में महत्वपूर्ण परीक्षा, सख्त रहेगी व्यवस्था

    -हाईस्कूल में अंग्रेजी एवं इंटर में भौतिक विज्ञान की परीक्षा

    -बोर्ड मुख्यालय से दिन भर चली जिलों के अफसरों के साथ समीक्षा बैठक

    -सेंटरों पर लापरवाही मिलने पर नपेंगे केंद्र व्यवस्थापक, होगी कार्रवाई

    प्रयागराज। सोमवार को यूपी बोर्ड की परीक्षा का एक और महत्वपूर्ण दिन है। प्रदेश के सभी 8272 परीक्षा केंद्रों पर दोनों पालियों में महत्वपूर्ण विषयों हाईस्कूल में अंग्रेजी एवं इंटर में भौतिक विज्ञान की परीक्षा होने जा रही है। प्रथम पाली में 28,75,055 एवं द्वितीय पाली में 17,36,106 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित होंगे। परीक्षा के दौरान व्यवस्था काफी सख्त रहेगी।

    यूपी बोर्ड के सचिव दिव्य कांत शुक्ल ने बताया है कि परीक्षा केंद्रों पर किसी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता मिलने पर जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। सबसे पहले कार्रवाई केंद्र व्यवस्थापक पर ही होगी। स्टैटिक मजिस्ट्रेट को आगाह कर दिया गया है। सेंटरों में केंद्र व्यवस्थापक और स्टैटिक मजिस्ट्रेट ही मोबाइल का जरूरत पड़ने पर प्रयोग कर सकेंगे। बोर्ड मुख्यालय से सचिव ने रविवार को दिन में कई जिलों के शिक्षाधिकारियों के साथ गूगल मीट करके दिशा निर्देश दिए।

    आगरा प्रकरण के बाद यूपी बोर्ड ने परीक्षा के दौरान और कड़ाई कर दी है। परीक्षा केंद्रों में सभी के मोबाइल ले जाने पर ही रोक लगा दी है। अब जरूरत पड़ने पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट एवं केंद्र व्यवस्थापक ही मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। कमांड रूम से जिस भी परीक्षा केंद्र में लापरवाही दिखी वहां के केंद्र व्यवस्थापक पर कार्रवाई की जा रही है। सोमवार की परीक्षा को सकुशल कराने को लेकर रविवार को दिन भर यूपी बोर्ड में अफसर नई रणनीति पर काम करते रहे। 75 जिलों के पर्यवेक्षकों से एक-एक कर मीटिंग की गई।

    गौरतलब है कि 4 मार्च को प्रथम पाली में हाईस्कूल अंग्रेजी एवं इंटर में कम्प्यूटर व्यवसायिक वर्ग एवं कृषि वर्ग की परीक्षा होगी। द्वितीय पाली में हाईस्कूल में सुरक्षा विषय एवं इंटर में भौतिक विज्ञान, मनोविज्ञान, शिक्षाशास्त्र व तर्कशास्त्र की परीक्षा होगी। बोर्ड सचिव ने बताया कि परीक्षा के दौरान सभी पर्यवेक्षक, सचल दस्ते, जोनल मजिस्ट्रेट फील्ड में रहेंगे। कमांड रूम से सभी केंद्रों पर नजर रखी जाएगी। सोशल मीडिया पर भी क्यूआरटी की नजर बनी हुई है। इस काम के लिए अलग से विशेषज्ञ लगे हुए हैं।

  • पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता के नमो ऐप एम्बेसडर बनने पर प्रधानमंत्री की तरफ से आया उपहार

    पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता के नमो ऐप एम्बेसडर बनने पर प्रधानमंत्री की तरफ से आया उपहार

    –सौ दिन विकसित भारत एम्बेसडर चैलेंज के विकली और मंथली चैलेंज में हासिल किया था पूरे देश में पांचवा स्थान

    –प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सौभाग्य का उदय हो रहा है : अभिलाषा गुप्ता

    प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में नमो ऐप पर 100 दिन विकसित भारत एम्बेसडर चैलेंज के विकली और मंथली चैलेंज में पूरे देश में टॉप 5 में स्थान बनाने वाली प्रयागराज की पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता नन्दी को प्रधानमंत्री की तरफ से उपहार भेजा गया है। जिसे स्वीकार करते हुए पूर्व महापौर ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है।

    विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत नमो ऐप पर पूरे देश में 100 डे चैलेंज और ब्रांड एम्बेसडर मुहिम चलाया गया। जिसमें देश भर में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया। जिसके आधार पर पूर्व महापौर ने नमो ऐप विकली चैलेंज में पूरे देश में टॉप 5 में अपना स्थान बनाते हुए पांचवा स्थान हासिल किया। उसके बाद मंथली चैलेंज में पूरे देश में पांचवा स्थान हासिल किया।

    शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐप की तरफ से भेजा गया विकसित भारत एम्बेसडर की डायरी, टी-शर्ट, कैप और बैंड पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता नन्दी ने प्राप्त किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरा देश पिछले दस वर्षों में अभूतपूर्व बदलावों, सुरक्षा, प्रगति और सुशासन के के स्वर्णिम युग का साक्षी बन रहा है। भारत के सौभाग्य का उदय हो रहा है।

    इस अवसर पर भाजपा काशी क्षेत्र अध्यक्ष दिलीप सिंह पटेल, सांसद बीपी सरोज, विधान परिषद सदस्य विद्यासागर सोनकर, लोकसभा प्रभारी हरिओम मिश्रा, लोकसभा संयोजक डॉ. अजय कुमार सिंह, क्षेत्रीय महामंत्री संतोष पटेल, विधायक पिण्डरा अवधेश सिंह, पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर, पूर्व विधायक डॉ. हरेन्द्र प्रसाद सिंह आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।