Category: इलाहाबाद

  • बच्ची की रेप और हत्या के आरोपी को तीस साल की जेल

    बच्ची की रेप और हत्या के आरोपी को तीस साल की जेल

    –हाईकोर्ट ने फैसले में किया बदलाव, ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी मौत की सजा

    प्र्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन साल की बच्ची का रेप कर हत्या करने के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा में परिवर्तन करते हुए तीस साल की कारावास की सजा सुनाई है।

    कोर्ट ने कहा कि याची में सुधार की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने दिनेश पासवान की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।

    याची के खिलाफ फतेहपुर जिले के खागा थाने में रेप और हत्या सहित आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए याची के पूरे जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा, बिना किसी छूट व लाभ के 30 साल की अवधि के लिए निश्चित अवधि की सजा में संशोधित की जानी चाहिए। ताकि उसके जीवन का मुख्य समय जेल में व्यतीत हो। याची द्वारा काटी जा चुकी सजा को छोड़कर, 30 साल की पूरी सजा भुगतने के बाद ही जेल से रिहा किया जाएगा।

  • यूपी बोर्ड : सख्ती से खलबली, सवा तीन लाख परीक्षार्थी नहीं पहुंचे परीक्षा केंद्र

    यूपी बोर्ड : सख्ती से खलबली, सवा तीन लाख परीक्षार्थी नहीं पहुंचे परीक्षा केंद्र

    -पहले दिन सात मुन्ना भाई एवं पांच नकलची पकड़े गए, एक केंद्र व्यवस्थापक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

    -सोशल मीडिया पर भी रही निगरानी, कंट्रोल रूम से रखी गई नजर

    प्रयागराज,। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की शुचितापूर्ण तरीके से परीक्षा कराने की रणनीति पहले दिन से कारगर हो गई। गुरुवार को हाईस्कूल एवं इंटर की परीक्षा में करीब सवा तीन लाख से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों तक नहीं पहुंचे। प्रदेश भर में सोशल मीडिया पर नजर रखे जाने की वजह से भी नकलचियों में भय व्याप्त रहा। हिन्दी की परीक्षा में नकल कराने का प्रयास करने वाले सात मुन्ना भाई भी पकड़े गए। इन सबके खिलाफ एफआरआई दर्ज कराई गई है। एक केंद्र व्यवस्थापक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। परीक्षा केंद्रों पर निगहबानी की वजह से पांच नकलची भी पकड़े गए हैं।

    बोर्ड मुख्यालय एवं लखनऊ कें कंट्रोल रूम से सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से परीक्षा के दौरान एक टीम परीक्षा केंद्रों पर नजर रखे रही। जहां भी कुछ गड़बड़ी दिखी उस केंद्रों को चेतावनी भी दी गई। यूपी बोर्ड ने इस वर्ष की परीक्षा में और सख्त कदम उठाए हैं। इसका नतीजा आज पहले दिन ही परीक्षा में देखने को मिला।

    प्रथम पाली में हाईस्कूल हिन्दी एवं प्रारम्भिक हिन्दी की परीक्षा 8273 केंद्रों पर एवं इंटर सैन्य विज्ञान की परीक्षा 244 केंद्रों पर आयोजित हुई। हाईस्कूल में 29,38,663 तथा इंटर में 5,123 परीक्षार्थी सम्मिलित होना था। द्वितीय पाली में इंटर हिंदी एवं सामान्य हिंदी की परीक्षा 8,232 केंद्रों पर हुई। हाईस्कूल में वाणिज्य की परीक्षा 1619 सेंटरों पर हुई। इंटर में 24,29,278 तथा हाईस्कूल में 38,437 परीक्षार्थी सम्मिलित होना था। पर हाईस्कूल में कुल 2,03,299 एवं इंटर में 1,30,242 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे।

    बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया कि हाईस्कूल एवं इंटर में कुल 3,33,541 परीक्षार्थी गैरहाजिर रहे। इसी प्रकार प्रथम पाली की परीक्षा में सात छद्म परीक्षार्थी भी पकड़े गए। इनमें चार देवरिया, एक-एक आजमगढ़, जौनपुर, अलीगढ़ का मुन्ना भाई है। एटा में एक केंद्र व्यवस्थापक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पांच बच्चे नकल करते भी पकड़े गए हैं। बोर्ड सचिव ने बताया कि प्रदेश के सभी केंद्रों की लगातार मानिटरिंग की जाती रही। गौरतलब है कि बोर्ड की परीक्षा 55 लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया है। आठ हजार से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। तीन लाख से अधिक कक्ष निरीक्षक की तैनाती हुई है। सभी को क्यूआर कोड वाले आईकार्ड दिए गए हैं। उत्तरपुस्तिका को भी क्यूआर कोर्ड के दायरे में लाया गया है। परीक्षा में नकल रोकने के लिए एसटीएफ, लोकल खुफिया विभाग एवं पुलिस भी सक्रिय है।

    सचिव ने बताया कि शुक्रवार को 4 लाख 47 हजार परीक्षार्थी एक्जाम में सम्मिलित होंगे। प्रथम पाली में हाईस्कूल पाली, अरबी, फारसी की परीक्षा 114 केंद्रों एवं इंटर में नागरिकशास्त्र की परीक्षा 7362 केंद्रों पर होगी। जिसमें हाईस्कूल में 1003 तथा इंटर में 3,71,938 परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे। इसी प्रकार द्वितीय पाली हाईस्कूल में संगीत गायन 602 केंद्रों एवं इंटर की व्यावासायिक व कृषि वर्ग की परीक्षा 1812 केंद्रों पर होगी। इनमें हाईस्कूल में 10,695 तथा इंटर में 63,865 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं।

  • मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट का बैंक खाता सीज मामले में बैंक को आदेश के पालन का निर्देश

    मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट का बैंक खाता सीज मामले में बैंक को आदेश के पालन का निर्देश

    -कोर्ट ने पालन के लिए दिया छह हफ्ते का अतिरिक्त समय

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के बैंक खाते सीज करने के खिलाफ ट्रस्ट की जवाब पर जिला सहकारी बैंक रामपुर को निर्णय लेने के आदेश का पालन करने का छह हफ्ते का अतिरिक्त मौका दिया है।

    कोर्ट ने कहा है कि याची को निर्णय की सूचना दी जाय। हालांकि कोर्ट ने कहा कि विपक्षी के खिलाफ 19 दिसम्बर 23 के कोर्ट आदेश की अवहेलना कर प्रथम दृष्टया अवमानना में दंडित करने का केस बनता है। किंतु कोई नोटिस जारी करने के बजाय आदेश के पालन का अवसर दिया है और कहा है कि फिर भी आदेश का पालन नहीं किया जाता तो दुबारा अवमानना याचिका दायर की जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

  • मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद : सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति की सुनवाई जारी

    मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद : सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति की सुनवाई जारी

    प्रयागराज। मथुरा कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से शाही ईदगाह मस्जिद का अवैध कब्जा हटाकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने की मांग सहित अन्य मांगों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन सिविल वाद की सुनवाई जारी है। शुक्रवार 23 फरवरी को भी दो बजे से होगी।

    भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व अन्य सहित 18 सिविल वादों की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक जैन की पीठ कर रही है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत मस्जिद पक्ष की तरफ से सिविल वाद की पोषणीयता पर की गई आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस की। कहा कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 के अंतर्गत 15 अगस्त 1947 की किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जा सकता। इसको लेकर कोई वाद अदालत को सुनने का अधिकार नहीं है। इसलिए सिविल वाद निरस्त किए जाय।

    उन्होंने आजादी से पहले दोनों पक्षों के बीच हुए एक समझौते का हवाला दिया और कहा इस आधार पर भी सिविल वाद खारिज किया जाय। अदालत से तय मामले को दुबारा अदालत में नहीं उठाया जा सकता। यह भी कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद वक्फ संपत्ति है। जिसको लेकर सिविल अदालत को विवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। दो घंटे की लम्बी बहस के बाद समयाभाव के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई। आगे की सुनवाई शुक्रवार को जारी रहेगी।

    सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से किसी ने पक्ष नहीं रखा। अन्य विपक्षियों की तरफ से अधिवक्ता नसीरूज्जमा, हरे राम त्रिपाठी, प्रणय ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन खान, एमके सिंह ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल व आकांक्षा शर्मा के अलावा वादी पक्ष के तमाम अधिवक्ता व पक्षकार मौजूद थे।

  • रासुका में समीक्षा के आधार पर हिरासत अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती : हाईकोर्ट

    रासुका में समीक्षा के आधार पर हिरासत अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती : हाईकोर्ट

    -कहा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं, याची को रिहा करने का दिया निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 12(1) के तहत राज्य सरकार हिरासत की अवधि को समीक्षा के आधार पर आगे नहीं बढ़ा सकती है। किसी भी आरोपी की हिरासत की अवधि को बढ़ाने के लिए नए आदेश पारित करना आवश्यक है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कानपुर के याची मोहम्मद असीम उर्फ पप्पू स्मार्ट व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा याची की हिरासत की अवधि तीन महीने के लिए थी। इस अवधि के बाद हिरासत अवधि को समीक्षा के आधार पर बढ़ाई गई। नया आदेश पारित नहीं किया गया। लिहाजा, याची किसी अन्य मामले में हिरासत में न हो तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

    मामले में जिला मजिस्ट्रेट कानपुर ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3(2) के तहत आदेश पारित कर याची को तीन महीने में हिरासत में ले लिया था। तीन महीने की अवधि में हिरासत में रखने के लिए मामले को सलाहकार बोर्ड के पास भेजा गया था। राज्य सरकार की ओर से इसकी पुष्टि हो गई। याची को पहले तीन महीने के बाद छह महीने, फिर नौ महीने और फिर 12 महीने की अवधि के लिए हिरासत बढ़ा दी गई।

    याची अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के पास हिरासत की अवधि को बढ़ाने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा कि तीन महीने की प्रारंभिक अवधि के बाद किसी भी संशोधन और हिरासत को रद्द किया जा सकता है। सरकारी अधिवक्ता ने चेरूकुरी मणि बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। कहा कि प्रत्येक तीन महीने की अवधि के अंत में हिरासत अवधि को बढ़ाया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि हिरासत आदेश की समीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है और उस समीक्षा के अधार पर हिरासत की अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने याची को रिहा करने का निर्देश दिया।

  • हाईकोर्ट बार एसोसिएशन निर्वाचन समिति ने कार्यकारिणी चुनाव के लिए आचार संहिता किया लागू

    हाईकोर्ट बार एसोसिएशन निर्वाचन समिति ने कार्यकारिणी चुनाव के लिए आचार संहिता किया लागू

    –बार चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को नामांकन पत्र के साथ नोटरी हलफनामा देना अनिवार्य

    प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की निर्वाचन समिति ने वर्ष 2024-25 के कार्यकारिणी चुनाव के लिए आचार संहिता जारी कर तत्काल प्रभाव से लागू कर दी है। जिसका सभी सम्भावित प्रत्याशियों, समर्थकों को कड़ाई से पालन करने का अनुरोध किया गया है। अवहेलना करने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

    चुनाव अधिकारी वशिष्ठ तिवारी के अनुसार मुख्य चुनाव अधिकारी वरिष्ठ अधिवक्ता वीएम जैदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई चुनाव समिति की बैठक में अमित कुमार निगम एवं अन्य केस में हाईकोर्ट के निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने का फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट परिसर, आस पास और पूरे शहर में कोई भी प्रत्याशी या समर्थक पोस्टर, बैनर नहीं लगाएंगे। जिन प्रत्याशियों के पोस्टर, बैनर लगे हैं, वे अपने सभी पोस्टर, बैनर हटवा लें अन्यथा उनका नामांकन निरस्त कर दिया जायेगा। यह भी कहा गया है कि चुनाव के दौरान किसी प्रकार की चुनाव प्रचार सामग्री का वितरण नहीं किया जायेगा।

    प्रत्याशी एवं समर्थक कोर्ट परिसर के गलियारे में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। न कोई पोस्टर या हैंडबिल वितरित करेंगे। इसके अलावा सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से भी चुनाव प्रचार पूर्णतया वर्जित किया गया है। कोई भी प्रत्याशी या उसके समर्थक किसी भी समारोह के बहाने किसी भी प्रकार की छोटी या बड़ी पार्टी, दावत आयोजित नहीं करेंगे। कोई भी प्रत्याशी या उनके समर्थक द्वारा अन्य किसी प्रत्याशी के विरुद्ध किसी भी प्रकार की अपमानजनक टिप्पणी या शब्दों का प्रयोग किया जाना प्रतिबंधित किया गया है। सभी प्रत्याशियों को नामांकन फार्म के साथ चुनाव आचार संहिता के पालन का नोटरी शपथ पत्र के जरिए इस आशय का घोषणा-पत्र देना होगा।

  • सहायक अध्यापक भर्ती : चयनित अभ्यर्थियों की जारी सूची को रद्द करने की याचिका खारिज

    सहायक अध्यापक भर्ती : चयनित अभ्यर्थियों की जारी सूची को रद्द करने की याचिका खारिज

    प्रयागराज। सहायक अध्यापक भर्ती 2020 में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर गैर चयनित अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि अनारक्षित, आरक्षित सीटों के वितरण के साथ-साथ क्षैतिज आरक्षण के लिए सीटों की संख्या प्रासंगिक कानूनों और नियमों के अनुसार निर्धारित की गई है। इसमें गलती नहीं है।

    याची इस बात को स्पष्ट नहीं कर सके कि आरक्षण देने में गड़बड़ी की गई है। साथ ही चयनित उम्मीदवारों को पक्षकार नहीं बनाया गया। लिहाजा, याचिका खारिज की जाती है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्वेता र्मार्या व 21 अन्य सहित कुल 27 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है।

    याचियों की ओर से कहा गया कि सहायक अध्यापक 2020 भर्ती मामले में अन्य पिछड़ें वर्ग के अभ्यर्थियों (ओबीसी) को दिया गया आरक्षण सही नहीं है। याचियों की ओर से कहा गया कि सहायक अध्यापकों का चयन जिला स्तर पर किया गया था। जबकि, आरक्षण राज्य स्तर पर गलत तरीके से लागू किया गया। इसका प्रतिकूल प्रभाव अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों पर पड़ा। ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या और उन पर नियुक्ति की संख्या की सटीक जानकारी नहीं दी गई।

    याचियों ने जनपद शाहजहांपुर, झांसी, हरदोई में चयनित अभ्यर्थियों का हवाला भी दिया। जवाब में कहा गया कि अंतिम मेरिट सूची 1994 अधिनियम के तहत पद के आरक्षण को ध्यान में रखते हुए जिलेवार तैयार की गई है। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। याचियों की ओर से चयनित उम्मीदवारों को भी पक्षकार नहीं बनाया गया। इस वजह से याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

  • यूपी बोर्ड मुख्यालय के कमांड सेण्टर से परीक्षा पर रखी जाएगी निगाह

    यूपी बोर्ड मुख्यालय के कमांड सेण्टर से परीक्षा पर रखी जाएगी निगाह

    –यूपी बोर्ड परीक्षा 22 फरवरी से शुरू, सभी तैयारियां पूरी

    –परीक्षा में शामिल होंगे 55.25 लाख परीक्षार्थी, बने 8265 परीक्षा केन्द्र

    प्रयागराज। एशिया के सबसे बड़े यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू होने जा रही हैं। इस बार परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों पर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने पाएंगी क्योंकि परीक्षा केंद्रों की निगरानी यूपी बोर्ड मुख्यालय ब्राड क्रास्ट अर्थात सीधे परीक्षा को अपने कमांड सेण्टर से देखेगा। इस दौरान परीक्षा केंद्रों पर अगर परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो केन्द्र व्यवस्थापक सहित सम्बंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

    यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने आज बोर्ड मुख्यालय में बताया कि परीक्षा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। परीक्षा केंद्रों पर सीधे बोर्ड मुख्यालय और सभी पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों प्रयागराज, मेरठ, बरेली, वाराणसी और गोरखपुर से निगाह रखी जाएगी और गड़बड़ी करने, कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान कापियां भी बदली नहीं जा सकती है, बोर्ड परीक्षा की कापियों में शुरू से लेकर अंत बदलाव किया गया है जिससे अब फर्जीवाड़ा होने की सम्भावना नहीं है।

    सचिव ने बताया कि बोर्ड परीक्षाएं 12 कार्य दिवसों में 9 मार्च तक चलेंगी। परीक्षाओं के लिए प्रदेश में 8265 केंद्र बनाए गये हैं। बोर्ड परीक्षा के लिए 566 राजकीय विद्यालय, 3479 सवित्त और 4220 वित्त विहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल की परीक्षा में 15,71,184 छात्र और 13,76,127 छात्राओं को मिलाकर 29 लाख 47 हजार 311 परीक्षार्थी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से इंटरमीडिएट की परीक्षा में 14,28,323 छात्र और 11,49,674 छात्राओं को मिलाकर कुल 25,77,997 परीक्षार्थी शामिल होंगे। इस प्रकार यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 55,25,308 परीक्षार्थी शामिल होंगे। इस दौरान प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की अपर सचिव प्रशासन यूपी बोर्ड मुख्यालय श्रीमती विभा मिश्रा, यूपी बोर्ड मुख्यालय के अपर सचिव सत्येन्द्र सिंह, उप सचिव देवव्रत सिंह सहित अन्य लोग रहे।

    –24 घंटे रहेगी ऑनलाइन निगरानी

    यूपी बोर्ड मुख्यालय समेत सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में एक-एक कमांड कंट्रोल रूम बनाया गया है। जहां से सभी परीक्षा केंद्रों एवं वहां के स्ट्रांग रूमों की ऑन लाइन निगरानी 24 घंटे रहेगी। बोर्ड मुख्यालय ने पहली बार पांचों क्षेत्रीय कार्यालय प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली एवं मेरठ में कमांड एंड कंट्रोल रूम की स्थापना की है। यहां से परीक्षा केंद्रों पर नकल की घटनाओं एवं अन्य किसी प्रकार की आवंछनीय गतिविधियों के परिलक्षित होने पर तत्काल कार्रवाई की जागी। सचल दस्तों को तत्काल सूचित किया जाएगा। वह तुरंत मौके पर पहुंच कर कार्यवाही करेंगे।

  • सुशासन की पहली शर्त रुल आफ लॉ है : मुख्यमंत्री योगी

    सुशासन की पहली शर्त रुल आफ लॉ है : मुख्यमंत्री योगी

    उत्तर प्रदेश के सुशासन मॉडल को स्थापित करने में बार और बेंच का हमेशा सहयोग मिला

    –योगी ने कहा, हम सरकार तक पहुंची समस्या को समाधान तक जरुर पहुंचाएंगे

    प्रयागराज,। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन की पहली शर्त रूल आफ लॉ है। बिना बाॅर और बेंच के सहयोग के यह सम्भव नहीं है। उत्तर प्रदेश के सुशासन मॉडल को स्थापित करने में बाॅर और बेंच का हमेशा सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि आम आदमी का न्यायिक जगत पर विश्वास बना रहे हमें इस दिशा में कार्य करना चाहिए। अगर लोकतंत्र में जनता का विश्वास डगमगाया तो फिर उसको सड़कों पर उतरने में देर नहीं लगेगी। हम सबको भारत के लोकतंत्र के सभी स्तम्भों को और मजबूती प्रदान करने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए।

    मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को मेडिकल ऐसोसिएशन के ऑडिटोरियम में आयोजित डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद का विशेष महत्व होता है। अगर किसी को कोई समस्या होती है तो वह अपनी परेशानी के बारे में सीधे शासन को अवगत करा सकता है। समस्याग्रस्त व्यक्ति के पास शासन तक अपनी बात पहुंचाने के अनेक माध्यम हैं। हम सरकार तक पहुंची समस्या को समाधान तक जरुर पहुंचाएंगे।

    सीएम योगी ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को लागू हुए भारत के संविधान ने देश को उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। यहीं नहीं भारत के संविधान ने दुनिया को भी लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि जब देश का संविधान तैयार हो रहा था तो उस समय प्रस्तावना को लेकर लेकर लंबी चर्चा हुई थी। उस दौरान बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने एक बात कही थी कि हमारी चुनौती संविधान के विस्तार और अंत को लेकर नहीं है।

    योगी ने कहा कि हम इति को लेकर परेशान होते हैं कि समारोह कैसा होगा। समारोह अच्छा होगा, उसके परिणाम भी अच्छे आएंगे, बशर्ते हमारी शुरुआत अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी संसद में तीन नए एक्ट बनें हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि को अपने ऊपर यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि प्रदेश भर के युवा अधिवक्ताओं के नए एक्ट सहित न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ा प्रशिक्षण का एक विशेष कार्यक्रम यहां प्रारंभ हो, राज्य सरकार उसमें पूरा सहयोग करेगी। सीएम योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं के हित में बहुत सारे कार्य किए हैं और आगे भी करेगी।

    कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा, न्यायाधीश राजेश जिंदल, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, उतर प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा व बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ’नंदी’ सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

  • ट्रायल कोर्ट को न कहें निचली अदालत : हाईकोर्ट

    ट्रायल कोर्ट को न कहें निचली अदालत : हाईकोर्ट

    -हाईकोर्ट ने महानिबंधक को सर्कुलर जारी करने का दिया निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत न कहने को कहा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया है और कहा है कि वह इस संबंध में सर्कुलर (परिपत्र) जारी करें। निचली अदालत की बजाय ट्रायल कोर्ट ही कहा जाए। निचली अदालत या लोअर कोर्ट कहने की प्रथा उचित नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मेरठ के शमशाद अली नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

    याची ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। ट्रायल कोर्ट ने संबंधित मामले में प्रतिवादी संख्या दो राकेश कुमार को बरी कर दिया है। याची ने उसी को चुनौती दी है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले संबंधित रिकॉर्ड तलब किया था। रजिस्ट्री ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को लोअर कोर्ट रिकॉर्ड या एलसीआर के रूप में संदर्भित किया था। कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई। कहा कि कोर्ट ने अपने दो आदेशों में ट्रायल कोर्ट के रूप में संदर्भित किया था। जबकि, कार्यालय ने कोर्ट के दोनों आदेशों के अनुपालन में लोअर कोर्ट रिकॉर्ड या एलसीआर के रूप में संदर्भित किया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को लोअर कोर्ट के रूप में संदर्भित करने की प्रथा उचित नहीं है। हमेशा ट्रायल कोर्ट के रूप में सम्बोधित किया जाना चाहिए।

    इसके अलावा कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका में आरोपी प्रतिवादी संख्या दो राकेश कुमार के उपस्थित न होने पर सीजेएम के जरिए जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है।