Category: इलाहाबाद

  • हाईकोर्ट के जजों को 17 फरवरी को मिल जाएगी अत्याधुनिक लाइब्रेरी

    हाईकोर्ट के जजों को 17 फरवरी को मिल जाएगी अत्याधुनिक लाइब्रेरी

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों को शनिवार को एक अत्याधुनिक लाइब्रेरी मिल जाएगी। वहीं, ड्रमंड रोड स्थित संग्रहालय में वादों के निस्तारण के लिए बनाए गए मध्यस्थता केंद्र भी वादकारियों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ इस लाइब्रेरी और मध्यस्थता केंद्र दोनों का शनिवार को उद्घाटन करेंगे।

    यह लाइब्रेरी सिर्फ जजों के लिए विकसित की गई है। यहां एक साथ 50 जज बैठकर अध्यन कर सकेंगे। इसके अलावा वीडियो कांफेंसिंग रूम भी बनाया गया है। इस कांफेंसिंग रूम में बैठकर जज लखनऊ खंडपीठ या दूसरे हाईकोर्ट के जजों से कानूनी मुद्दों पर वार्ता कर सकेंगे। लाइब्रेरी को पहले के मुकाबले और विस्तृत रूप दिया गया है। पहले यह लाइब्रेरी जहां भूतल पर ही थी वहीं इसे तीन फ्ललोर में पूरा विस्तार दिया गया है। यहां तकरीबन डेढ़ लाख जर्नल्स और एक लाख किताबें उपलब्ध हैं।

    उधर, ड्रमंड रोड पर स्थित संग्रहालय में मध्यस्थता केंद्र का भी उद्घाटन होगा। मध्यस्थता केंद्र पर सुबह 10 बजे से उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कार्यक्रम में यूपी की अदालतें पुस्तक का विमोचन भी होगा।

    कार्यक्रम में मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. चंद्रचूड़ के अलावा सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, मुम्बई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति देवेंद्र उपाध्याय, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति अरूण भंसाली, इलाहाबाद और लखनऊ खंडपीठ के जज, वरिष्ठ अधिवक्ता आदि मौजूद रहेंगे।

  • हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए : डॉ डीवाई चंद्रचूड़

    हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए : डॉ डीवाई चंद्रचूड़

    – अब तक 36 हजार निर्णयों का कराया हिन्दी अनुवाद : मुख्य न्यायाधीश

    -प्रयागराज संगम के साथ धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी : योगी आदित्यनाथ

    प्रयागराज,। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए। जब हम शिक्षा में बराबरी की बात करते हैं तो समाज में बराबरी की बात लागू होगी। इससे वे अपने अधिकार की बात कर सकेंगे।

    वह उक्त बातें शुक्रवार शाम इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन सभागार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शुभारम्भ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कही। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के 27वें विधि विश्वविद्यालय के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का लोकार्पण करते हुए प्रसन्नता हो रही है। क्योंकि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र और आधुनिक भारत की नींव रखी।

    उन्होंने कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में सबको अपनी बात रखने की छूट दी थी जो वास्तव में लोकतंत्र था। डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के साथ बड़े वकील थे। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि मैंने इलाहाबाद में चीफ जस्टिस के रूप में पौने तीन साल बीताया।

    मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में इस शहर का अहम योगदान है। अल्फेड पार्क आज भी चंद्रशेखर आजाद की गाथा कह रहा है। यह शहर विरासत का धनी है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायिक क्षेत्र में हुई कुछ उल्लेखनीय पहल का उल्लेख करते हुए बताया कि हमने अब तक 36 हजार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हिन्दी अनुवाद कराया है। इसका मकसद यह है कि जो अंग्रेजी नहीं जानते उनके घर तक कानून पहुंचे। इसे हर प्रदेश में लागू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी की उपस्थिति में उन्होंने उम्मीद जताई कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय कानूनी पढ़ाई का केंद्र बनेगा। न्यायमूर्ति डॉ चंद्रचूड़ ने कहा इलाहाबाद में आप सबने मुझे अपनाया था।

    प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज गंगा यमुना और सरस्वती का संगम होने के साथ यह धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी है। डॉ. चंद्रचूड़ का इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल अत्यंत प्रेरक रहा है। उन्हें आज मुख्य अतिथि बनाना अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया था। जब भारत के संविधान की प्रस्तावना को लेकर बहस चल रही थी तब बाबा साहेब ने कहा था कि हम इति की चिंता करते हैं कि जबकि हम शुरुआत अच्छी कर रहे हैं तो सब अच्छा होगा। ठीक वैसे भी आज अच्छी शुरुआत हो रही है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यूपी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। हम प्रधानमंत्री के निर्देश में प्रदेश में सुशासन लाने का काम कर रहे हैं जिसकी शर्त रूल ऑफ लॉ है। यह बार और बेंच के बिना सम्भव नहीं है। मैं आभार ज्ञापित करता हूं कि न्यायिक क्षेत्र से हमें सहयोग मिला। अधिकारियों से कहता हूं कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास नहीं टूटना चाहिए अन्यथा उन्हें सड़कों पर उतरने में देर नहीं लगेगी। सरकार के पास कोई भी समस्या आए तो वह समाधान बनकर निकले।

    इसके पूर्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने कहा कि संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों का विशेष योगदान होता है। उम्मीद है कि बेंगलुरु की तरह यह विश्विद्यालय भी काम करेगा।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने उम्मीद जताई कि डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से कानून की बेहतर पढ़ाई होगी। किताबी ज्ञान के साथ तकनीक का उपयोग करके बेहतर पढ़ाई होगी। यह भविष्य का बड़ा संस्थान साबित होता।

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने कहा कि इलाहाबाद की पहचान शिक्षा के साथ राजनीति में रही है। यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की मांग काफी समय से चल रही थी। मुख्यमंत्री योगी ने पूरा करवाया। संसाधन उपलब्ध करवाकर इसका काम शुरू हुआ है। विश्वविद्यालय की कुलपति ऊषा टंडन ने भविष्य की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला।

  • ज्ञानवापी में मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

    ज्ञानवापी में मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

    -हाईकोर्ट ने सुरक्षित किया फैसला

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी गृहतल में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति देने की जिला जज के आदेश की वैधता की चुनौती अपीलों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल जिला जज के दो आदेशों की चुनौती अपीलों की सुनवाई कर रहे थे।

    मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी व पुनीत गुप्ता ने तर्क दिया कि पूजा के अधिकार की मांग में दाखिल सिविल वाद में अधिकार तय किए बगैर अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ देना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। तहखाने में पूजा की अनुमति देकर वस्तुतः सिविल वाद स्वीकार कर लिया गया है। साथ ही जिला जज ने स्वयं ही दो विरोधाभाषी आदेश दिए हैं।

    यह भी कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 152 के अंतर्निहित अधिकार का प्रयोग करते हुए अदालत मूल आदेश की प्रकृति में बदलाव का आदेश नहीं दे सकती। मूल आदेश में केवल एक मांग मानी गई। जिलाधिकारी को रिसीवर नियुक्त कर दिया गया। बिना किसी अर्जी के केवल मौखिक अनुरोध पर पूजा का अधिकार दे दिया गया है। अदालत ने अपनी अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने का आदेश में उल्लेख नहीं किया है। कहा कि जिला अदालत ने 17 जनवरी को अर्जी स्वीकार कर केवल एक रिलीफ ही दी। दूसरी मांग पर आदेश नहीं देना ही अनुतोष से इंकार माना जाएगा।

    कहा गया कि 17 जनवरी 24 के मूल आदेश से जिला जज ने विवादित भवन की सुरक्षा व देख-रेख करने व किसी प्रकार का बदलाव न होने देने का भी निर्देश दिया है और 31 जनवरी 24 के आदेश से बैरिकेडिंग काट कर तहखाने में पूजा के लिए दरवाजा बनाने तथा ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तहखाने में स्थित देवी देवताओं की पूजा करने की अनुमति देकर अपने ही आदेश का विरोधाभासी आदेश दिया है। यह भी कहा गया कि तहखाने पर किसका अधिकार है यह साक्ष्यों के बाद सिविल वाद के निर्णय से तय होगा। जिला जज ने अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ देकर गलती की है। इसलिए जिला जज के आदेश रद्द किए जाय।

    मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने पक्ष रखा। इनका कहना था कि अदालत को धारा 151 व 152 के अंतर्गत न्याय हित में आदेश देने का अंतर्निहित अधिकार है। वादी अधिवक्ता के संज्ञान में लाने के बाद अदालत ने छूटी हुई प्रार्थना स्वीकार की है। वादी के बजाय अदालत ने ट्रस्ट को पुजारी के जरिए पूजा का अधिकार बहाल किया है। वादी व्यास जी के तहखाने में वर्षों से पूजा अर्चना करता आ रहा है। वर्ष 1993 मे श्रीराम जन्मभूमि विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद ज्ञानवापी की लोहे की बाड़ से बैरिकेडिंग करने के कारण तहखाने में पूजा करने से बिना किसी आदेश के रोक लगा दी गई थी। अदालत ने कोई नया अधिकार नहीं दिया है।

    कहा कि जिला जज ने अर्जी की तीन बार सुनवाई की तिथि तय की किंतु मस्जिद पक्ष की तरफ से कोई आपत्ति नहीं की गई। दोनों पक्षों को सुनकर जिला जज ने 31 जनवरी का दूसरा आदेश जारी किया है जो 17 जनवरी के मूल आदेश का ही हिस्सा है। अदालत को गलती दुरूस्त करने व छूटे आदेश को पारित करने का पूरा अधिकार है। आदेश कानूनी प्रक्रिया के तहत पारित किया गया है।

    बहस की गई कि दीन मोहम्मद केस में कोर्ट ने व्यास जी के तहखाने का जिक्र किया है। जितेंद्र व्यास के पूजा करने को स्वीकार किया गया है। इसलिए अपीलें बलहीन होने के नाते खारिज की जाय। प्रदेश सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि व हरे राम त्रिपाठी ने पक्ष रखा। महाधिवक्ता का कहना था कि कानून व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। अदालत के आदेश पर अमल कराना सरकार का दायित्व है।

    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने लगभग 40 मिनट तक तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है, जहां हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। सीपीसी के आदेश 40 नियम एक के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया है। पूजा का आदेश किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि मुसलमान कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ता था।

  • अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द

    अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द

    –दोनों बालिग ने अपनी मर्जी से की है शादी

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हंडिया प्रयागराज निवासी मोहम्मद चांद बाबू के खिलाफ पीड़िता का अपहरण करने के आरोप में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है।

    कोर्ट ने कहा पीड़िता याची ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और अभियुक्त चांद बाबू से शादी की। एक बच्ची भी पैदा हुई है। दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। ऐसे में अपराध में सजा मिलने की सम्भावना नहीं है। इसलिए एफआईआर निरस्त होने योग्य है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति गजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने श्रीमती ज्योति कुशवाहा व मोहम्मद चांद बाबू की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

    याची का कहना था कि दोनों बालिग है। पीड़िता ने अपनी मर्जी से शादी की है और साथ रह रही है। इसलिए द्वितीय याची के खिलाफ अपहरण करने का केस नहीं बनता। क्योंकि पीड़िता को जबरन नहीं ले जाया गया है। इस पर कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी।

  • निदेशक माध्यमिक शिक्षा व डीआईओएस बांदा आदेश का पालन करें या हाजिर हो : हाईकोर्ट

    निदेशक माध्यमिक शिक्षा व डीआईओएस बांदा आदेश का पालन करें या हाजिर हो : हाईकोर्ट

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महेंद्र देव, निदेशक माध्यमिक शिक्षा व विजय पाल सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक बांदा को 6 मार्च तक आदेश का पालन करने या हाजिर होने का निर्देश दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने कमल नारायण चतुर्वेदी की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना है कि हाईकोर्ट ने याचिका आंशिक रूप से मंजूर करते हुए याची को छह हफ्ते में ज्वाइन कराने तथा जितने दिन काम नहीं किया उतने दिन के आधे वेतन के भुगतान का आदेश दिया था। पालन नहीं करने पर दाखिल अवमानना नोटिस के बाद डी आई ओ एस ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि 16 मार्च 22 को याची को ज्वाइन करा लिया गया है। 17 मार्च 22 से 31 मार्च 22 तक के बकाया वेतन का आधा 18811 रूपये के भुगतान के लिए उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया गया है। बजट आते ही भुगतान कर दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने निदेशक व डीआईओएस को पक्षकार बनाते हुए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।

  • प्रयागराज से पांच श्रमिक इजराइल जाने के लिए चयनित

    प्रयागराज से पांच श्रमिक इजराइल जाने के लिए चयनित

    प्रयागराज। इजराइल में निर्माण कार्य, सिरेमिक टाइल्स, आयरन बेल्डिंग, प्लास्टर और बिल्डिंग फ्रेम वर्क के लिए कुशल कारीगरों को सेवायोजित किए जाने के सम्बंध में प्रदेश सरकार की पहल के अंतर्गत श्रमिकों से आवेदन मांगे गए थे। जिसमें अभी तक प्रयागराज के पांच श्रमिक दक्षता परीक्षण में पास हुए हैं। चयनित श्रमिकों के पुलिस सत्यापन के बाद मेडिकल, वीजा व शेष औपचारिकता पूरी कराई जाएंगी।

    यह जानकारी सहायक श्रम आयुक्त लालाराम ने दी है। उन्होंने बताया है कि पात्र श्रमिकों का दक्षता परीक्षण 23 जनवरी से 30 जनवरी के मध्य आईटीआई, अलीगंज लखनऊ में कराया गया था। उन्होंने बताया है कि इसके अतिरिक्त ऐसे अन्य श्रमिक जो इसराइल जाने के इच्छुक हैं एवं जिन्होंने पूर्व में श्रम विभाग में इजराइल जाने के सम्बंध में पंजीकरण नही कराया है। वह अपने पहचान पत्र के साथ कार्यालय उप श्रमायुक्त, 9 मेयो रोड, प्रयागराज में तत्काल सम्पर्क करें। जिससे फरवरी माह के अंत में आईटीआई अलीगंज लखनऊ में होने वाले द्वितीय दक्षता परीक्षण में शामिल होने का अवसर उन्हें प्राप्त हो सके।

    सहायक श्रम आयुक्त ने बताया कि पूर्व में दक्षता परीक्षण दे चुके श्रमिकों को किसी भी दशा में पुनः अवसर नहीं दिया जाएगा। जिन श्रमिकों द्वारा पूर्व में आवेदन किया गया था किंतु उनका आवेदन किन्ही कारणवश अपात्र पाया गया था एवं वे दक्षता परीक्षण में शामिल नहीं हुए थे, वे भी कार्यालय में सम्पर्क करते हुए उक्त त्रुटियों को दूर करते हुए पुनः आवेदन कर सकते हैं।

  • आईएएस-पीसीएस की फैक्टरी से तैयार होंगे उद्यमी

    आईएएस-पीसीएस की फैक्टरी से तैयार होंगे उद्यमी

    –इविवि में इन्क्यूवेशन सेंटर स्थापित, इंक्युबेशन सेंटर से उद्यमिता के गुर सीखेंगे विद्यार्थी

    प्रयागराज। आईएएस-पीसीएस की फैक्टरी के रूप में जानी जाने वाली इलाहाबाद यूनिवसिर्टी में अब उद्यमी तैयार होंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय इन्क्यूवेशन सेंटर स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के दूरदर्शी प्रयास से यह सम्भव हो पाया है। वर्तमान में बीएसई, मुम्बई के विशेषज्ञ भी इन्क्यूवेशन सेंटर से जुड़कर विद्यार्थियों को उद्यमी बनने के गुर सिखा रहे हैं।

    इविवि की पीआरओ डॉ जया कपूर ने बताया कि पूरब के आक्सफोर्ड के नाम से मशहूर इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने नित नए आयाम गढ़े हैं। इसी दिशा में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ईश्वर टोपा भवन में इन्क्यूवेशन सेंटर स्थापित किया गया है। इसके साथ ही कम्पनी अधिनियम के तहत इस केंद्र में ‘नवकल्पना इनोवेशन एंड अंतरप्रन्योरशिप फाउंडेशन’ के नाम से एक कम्पनी पंजीकृत की गई है।

    केंद्र समन्यवक डॉ. शैफाली नंदन ने बताया कि इन्क्यूवेशन सेंटर वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है और कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने इस जरूरत को समझा। उन्होंने ही विश्वविद्यालय में इन्क्यूवेशन सेल के नाम से उद्यमिता का बीज बोया। विद्यार्थियों को उद्यमी बनने के गुर सिखाने के लिए बीएसई के विशेषज्ञ भी इन्क्यूवेशन सेल से जुड़ चुके हैं।

    –शिक्षक भी पढ़ रहे उद्यमियता का पाठ

    इन्क्यूवेशन सेल ने गुरू प्रेरिवेन्शन के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें शिक्षकों को उद्यमिता के बारे में प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को भी प्रेरित करना है कि विद्यार्थियों में उद्यमशीलता का बीज बोएं। इन्क्यूवेशन सेंटर की ओर से स्टार्टअप मेले का आयोजन किया गया। इसमें बाहरी लोगों को अपने स्टार्टअप के बारे में बताने एवं दिखाने का मौका दिया गया। इसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

    –इन्क्यूवेशन सेंटर में कम्पनी भी पंजीकृत

    इन्क्यूवेशन सेंटर के अंतर्गत अब ‘नवकल्पना इनोवेशन एंड अंतरप्रन्योरशिप फाउंडेशन’ के नाम से एक कम्पनी को भी पंजीकृत किया गया है, ताकि बाहरी लोगों को भी इस केंद्र का लाभ मिल सके। इन्क्यूवेशन केंद्र की समन्यवक डॉ. शैफाली नंदन ने बताया कि कैंपस के विद्यार्थियों को कैंपस में इन्क्यूवेशन केंद के सदस्य विभिन्न कार्यशालाओं से उद्यमशीलता के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बहुत जल्द केंद्र की ओर से स्टार्टअप को अपना व्यवसाय स्थापित करने में सहयोग देना शुरू कर दिया जाएगा।

  • हाईकोर्ट ने चार बच्चों की मां को बच्चा गोद लेने की दी अनुमति

    हाईकोर्ट ने चार बच्चों की मां को बच्चा गोद लेने की दी अनुमति

    -कोर्ट ने कहा, डीपीओ बच्ची की अभिरक्षा याची से इस कारण नहीं छीन सकता कि उसके जैविक बच्चे हैं

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) की धारा 68सी के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित दत्तक ग्रहण विनियम 2022 के तहत लगी कानूनी रोक के बावजूद चार बच्चों की मां को एक बच्ची गोद लेने की अनुमति दे दी।

    कोर्ट ने कहा कि जैविक बच्चों की मां होने के बावजूद याची को बच्ची की अभिरक्षा से दूर नहीं किया जा सकता है। यह आदेश जस्टिस एस डी सिंह एवं जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने दिया है।

    मामले के अनुसार याची को एक दूसरे व्यक्ति ने एक बच्ची को 2014 में सौंप दिया था। याची को चार बच्चे पहले से ही थे और वह उन चार बच्चों की जैविक मां होने के बावजूद उसने बच्ची को गोद ले लिया और उसका पालन पोषण करने लगी। 2021 तक यूपी सरकार के अधिकारियों की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई। नवम्बर 2021 में बच्ची को वह व्यक्ति उठा ले गया, जिसने याची को बच्चा गोद दिया था। इस पर याची ने फर्रूखाबाद स्थित फतेहगढ़ बाल कल्याण समिति के समक्ष अर्जी दी। जांच के बाद काउंसलर ने रिपोर्ट दी कि बच्ची अपने माता-पिता (याची) के पास रहना चाहती है। इसके बाद बच्ची को याची को सौंप दिया गया।

    जिला प्रोबेशन अधिकारी ने जिला मजिस्ट्रेट आगरा को एक रिपोर्ट दी कि बच्ची की देखभाल याची की बजाय राज्य सरकार की निगरानी में बेहतर थी। इस पर बच्ची को सरकारी सुविधा में आगरा भेज दी गई। याची ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि बाल कल्याण समिति फर्रूखाबाद काउंसलर रिपोर्ट के मुताबिक याची और बच्ची के बीच स्पष्ट रूप मां-बेटी का बंधन बन गया था। बच्ची याची को अपनी मां के रूप में जानती है। हालांकि, प्रतिकूल रिपोर्ट याची को बच्ची की हिरासत सौंपने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    कोर्ट ने कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी इसलिए बच्ची की अभिरक्षा याची से नहीं छीन सकता कि उसके चार बच्चे हैं। कोर्ट ने बच्ची को याची को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कानून को न्याय के उद्देश्यों को पराजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

  • कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में पदाधिकारी नियुक्त

    कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में पदाधिकारी नियुक्त

    प्रयागराज। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्याय यात्रा चल रही है। इसे उप्र में कामयाब करने के लिए सांसद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्पसंख्यक विभाग इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा टीम गठित की गयी है। जिसमें संयोजकों के साथ जनपदों में समन्वयक एवं सह समन्वयक बनाये गये हैं।

    यह जानकारी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता परवेज अहमद सिद्दीकी ने देते हुए बताया है कि पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर उप्र प्रभारी अल्पसंख्यक विभाग शाकीर अली के मुताबिक चंदौली में नफीस अनवर, वाराणसी में अब्दुल हमीद, भदोही में वसीम अंसारी, प्रयागराज में तलत अजीम, प्रतापगढ़ में अरशद अली को नियुक्त किया गया है। इसके संयोजक फुजैल हाशमी होंगे।

    इसके साथ ही लखनऊ में डॉ शेख जीसाम को संयोजक एवं जलीस अंसारी को समन्वयक नियुक्त किया गया है। कानपुर में अतीक अहमद शहजादे, कानपुर देहात में ख्वाजा मोहम्मद हस्तगीर, जालौन में आजाद उद्दीन, झांसी में इमरान खान को समन्वयक तथा अरशद राणा को संयोजक नियुक्त किया गया है।

  • प्रमुख सचिव नगर विकास ने 29 परियोजनाओं पर की समीक्षा बैठक

    प्रमुख सचिव नगर विकास ने 29 परियोजनाओं पर की समीक्षा बैठक

    प्रयागराज। महाकुम्भ 2025 के दृष्टिगत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी शीर्ष समिति की सप्तम बैठक हेतु प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा आज प्रमुख सचिव, नगर विकास अमृत अभिजात ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से की। बैठक में लगभग 29 परियोजनाओं पर चर्चा की गयी, जिनमें शहर के सौन्दर्याकरण से सम्बंधित कई परियोजनाएं सम्मिलित हैं।

    प्रस्तावित परियोजनाओं में नगर निगम द्वारा विभिन्न वार्डों की 198 सड़कों का विकास कराना प्रस्तावित है। इसके अन्तर्गत कच्ची सड़कों के अपग्रेडेशन तथा नालों की मरम्मत का कार्य कराया जाएगा। जनपद के 07 घाटों के उच्चीकरण एवं सौन्दर्याकरण का कार्य भी प्रस्तावित है। इसमें बलुआघाट, अरैल घाट, मौज गिरि घाट, काली घाट, रसूलाबाद घाट, छतनाग घाट तथा नागेश्वर घाट सम्मिलित हैं।

    शहर के 05 विभिन्न स्थानों पर वेन्डिंग जोन बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें बक्शी बांध, नैनी पुराने पुल के पास का इलाका, माधोपुर सब्जी मण्डी, जीटी जवाहर चौराहा तथा कानपुर रोड सम्मिलित हैं। वेन्डिंग जोन के अन्तर्गत शेड्स, पिलर, लाइटिंग, फसाद, पार्किंग स्थल तथा ट्रैफिक जंक्शन का विकास कराया जाना प्रस्तावित है। शहर के दो मुख्य चौराहों पर महर्षि वाल्मीकि एवं ब्रह्माजी की मूर्ति का भी प्रस्ताव रखा गया है। बोट क्लब के पास वाटर लेजर शो प्रारम्भ करने तथा आस-पास के इलाके में वेडिंग जोन, पार्किंग, चिल्ड्रेन पार्क एवं सेल्फी प्वाइंट बनाने आदि पर भी चर्चा की गयी।

    जनपद के कई सड़कों के विकास के अन्तर्गत टैगोर टाउन में यशलोक हास्पिटल से बालसन चौराहे तक सड़क पटरी सुधार कार्य, नैनी मिर्जापुर रोड डेज मेडिकल कालेज से अमर शहीद लालमणि पेट्रोल पम्प तक मार्ग प्रकाश व्यवस्था, प्रयागराज मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा (लेप्रोसी चौराहा) से रज्जू भैया कालेज तक सड़क के सुदृढ़ीकरण का कार्य, नये यमुना पुल के पूरब ओर ढलान पर लेप्रोसी चौराहे व बस स्टेशन चार्जिंग सेन्टर के बीच लैण्डस्केप के साथ औद्योगिक कार्य, सरस्वती हाईटेक सिटी परिसर के अन्दर पार्किंग स्थल तक पहुंच मार्ग तथा सीमेट्री रोड बैरहना कासिंग से यमुना बैंक रोड के सड़क का सुदृढ़ीकरण एवं सौन्दर्गीकरण कार्य कराया जाना प्रस्तावित है। सर्किट हाउस के उच्चीकरण हेतु प्रस्तावित कार्यों पर चर्चा करते हुए वहां पर लोकल फ्लेवर्स जिसके अन्तर्गत कुम्भ, प्रयागराज की कल्चरल हैरिटेज तथा ओडीओपी जैसी थीम दर्शाने का प्रस्ताव दिया गया है।