Category: इलाहाबाद

  • बार के हर सहयोग के लिए रहूंगा तत्पर : मुख्य न्यायमूर्ति अरूण भंसाली

    बार के हर सहयोग के लिए रहूंगा तत्पर : मुख्य न्यायमूर्ति अरूण भंसाली

    –हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में मुख्य न्यायमूर्ति का किया गया स्वागत और अभिनंदन

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से मंगलवार को आयोजित स्वागत और अभिनंदन समारोह में मुख्य न्यायमूर्ति अरूण भंसाली ने बार को हर सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह हमेशा हर सम्भव मदद के लिए तत्पर रहेंगे। मुख्य न्यायमूर्ति ने नए अधिवक्ताओं को भी सीख दी और कहा कि वह बार और बेंच के साथ आपसी सहयोग के साथ न्यायिक व्यवस्था को और सुद़ृढ़ करेंगे।

    लाइब्रेरी हाल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में आना और यहां इतने जजों और इतनी बड़ी बार के साथ काम करना एक अलग अनुभव है। वह इसके पहले राजस्थान में रहे। वहां जजों और अधिवक्ताओं की संख्या यहां के मुकाबले बहुत कम हैं। उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि वह कोर्ट में हमेशा पूरी तैयारी के साथ आएं और नए आधुनिक संसाधनों के प्रयोग से भी वह परिपूर्ण रहेंगे। उन्होंने कहा कि इंटरनेट सहित कई आधुनिक उपकरणों से कामकाज आसान हुआ है। इसका बेहतर उपयोग करने की जरूरत है।

    उन्होंने हाईब्रिड मोड में एक केस की सुनवाई का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने बार के कार्यक्रम की प्रसंशा की। इसके पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका स्वागत किया। संचालन महासचिव नितिन शर्मा ने किया।

    इस मौके पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी, न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला एवं न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र, अजय सिंह, अमरेन्दु सिंह सहित बड़ी संख्या में बार के पदाधिकारी, अधिवक्ता मौजूद रहे।

  • ज्ञानवापी तहखाना में पूजा मामला में सुनवाई जारी, अगली सुनवाई 15 फरवरी को

    ज्ञानवापी तहखाना में पूजा मामला में सुनवाई जारी, अगली सुनवाई 15 फरवरी को

    प्रयागराज,। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति देने की जिला जज के आदेश की वैधता की चुनौती अपीलों की सुनवाई जारी है। अपीलार्थी अधिवक्ता के अनुरोध पर अगली सुनवाई की तिथि 15 फरवरी तय की गई है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मसाजिद कमेटी की तरफ से जिला जज के दो आदेशों की चुनौती अपीलों की सुनवाई करते हुए दिया है। अपीलार्थी की तरफ से पूरक हलफनामा दाखिल किया गया। आदेश की प्रमाणित प्रति दाखिल की गई। अपील दाखिले का दोष समाप्त कर कोर्ट ने नियमित नंबर देने का आदेश दिया। वादी विपक्षी अधिवक्ता ने धारा 107 की अर्जी दाखिल की, जिसे पत्रावली पर रखा गया।

    मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के हवाले से तर्क दिया कि अदालत अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ नहीं दे सकती। प्रश्नगत मामले में तहखाने में पूजा की अनुमति देकर वस्तुतः सिविल वाद स्वीकार कर लिया है। यह भी कहना था कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 152 के अंतर्निहित अधिकार का प्रयोग करते हुए अदालत मूल आदेश की प्रकृति में बदलाव का आदेश नहीं दे सकती। गुप्ता ने कहा जिला अदालत ने 17 जनवरी को अर्जी स्वीकार कर केवल एक रिलीफ ही दी। दूसरी मांग पर आदेश नहीं देना ही अनुतोष से इंकार माना जाएगा।

    वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि 17 जनवरी 24 के मूल आदेश से जिला जज ने जिलाधिकारी वाराणसी को ज्ञानवापी का रिसीवर नियुक्त किया है। जिसमें विवादित भवन की सुरक्षा व देखरेख करने व किसी प्रकार का बदलाव न होने देने का निर्देश दिया है। और 31 जनवरी 24 के आदेश से बैरिकेडिंग काट कर तहखाने में पूजा के लिए दरवाजा बनाने तथा ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तहखाने में स्थित देवी देवताओं की पूजा करने की अनुमति देकर अपने ही आदेश का विरोधाभासी आदेश दिया है। जो कानून के खिलाफ है।

    उन्होंने कुछ दस्तावेज़ दाखिल करने के लिए समय मांगा। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। यह भी कहा कि तहखाने पर किसका अधिकार है यह साक्ष्यों के बाद सिविल वाद के निर्णय से तय होगा। जिला जज ने अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ देकर गलती की है।

  • माघ मेला : मौनी अमावस्या पर पुण्य अर्जित करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

    माघ मेला : मौनी अमावस्या पर पुण्य अर्जित करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

    प्रयागराज। मौनी अमावस्या की शुरुआत 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर होगी और समापन 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर होगा। इस दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या यानी मौन रहकर ईश्वर की साधना करने का अवसर है।

    खुशनुमा मौसम होते ही माघ मेला क्षेत्र में मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर बुधवार की रात्रि से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। काशी सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि मौनी अमावस्या पर्व पर जो भी स्नान-ध्यान करता है, उसके कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। मौनी अमावस्या पर स्वर्गलोक से देवता भी संगम में स्नान करने आते हैं।

    दण्डी संन्यासी के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर संगम में स्नान करने से जाने-अनजाने में हुए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। ये पवित्र पल मनुष्य को आत्मशुद्धि का सुअवसर प्रदान करता है। उक्त विधि पर तन, मन और वाणी को पवित्र रखना चाहिए। शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना सम्भव नहीं तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखे।

    मौनी अमावस्या के मद्देनजर मेला प्रशासन, जिला प्रशासन व पुलिस विभाग की ओर से विशेष तैयारियां की गई हैं। पुलिस प्रशासन के व्यवस्था की बात की जाए तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस निगरानी कर रही है। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। वाहनों को बकायदा वाहन स्टैंडों पर खड़ा करने की व्यवस्था है और डायवर्जन की समुचित व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी श्रद्धालु या स्नानार्थी को किसी भी प्रकार की समस्या न होने पाए। वहीं, रेलवे एवं रोडवेज ने भी श्रद्धालुओं को ले आने व ले जाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

  • ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना शुरू करने के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

    ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना शुरू करने के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

    प्रयागराज। ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में पूजा अर्चना शुरू किए जाने के मामले में मंगलवार को सुनवाई से पहले अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में नई अर्जी दाखिल कर जिला जज के आदेश को चुनौती दी है। आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर 17 जनवरी 24 के जिला जज वाराणसी के आदेश को चुनौती दी है।

    31 जनवरी के आदेश के खिलाफ अपील में दाखिल संशोधन अर्जी कोर्ट ने मंजूर कर ली है और सुनवाई जारी है। दोनों मामलों की बुधवार को पुनः सुनवाई होगी। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल कर रहे हैं।

    मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ नकवी व पुनीत गुप्ता द्वारा बहस की गई कि जब 17 जनवरी को धारा 9 ग की अर्जी मंजूर करते हुए अदालत ने डीएम को रिसीवर नियुक्त करने की एक मांग मंजूर कर ली तो बिना किसी अर्जी के अदालत ने 31 जनवरी को कैसे आदेश दे दिया।

    इसका जवाब देते हुए मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि धारा 151 सीपीसी में अदालत को विवेकाधिकार है। जिला अदालत ने 17 जनवरी को रिसीवर नियुक्त करने की एक मांग मान ली और अर्जी मंजूर कर ली तो पूजा के अधिकार की दूसरी मांग को लेकर आदेश पारित करने की दलील दी गई। जिस पर कोर्ट ने 31 जनवरी का आदेश दिया है।

    कोर्ट ने कहा जब अर्जी मंजूर कर ली गई तो बिना किसी अर्जी के क्या जिला जज आदेश दे सकते हैं। इसी कानूनी मुद्दे को लेकर बुधवार को बहस होगी। कोर्ट ने सुनवाई का मीडिया ट्रायल किए जाने पर आपत्ति की और कहा दोनों पक्ष मीडिया ट्रायल से बचें।

  • अधिक वेतन भुगतान की वसूली आदेश देने वाले जेल अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा तलब

    अधिक वेतन भुगतान की वसूली आदेश देने वाले जेल अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा तलब

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुनरीक्षित वेतनमान के बाद विभाग की गलती से अधिक वेतन भुगतान की वसूली मामले में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर वसूली कार्रवाई करने पर स्पष्टीकरण के साथ वाराणसी केंद्रीय कारागार के अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

    कोर्ट ने पूछा कि किस कारण से कोर्ट आदेश के खिलाफ निर्णय लिया है। कोर्ट ने विपक्षी अधिकारियों के जारी सभी आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और याचिका को सुनवाई के लिए 5 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने हेड जेल वार्डर अशोक कुमार झा की याचिका पर दिया है।

    याची का कहना था कि अधिक वेतन भुगतान की वसूली आदेश के खिलाफ याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कृष्ण पाल सिंह केस व रफीक मसीह केस के तहत नये सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया। इसके बावजूद जेल अधिकारियों ने वसूली आदेश फिर से जारी किया।जिस पर कोर्ट ने अधिकारियों से स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

  • कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय से मांगी रिपोर्ट

    कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय से मांगी रिपोर्ट

    –19 फरवरी को उठाए गये कदमों के साथ प्रमुख सचिव तलब

    –सरकारी वकील के बजाय स्टेनोग्राफर से जवाबी हलफनामे तैयार कराने का मामला

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य विधि अधिकारियों के बजाय मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय के स्टेनोग्राफर द्वारा विभाग से प्राप्त कथन के आधार पर जवाबी हलफनामे तैयार करने पर नाराजगी जताई है और प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय को 19 फरवरी को तलब किया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से राज्य विधि अधिकारियों से ही जवाबी हलफनामे तैयार कराने एवं स्टेनोग्राफर द्वारा तैयार करने को प्रतिबंधित करने के उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दिनेश पांडेय की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि याची का शस्त्र लाइसेंस उसके खिलाफ आपराधिक केस के कारण निरस्त कर दिया गया। ट्रायल कोर्ट से बरी होने के बाद लाइसेंस निरस्त करने के आदेश के खिलाफ कमिश्नर के समक्ष अर्जी दी। कमिश्नर ने आपराधिक केस में याची को बरी करने के आदेश पर विचार किए बगैर अपील खारिज कर दी।जिसपर यह याचिका दायर की गई।

    राज्य सरकार की तरफ से दाखिल जवाबी हलफनामे में याची को बरी किए जाने के तथ्य का कोई जवाब नहीं दिया। बल्कि इसका जिक्र तक नहीं किया। कोर्ट ने कहा नियमानुसार मुख्य स्थाई अधिवक्ता, अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता या स्थाई अधिवक्ता द्वारा जवाबी हलफनामा तैयार कराया जाना चाहिए। हलफनामे को देखने से लगता है कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय के स्टेनोग्राफर ने विभाग की टिप्पणी के आधार पर टाइप कर दिया।इसपर कोर्ट ने विधि परामर्शी प्रमुख सचिव न्याय से रिपोर्ट मांगी है।

    यहां यह भी उल्लेखनीय है कि न्याय विभाग ने अपर महाधिवक्ताओं व मुख्य स्थाई व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ताओं के विभाग नियत करते हुए प्रभावी पैरवी करने की बहुत पहले ही अधिसूचना जारी की है। जिसमें साफ निर्देश है कि सरकार की तरफ से याचिकाएं व अपीलें मुख्य स्थाई अधिवक्ताओं द्वारा ही तैयार की जायेगी ताकि सरकार प्रभावी पक्ष रख सके।

    इस आदेश का लगातार मखौल उड़ाया जा रहा है। मुख्य स्थाई अधिवक्ता इसका पालन नहीं कर रहे वे अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ताओं या स्थाई अधिवक्ताओं से अपीलें लिखवा कर अपने साथ उन्हें रखकर दाखिल कर रहे हैं। और उन्हीं से बहस भी कराते हैं। शासन को जानकारी होने के बावजूद राजनीतिक पहुंच के कारण कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

  • प्रशासन अपराधी और अराजक तत्वों को तत्काल गिरफ्तार करे : ऑक्टा

    प्रशासन अपराधी और अराजक तत्वों को तत्काल गिरफ्तार करे : ऑक्टा

    प्रयागराज। ऑक्टा सामान्य सभा की एक आपात बैठक डॉ उमेश प्रताप सिंह की अध्यक्षता में चौधरी महादेव प्रसाद महाविद्यालय में हुई। जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्टर डॉ एन के शुक्ला पर अराजक तत्वों द्वारा स्याही जैसा विषैला पदार्थ फेंकने और हमला करने की निंदा की गई।

    ऑक्टा अध्यक्ष डॉ उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षकों पर लगातार हो रहे हमले और जान से मारने की धमकी जैसे कृत्यों को जिला प्रशासन गम्भीरता से ले और इस प्रकार के अपराधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

    ऑक्टा अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक नहीं चाहते कि वह सड़क पर उतरें और आंदोलन करें। क्योंकि विद्यार्थियों की परीक्षाएं नजदीक है। लेकिन यदि प्रशासन त्वरित कार्यवाही कर अपराधियों को गिरफ्तार नहीं करता है, तो हमें आगे आना पड़ेगा। बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि रजिस्ट्रार पर जहरीला पदार्थ फेंकने वाले और हमला करने और धमकी देने वाले अपराधी व अराजक तत्वों को यदि जिला प्रशासन गिरफ्तार नहीं करता है, परिसर में अशांति फैलाने वाले बाहरी तत्वों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई नहीं करता है तो शिक्षक आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। रविवार को आंदोलन की अगली रणनीति तैयार करेंगे।

    बैठक में प्रयागराज के मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार द्वारा शिक्षकों के साथ की गई अभद्रता पर भी चर्चा की गई और इस संकल्प को दोहराया गया कि जब तक सीडीओ माफी नहीं मांगते हैं तब तक शिक्षक चुनाव ड्यूटी नहीं करेंगे। बैठक में पुरानी पेंशन स्कीम के समर्थन में 4 फरवरी को ‘रन फॉर ओपीएस रैली’ आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

    बैठक का संचालन महासचिव डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष डॉ हरिश्चंद्र यादव ने किया। सभा में दोनों उपाध्यक्ष डॉ अखिलेश त्रिपाठी तथा डॉ अंशु माला मिश्रा, पूर्व ऑक्टा अध्यक्ष डॉ एसपी सिंह एवं डॉ सुनीलकांत मिश्रा, डॉ केएल पांडे, डॉ सरोज सिंह, डॉ दीनानाथ, डॉ आभा तिवारी, डॉ ंगीता, डॉ मार्तंड सिंह, डॉ जस्टिन मसीह, अमित सिंह, डॉ एस पी श्रीवास्तव सहित सभी 11 संघटक महाविद्यालयों के शिक्षक उपस्थित थे।

  • साइबर फ्राड के आरोपित को जमानत पर रिहा करने से इंकार, अर्जी खारिज

    साइबर फ्राड के आरोपित को जमानत पर रिहा करने से इंकार, अर्जी खारिज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 लाख 838 हजार रुपये के साइबर फ्राड के आरोपित बुधिसार शिकारी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। कहा है कि अन्य सहअभियुक्तों को मिली जमानत की पैरिटी नहीं दी जा सकती, क्योंकि याची पर किंगपिन अपराधी होने का आरोप है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। मालूम हो कि घनश्याम ने साइबर थाना प्रयागराज में एफआईआर दर्ज कराई। जिसमें कहा गया कि उन्होंने एयरटेल मोबाइल फोन रिचार्ज कराया। उनके खाते से 598 रुपये कट गया, किंतु फोन रिचार्ज नहीं हुआ। बैंक प्रबंधक को जानकारी दी गई परन्तु कुछ नहीं हुआ।

    याची का कहना था कि वह निर्दोष है और सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। इसलिए उसे भी जमानत पर रिहा किया जाए। सरकार की तरफ से कहा गया गया कि चार्जशीट दाखिल की गई है। कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। अपराध गम्भीर है। जमानत अर्जी निरस्त की जाय।

    कोर्ट ने कहा कि आजकल साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। वे झांसा देकर लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं। ऐसे अपराध के आरोपितों को जमानत पाने का हक नहीं है।