Category: लखनऊ

  • लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण में 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 28 मार्च को निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही इन निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इन 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अब तक 12 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इसमें 08 प्रत्याशियों ने सोमवार 1 अप्रैल को नामांकन किया है। इसके पूर्व 04 प्रत्याशियों ने 30 मार्च को नामांकन किया था। नामांकन भरने पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 03 बजे के मध्य की जा सकेगी।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में लोकसभा सामान्य निर्वाचन के दूसरे चरण में 01 अप्रैल को अमरोहा में भारतीय जनता पार्टी से कंवर सिंह तंवर, बागपत में राष्ट्रीय लोकदल से राजकुमार संगवान, गाजियाबाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस से डॉली शर्मा, सुभाषवादी भारतीय समाज पार्टी से धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, राष्ट्रीय सुरक्षा पार्टी से मोनिका गौतम ने नामांकन किया।

    इसी प्रकार गौतमबुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी से महेन्द्र, अलीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी से सतीश कुमार गौतम तथा निर्दलीय प्रत्याशी में सतीश कुमार ने आज नामांकन किया।

    उन्होंने बताया कि दूसरे चरण में प्रदेश की अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर (सुरक्षित), अलीगढ़ तथा मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन सम्पन्न किया जाना है। दूसरे चरण की 08 लोकसभा सीटों में 07 सीटें सामान्य श्रेणी की हैं और 01 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह सभी 08 सीटें प्रदेश के 09 जिलों अमरोहा, हापुड़, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़ तथा मथुरा के अंतर्गत हैं।

    दूसरे चरण के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि 04 अप्रैल है। नामांकन पत्रों की जांच 05 अप्रैल को की जायेगी। 08 अप्रैल को अपराह्न 03 बजे तक नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित है। दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल होगा।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण के 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों मंअ 1.67 करोड़ मतदाता हैं। इसमें 90.11 लाख पुरूष मतदाता, 77.38 लाख महिला मतदाता तथा 787 थर्ड जेन्डर हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 7797 मतदान केन्द्र तथा 17677 मतदेय स्थल (पोलिंग बूथ) हैं।

  • लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लखनऊ,। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला अपने सियासी वजूद की वजह से न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में अपनी पहचान रखता है। उत्तराखंड के पहाड़ों से सटा यह जिला भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में लंबे समय से है। पीलीभीत बरेली मंडल में आता है।

    इतिहास के अनुसार राजा मोरोध्वज का किला पीलीभीत के नजदीक दियूरिया जंगल में आज भी है। गोमती नदी के तट पर एक पौराणिक मंदिर इकहत्तरनाथ स्थित है। पीलीभीत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, कागज, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। यहां कुटीर उद्योगों में बांस और जरदोजी का काम प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पहचान बांसुरी नगरी के नाम से होती है।

    यह क्षेत्र ज्ञान और साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। इतिहासकार नारायणानंद स्वामी अख्तर, कवि राधेश्याम पाठक, फिल्म गीतकार अंजुम पीलीभीत से ही हैं। उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा पीलीभीत वो लोकसभा सीट है जिसे देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है।

    पीलीभीत सीट का संसदीय इतिहास

    स्वतंत्र भारत में पीलीभीत और नैनीताल लोकसभा सीट एक होती थी। पीलीभीत से कांग्रेस के मुकुंद लाल अग्रवाल ने पहली जीत 1952 में दर्ज की थी। पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सियासत में कुर्मी बहुल सीट के नाम पर जाना जाता था। इस सीट पर सात बार कुर्मी बिरादरी का ही सांसद चुना गया। लेकिन जनपद की राजनीति में गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी की वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई। जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरीं मेनका कुर्मी बिरादरी के दिग्गज कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह को करारी शिकस्त दे दीं। इसके बाद पीलीभीत के सियासी माहौल बदलने लगे। भाजपा के परशुराम गंगवार ने 1991 के पहली बार यहां कमल खिलाया था। उसके बाद से कुर्मी बिरादरी के दिग्गज चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन संसद में दाखिल नहीं हो सके।

    1996 मेनका गांधी जनता दल प्रत्याशी के तौर पर चुनी गई तो 1998 और 1999 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का झंडा गाड़ा। 2004 के चुनाव में मेनका गांधी भाजपा की टिकट पर मैदान से उतरी। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। इन चुनावों में कभी मेनका गांधी तो कभी वरुण गांधी सांसद रहे हैं। मेनका गांधी ने यहां से 6 बार चुनाव जीता है। वहीं वरुण गांधी दो बार यहां से सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का यहां कभी खाता खुल नहीं पाया। मां-बेटा की राजनीतिक विरासत वाला पीलीभीत मेनका और वरुण के लिए एक घर जैसा ही है। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि लगभग तीन दशकों से मां-बेटे का पीलीभीत लोकसभा सीट पर जादू कायम है।

    2019 लोकसभा चुनाव का नतीजा

    2019 में पीलीभीत से भाजपा ने वरुण गांधी को टिकट दिया। वरुण गांधी ने इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया। वरुण को 704549 (59.34 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के हेमराज वर्मा को 448922 (37.81 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2014 के चुनाव पर नजर डालें तो इस सीट से मेनका गांधी सांसद चुनी गई थीं। मेनका गांधी को 546934 (53.06 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के बुद्धसेन वर्मा को 239882 (22.83 फीसदी) वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था। बसपा के अनीस अहमद इस दौरान तीसरे नंबर पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी को 196294 (18.68 फीसदी) वोट मिले। इस दौरान कांग्रेस यहां चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। कांग्रेस ने संजय कपूर को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्हें महज 29169 (2.78 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2024 में गठबंधन के साथी कौन हैं

    पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था। इस बार भाजपा-रालोद गठबंधन में हैं। इंंडिया गठबंधन में सपा-कांग्रेस शामिल हैं। इंडिया गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। बसपा अकेले मैदान में है। भाजपा-रालोद गठबंधन में यह सीट भाजपा के हिस्से में है।

    चुनावी रण के योद्धा

    मेनका गांधी और वरुण गांधी के नाम से पहचान रखने वाली पीलीभीत सीट पर इस बार भाजपा ने चेहरा बदल दिया है। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं, बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को मैदान में उतारा है। इंडिया गठबंधन के अंतर्गत सपा ने पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को प्रत्याशी बनाया है।

    पीलीभीत का जातीय समीकरण

    पीलीभीत के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुल 18 लाख मतदाता है। इनमें सवा दो लाख कुर्मी, 4.30 लाख मुस्लिम, 1.7 लाख ब्राह्मण, 1 लाख सिख और चार लाख दलित वोटर आते हैं। इनमें बांग्लादेश से आए शरणार्थियों भी शामिल हैं। मुस्लिम और दलित वोटर ही प्रत्याशियों का खेल बनाते और बिगाड़ते हैं। इन सभी समुदायों पर मेनका गांधी और वरुण गांधी के जरिए भाजपा ने अच्छी पकड़ बनाई है।

    पीलीभीत लोकसभा की विधानसभा सीटों का हाल-चाल

    रामपुर लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं। चार विधानसभाओं में पीलीभीत, पूरनपुर, बीसलपुर, बरखेड़ा और व बरेली जिले की बहेड़ी सीट शामिल है। चार सीटों पर भाजपा और एक सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। पीलीभीत से संजय सिंह गंगवार (भाजपा), पूरनपुर से बाबू राम (भाजपा), बीसलपुर से विवेक कुमार वर्मा (भाजपा), बरखेड़ा से जयद्रथ उर्फ प्रवक्तानंद (भाजपा) और बहेड़ी से अताउर्रहमान (सपा) विधायक हैं।

    पीलीभीत का चुनावी गणित

    समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज बरेली के भगवत सरन गंगवार को मैदान में उतार कर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है। दो बार पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रहे चुके सपा के भगवत सरन गंगवार के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। बसपा ने अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को अपना प्रत्याशी बनाने से पहले वोट बैंक के अलावा जातीय समीकरण और कैडर वोट बैंक को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई है। फूलबाबू बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रहे चुके हैं। ऐसे में उनकी सर्व समाज में गहरी पैठ बताई जाती है। वे 2009 और 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों बार वे तीसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि पीलीभीत से अब तक बसपा और सपा ने एक बार भी संसदीय चुनाव नहीं जीता है।

    लंबे समय से भाजपा के पास रही पीलीभीत सीट पर दबदबा कायम रखना संगठन और प्रत्याशी के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद पर दांव लगाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। जतिन प्रसाद राजनीतिक परिवार से हैं। और स्वयं उनके पास भी राजनीतिक अनुभव की कमी नहीं है। राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार यूपी में पहले चरण की शायद ही किसी अन्य सीट पर नतीजों की तस्वीर इतनी साफ हो,जितनी पीलीभीत की है। अलबत्ता बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी की जद्दोजहद मुकाबले को रोमांचक जरूर बना रही है।

    पीलीभीत से कौन कब बना सांसद

    1952 मुकन्द लाल अग्रवाल (कांग्रेस)

    1957 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1962 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1967 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1971 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1977 मो0 शमशुल हसन खां (भारतीय लोकदल)

    1980 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1984 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1989 मेनका गांधी (जनता दल)

    1991 परशुराम गंगवार (भाजपा)

    1996 मेनका गांधी (जनता दल)

    1998 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    1999 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    2004 मेनका गांधी (भाजपा)

    2009 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)

    2014 मेनका संजय गांधी (भाजपा)

    2019 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)

  • रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का असमंजस विपक्ष को दे रहा मौका

    रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का असमंजस विपक्ष को दे रहा मौका

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रायबरेली और अमेठी कभी कांग्रेस परिवार का गढ़ माना जाता था। आज कांग्रेस की स्थिति यह है कि इन दोनों लोकसभा सीटों पर उसे योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं।

    उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को समझौता के तहत उप्र में समाजवादी पार्टी ने सिर्फ 17 सीटें दी। उसमें भी कांग्रेस अभी चार सीटों मथुरा, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पायी। ऐसी सीटों पर उम्मीदवारों का संशय कांग्रेस नेताओं के लिए ही दुविधा पैदा कर दिया है।

    उधर, भाजपा नेता पूछ रहे हैं कि कांग्रेस के युवराज की घोषणा दक्षिण से तो पहले ही हो गयी, जिसको वे अपना घर कहते हैं, वहीं से पलायन कर रहे हैं। इसका कारण है कि कांग्रेस भी जानती है कि इस बार उप्र में सभी अस्सी सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है। 12 उम्मीदवारों को दो हजार से अधिक मत मिले थे। स्मृति और राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा मत पाने वाले तीसरे स्थान पर रहने वाले ध्रुव लाल को 7,816 मत मिले थे। इससे पहले यह सीट संजय गांधी और उनके बाद राजीव गांधी के पास रहा करती थी। राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में सासंद थे। उनसे पहले एक बार 1999 में सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं।

    पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से 55,120 वोटों से हार गये थे। यह तब स्थिति थी, जब सपा और बसपा ने रायबरेली और अमेठी को कांग्रेस के समर्थन में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उस चुनाव में भाजपा की स्मृति को 4,68,514 मत मिले थे, वहीं राहुल गांधी को 4,13,394 मत मिले थे। अमेठी में कुल 27 उम्मीदवार खड़े थे। इसमें नोटा को लेकर 19 उम्मीदवारों को एक हजार से ज्यादा मत मिले थे।

    रायबरेली लोकसभा सीट से 2004 से अब तक सोनिया गांधी सांसद रही हैं। इस बार राज्यसभा सांसद बनने के बाद उन्होंने रायबरेली की जनता के नाम भावुक पत्र भी भेजे थे। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस से ही निकले भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से पराजित किया था।

    राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब तक इस घोषणा के न होने से जहां विपक्ष को बोलने का मौका मिल गया है, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मायूसी है। एक कांग्रेस नेता का कहना है कि जब रायबरेली और अमेठी जैसे सेफ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने में इतना हिचक रहे हैं तो आगे उप्र की रणनीति कैसे बनाएंगे। कांग्रेसी नेता का कहना है कि हम यहां पर सिर्फ सपा के भरोसे रह गये हैं। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा है, हालांकि चुनाव आते-आते कार्यकर्ताओं में कुछ उत्साह आ जाने की उम्मीद है।

    भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय का कहना है कि कांग्रेस पहले से जान रही है कि यूपी में उसे एक सीट भी नहीं मिलनी है। ऐसे में वह उप्र में सक्रियता बढ़ाकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती। वैसे भी पूरे देश से कांग्रेस का सफाया होने जा रहा है।

    कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि जल्द ही शेष चार सीटों भी उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। इस बार हम उप्र की सभी सीटों पर सपा के साथ मिलकर भाजपा को हराने का काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पहले ही डर पैदा हो गया है। इसी कारण वे पीछे और ईडी तथा सीबीआई आगे चल रही है।

  • हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजबब्बर पर दोष सिद्धि को किया निलम्बित

    हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजबब्बर पर दोष सिद्धि को किया निलम्बित

    लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के तत्कालीन प्रत्याशी राजबब्बर को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राहत मिली है। जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खान ने राजबब्बर की ओर से दाखिल अर्जी पर आदेश देते हुए दोष सिद्धि के आदेश को निलम्बित कर दिया है।

    बता दें कि लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र में सन 1996 में हुए एक मतदान केन्द्र पर मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह और वहां उपस्थित शिवकुमार से तत्कालीन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजबब्बर और उनके साथी ने मारपीट की थी। जिसके बाद मुकदमे में सात जुलाई 2022 को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राजबब्बर पर दोष सिद्ध करार दिया था और दो वर्षों के कारावास की सजा सुनाई थी।

    हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस मोहम्मद फैज की ओर से इस मामले की अगली सुनवाई एक मई को होनी सुनिश्चित की गयी है। इसके साथ में राज्य सरकार की ओर से मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश जारी हुआ है।

  • उत्तर प्रदेश में बना तीसरा गठबंधन पीडीएम न्याय मोर्चा

    उत्तर प्रदेश में बना तीसरा गठबंधन पीडीएम न्याय मोर्चा

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पिछड़ा, दलित और मुसलमान (पीडीएम) का नारा देते हुए ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल, अपना दल कमेरावादी की नेता डाॅ. पल्लवी पटेल, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी, राष्ट्र उदय पार्टी ने तीसरा गठबंधन पीडीएम न्याय मोर्चा की घोषणा की।

    अपना दल कमेरावादी की नेता डाॅ. पल्लवी पटेल ने कहा कि देश में जिसके सम्मान पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है, दलित मुसलमान और पिछड़ा। इसके लिए पीडीएम न्याय मोर्चा लेकर आए है। जब तक पीडीएम को न्याय नहीं मिलेगा, तभी तक न्याय के लिए लड़ेंगे। पीडीएम ही सरकार बनाता और बिगाड़ता रहा है।

    उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ए में कन्फ्यूजन था, इसके लिए एम हो गया है। अल्पसंख्यक को नहीं समझ पा रहे थे लोग, इसलिए एम लाए हैं। जिन्होंने मुझे विधायक बनाया है, वे चाहें तो फिर मेरा इस्तीफा ले लें।

    अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने कहा कि सभी दलों के पदाधिकारी कार्यकर्ता अपनी आवाज बुलंद करें और नई दिल्ली तक आवाज को पहुंचाएं। राष्ट्र उदय पार्टी के बाबूलाल ने कहा कि पीडीएम का गठन न्याय के लिए किया गया है। भाजपा केवल अति पिछड़ा और पिछड़ा को हक नहीं देना चाहती है। जननायक कर्पूरी ठाकुर को केवल सम्मान देना चाहते हैं, उनके लोगों को न्याय नहीं देना चाहते है।

    एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि मुरादाबाद में हसन साहब की बेइज्जती की गई। इससे क्या मैसेज जा रहा है। फिर रामपुर में क्या किया उन्होंने, सभी ने देखा है। जहां बात चुनाव में सीटों पर है, वह पल्लवी पटेल बताएगी। कोई हमारे गठबंधन में आना चाहता है तो उसका भी स्वागत है।

    असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 90 प्रतिशत मुसलमान ने समाजवादी पार्टी को मत दिया। उन्हें क्या मिल रहा है। पहले भी क्या मिला है। वे गलती कर नहीं सकते और मुसलमान की बात करने पर हम गलत हैं।

  • मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में बढ़ाई गई सुरक्षा

    मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में बढ़ाई गई सुरक्षा

    लखनऊ। माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद जनपद बांदा, मऊ और गाजीपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधिकारियों और पुलिस कमिश्नर समेत पुलिस कप्तानों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

    बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक आने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। यहां के डॉक्टरों ने मुख्तार अंसारी को मृत घोषित कर दिया गया है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पुलिस मुख्यालाय ने जनपद बांदा, मऊ और गाजीपुर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। साथ ही पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दिया गया है। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस पैरामिलिट्री के साथ गश्त कर रही है।

    वहीं, यह भी खबर है कि मुख्तार अंसारी की मौत को देखते हुए मुख्यमंत्री आवास पर बैठक चल रही है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रमुख सचिव गृह और यूपी पुलिस के डीजीपी एवं एडीजी लॉ एंड आर्डर बैठक में मौजूद है। मुख्तार अंसारी की मौत की जांच के लिए उत्तरप्रदेश सरकार न्यायिक आयोग का गठन कर सकती है।

  • आम आदमी की आवाज उठाता रहूँगा: वरूण गांधी

    आम आदमी की आवाज उठाता रहूँगा: वरूण गांधी

    – पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता

    लखनऊ। पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरूण गांधी ने टिकट कटने के बाद पीलीभीत वासियों के नाम से एक मार्मिक पत्र लिखा है। पत्र में वरूण ने पीलीभीत से अपनी यादों को जिक्र करते हुए लिखा कि पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर ही सही मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ। मेरे दरवाजे हमेशा आपके लिए खुले रहेंगे।

    वरूण गांधी आगे पत्र में लिखते हैं कि मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूँ कि सदैव वह कार्य करता रहूँगा भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

    भाजपा सांसद ने लिखा कि मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम व विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है।

    विदित हो कि इस पीलीभीत से वरूण गांधी का टिकट काटकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है।

  • आजम को स्टार प्रचारक बना समर्थकों को रिझा रही सपा

    आजम को स्टार प्रचारक बना समर्थकों को रिझा रही सपा

    -सपा के 18 स्टार प्रचारकों की सूची जारी

    लखनऊ,। समाजवादी पार्टी (सपा) ने लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में प्रचार के लिए जेल में बंद आजम खान समेत 18 स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, किरनमय नंदा, रामगोपाल यादव के बाद आजम खान का नाम चौथे नम्बर पर है।

    सपा की स्टार प्रचारक वाली सूची में जया बच्चन, डिम्पल यादव, जावेद अली खान, नरेश उत्तम पटेल, रामजी लाल सुमन, शिवपाल सिंह यादव, रामगोविन्द चौधरी, इन्द्रजीत सरोज, रमेश प्रजापति, ओमप्रकाश सिंह, राजपाल कश्यप, रामआसरे विश्वकर्मा, महबूब अली और शाहिद मंजूर के नाम शामिल है।

    उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में समीकरण के आधार पर महबूब अली, शाहिद मंजूर, जावेद अली खान के नाम को स्टार प्रचारक की सूची में शामिल कर समाजवादी पार्टी ने बड़ा संदेश दिया है। वहीं आजम खान के सीतापुर जेल में बंद रहने के बाद भी स्टार प्रचारक बनाकर उनके समर्थकों को रिझाने की पूरी कोशिश की गयी है।

  • लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने उतारे 40 स्टार प्रचारक

    लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने उतारे 40 स्टार प्रचारक

    लखनऊ। लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को जारी की है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम सबसे ऊपर है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम हैं।

    उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी चुनाव प्रचार करते हुए दिखेंगे। इनके नाम भी स्टार प्रचारक की सूची में शामिल किये गये हैं।

    स्टार प्रचारक सूची में भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी विजयंत पांडा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल, केंद्रीय मंत्री व अमेठी सीट से उम्मीदवार स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के नाम भी शामिल किये गये हैं।

    इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार में सक्रिय दिखने वाले एसपी सिंह बघेल, बीएल वर्मा, संजीव कुमार बालियान, डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई, धर्मपाल सिंह, जयवीर सिंह, नरेंद्र कश्यप, असीम अरुण, कपिलदेव अग्रवाल, सुरेंद्र सिंह नागर, चौधरी लक्ष्मी नारायण, सुनील शर्मा, बेबी रानी मौर्य, हेमा मालिनी, मुख्तार अब्बास नकवी, सोमेंद्र तोमर, जसवंत सैनी, दानिश आजाद, गीता शाक्य, अश्वनी त्यागी, सुभाष यदुवंश, सत्येंद्र सिसोदिया, संतोष सिंह, दुर्विजय सिंह शाक्य को भी सूची में शामिल किया गया है।

  • मुख्तार की गवाही रोकने के लिए उन्हें मारने की साजिश : अफजाल अंसारी

    मुख्तार की गवाही रोकने के लिए उन्हें मारने की साजिश : अफजाल अंसारी

    लखनऊ। गाजीपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी(सपा) के उम्मीदवार और माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने बड़ा बयान दिया है। अफजाल अंसारी ने मुख्ताार अंसारी की तबियत बिगड़ने की जानकारी मिलने पर कहा कि ऊसरी चट्टी काण्ड में मुख्तार अंसारी की गवाही होनी है। और मुख्तार की गवाही रोकने के लिए उसे मारने की साजिश जारी है।

    समाजवादी पार्टी(सपा) के उम्मीदवार ने कहा अफजाल अंसारी ने कहा कि मुख्तार की गवाही के बाद विपक्ष के लोगों को सजा हो जायेगी। सरकारी महकमा,अफसर सभी आपस में मिले हुए हैं। सभी के मिलीभगत से मुख्तार को मारने की साजिश हो रही है। मौत का एक दिन सभी का निश्चित है लेकिन शैतान तो कभी भी कोशिश कर सकता है।

    उन्होंने कहा कि मुख्तार की तबियत बिगड़ने की सूचना मिली तो पहले तो ऐसा लगा कि कोई अनहोनी हो गयी है। बांदा मेडिकल कालेज से फिर मिली सूचना पर थोड़ी राहत हुई है। पूरा परिवार मुख्तार को देखने बांदा पहुंच रहा है। कुछ रिश्तेदार पहुंच चुके हैं। हम कानून के रास्ते से मुख्तार की सुरक्षा के लिये कोशिश करते रहेंगे। मुख्तार के लिए उनके लोग दुआ कर रहे हैं।