Category: उत्तर प्रदेश

  • लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक रहना पड़ा था जेल में

    हमीरपुर। बुन्देलखंड के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जातिवाद के चक्कर में हमेशा जनता ठगी गई है। आम चुनाव में भी जातीय रंग में मतदाताओं ने एक ऐसे बाहुबली को जनादेश देकर संसद पहुंचाया था जो यहां पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। पहली बार में ही क्षेत्र का बाहुबली आम चुनाव में भारी मतों से निर्वाचित हुआ था, लेकिन मतगणना से पहले ही वह गिरफ्तारी वारंट जारी होने से फरार हो गया। फरारी हालत में ही इसने लोकसभा पहुंचकर सांसद की शपथ भी ली थी। बाद में सांसद रहते हुए वह यहां की जेल में ढाई साल तक बंद भी रहा।

    गौरतलब है कि कानपुर महानगर के किदवईनगर से अशोक सिंह चंदेल वर्ष 1980 में हमीरपुर जिले में सियासी पारी खेलने आए थे। शुरू में उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी जनता एस के टिकट से हमीरपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव मैदान में कदम रखा। हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप नारायण दुबे से वह पराजित हो गए थे। पहली मर्तबा में ही अशोक सिंह चंदेल ने 20549 मत हासिल किए थे। वह वर्ष 1985 में भी चुनाव हारे थे। इसके बाद 1989 में इन्होंने निर्दलीय रूप से चुनावी महासमर में आकर अन्य दलों के समीकरण फेल कर पहली बार जीत का परचम फहराया था। उन्हें 30813 मत मिले थे।

    वर्ष 1991 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1993 में जनता दल की लहर में विधानसभा के चुनाव में 42882 मत हासिल कर वह विधायक बने। वर्ष 1996 में यहां की सीट पर चंदेल बीएसपी के प्रत्याशी से पराजित हुए थे। जातीय राजनीति करने वाले अशोक सिंह चंदेल 26 जनवरी 1997 को हमीरपुर शहर में पांच लोगों की हुई सामूहिक हत्या में नामजद होने के बाद भी बीएसपी में एन्ट्री लेकर 1999 के आम चुनाव में आए तो वह पहली बार में ही निर्णायक मतों के एकजुट हो जाने से सांसद भी बन गए। उन्हें 217732 मत मिले थे। लेकिन सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक इन्हें जेल की सलाखों में रहना पड़ा था।

    कोर्ट से अशोक सिंह चंदेल दो बार कोर्ट से घोषित हुए थे भगोड़ा

    सामूहिक हत्याकांड में गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे लेकर अशोक सिंह चंदेल संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार में जुटे रहे, लेकिन मतदान के बाद मतगणना से पहले ये फरार हो गए थे। सामूहिक हत्याकांड के वादी राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि मतगणना से पहले सुप्रीमकोर्ट में एसएसपी खारिज होने पर अशोक सिंह चंदेल फरार हो गए थे। मतगणना में ये सांसद चुने गए थे। लेकिन विजयी प्रमाणपत्र उनके मतगणना एजेंट शिवचरण प्रजापति ने लिया था। उन्होंने बताया कि हमीरपुर में विशेष सत्र न्यायाधीश (द.प्र.क्षेत्र) की अदालत ने बाहुबली अशोक सिंह चंदेल को दो बार भगोड़ा भी घोषित किया था।

    गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सांसद ने किया था आत्मसमर्पण

    वर्ष 1999 में आम चुनाव में अशोक सिंह चंदेल सांसद तो बन गए थे लेकिन उन्हें ढाई साल तक हमीरपुर की जेल की हवा खानी पड़ी थी। सामूहिक हत्याकांड के पीड़ित पक्ष के राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि तत्कालीन एसपी एलवी एंटनी ने फरार सांसद को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित की थी। पुलिस की टीमें दिल्ली गई थी जहां राजनेता की मदद से चंदेल लोकसभा पहुंचकर शपथ ली थी। बताया कि पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थी जिसके कारण सांसद को हमीरपुर स्थित कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। सांसद रहते हुए भी इन्हें यहीं की जेल की सलाखों में ढाई साल तक कैद रहना पड़ा था।

    हाईकोर्ट के फैसले पर चंदेल आगरा जेल में काट रहे उम्रकैद की सजा

    सामूहिक हत्याकांड में अशोक सिंह चंदेल समेत तमाम आरोपियों को अप्रैल 2019 में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद ये जेल गए थे। मौजूदा में ये आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सामूहिक हत्याकांड के वादी के मुताबिक अशोक सिंह चंदेल के खिलाफ डेढ़ दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्रकैद की सजा के बाद चंदेल का राजनैतिक जमीन भी खिसक गई है। बताते हैं कि हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में नौ फीसदी क्षत्रिय मत है, जिनमें अशोक सिंह चंदेल की मजबूत पकड़ थी। इन्होंने जातीय राजनीति के सहारे कई बार विधानसभा की सीट से विधायक भी बने थे।

  • लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लोकसभा चुनाव : दूसरे चरण के लिए उप्र में अब तक 12 प्रत्याशियों ने किया नामांकन

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण में 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 28 मार्च को निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही इन निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इन 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अब तक 12 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इसमें 08 प्रत्याशियों ने सोमवार 1 अप्रैल को नामांकन किया है। इसके पूर्व 04 प्रत्याशियों ने 30 मार्च को नामांकन किया था। नामांकन भरने पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 03 बजे के मध्य की जा सकेगी।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में लोकसभा सामान्य निर्वाचन के दूसरे चरण में 01 अप्रैल को अमरोहा में भारतीय जनता पार्टी से कंवर सिंह तंवर, बागपत में राष्ट्रीय लोकदल से राजकुमार संगवान, गाजियाबाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस से डॉली शर्मा, सुभाषवादी भारतीय समाज पार्टी से धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, राष्ट्रीय सुरक्षा पार्टी से मोनिका गौतम ने नामांकन किया।

    इसी प्रकार गौतमबुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी से महेन्द्र, अलीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी से सतीश कुमार गौतम तथा निर्दलीय प्रत्याशी में सतीश कुमार ने आज नामांकन किया।

    उन्होंने बताया कि दूसरे चरण में प्रदेश की अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर (सुरक्षित), अलीगढ़ तथा मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन सम्पन्न किया जाना है। दूसरे चरण की 08 लोकसभा सीटों में 07 सीटें सामान्य श्रेणी की हैं और 01 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह सभी 08 सीटें प्रदेश के 09 जिलों अमरोहा, हापुड़, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़ तथा मथुरा के अंतर्गत हैं।

    दूसरे चरण के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि 04 अप्रैल है। नामांकन पत्रों की जांच 05 अप्रैल को की जायेगी। 08 अप्रैल को अपराह्न 03 बजे तक नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित है। दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल होगा।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी रिणवा ने बताया कि दूसरे चरण के 08 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों मंअ 1.67 करोड़ मतदाता हैं। इसमें 90.11 लाख पुरूष मतदाता, 77.38 लाख महिला मतदाता तथा 787 थर्ड जेन्डर हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 7797 मतदान केन्द्र तथा 17677 मतदेय स्थल (पोलिंग बूथ) हैं।

  • चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत

    चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत

    कानपुर। नर्वल थाना क्षेत्र में सोमवार को किसी चार पहिया वाहन की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार दो सगे भाइयों की मौत हो गई। सूचना पर पहुंचे पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर विधिक कार्रवाई की।

    पुलिस उपायुक्त पूर्वी श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि नर्वल खास निवासी परशुराम कुशवाहा 55 वर्ष पुत्र शिव प्रसाद प्रजापति सोमवार को अपने छोटे भाई सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा के साथ मोटरसाइकिल से किसी काम के लिए निकले। घर से कुछ ही दूरी पर पहुंचे थे कि किसी अज्ञात वाहन ने मोटरसाइकिल में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।

    हादसे की सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों भाइयों को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले गई। जहां चिकित्सकों ने बताया कि उनकी मृत्यु हो गई है। उधर खबर मिलते ही परिवार के लोग बदहवास हालत में पहुंचे। पुलिस ने परिवार से तहरीर लेकर विधिक कार्रवाई करते हुए दोनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

  • लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लोस चुनाव : बांसुरी नगरी पीलीभीत से किसे सुनाई देगी जीत की धुन

    लखनऊ,। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला अपने सियासी वजूद की वजह से न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में अपनी पहचान रखता है। उत्तराखंड के पहाड़ों से सटा यह जिला भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में लंबे समय से है। पीलीभीत बरेली मंडल में आता है।

    इतिहास के अनुसार राजा मोरोध्वज का किला पीलीभीत के नजदीक दियूरिया जंगल में आज भी है। गोमती नदी के तट पर एक पौराणिक मंदिर इकहत्तरनाथ स्थित है। पीलीभीत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, कागज, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। यहां कुटीर उद्योगों में बांस और जरदोजी का काम प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पहचान बांसुरी नगरी के नाम से होती है।

    यह क्षेत्र ज्ञान और साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। इतिहासकार नारायणानंद स्वामी अख्तर, कवि राधेश्याम पाठक, फिल्म गीतकार अंजुम पीलीभीत से ही हैं। उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा पीलीभीत वो लोकसभा सीट है जिसे देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है।

    पीलीभीत सीट का संसदीय इतिहास

    स्वतंत्र भारत में पीलीभीत और नैनीताल लोकसभा सीट एक होती थी। पीलीभीत से कांग्रेस के मुकुंद लाल अग्रवाल ने पहली जीत 1952 में दर्ज की थी। पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सियासत में कुर्मी बहुल सीट के नाम पर जाना जाता था। इस सीट पर सात बार कुर्मी बिरादरी का ही सांसद चुना गया। लेकिन जनपद की राजनीति में गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी की वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई। जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरीं मेनका कुर्मी बिरादरी के दिग्गज कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह को करारी शिकस्त दे दीं। इसके बाद पीलीभीत के सियासी माहौल बदलने लगे। भाजपा के परशुराम गंगवार ने 1991 के पहली बार यहां कमल खिलाया था। उसके बाद से कुर्मी बिरादरी के दिग्गज चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन संसद में दाखिल नहीं हो सके।

    1996 मेनका गांधी जनता दल प्रत्याशी के तौर पर चुनी गई तो 1998 और 1999 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का झंडा गाड़ा। 2004 के चुनाव में मेनका गांधी भाजपा की टिकट पर मैदान से उतरी। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। इन चुनावों में कभी मेनका गांधी तो कभी वरुण गांधी सांसद रहे हैं। मेनका गांधी ने यहां से 6 बार चुनाव जीता है। वहीं वरुण गांधी दो बार यहां से सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का यहां कभी खाता खुल नहीं पाया। मां-बेटा की राजनीतिक विरासत वाला पीलीभीत मेनका और वरुण के लिए एक घर जैसा ही है। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि लगभग तीन दशकों से मां-बेटे का पीलीभीत लोकसभा सीट पर जादू कायम है।

    2019 लोकसभा चुनाव का नतीजा

    2019 में पीलीभीत से भाजपा ने वरुण गांधी को टिकट दिया। वरुण गांधी ने इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया। वरुण को 704549 (59.34 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के हेमराज वर्मा को 448922 (37.81 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2014 के चुनाव पर नजर डालें तो इस सीट से मेनका गांधी सांसद चुनी गई थीं। मेनका गांधी को 546934 (53.06 फीसदी) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के बुद्धसेन वर्मा को 239882 (22.83 फीसदी) वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था। बसपा के अनीस अहमद इस दौरान तीसरे नंबर पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी को 196294 (18.68 फीसदी) वोट मिले। इस दौरान कांग्रेस यहां चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। कांग्रेस ने संजय कपूर को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्हें महज 29169 (2.78 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

    2024 में गठबंधन के साथी कौन हैं

    पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था। इस बार भाजपा-रालोद गठबंधन में हैं। इंंडिया गठबंधन में सपा-कांग्रेस शामिल हैं। इंडिया गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। बसपा अकेले मैदान में है। भाजपा-रालोद गठबंधन में यह सीट भाजपा के हिस्से में है।

    चुनावी रण के योद्धा

    मेनका गांधी और वरुण गांधी के नाम से पहचान रखने वाली पीलीभीत सीट पर इस बार भाजपा ने चेहरा बदल दिया है। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं, बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को मैदान में उतारा है। इंडिया गठबंधन के अंतर्गत सपा ने पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को प्रत्याशी बनाया है।

    पीलीभीत का जातीय समीकरण

    पीलीभीत के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुल 18 लाख मतदाता है। इनमें सवा दो लाख कुर्मी, 4.30 लाख मुस्लिम, 1.7 लाख ब्राह्मण, 1 लाख सिख और चार लाख दलित वोटर आते हैं। इनमें बांग्लादेश से आए शरणार्थियों भी शामिल हैं। मुस्लिम और दलित वोटर ही प्रत्याशियों का खेल बनाते और बिगाड़ते हैं। इन सभी समुदायों पर मेनका गांधी और वरुण गांधी के जरिए भाजपा ने अच्छी पकड़ बनाई है।

    पीलीभीत लोकसभा की विधानसभा सीटों का हाल-चाल

    रामपुर लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं। चार विधानसभाओं में पीलीभीत, पूरनपुर, बीसलपुर, बरखेड़ा और व बरेली जिले की बहेड़ी सीट शामिल है। चार सीटों पर भाजपा और एक सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। पीलीभीत से संजय सिंह गंगवार (भाजपा), पूरनपुर से बाबू राम (भाजपा), बीसलपुर से विवेक कुमार वर्मा (भाजपा), बरखेड़ा से जयद्रथ उर्फ प्रवक्तानंद (भाजपा) और बहेड़ी से अताउर्रहमान (सपा) विधायक हैं।

    पीलीभीत का चुनावी गणित

    समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज बरेली के भगवत सरन गंगवार को मैदान में उतार कर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है। दो बार पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रहे चुके सपा के भगवत सरन गंगवार के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। बसपा ने अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को अपना प्रत्याशी बनाने से पहले वोट बैंक के अलावा जातीय समीकरण और कैडर वोट बैंक को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई है। फूलबाबू बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रहे चुके हैं। ऐसे में उनकी सर्व समाज में गहरी पैठ बताई जाती है। वे 2009 और 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों बार वे तीसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि पीलीभीत से अब तक बसपा और सपा ने एक बार भी संसदीय चुनाव नहीं जीता है।

    लंबे समय से भाजपा के पास रही पीलीभीत सीट पर दबदबा कायम रखना संगठन और प्रत्याशी के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद पर दांव लगाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। जतिन प्रसाद राजनीतिक परिवार से हैं। और स्वयं उनके पास भी राजनीतिक अनुभव की कमी नहीं है। राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार यूपी में पहले चरण की शायद ही किसी अन्य सीट पर नतीजों की तस्वीर इतनी साफ हो,जितनी पीलीभीत की है। अलबत्ता बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी की जद्दोजहद मुकाबले को रोमांचक जरूर बना रही है।

    पीलीभीत से कौन कब बना सांसद

    1952 मुकन्द लाल अग्रवाल (कांग्रेस)

    1957 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1962 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1967 मोहन स्वरूप (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

    1971 मोहन स्वरूप (कांग्रेस)

    1977 मो0 शमशुल हसन खां (भारतीय लोकदल)

    1980 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1984 भानु प्रताप सिंह (कांग्रेस)

    1989 मेनका गांधी (जनता दल)

    1991 परशुराम गंगवार (भाजपा)

    1996 मेनका गांधी (जनता दल)

    1998 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    1999 मेनका गांधी (निर्दलीय)

    2004 मेनका गांधी (भाजपा)

    2009 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)

    2014 मेनका संजय गांधी (भाजपा)

    2019 फिरोज वरुण गांधी (भाजपा)

  • रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का असमंजस विपक्ष को दे रहा मौका

    रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का असमंजस विपक्ष को दे रहा मौका

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रायबरेली और अमेठी कभी कांग्रेस परिवार का गढ़ माना जाता था। आज कांग्रेस की स्थिति यह है कि इन दोनों लोकसभा सीटों पर उसे योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं।

    उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को समझौता के तहत उप्र में समाजवादी पार्टी ने सिर्फ 17 सीटें दी। उसमें भी कांग्रेस अभी चार सीटों मथुरा, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पायी। ऐसी सीटों पर उम्मीदवारों का संशय कांग्रेस नेताओं के लिए ही दुविधा पैदा कर दिया है।

    उधर, भाजपा नेता पूछ रहे हैं कि कांग्रेस के युवराज की घोषणा दक्षिण से तो पहले ही हो गयी, जिसको वे अपना घर कहते हैं, वहीं से पलायन कर रहे हैं। इसका कारण है कि कांग्रेस भी जानती है कि इस बार उप्र में सभी अस्सी सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है। 12 उम्मीदवारों को दो हजार से अधिक मत मिले थे। स्मृति और राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा मत पाने वाले तीसरे स्थान पर रहने वाले ध्रुव लाल को 7,816 मत मिले थे। इससे पहले यह सीट संजय गांधी और उनके बाद राजीव गांधी के पास रहा करती थी। राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में सासंद थे। उनसे पहले एक बार 1999 में सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं।

    पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से 55,120 वोटों से हार गये थे। यह तब स्थिति थी, जब सपा और बसपा ने रायबरेली और अमेठी को कांग्रेस के समर्थन में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उस चुनाव में भाजपा की स्मृति को 4,68,514 मत मिले थे, वहीं राहुल गांधी को 4,13,394 मत मिले थे। अमेठी में कुल 27 उम्मीदवार खड़े थे। इसमें नोटा को लेकर 19 उम्मीदवारों को एक हजार से ज्यादा मत मिले थे।

    रायबरेली लोकसभा सीट से 2004 से अब तक सोनिया गांधी सांसद रही हैं। इस बार राज्यसभा सांसद बनने के बाद उन्होंने रायबरेली की जनता के नाम भावुक पत्र भी भेजे थे। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस से ही निकले भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से पराजित किया था।

    राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब तक इस घोषणा के न होने से जहां विपक्ष को बोलने का मौका मिल गया है, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मायूसी है। एक कांग्रेस नेता का कहना है कि जब रायबरेली और अमेठी जैसे सेफ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने में इतना हिचक रहे हैं तो आगे उप्र की रणनीति कैसे बनाएंगे। कांग्रेसी नेता का कहना है कि हम यहां पर सिर्फ सपा के भरोसे रह गये हैं। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा है, हालांकि चुनाव आते-आते कार्यकर्ताओं में कुछ उत्साह आ जाने की उम्मीद है।

    भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय का कहना है कि कांग्रेस पहले से जान रही है कि यूपी में उसे एक सीट भी नहीं मिलनी है। ऐसे में वह उप्र में सक्रियता बढ़ाकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती। वैसे भी पूरे देश से कांग्रेस का सफाया होने जा रहा है।

    कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि जल्द ही शेष चार सीटों भी उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। इस बार हम उप्र की सभी सीटों पर सपा के साथ मिलकर भाजपा को हराने का काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पहले ही डर पैदा हो गया है। इसी कारण वे पीछे और ईडी तथा सीबीआई आगे चल रही है।

  • लाउडस्पीकर बजाने से मना करने पर भाई की हत्या, चार गिरफ्तार

    लाउडस्पीकर बजाने से मना करने पर भाई की हत्या, चार गिरफ्तार

    मीरजापुर। कोतवाली कटरा पुलिस ने मारपीट कर भाई की हत्या करने वाले चार आरोपितों को सोमवार को क्षेत्र से गिरफ्तार किया। रविवार की देर रात लाउडस्पीकर बजाने से मना करने पर भाई एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने पीटकर भाई विष्णु सोनकर को अधमरा कर दिया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

    घटना से सम्बंधित चार आरोपितों रामबाबू सोनकर पुत्र स्व. पुरुषोत्तम सोनकर, सुनील सोनकर पुत्र नन्दू सोनकर, राहुल सोनकर पुत्र रामबाबू सोनकर निवासी शुक्लहा व पिन्टू सोनकर पुत्र स्व.लक्ष्मण सोनकर निवासी सरैया सिकन्दरपुर को कटरा पुलिस ने गिरफ्तार किया।

    ज्ञात हो कि शुक्लहा निवासिनी मिला देवी ने रविवार को अपने पति विष्णु सोनकर को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल करने व इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाने पर कटरा कोतवाली पर तहरीर दी थी। उप निरीक्षक कटरा कोतवाली योगेन्द्र नाथ यादव ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की खोज की जा रही थी और सोमवार को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

  • मुख्य स्थाई शासकीय अधिवक्ता तलब करेंगे “खरी दुनिया” की अविधिपूर्ण गिरफ्तारी से संबंधित दस्तावेज

    मुख्य स्थाई शासकीय अधिवक्ता तलब करेंगे “खरी दुनिया” की अविधिपूर्ण गिरफ्तारी से संबंधित दस्तावेज


    — एसपी अविनाश पाण्डेय और उप निरीक्षक गंगा प्रसाद विन्द द्वारा की गई अविधिपूर्ण गिरफ्तारी को लेकर खरी दुनिया ने हाई कोर्ट मे दाखिल किया है अवमानना की याचिका


    — सोमवार को अदालत ने चीफ स्टैंडिंग कौंसिल के माध्यम से मामले से संबंधित समस्त दस्तावेज किये तलब

    मऊ। अविधिपूर्ण गिरफ्तारी को लेकर खरी दुनिया के द्वारा मऊ मे एसपी रहे अविनाश पाण्डेय और उप निरीक्षक गंगा प्रसाद विन्द के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे दाखिल कंटेम्पट याचिका मे सोमवार को हाई कोर्ट द्वारा मुख्य स्थाई शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से मामले से संबंधित समस्त दस्तावेजों को तलब करने का आदेश दिये जाने की खबर है।


    उल्लेखनीय है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अविनाश पाण्डेय के इशारे पर उस समय कोतवाली मऊ मे तैनात उप निरीक्षक गंगा प्रसाद विन्द द्वारा खरी दुनिया की अविधिपूर्ण गिरफ्तारी की गई थी। खरी दुनिया ने अपने अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह के माध्यम से एसपी के इशारे पर उपनिरीक्षक गंगा प्रसाद विन्द द्वारा की गई अविधिपूर्ण गिरफ्तारी को लेकर अदालत मे अर्जी लगाई।

    सोमवार को अदालत ने इस मामले की सुनवाई दौरान मुख्य स्थाई शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से मामले से संबंधित समस्त दस्तावेजों को तलब किया गया है।

    इस मामले मे तत्कालीन एसपी अविनाश पाण्डेय और उपनिरीक्षक गंगा प्रसाद विन्द के उपर मा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गिरद्तारी को लेकर डी के बसु बनाम पश्च्छिम बंगाल के मामले मे जारी आदेश की अवहेलना किये जाने का आरोप है।

  • अधिवक्ताओं ने पुलिस आयुक्त का किया घेराव, दोषी पुलिस कर्मियों व आरोपियों पर कार्रवाई की मांग

    अधिवक्ताओं ने पुलिस आयुक्त का किया घेराव, दोषी पुलिस कर्मियों व आरोपियों पर कार्रवाई की मांग

    कानपुर। अधिवक्ता साथी के साथ हुई मारपीट और पुलिस द्वारा अधिवक्ता के ही खिलाफ दर्ज मुकदमे को लेकर सोमवार को अधिवक्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। अधिवक्ताओं ने पुलिस आयुक्त मुख्यालय का घेराव किया और नारेबाजी की। अधिवक्ताओं के पदाधिकारियों से पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने मुलाकात कर मामले की जानकारी ली और जांच के आदेश दे दिये। साथ ही आश्वासन दिया कि जांच में दोषी पाये जाने पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    कानपुर कचहरी लाॅयर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता रवीन्द्र शर्मा व वर्तमान उपाध्यक्ष हर्ष वर्मा ने बताया कि उनके साथी अधिवक्ता राम विकास कोहना थाना अंतर्गत रानीघाट पर रहते हैं और क्षेत्र के ही गोलू व गौरव जमीन पर कब्जा करने को लेकर रंजिश मानते हैं। बीती 28 मार्च को पीड़ित राम विकास घर के बाहर पार्किंग में अपना वाहन खड़ा करने जा रहा था तभी आरोपी गोलू और गौरव अपने परिजनों द्वारा पूर्व में पीड़ित अधिवक्ता राम विकास की शिकायतों को लेकर अधिवक्ता राम विकास पर हमला कर दिया और जमकर मारपीट की। पीड़ित की कार तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया और उसमें रखे तीन हजार रुपये व गाड़ी के कागजात निकाल लिये जिसकी पीड़ित ने वीडियो रिकॉर्डिंग भी कर ली। जब मामले की शिकायत कोहना थाना के थानाध्यक्ष से शिकायत की गई तो थानाध्यक्ष आरोपियों से मिलीभगत व अनैतिक लाभ प्राप्त होने के चलते उल्टा पीड़ित अधिवक्ता राम विकास पर संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर दिया। इससे अधिवक्ता समाज में आक्रोश व्याप्त है जैसे ही पीड़ित अधिवक्ता राम विकास पर फर्जी मुकदमे दर्ज होने की जानकारी लाॅयर्स के पदाधिकारी को हुई तो सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता समाज एकत्र हो गया। अधिवक्ताओं ने कानपुर पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की और दोषी पुलिस कर्मी और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई। पुलिस कमिश्नर ने मामले में जांच के आदेश दे दिये हैं।

  • मऊ के अबैध राहुल हॉस्पिटल के डा राहुल पर मारपीट, जान से मारने की धमकी का मुकदमा

    मऊ के अबैध राहुल हॉस्पिटल के डा राहुल पर मारपीट, जान से मारने की धमकी का मुकदमा


    — वर्ष २०१५- से कई साल तक राहुल हॉस्पिटल की मालकिन मीरा राय और सुरेंद्र नाथ राय ने सीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर से अनापत्ति प्रमाण पत्र बना और सरकारी अभिलेख मे लगा, अबैध हॉस्पिटल को बैध बना लोगो के इलाज का धंधा करते है ।

    — बीते दिनों इलाज को आये लोगो के साथ मारपीट करने के आरोप मे कोतवाली पुलिस ने राहुल हॉस्पिटल के चिकित्सक राहुल राय पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दिया है।

    मऊ। मुख्य अग्नि समन अधिकारी के जाली हस्ताक्षर से हॉस्पिटल के भवन के नक्शे को स्वीकृत कराकर अबैध तरीके से राहुल हॉस्पिटल के नाम निजी अस्पताल चला रहे डा सुरेंद्र राय और उनके लड़को के द्वारा इलाज कराने आये मरीजों और तिमारदारो के साथ मारपीट की जाती है। इस अबैध हॉस्पिटल के डा राहुल और दो अन्य अज्ञात के खिलाफ कोतवाली मऊ मे गाली देने, मारने पीटने, और जन से मारने की धमकियों का पुलिस द्वारा एक मुकदमा दर्ज कर मामले की जाँच की जा रही है।

    पुलिस सूत्रों के अनुसार पीड़ित ने प्रभारी निरीक्षक कोतवाली मऊ को दिये गये तहरीर मे बताया है कि वह कमलेश गुप्ता पुत्र अच्छेलाल गुप्ता निवासी मुस्तफाबाद ब्लाक रतनपुरा थाना हलधरपुर का निवासी है। कल शाम 4 बजे मे अपने बेटे रिशु गुप्ता को बेहोशी की हालत में लेकर आया। डा0 उसका इलाज करते रहे और हम लोग कहे की अगर आपके बस की बात नही है तो इस छोड दीजिये लेकिन डा0 राहुल द्वारा बार बार यही कहा गया कि वह ठीक है। सो रहा है आप घबराये नही। लड़का ठीक हो जायेगा और 1 घण्टे बाद आये और बच्चे को मृत घोषित कर दिया। जब हम अपनी बात कहने गये तो हम आफिस मे बुलाकर लडके के नाना के साथ (दीना गुप्ता) के साथ मारपीट किये राहुल राय के साथ दो अन्य स्टाप और भी थे। और जान से मारने की धमकी देकर बाहर धक्का देते हुए निकाल दिया।

    उल्लेखनीय है कि नगर का राहुल हॉस्पिटल सरकारी अफसर के जाली हस्ताक्षर से अग्नि समन बिभाग की अनापत्ति प्रमाण पत्र बनाकर फर्जी तरीके से तथ्यों छुपाकर हॉस्पिटल के भवन को नक्शा पास कराया है। हॉस्पिटल पुरी तरह से अबैध और तथ्यगोपन कर संचालित किया जा रहा है। २०१५ से हॉस्पिटल के मालिक और चिकित्स्क द्वारा सीएफओ के जाली हस्ताक्षर से अनापत्ति प्रमाण पत्र लगा कर हॉस्पिटल को आबिद्ध तरीके से संचालित है।

  • जिलाधिकारी ने संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना।

    जिलाधिकारी ने संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना।

    अभियान के तहत नालियों की साफ सफाई के साथ ही संचारी रोग से बचाव के लिए किया जाएगा प्रयास।

      आज जिलाधिकारी श्री प्रवीण मिश्र द्वारा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान एवं घर-घर पर दस्तक अभियान को हरी झंडी दिखाकर कलेक्ट्रेट से रवाना किया गया। संचारी रोग नियंत्रण अभियान दिनांक 01 अप्रैल से 30 अप्रैल एवं दस्तक अभियान दिनांक 10 अप्रैल से 30 अप्रैल 2024 तक संचालित किया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीण एवं नगरी क्षेत्र में नालियों की साफ- सफाई, एंटी लारवा के छिड़काव एवं फागिंग के कार्य किए जाएंगे। इस अभियान को सफल बनाने के लिए पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, नगर विकास विभाग, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग आदि विभागों द्वारा सहयोग किया जाएगा। इस अभियान के तहत मौसम परिवर्तन के चलते दिमागी बुखार, जुखाम, खांसी आदि के नियंत्रण के लिए जागरुकता फैलाई जाएगी। साथ ही मरीजों का चिन्हांकन कर समय पर समुचित उपचार देकर बीमारी से निजात दिलाने का प्रयास किया जाएगा। दस्तक अभियान में आशा, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर बुखार, टीवी वह कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर सूची तैयार किया जाएगा।
       इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।