Category: उत्तर प्रदेश

  • जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही अनीता की आठवें दिन मौत

    जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही अनीता की आठवें दिन मौत

    सुलतानपुर,। जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही अनीता आखिरकार आठवें दिन जिंदगी की जंग से हार गयी। शव जब गांव पहुंचा तो कोहराम गया। पुलिस घटना की जांच मे जुटी है।

    जयसिंहपुर कोतवाली क्षेत्र के गुड़बड़ गांव मे बीते 17 मार्च रविवार की शाम अज्ञात बदमाशों ने घर में घुसकर अनीता (15)का गला रेत दिया था। ट्रॉमा सेंटर लखनऊ में उसका इलाज चल रहा था, जहां रविवार की शाम उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद बीती रात शव गांव आया तो कोहराम मच गया। सीओ ने बताया कि इस मामले में पूर्व में ही केस दर्ज किया जा चुका है। पुलिस विवेचना कर रही है।

    उल्लेखनीय है कि गुड़बड़ गांव निवासी अनिता (15) 17 मार्च रविवार को अपने राइस मिल पर मां के साथ काम कर रही थी। पिता अनंतू की मौत पहले ही हो चुकी है। माता सोनिया पालन पोषण के लिए घर से 50 मीटर दूरी एक राइस मिल चलाती है। रविवार शाम करीब साढ़े 5 बजे उसकी मां सोनिया ने बेटी को चाय बनाने के लिए घर भेजा। काफी देर तक जब वह वापस नहीं आई तो उसकी मां घर पहुंची तो देखकर दंग रह गई। संदिग्ध परिस्थितियों में किशोरी खून से लथपथ घर में पड़ी मिली थी। किशोरी का गला कटा था। मां की चीख पुकार सुनकर गांव के लोग इक्कठा हो गए थे। उसे निजी वाहन से उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। जहां मौजूद चिकित्सको ने किशोरी की हालत गंभीर देखते हुए उसे ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर कर दिया था।

    अगले दिन सोमवार को मां की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज किया गया था। वहीं बीती शाम लखनऊ में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहां से पोस्टमार्टम के बाद देर शाम शव घर आया तो कोहराम मच गया। परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार से इनकार किया है।

    नहीं दर्ज हुआ है मृतका का बयान

    बताया जा रहा है कि लखनऊ में इलाज के दौरान मजिस्ट्रेट ने किशोरी का बयान तक नहीं लिया है। उधर सीओ जयसिंहपुर प्रशांत सिंह ने बताया कि पुलिस केस दर्जकर विवेचना कर रही है। आरोपी जो भी होगा बख्शा नहीं जाएगा।

  • लोस चुनाव : कई अटकलों के बीच भाजपा से मेनका गांधी इस बार भी मैदान में

    लोस चुनाव : कई अटकलों के बीच भाजपा से मेनका गांधी इस बार भी मैदान में

    सुलतानपुर। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने होली के एक दिन पहले सुलतानपुर संसदीय सीट पर फिर से मेनका गांधी को उतार कर तमाम तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया है।

    मेनका गांधी की पहचान भारत की प्रसिद्ध राजनेत्री एवं पशु-अधिकारवादी के रूप में है। वह पूर्व में पत्रकार भी रह चुकी हैं। भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र स्व. संजय गांधी की पत्नी के रूप में वे अधिक विख्यात हैं। उन्होंने अनेकों पुस्तकों की रचना की है तथा उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः आते रहते हैं।

    मेनका गाँधी भारतीय राजनीतिज्ञ स्व. संजय गांधी की पत्नी हैं। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, पशु अधिकार कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् के रूप में भी जानी जाती हैं। वह पिछले चार सरकारों में मंत्री रही हैं। 2014 से मई 2019 तक नरेंद्र मोदी की सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं।

    मेनका गांधी 1984 में राजीव गांधी अमेठी (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 2.7 लाख वोटों से हार गयी थीं। एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ी थीं। 1989-91 जनता दल पार्टी के टिकट पर पीलीभीत (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा सदस्य चुनी गयीं। 1991 के चुनाव में पीलीभीत में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में भाजपा के परशुराम से चुनाव हार गयीं। 1996-98 पीलीभीत (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा सदस्य, जनता दल पार्टी के टिकट पर चुनी गयी। 1998-99 पीलीभीत (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा सदस्य, एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनी गयीं। 1999-2004 पीलीभीत (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा सदस्य, एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनी गयीं।

    -भाजपा के साथ शुरू हुआ सफर

    2004-09 – पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य, भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीतीं।

    2009-14 – आंवला लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य, भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं।

    2014-19 – पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य, भाजपा के टिकट पर चुनी गईं।

    2019–वर्तमान – सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य, भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतीं। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम में मेनका संजय गांधी को कुल 4,59,196 मत मिले थे।(45.88 प्रतिशत) और गठबंधन में बसपा उम्मीदवार पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू को 4,44,670 मत (44.43 प्रतिशत) मिले। कांग्रेस के डॉ.संजय सिंह को कुल 41,681 (4.16 प्रतिशत) मत मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी को बसपा उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह सोनू से कड़ी टक्कर मिली थी। मेनका गांधी इस चुनाव में महज 14 हजार मतों से ही चुनाव जीती थीं। चुनाव में तीसरे प्रत्याशी कांग्रेस संजय सिंह थे।

    मेनका गांधी जी वर्तमान में सुल्तानपुर जिले की सांसद है, और जिले के पिछड़ेपन को लगातार दूर करती जा रही हैं। जिले को हाइटेक बनाने का काम लगातार कर रही हैं। मेनका गांधी को सुल्तानपुर की जनता प्यार से माँ कहकर भी बुलाती है, यह इनके करिश्माई कामों की वज़ह से ही हो सका है।

  • आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी गिरफ्तार

    आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी गिरफ्तार

    फिरोजाबाद। थाना जसराना पुलिस टीम ने आत्महत्या के लिए उकसाने वाले एक अभियुक्त को अवैध असलहा सहित गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसे जेल भेजा है।

    थानाध्यक्ष जसराना अंजीश कुमार पुलिस टीम के साथ रविवार को क्षेत्र में गश्त पर थे तभी उन्होंने सूचना पर वांछित अभियुक्त प्रवीन कुमार पुत्र अतिराज सिंह को बम्बा नहर पुल से अरांव जाने वाले रोड के पास से गिरफ्तार किया है। अभियुक्त के कब्जे से एक तमंचा 315 बोर व दो जिन्दा कारतूस 315 बोर बरामद किए हैं।

    पुलिस के अनुसार विनोद कुमार पुत्र दौलतराम निवासी ग्राम नगला रोशन झपारा थाना जसराना ने 8 फरवरी को थाना जसराना पर अपने पुत्र सघवेन्द्र उर्फ अंकुर पर शादी के लिए दबाव बनाने व शादी न करने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें गिरफ्तार अभियुक्त वांछित था।

  • मेरठ में शार्ट सर्किट से मोबाइल फटा, आग लगने से चार बच्चों की मौत

    मेरठ में शार्ट सर्किट से मोबाइल फटा, आग लगने से चार बच्चों की मौत

    – दिल्ली के अस्पताल में चल रहा बच्चों की मां का इलाज

    मेरठ,। जनपद में मोदीपुरम की जनता कॉलोनी में किराये के मकान में रह रहे मजदूर के घर में शनिवार की रात को शॉर्ट सर्किट से मोबाइल में धमाका हो गया और कमरे में आग लग गई। आग की चपेट में आकर मजदूर के चारों बच्चों की मौत हो गई और उन्हें बचाने के चक्कर में दम्पति भी झुलस गए।

    मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा गांव में रहने वाला मजदूर जॉनी अपनी पत्नी और चार बच्चों सारिका (10) , निहारिका (08), गोलू (06) और कल्लू (05) के साथ मोदीपुरम की जनता कॉलोनी में एक मकान में किराये पर रहता है।

    होली के त्योहार को लेकर मजदूर अपनी पत्नी के साथ रसोई घर में पकवान बना रहा था। वहीं, चारों बच्चे बेड पर खेल रहे थे। कमरे में मोबाइल चार्ज पर लगा था तभी अचानक तेज धमाके के साथ आग लग गई। दम्पति जब तक किचन से कमरे में पहुंचते, आग ने विकरालरूप ले लिया और उसकी चपेट में चारों बच्चे आकर झुलस गये। बच्चों को बचाने के चक्कर में दम्पति भी झुलसे। सूचना पाकर पुलिस और फायर बिग्रेड पहुंची। राहत बचाव कार्य करते हुए झुलसे लोगों अस्पताल में भर्ती कराया। दो बच्चों को मौके पर ही मृत घोषित कर दिया गया था, जबकि दो बच्चों ने रविवार की सुबह के वक्त दम तोड़ा है।

    थाना प्रभारी मन्नेश कुमार ने बताया कि बबीता की गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया है। जॉनी भी झुलस गया है। वहीं, इस हादसे में चारों बच्चों की मौत हो गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

  • लोकसभा 2024 : कांग्रेस से आया ब्राह्मण प्रत्याशी, अजय कपूर भाजपा की करेंगे भरपाई!

    लोकसभा 2024 : कांग्रेस से आया ब्राह्मण प्रत्याशी, अजय कपूर भाजपा की करेंगे भरपाई!

    – भाजपा ने अभी तक नहीं उतारा उम्मीदवार, समीकरणों पर हो रहा विचार

    – लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारती रही कांग्रेस

    कानपुर,)। लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है और प्रथम चरण के तहत सीटों पर नामांकन प्रक्रिया भी शुरूहो गई है, लेकिन कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अभी तक भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा। वहीं देर रात कांग्रेस ने लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार रहे श्रीप्रकाश की जगह ब्राह्मण चेहरा उतार दिया। इन सबके बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं कि कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर भाजपा के वोटों में सेंध लगाने का काम कर दिया। तो वहीं भाजपा कांग्रेस की इस चाल को पहले ही समझ गई थी और कांग्रेस से तीन बार विधायक रहे राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर को हाल ही में अपने पाले में कर लिया। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि ब्राह्मण उम्मीदवार आने से जो वोट कटेगा उसकी भरपाई अजय कपूर के जरिये हो जाएगी और कानपुर सीट पर एक बार फिर भाजपा की ही जीत होगी।

    राम मंदिर आंदोलन से उपजी आस्था और संघ की शहर में अच्छी पैठ होने से 1991 में पहली बार कानपुर नगर लोकसभा सीट भाजपा जीतने में सफल रही। यही नहीं, जीत का अंतर करीब 28 प्रतिशत मतों का रहा और ब्राह्मण उम्मीदवार जगतवीर सिंह द्रोण संसद पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद 1996 और 1998 में भी संसद में कानपुर का जनप्रतिनिधित्व द्रोण ने ही किया। हालांकि उनके पक्ष में मतदान प्रतिशत कम होता चला गया और अन्तत: 1999 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने शिकस्त दे दी। 1998 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल पर कांग्रेस बराबर भरोसा जताती रही और पिछले लोकसभा चुनाव तक कुल छह बार उम्मीदवार बनाया। इसमें पहली बार को छोड़कर लगातार तीन बार उन्हें जीत मिली और इधर भाजपा लहर में दो लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण उम्मीदवार क्रमश: डॉ. मुरली मनोहर जोशी और सत्यदेव पचौरी से उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा था। इस बीच वह यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से अबकी बार उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इसके संकेत उन्होंने पिछले चुनाव में हार के दौरान ही दे दिया था। ऐसे में अजय कपूर का धड़ा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया।

    यहां यह भी बता दें कि कानपुर में पिछले तीन दशक से कांग्रेस में श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर ही सर्वमान्य नेता रहे और दोनों में एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ भी बनी रहती थी। अजय कपूर के अलावा आलोक मिश्रा पिछले पांच वर्ष से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे। माना जा रहा था कि इन्हीं दोनों के बीच में कांग्रेस किसी एक को टिकट देगी, हालांकि उम्मीदवार तो अन्य भी रहे। इसी बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे अजय कपूर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में लगभग पूरी तरह से साफ हो गया था कि 1996 के बाद कांग्रेस एक बार फिर ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है और उनमें प्रमुख दावेदारों में आलोक मिश्रा का नाम सबसे आगे रहा, देर रात उनके नाम पर मुहर भी लग गई।

    अजय कपूर करेंगे भरपाई

    औद्योगिक नगरी कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अबकी बार किसके सिर पर ताज सजेगा, इसका अनुमान लगाना नामुमकिन है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में बैठाए जा रहे समीकरण काफी कुछ कह रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी यह समझ चुकी थी कि अबकी बार कांग्रेस से ब्राह्मण उम्मीदवार ही आएगा। जिससे अजय कपूर के गुट की उम्मीदों पर पानी फिरेगा। इस बात को अजय कपूर भी भांप चुके थे तभी हाल ही में दिल्ली में उन्होंने भाजपा को अपना लिया। अजय कपूर के भाजपा में आने से यह चर्चाएं शुरू हुईं कि भाजपा अजय कपूर को उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अजय कपूर को टिकट नहीं मिलेगा उनके लिए दूसरे विकल्प हैं। यह भी बताया जा रहा है कि अजय कपूर को इसीलिए भाजपा में लाया गया कि कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार होने से जितना वोट भाजपा से कटेगा उससे कहीं अधिक अजय कपूर भरपाई कर देंगे और एक बार फिर कानपुर नगर लोकसभा सीट पर कमल ही खिलेगा। भाजपा का यह तर्क पूरी दमखम के साथ सटीक बैठता भी है, क्योंकि अजय कपूर गोविन्द नगर और किदवई नगर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके साथ ही शहर में उनकी अच्छी खासी पहचान है और जनता उन्हें पसंद भी करती है। हालांकि उनका कोई जातीय समीकरण नहीं है और सिंधी समाज से आते हैं, लेकिन बड़े कारोबारी होने के नाते लोगों को आर्थिक सहयोग भी बहुत करते हैं और सभी के दुख- सुख में शामिल होने का उनका प्रयास रहता है। इन्हीं सब वजहों से उनका शहर में उतना वोटर है कि हार जीत का समीकरण बना बिगाड़ सकते हैं।

  • मुश्किल में पड़े रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विधायक सहित 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज

    मुश्किल में पड़े रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विधायक सहित 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज

    हरिद्वार। मारपीट के मामले में आरोपितों को छुड़ाने ज्वालापुर कोतवाली और फिर अस्पताल में धरना देने वाले रानीपुर विधायक आदेश चौहान सहित करीब 150 लोगों आचार संहिता के उल्लंघन पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

    बीते शुक्रवार मारपीट के मामले में गिरफ्तार 4 आरोपितों को छोड़ने के लिए भाजपा के रानीपुर विधायक आदेश चौहान अपने कई समर्थकों संग कोतवाली पहुंचे थे। जहां उनकी पुलिस से काफी गहमा गहमी भी हुई, लेकिन जब पुलिस आरोपितों को मेडिकल के लिए अस्पताल ले गई, तो विधायक अस्पताल पहुंचे और आचार संहिता के बीच वह अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए।

    इसके बाद मौके पर एसपी सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट सहित कई पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्हें काफी समझाया गया, लेकिन विधायक अपने पूरे तेवर दिखाते हुए कोतवाल को हटाने, दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने व आरोपितों को छोड़ने की मांग पर अड़े रहे। बाद में उच्चाधिकारियों के आश्वासन पर बामुश्किल उन्होंने धरना समाप्त किया।

    पूरे प्रकरण की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेज दी गई थी, इसके बाद आज चुनाव आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए विधायक सहित करीब डेढ़ सौ लोगों पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया।

  • उप्र की रिजर्व सीटों पर क्लीन स्वीप की तैयारी में भाजपा

    उप्र की रिजर्व सीटों पर क्लीन स्वीप की तैयारी में भाजपा

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व हैं। उप्र में भाजपा ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को तय करने में रिजर्व सीटें निर्णायक बन सकती हैं। भाजपा इन सीटों पर अपना दबदबा और बढ़ाना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इन सीटों में भाजपा को कमजोर करने की संभावना देख रहे हैं। 2014 और 2019 के आम चुनाव में दिखा कि भाजपा ने प्रदेश की रिजर्व सीटों पर अव्वल दर्जे का प्रदर्शन किया। भाजपा ने आम सीटों के अलावा रिजर्व सीटों पर शानदार प्रदर्शन कर यह साबित किया प्रदेश की दलित आबादी की पहली पसंद भाजपा है। 2014 में भाजपा ने प्रदेश की सभी 17 रिजर्व सीटों पर जीत दर्ज की थी।

    उल्लेखनीय है कि देश के सबसे बड़े राज्य में 21.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति यानी दलितों की आबादी है। आजादी के बाद कांग्रेस के साथ खड़ा रहा दलित तकरीबन ढाई दशक तक बसपा के साथ रहा, लेकिन अब उसमें भाजपा गहरी सेंध लगाते दिख रही है। बसपा से खिसकते दलित वोट बैंक को सपा के साथ ही कांग्रेस भी हथियाने की कोशिश में है। सपा-कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ से उन्हें अबकी चुनाव में लाभ होगा।

    पहले चुनाव में भाजपा का ऐसा रहा प्रदर्शन

    6 अप्रैल 1980 को भाजपा का गठन हुआ। अपने गठन के चार साल बाद भाजपा ने देश में पहला संसदीय चुनाव लड़ा। यूपी में भाजपा ने 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। उसे किसी सीट पर जीत तो नहीं मिली, हालांकि उसके हिस्से में 21 लाख से ज्यादा वोट आए। इस चुनाव में भाजपा ने मोहनलालगंज, लालगंज, सैदपुर, राबर्टसगंज, घाटमपुर, हाथरस और हरिद्वार सात रिर्जव सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें तीन सीटों पर भाजपा चौथे और चार सीटों पर तीसरे स्थान पर रही। सभी रिजर्व सीटें कांग्रेस ने जीती थी।

    चुनाव दर चुनाव बेहतर हुआ प्रदर्शन

    1989 के आम चुनाव में भाजपा ने यूपी की 18 रिजर्व सीटों सैदपुर और राबर्टसगंज में जीत दर्ज की। जनता दल ने 11, कांग्रेस ने 4 और बसपा ने 1 सीट पर जीत दर्ज की। 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदर्शन सुधारा और बिजनौर, हरदोई, मोहनलालगंज, बस्ती, बांसगांव, फिरोजाबाद, हाथरस और हरिद्वार आठ सीटें जीती। इस चुनाव में कांग्रेस और जनता पार्टी के हिस्से में 1-1 और जनता पार्टी के खाते में शेष 8 सीटें आई। इस चुनाव में स्वयं को दलित वोटों की ठेकेदार समझने वाली बसपा के हाथ खाली ही रहे। 1996 के आम चुनाव में भाजपा ने अब तक का सबसे उम्दा प्रदर्शन करते हुए 18 रिजर्व सीटों में से 14 पर विजय पताका फहराई। बसपा और सपा के हिस्से में दो-दो सीटें आई। 1998 के चुनाव में भाजपा ने 11 और 1999 में 7 सीटों पर जीत दर्ज की। 1999 के चुनाव में बसपा ने 6, सपा ने 4 और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी।

    2004 और 2009 में फीका रहा प्रदर्शन

    2004 के आम चुनाव में भाजपा 17 रिजर्व सीटों में से 3 पर ही जीत सकी। सपा को 7, बसपा को 5 कांग्रेस और रालोद को 1-1 सीट मिली। 2009 के आम चुनाव में भाजपा 2 सीटें ही जीत पाई। इस चुनाव में सपा को 9, बसपा को 3 और रालोद को 1 सीट मिली।

    2014 में बदल गया नजारा

    2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भाजपा ने 71 और अपना दल ने 2 कुल जमा 73 सीटों पर जीत दर्ज कराई। इस चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 17 रिजर्व सुरक्षित सीटों पर भारी अंतर से जीत दर्ज की। 2014 में सपा और रालोद का गठबंधन था। बसपा और कांग्रेस अकेले मैदान में थी। बसपा के खाते में शून्य सीटें आई। सपा 5 और कांग्रेस 2 सीटों पर सिमट गई।

    2019 में रिजर्व सीटों पर अव्वल प्रदर्शन

    आम चुनाव 2019 में भाजपा और अपना दल ने 64 सीटें जीती। 62 सीटों पर भाजपा और 2 पर अपना दल ने सफलता हासिल की। हालांकि इस चुनाव में कुल 17 रिजर्व सीटों में 15 अपने कब्जे में रखी। भाजपा ने 14 और 1 सीट अपना दल ने जीती। बसपा को लालगंज और नगीना मात्र दो सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस, सपा और रालोद के हाथ खाली ही रहे।

    2014 का प्रदर्शन दोहराने की तैयारी में भाजपा

    इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में वो रिजर्व सीटों पर 2014 का प्रदर्शन दोहराकर क्लीन स्वीप की तैयारी में है। दलितों को अपने पाले में लाने और लगातार उनके हितों की योजनाएं चलाने वाली मोदी सरकार ने अहम पदों पर दलितों को प्राथमिकता भी दी। नतीजा यह रहा कि रिजर्व सीटों पर बसपा सहित दूसरे दलों की पकड़ ढीली होती जा रही है। भाजपा के पूरी शिद्दत से दलित वोटरों में गहरी सेंध लगाने की कोशिश का नतीजा रहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा एक भी सुरक्षित सीट पर जीत दर्ज नहीं करा सकी। सुरक्षित सीटों पर जीत पक्की करने के लिए अनुसूचित जाति महासम्मेलन, दलित सम्मेलन और दलित बस्तियों में भोजन के जरिए यह बताने में लगी है कि मोदी-योगी की सरकार ही अनुसूचित वर्ग का पूरा ध्यान रख रही हैं। कांग्रेस ने तो आंबेडकर के नाम पर अनुसूचित वर्ग की उपेक्षा की है। लोगों का प्रयोग सिर्फ वोट और सत्ता हथियाने के लिए किया गया।

    विपक्ष भी तैयारी में जुटा

    उत्तर प्रदेश की रिजर्व सीटों पर भाजपा की लगातार बढ़त को रोकने के लिए सपा, कांग्रेस और बसपा भी दलितों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। सपा को पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले पर पूरा यकीन है। दलितों को अपने पाले में लाने के लिए अखिलेश यादव ने दलितों के श्रद्धा के केंद्र महू जाकर बाबा साहब को श्रद्धांजलि दी, वहीं रायबरेली में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का भी अनावरण किया है। दलितों को सपा से जोड़ने के लिए अखिलेश ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर वाहिनी भी बनाई है। कांग्रेस भी दलितों को रिझाने में लगी है। मायावती स्वयं को दलितों का सबसे बड़ा पैरोकार मानती है। बसपा अपने कोर वोट बैंक को बिखरने से रोकने की रणनीति पर फोकस कर रही है।

  • लखनऊ में मिले चचेरे भाई-बहन के शव, जांच में जुटी पुलिस

    लखनऊ में मिले चचेरे भाई-बहन के शव, जांच में जुटी पुलिस

    लखनऊ। राजधानी लखनऊ के इंटौजा थाना क्षेत्र में रविवार को एक युवक और महिला की लाश मिली है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

    डीसीपी उत्तरी ने बताया कि इंटौजा पुलिस को सूचना मिली कि चन्द्रपुर गांव में एक युवक का शव मिला है। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच पड़ताल कर ही रही थी, तभी कुछ दूरी पर एक महिला के लाश मिलने की खबर पुलिस को मिली। पुलिस वहां भी पहुंची और शव को कब्जे में ले लिया।

    मृतक युवक की पहचान चन्द्रपुर गांव निवासी रमेश के रूप में हुई है। वहीं, महिला के शव की शिनाख्त नरेश की पत्नी व रमेश की चचेरी बहन विमला के रूप में हुई है।

    डीसीपी ने बताया कि प्रथमदृष्टया पुलिस की जांच में रमेश ने खुदकुशी की है। जबकि विमला के मौत का कारण अभी कुछ पता नहीं चल सका है। फिलहाल शवों को पोस्टमार्टम भेजकर पुलिस सभी बिन्दुओं पर जांच कर रही है।

  • वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले कांग्रेस ने अजय राय पर फिर लगाया दांव

    वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले कांग्रेस ने अजय राय पर फिर लगाया दांव

    लगातार तीसरी बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी जंग में

    वाराणसी। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस नेतृत्व ने वाराणसी संसदीय सीट पर अपने उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय को फिर उतारा है। प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय राय लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (भाजपा के उम्मीदवार) के विजय रथ को रोकने के लिए सियासी दमखम दिखायेंगे। पिछले दो चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने सियासी जंग में तीसरे स्थान पर रहे। अजय राय की जमानत भी नहीं बच पाई थी।

    खास बात यह रही कि दोनों चुनाव में अजय राय कभी भी मुख्य मुकाबले में नहीं दिखे। पहली बार वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (भाजपा उम्मीदवार) के सामने कांग्रेस ने अजय राय को उतारा था। चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल दूसरे और अजय राय तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने अजय राय को पार्टी का उम्मीदवार बनाया। चुनाव में सपा बसपा गठबंधन की शालिनी यादव दूसरे और अजय राय तीसरे स्थान पर रहे।

    गौरतलब हो कि अजय राय ने अपने सियासी सफर की शुरुआत भाजपा से ही की थी। वर्ष 1996 से लेकर वह 2007 तक वह भाजपा के टिकट से ही लगातार तीन बार विधायक बने। अजय राय ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकट मांगा तो तब भाजपा के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी को टिकट मिल गया। इससे नाराज अजय राय ने डॉ जोशी का खुलकर विरोध किया था और पार्टी से अलग हो गए। तब चुनाव में डॉ जोशी ने जीत हासिल की। उधर, 2009 में अजय राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद 2012 में वे कांग्रेस से जुड़े और पिंडरा सीट से जीत हासिल की। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में पिंडरा से ही अजय राय को भाजपा के डॉ अवधेश सिंह ने करारी शिकस्त दी।

    वाराणसी संसदीय सीट से अब तक हुए सांसद

    पहले लोकसभा चुनाव 1952 में वाराणसी सीट से कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुनाथ सिंह को उतारा था। तब रघुनाथ सिंह ने लगातार तीन बार-1952, 1957 व 1962 में जीत दर्ज की थी। इसके बाद बाद 1967 में सीपीएम प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह ने कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त कर रघुनाथ सिंह को धुल चटा दिया था। तब सीपीएम के सत्यनारायण सिंह को 138789 मत मिला था। सत्यनारायण सिंह से जब काशीवासियों का मोहभंग हुआ तो 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री को फिर सेवा का मौका दिया। तब पाकिस्तान को जंग में करारी शिकस्त देकर उसे दो टुकड़ों में बांट देने के बाद पूरे देश में कांग्रेस नेतृत्व इंदिरा गांधी की प्रचंड लहर भी चल रही थी। इसके बाद देश में आपातकाल का दौर आया। इससे काशी भी अछूती नहीं रही।

    आपातकाल के बाद हुए संसदीय चुनाव में काशी ने संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी चन्द्रशेखर(पूर्व प्रधानमंत्री )को जीताकर राजाराम शास्त्री को करारी शिकस्त खाने के लिए मजबूर कर दिया। लेकिन कुछ ही समय में सरकार और प्रत्याशी से मोहभंग होने के बाद काशी ने वर्ष 1980 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस के धुरंधर स्थानीय नेता पं.कमलापति त्रिपाठी को सिर माथे पर बिठा लिया। पंडित जी को कुल 129063 मत और विपक्षी दल के स्थानीय कद्दावर समाजवादी नेता राजनारायण को कुल 104328 मत मिला। इसके बाद जनता ने 1984 में फिर कांग्रेस पर भरोसा जता स्थानीय प्रत्याशी श्यामलाल यादव को विजेता बनाया। यादव को कुल 153076 मत और सीपीआई के दिग्गज कामरेड ऊदल को 58664 मत मिला था। इसके बाद आया बोफोर्स घोटाले का दौर काशी ने भी इससे नाराज होकर सत्ता के विपरीत चलने का मन बना लिया। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता दल के प्रत्याशी और काशी के लाल लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री पर बाबा की नगरी का प्यार बरसा। अनिल शास्त्री ने कुल 268196 मत पाकर कांग्रेस के श्यामलाल यादव को पटखनी दी।

    इसके बाद आया राममंदिर निर्माण के लिए भाजपा के रथयात्रा और बाबरी मस्जिद विध्वन्स का दौर। काशी पर भी भगवा रंग चटख होने लगा। 1991 में भाजपा के प्रत्याशी और पूर्व डीजीपी श्रीशचन्द्र दीक्षित को काशी ने सिर माथे पर बैठाया। दीक्षित को कुल 186333 मत और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीएम के राजकिशोर को 149894 मत मिला था। इसके बाद वर्ष 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल पर फिर जनता ने भरोसा जताया।

    1998 में दोबारा और 1999 में तीसरी बार शंकर प्रसाद जायसवाल को काशी ने विजयश्री का वरण कराया। तीन बार लगातार सेवा का मौका पाने के बाद भी जनआकांक्षा पर खरे न उतरने पर शंकर प्रसाद जायसवाल को 2004 में जनता ने पटखनी दे दी। और कांग्रेस के स्थानीय दिग्गज छात्रनेता डा.राजेश मिश्र पर जमकर प्यार बरसा उन्हें विजेता बना दिया। इसके बाद भाजपा के दिग्गज नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने 2009 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस से छिन ली। काशी की जनता ने भाजपा के आधार स्तम्भ नेता पर भरोसा जता कुल 203122 मत देकर उन्हें विजयश्री का वरण कराया।

    इसके बाद आया वर्ष 2014 का दौर तत्कालीन केन्द्र सरकार के नीतियों से खफा काशी ने फिर धारा से विपरित चलने का निर्णय लिया। तब पूरे देश के राजनीतिक क्षितिज पर धूमकेतू की तरह उभरे भाजपा संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी पर भरपूर प्यार लूटा काशी ने उन्हें रिकार्ड मतों से जीता इतिहास रच दिया। इस चुनाव में आप के अरविन्द केजरीवाल को छोड़ सपा बसपा कांग्रेस के प्रत्याशी की जमानत भी नहीं बच पाई।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तब भाजपा के प्रत्याशी को कुल 581022 मत और दूसरे स्थान पर रहे आप के अरविन्द केजरीवाल को 209238 मत मिला था। चुनाव में कांग्रेस के अजय राय को 75614, बसपा के सीए विजय प्रकाश को 60579 तथा सपा के कैलाश चौरसिया को 45291 मत मिला था। इसके बाद वर्ष 2019 में फिर काशी की जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रिकार्ड मतों से जिताया। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने 6,74,664 मत प्राप्त कर सपा की शालिनी यादव को 4,79,505 मतों से हराया। शालिनी यादव को कुल 1,95,159 मत मिला था। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 मत मिला था। अब तक के बनारस के संसदीय सीट के इतिहास में भाजपा सात बार और कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की हैं।

  • मुख्तार अंसारी के मामले में लापरवाही बरतने पर जेलर और दो डिप्टी जेलर निलंबित

    मुख्तार अंसारी के मामले में लापरवाही बरतने पर जेलर और दो डिप्टी जेलर निलंबित

    बांदा। जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के मामले में लापरवाही बरतने पर जेलर और दो डिप्टी जेलरों को निलंबित किया गया है। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू हो चुकी। मुख्तार अंसारी के जेल में रहते हुए वर्ष 2016 से अब तक दो जेल अधीक्षक तीन जेलर और छह डिप्टी जेलर निलंबित हो चुके हैं।

    एम्बुलेंस केस में मुख्तार अंसारी को गुरुवार को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह कोर्ट नहीं पहुंचा। वकील के माध्यम से जज को प्रार्थना पत्र भेजकर उसने बांदा जेल में अपनी जान को खतरा बताया। पत्र में लिखा कि 19 मार्च को उसे जो भोजन दिया गया था, उसमें विषैला पदार्थ मिला था। इसे खाने के बाद वह बीमार हो गया था। हाथ-पैर की नसों में तेज दर्द उठने लगा और ठंडे होने लगे। हालत ऐसी हो गई थी, जैसे उसके जान चली जाएगी।

    जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने रविवार को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पुराने मामले में जेलर योगेश कुमार, डिप्टी जेलर राजेश कुमार और अरविंद कुमार को सस्पेंड किया गया है। बीते माह डीआईजी जेल ने मंडल कारागार का निरीक्षण किया था। उन्होंने निरीक्षण के दौरान तीनों अफसरों की लापरवाही पाई थी। तीनों अफसरों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। वहीं, इसको लेकर मुख़्तार अंसारी को लाने-ले जाने में लापरवाही बरते जाने को भी वजह बताया गया है।