Category: शिक्षा
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बोर्ड परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले परीक्षा केन्द्र से सीधे भेजे जाएंगे जेल
बलिया। बोर्ड परीक्षा पर पुलिस की भी पैनी नजर रहेगी। पूरी परीक्षा के दौरान पुलिस का स्पेशल सेल एक्टिव रहेगा। बोर्ड परीक्षा में गड़बड़ी की स्थिति में कड़ी पुलिसिया कार्रवाई होगी। कलेक्ट्रेट सभागार के गंगा बहुउद्देशीय सभागार में बैठक में डीएम व एसपी ने जोनल, स्टेटिक, सेक्टर मजिस्ट्रेट, केंद्र व्यवस्थापक व बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों की बैठक में चेताया कि परीक्षा केंद्र से सीधे तत्काल जेल भेजने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा को सकुशलतापूर्वक, नकलविहीन और शुचितापूर्ण संपन्न कराने को लेकर जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने बैठक में कहा कि परीक्षा की जो नियम-शर्तें हैं, उनके अनुरूप ही परीक्षा कराएंगे। सचेत किया कि किसी भी स्तर पर छोटी से छोटी गलती भी अक्षम्य होगी। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी संज्ञान में आई तो व्यक्तिगत रूप से जवाबदेही तय करते हुए जिम्मेदार पर बड़ी कार्रवाई होगी। किसी भी दशा में कोई छोटी गलती भी स्वीकार नहीं होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस परीक्षा में जितने स्तर पर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, वह पूरी तरीके से फूलप्रूफ व्यवस्था है, इसमें शामिल सभी अधिकारी यदि अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से करेंगे तो बोर्ड परीक्षा में कोई सेंधमारी नहीं होगी। यदि किसी ने सेंधमारी की कोशिश की तो इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ेंगे। साथ ही सभी केंद्र व्यवस्थापकों को स्ट्रांग रूम की फूलप्रूफ सुरक्षा से संबंधित रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
बैठक में एसपी देव रंजन वर्मा ने कहा कि परीक्षा के दौरान नकल माफियाओं, फर्जी अभ्यर्थियों और पेपर लीक जैसे बिंदुओं पर नकेल कसने के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम के बारे में जानकारी दी। कहा कि परीक्षा की शूचिता बनाए रखने के लिए गोपनीय और ओपनली दोनों प्रकार के टीम अपना काम कर रही है। बैठक में एडीएम डीपी सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी, जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश सिंह, परियोजना निदेशक उमेश मणि त्रिपाठी, बीएसए मनीष सिंह व डीएसओ रामजतन यादव सहित सभी केंद्र व्यवस्थापक मौजूद थे।
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पुलिस भर्ती परीक्षा : 93.55 प्रतिशत अभ्यर्थी रहे उपस्थित, साढ़े 5 हजार अभ्यर्थियों ने छोड़ी परीक्षा
झांसी,। छिटपुट अव्यवस्थाओं के बीच तथा पुलिस भर्ती परीक्षा के एक दिन पूर्व मुन्ना भाई गैंग के दो सदस्य गिरफ्तार होने के बाद दोनों दिनों की चारों पालियों में परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। शनिवार व रविवार दो दिनों में 4 पालियों में 47 परीक्षा केंद्रों पर कुल 81,008 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। जबकि 5,584 अभ्यर्थियों ने एग्जाम छोड़ दिया। इस प्रकार कुल 93.55 प्रतिशत अभ्यर्थी उपस्थित रहे। पहले दिन 96 प्रतिशत तो दूसरे दिन 91 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने परीक्षा में उपस्थिति दर्ज कराई। दोनों ही दिनों में पुलिस व प्रशासन के अधिकारी पूरी तरह से मुस्तैद रहे।
प्रदेश के 60 हजार पुलिस सिपाही पदों के लिए झांसी जिले में पुलिस भर्ती परीक्षा 17 और 18 फरवरी को आयोजित हुई। रविवार को दोनों पालियों में सभी 47 केंद्रों पर कुल 43,269 अभ्यर्थियों को उपस्थित होना था। इनमें से 39,419 ने ही उपस्थिति दर्ज कराते हुए परीक्षा दी। जबकि 3877 अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ दी। रविवार सुबह की पाली में 21,648 में से 20,269 अभ्यर्थी पेपर देने पहुंचे, जबकि 1379 अनुपस्थित रहे। दूसरी पाली में 19150 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी, जबकि 2498 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे।
बीते रोज शनिवार को 47 केंद्रों पर दोनों पालियों में 43,269 अभ्यर्थियों को हाजिर होना था। इसमें 41,589 ने परीक्षा दी थी, जबकि 1707 अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ी थी। पहली पाली में 21,648 में से 20,875 अभ्यर्थी पेपर देने पहुंचे थे, जबकि 773 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। वहीं, दूसरी पाली में 21,648 में से 20,714 अभ्यर्थी उपस्थित रहे। जबकि 934 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे।
गौरतलब है कि जिले में 17 व 18 फरवरी को चार पालियों में आयोजित होने वाली पुलिस परीक्षा में 47 केंद्रों पर कुल 86,592 अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होना था।
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इंवेस्टर्स नॉलेज किट के साथ शासन के अधिकारी करेंगे युवाओं से संवाद
-यूपी सरकार की पूंजी निवेश से सम्बन्धित योजनाओं की दी जाएगी जानकारी
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) में शनिवार को एक दिवसीय विशेष उद्यमिता ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत विजन को प्रदेश में नवाचार की संस्कृति के साथ जोड़ने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर सीएसजेएमयू में इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के स्पष्ट निर्देशों के तहत विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मीबाई प्रेक्षागृह में होने वाले इस कार्यक्रम में यूपी में होने वाले आगामी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी- @ 4.0 के तहत पूंजी निवेश आकर्षण की योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
विवि के प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी ने शुक्रवार को बताया कि कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अध्यक्ष भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण लखनऊ संजय आर भूसरेड्डी एवं विशिष्ट वक्ता विशेष सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग उप्र शासन शेषमणि पांडेय होंगे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों से सैंकड़ों की संख्या में युवा शिरकत करेंगे। जिन्हें नवाचार के क्षेत्र में विकसित हो रही कार्य संस्कृति के बारे में एवं उद्यमिता के क्षेत्र में यूपी में हो रहे अभूतपूर्व योजनाओं के बारे में शासन स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी प्रदान की जाएगी। साथ ही किस प्रकार से युवा एक सफल उद्यमी बनकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकते हैं, इस पर भी विमर्श किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में शनिवार सुबह 11 बजे से होने वाले इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण विश्वविद्यालय के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ वेबसाइट पर भी किया जाएगा।
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हर घर पहुंचने वाला साफ पानी लाएगा शिशु मृत्यु दर में कमी : विनी महाजन
-दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन का पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की सचिव ने किया उद्घाटन
लखनऊ,। पीने के लिए साफ पानी के अभाव में तमाम बच्चे न केवल गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं बल्कि इनमें से एक चौथाई अपनी जान तक गंवा देते हैं। जल जनित बीमारियों की वजह से होने वाली शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा देश में फिलहाल 25 प्रतिशत है। पेयजल मिशन से जब हर घर में साफ पानी पहुंचेगा तो इस आंकड़े में कमी आएगी।
जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन का शुक्रवार को उद्घाटन करते हुए पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की सचिव विनी महाजन ने इसकी उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि राज्यों ने चुनौतियों से निपटते हुए लक्ष्य की तरफ तेजी से कदम बढ़ाया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
विनी महाजन ने इस दौरान पेयजल मिशन की तमाम चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य प्राप्त करना असल चुनौती नहीं है। इससे बड़ी चुनौती इस बात की है कि उसकी निरंतरता कैसे बनाए रखी जाएगी। कैसे इस योजना में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। कैसे इस परियोजना को आम लोगों को सुपुर्द किया जाएगा और वे इसे हमेशा ही गति देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्थायी जल प्रबंधन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर मोर्चे पर हमें ठोस प्रयास करने की जरूरत है। हमें प्रतिबद्ध होना होगा कि हम सप्लाई किए जा रहे पानी की गुणवत्ता बनाए रखेंगे। जल जनित बीमारियों से बचाव के लिए क्लोरीनीकरण प्रोटोकॉल का हमें पालन करना है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसी से हम अपेक्षित लक्ष्य को पूरा कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल की आवश्यकता समझाने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि ग्राउंड वॉटर रीचार्ज होता रहे। ऐसा करके ही हम अपने जलस्रोत को लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकेंगे। हमारे जलस्रोत दूषित न हों, इसके लिए हमें खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ की प्रवृत्ति को बनाए रखना होगा। सरकार कोई भी काम करती है तो उसके लक्ष्य बड़े होते हैं। लिहाजा सभी विभागों को आपसी समन्वय हर परियोजना के लिहाज से बनाए रखना होगा। विभागों के सहयोग से लक्ष्यों की प्राप्ति आसान हो जाती है।
उप्र अपना प्लान सबके साथ साझा करे
विनी महाजन ने उत्तर प्रदेश के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को अपना प्लान सभी के साथ साझा करना चाहिए ताकि और लोग भी उसे देखें और अपनाएं। चुनौतियों से निपटते हुए योजना की पूर्ति और लक्ष्य की निरंतरता किस तरह से बनाए रखी जाए यह काफी अहम पहलू है।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के निदेशक और केंद्र सरकार के अपर सचिव डॉ़ चंद्रभूषण कुमार ने ठाकुर के कुंए के जिक्र के साथ अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि साफ पानी की चुनौती शुरू से ही रही है लेकिन जल जीवन मिशन ने इस चुनौती को ही चुनौती दी है।
भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के मिशन निदेशक और संयुक्त सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को एक दूसरे की पूरक योजना बताया। उन्होंने स्वच्छता के महत्व और उनकी उपयोगिता पर अपने विचार रखे।
कर्नाटक के ग्राम्य विकास और पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव अंजुम परवेज ने कहा कि किसी कार्य को बिना दृढ़ संकल्प के पूरा नहीं किया जा सकता। जल जीवन मिशन कई चुनौतियों से पार पाते हुए सफलता की ओर है। इस मौके पर असम के स्पेशल चीफ सेक्रेटरी एस अब्बासी, बिहार के ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार चौधरी मौजूद थे।
सर्वोत्तम प्रयोग को साझा करने का मंच बनेगा यह सम्मेलन : अनुराग श्रीवास्तव
उप्र सरकार के नमामि गंगे और ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत किया और उत्तर प्रदेश को इस अहम कॉन्फ्रेंस की मेजबानी दिए जाने पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन लोगों को अपनी सर्वोत्तम प्रयोगविधि को साझा करने का मंच बनेगा। सभी लोग एक दूसरे के प्रयासों को जानेंगे और उनकी अच्छी बातें अपने यहां भी लागू करेंगे। इस मौके पर उप्र जल निगम ग्रामीण के एमडी डॉ़ बलकार सिंह भी मौजूद थे।
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कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल की तैयारी, मसौदा दिशानिर्देश जारी
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन पर लोग अपने सुझाव एवं प्रतिक्रिया 30 दिनों के भीतर 16 मार्च तक केंद्रीय प्राधिकरण को दे सकते हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा कोचिंग संस्थानों, कानून फर्मों, सरकार और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
गाइडलाइंस के तहत विज्ञापन से जुड़ी शर्तें रखी गई हैं, जिनका अनुपालन न होने की स्थिति में कोचिंग से जुड़े व्यक्ति को भ्रामक विज्ञापन से जोड़ा जाएगा।
विज्ञापन को भ्रामक माना जाएगा अगर सफल उम्मीदवार के पाठ्यक्रम और अवधि की जानकारी छिपाए जाए, मनमाने ढंग से सफलता की दर निर्धारित की जाए, चयन और रैंकिंग से जुड़े झूठे दावे किए जायें, छात्र के व्यक्तिगत प्रयासों को नकारते हुए सारा श्रेय कोचिंग सेंटर को दिया जाए।
कोचिंग सेंटर को बताना होगा कि सफलता में कोचिंग की भूमिका क्या रही। अत्यावश्यकता की झूठी भावना या छूट जाने का डर पैदा करने वालों और पाठ्यक्रम की अवधि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी या कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने वाले कोचिंग सेंटर को भ्रामक विज्ञापन के दायरे में लाया जाएगा।
मंत्रालय का कहना है कि कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर दिशानिर्देश लागू होंगे। दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है।
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शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को शामिल कर उनकी अनिवार्यता बढ़ायी जाय : चामू कृष्ण शास्त्री
नेतृत्व समागम : फाइबर आप्टिक कनेक्टिविटी से खुली शिक्षा के बढ़े अवसर : प्रो. डी. सहस्रबुद्धे
लखनऊ। देश की शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को शामिल कर उनकी अनिवार्यता को बढ़ायी जाय। साथ ही भर्ती के दौरान भारतीय भाषाओं को वांछनीय योग्यता के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
यह बातें भारतीय भाषाओं के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री ने अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम में शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में अपने उद्बोधन के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि इस कदम से इन भाषाओं के अध्ययन में अधिक रुचि पैदा होगी। खासकर यह देखते हुए कि भारत की 90 प्रतिशत आबादी अंग्रेजी में पारंगत नहीं है। उन्होंने 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भारतीय भाषाओं पर आधारित करने की वकालत की।
उन्होंने भारतीय भाषाओं को महत्वाकांक्षी भाषाओं में बदलने पर काम करने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने पर जोर दिया। इसने केंद्र सरकार को पाठ्यपुस्तकों,स्वयं पोर्टल और विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों और उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा कार्यान्वयन में तीन साल के भीतर इस समावेशन को पूरा करने की नीति शुरू करने के लिए प्रेरित किया। शास्त्री ने सुझाव दिया कि शिक्षकों को बहुभाषी होना चाहिए और इन भाषाओं को पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्रीष्मकालीन शिविरों की शुरुआत की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि आज साढ़े छह लाख गांवों में से साढ़े तीन लाख को अब फाइबर ऑप्टिक कनेक्टिविटी प्राप्त हुई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत ऑनलाइन डिजिटल और खुली शिक्षा के अवसर पैदा हो रहे हैं।
उन्होंने एआईसीटीई द्वारा ‘अनुवादिनी’ की शुरूआत पर चर्चा की, जो एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित उपकरण है। यह अध्ययन सामग्री और पुस्तकों के राष्ट्रीय, स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि 35 करोड़ छात्रों में से 25.9 करोड़ छात्रों ने ‘अपार’ आईडी के साथ पंजीकरण कराया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। प्रोफेसर सहस्रबुद्धे ने दक्षता और एकरूपता बढ़ाने के लिए संस्थानों के लिए एकीकृत डेटा सबमिशन पोर्टल का प्रस्ताव करते हुए ‘एक राष्ट्र, एक डेटा’ की अवधारणा पर भी जोर दिया।
शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के विदेश जाने की प्रवृत्ति में बदलाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने विदेशी छात्रों को आकर्षित करने और देश की खोई हुई विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए वन-स्टॉप समाधान लागू करने का सुझाव दिया। अंत में उन्होंने स्थानीय स्तर पर छात्रों की शिकायतों के त्वरित समाधान पर जोर दिया।
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हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए : डॉ डीवाई चंद्रचूड़
– अब तक 36 हजार निर्णयों का कराया हिन्दी अनुवाद : मुख्य न्यायाधीश
-प्रयागराज संगम के साथ धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी : योगी आदित्यनाथ
प्रयागराज,। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी शिक्षा का उद्देश्य सबकी भलाई होना चाहिए। जब हम शिक्षा में बराबरी की बात करते हैं तो समाज में बराबरी की बात लागू होगी। इससे वे अपने अधिकार की बात कर सकेंगे।
वह उक्त बातें शुक्रवार शाम इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन सभागार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शुभारम्भ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कही। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के 27वें विधि विश्वविद्यालय के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का लोकार्पण करते हुए प्रसन्नता हो रही है। क्योंकि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र और आधुनिक भारत की नींव रखी।
उन्होंने कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में सबको अपनी बात रखने की छूट दी थी जो वास्तव में लोकतंत्र था। डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के साथ बड़े वकील थे। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि मैंने इलाहाबाद में चीफ जस्टिस के रूप में पौने तीन साल बीताया।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में इस शहर का अहम योगदान है। अल्फेड पार्क आज भी चंद्रशेखर आजाद की गाथा कह रहा है। यह शहर विरासत का धनी है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायिक क्षेत्र में हुई कुछ उल्लेखनीय पहल का उल्लेख करते हुए बताया कि हमने अब तक 36 हजार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हिन्दी अनुवाद कराया है। इसका मकसद यह है कि जो अंग्रेजी नहीं जानते उनके घर तक कानून पहुंचे। इसे हर प्रदेश में लागू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी की उपस्थिति में उन्होंने उम्मीद जताई कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय कानूनी पढ़ाई का केंद्र बनेगा। न्यायमूर्ति डॉ चंद्रचूड़ ने कहा इलाहाबाद में आप सबने मुझे अपनाया था।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज गंगा यमुना और सरस्वती का संगम होने के साथ यह धर्म न्याय और शिक्षा की त्रिवेणी है। डॉ. चंद्रचूड़ का इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल अत्यंत प्रेरक रहा है। उन्हें आज मुख्य अतिथि बनाना अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया था। जब भारत के संविधान की प्रस्तावना को लेकर बहस चल रही थी तब बाबा साहेब ने कहा था कि हम इति की चिंता करते हैं कि जबकि हम शुरुआत अच्छी कर रहे हैं तो सब अच्छा होगा। ठीक वैसे भी आज अच्छी शुरुआत हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यूपी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। हम प्रधानमंत्री के निर्देश में प्रदेश में सुशासन लाने का काम कर रहे हैं जिसकी शर्त रूल ऑफ लॉ है। यह बार और बेंच के बिना सम्भव नहीं है। मैं आभार ज्ञापित करता हूं कि न्यायिक क्षेत्र से हमें सहयोग मिला। अधिकारियों से कहता हूं कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास नहीं टूटना चाहिए अन्यथा उन्हें सड़कों पर उतरने में देर नहीं लगेगी। सरकार के पास कोई भी समस्या आए तो वह समाधान बनकर निकले।
इसके पूर्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने कहा कि संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों का विशेष योगदान होता है। उम्मीद है कि बेंगलुरु की तरह यह विश्विद्यालय भी काम करेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने उम्मीद जताई कि डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से कानून की बेहतर पढ़ाई होगी। किताबी ज्ञान के साथ तकनीक का उपयोग करके बेहतर पढ़ाई होगी। यह भविष्य का बड़ा संस्थान साबित होता।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने कहा कि इलाहाबाद की पहचान शिक्षा के साथ राजनीति में रही है। यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की मांग काफी समय से चल रही थी। मुख्यमंत्री योगी ने पूरा करवाया। संसाधन उपलब्ध करवाकर इसका काम शुरू हुआ है। विश्वविद्यालय की कुलपति ऊषा टंडन ने भविष्य की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला।
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शिक्षकों के आचरण व व्यवहार में दिखना चाहिए आध्यात्म : डॉ. कृष्ण गोपाल
भारत की अंतरात्मा अध्यात्म को समृद्ध करें शिक्षक : सह सरकार्यवाह
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि शिक्षकों व विद्यार्थियों के आचरण व व्यवहार में आध्यात्म दिखना चाहिए। आध्यात्म भारत की आत्मा है। इसलिए शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह भारत की अंतरात्मा आध्यात्म को समृद्ध करें।
सह सरकार्यवाह शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि राष्ट्र का अर्थ नेशन नहीं होता है। इसलिए राष्ट्र का समझे बिना हम भारत की शिक्षा को नहीं समझ सकते। नेशन की आधारभूमि घृणा पर खड़ी होती है। भारत अपनी आध्यात्मिक भावनाओं और अनंत विविधताओं की भावभूमि पर खड़ा है। अध्यात्म ने ही भारत की विविधताओं को एकत्व का रूप दिया। उन्होंने कहा कि आध्यात्म को समझने की आवश्यकता है। आध्यात्म भारत को प्रतिष्ठा देता है। धर्म के प्रति धरती माता के प्रति श्रद्धा का भाव कैसे आयेगा।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति ऐसी हो जो बैरभाव न बढ़ाये। जो इस देश के मौलिक तत्वों का संरक्षण व संवर्धन करे। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा मनुष्य को सहनशील नहीं बना रही है। समाज में जब तक एक दूसरे के प्रति दया करूणा व सम्मान का भाव नहीं होगा तो वह शिक्षा किस काम की। विश्व आज अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। क्योंकि वह मानते हैं कि सारी धरती हमारे भोग के लिए है। जबकि आध्यात्म कहता है सारा परमात्मा का है। हम धरती के सेवक हैं। इसलिए जितना आवश्यक है उतना ही लेना।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि आज हमारे देश में कुछ शिक्षण संस्थान विश्व स्तर के हैं। इसके अलावा दुनिया का कोई भी ऐसा संस्थान नहीं है जहां भारत के विद्यार्थी न हों। हमारे देश में एससी,एसटी व ओबीसी की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान में साढे़ आठ लाख बच्चे भारत के बाहर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। इसमें भारत का ढाई लाख करोड़ रूपया बाहर चला जाता है। इसलिए इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि ऐसी कौन सी शिक्षा है जो हम भारत में नहीं दे सकते।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि भारत दुनिया के बच्चों के लिए शिक्षा का आकर्षण बनना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि भारत में विशेष क्या है। विश्व क्या जानना चाहता है। योग,आयुर्वेद व संगीत जैसी कई विधाएं हैं जिनको जानने के लिए विश्व उत्सुक है। पहले नालंदा,तक्षशिला व काशी के विश्वविद्यालयों में पूरे विश्व के विद्यार्थी अध्ययन करने लिए आते थे। वह भारत में अनेक वर्षों तक रहकर अनेक विषयों का अध्ययन करते थे।
उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा सलाहकार प्रो.डी.पी.सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शिक्षा का ताना-बाना विद्यार्थी केन्द्रित होना चाहिए। भारतीय मनीषा राष्ट्र की संचेतना को लेकर हमेशा सजग रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहा है लेकिन सामाजिक दृष्टि से हम कहां हैं, यह भी देखने की आवश्यकता है। सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल का स्वागत लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक राय ने किया।
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अब कक्षा 9 से 12 के लिए भी आयोजित होगी शिक्षक पात्रता परीक्षा, एनसीटीई-सीबीएसई तैयार कर रहे हैं सिलेबस
-पहली बार आयोजित हुआ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर केन्द्रित अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन
नई दिल्ली। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) ने माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से कक्षा 12 तक) पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है। अब तक शिक्षकों के लिए टीईटी की परीक्षा सिर्फ 9वीं तक हुआ करती थी। सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित एनसीटीई द्वारा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सहयोग से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के आलोक में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी अनुशंसा की गई ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एनसीटीई की सदस्य सचिव केसांग वाई. शेरपा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विभिन्न स्तरों पर टीईटी को लागू करने की अनुशंसा की गई है। एनसीटीई माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से कक्षा 12 तक) पर टीईटी को प्रस्तावित एवं कार्यान्वित करने की दिशा में काम कर रहा है। सीबीएसई की अध्यक्ष निधि छिब्बर ने अपने संबोधन में कहा कि एक शिक्षक की क्षमता ही कक्षा में एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करती है, इसलिए शिक्षक पात्रता परीक्षा, एक शिक्षक की क्षमता एवं दक्षता को समझने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई पिछले लम्बे समय से टीईटी की परीक्षा आयोजित करता रहा है, जिससे उसके पास एक लंबा अनुभव है, हम एनसीटीई के साथ इस संदर्भ का डेटा का साझा करेंगे और भावी योजना को साथ मिलकर क्रियान्वित करेंगे। इनकम टैक्स के प्रिंसिपल कमिश्नर विक्रम सहाय ने कहा कि शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर चुनौतियों के स्तर में भी बदलाव आता है, इसलिए हर स्तर की पात्रता के लिए मानकीकरण भी आवश्यक है।
एनसीटीई के अध्यक्ष प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था का मुख्य ध्यान अंकों पर केन्द्रित होने के बजाय विद्यार्थियों में मूल्यों को विकसित करने पर भी होना चाहिए। शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि समझ की समझ को विकसित करना ही शिक्षा है। टीईटी, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के समन्वयक अभिमन्यु यादव ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर प्रजेंटेशन देते हुए स्कूल शिक्षकों की गुणवत्ता और क्षमता के सुधार में टीईटी की यात्रा पर प्रकाश डाला। इस दौरान यादव ने परीक्षा प्रक्रिया, पात्रता मानक व स्कूलों में योग्य टीचिंग प्रोफेशनल्स के चयन को सुनिश्चित करने और इसे स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों तक विस्तारित करने के महत्व जैसे बिंदुओं पर चर्चा की।