Category: Election 2024

  • लोकसभा चुनाव के साथ चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की भी घोषणा

    लोकसभा चुनाव के साथ चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की भी घोषणा

    नई दिल्ली,। लोकसभा चुनाव 2024 के साथ देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो गई है। इन राज्यों में ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश और सिक्किम शामिल हैं।

    चुनाव आयोग के अनुसार ओडिशा में चार चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। यहां 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को वोट डाले जाएंगे।

    अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नोटिफिकेशन 20 मार्च को जारी होगा और मतदान 19 अप्रैल को होगा। राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में चुनाव होंगे।

    सिक्किम विधानसभा के लिए भी एक ही चरण में सभी 32 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। नोटिफिकेशन की तारीख 20 मार्च और वोटिंग 19 अप्रैल को होगी।

    आंध्र प्रदेश की सभी 175 सीटों पर चुनाव के लिए 18 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी होगा और 13 मई को वोट डाले जाएंगे।

    इसके अलावा अलग-अलग राज्यों की 26 विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव होंगे। ये चुनाव भी आम चुनावों के साथ होंगे।

  • अमेठी जिले में कांग्रेस पार्टी को बीजेपी ने दिया बड़ा झटका

    अमेठी जिले में कांग्रेस पार्टी को बीजेपी ने दिया बड़ा झटका

    अमेठी एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकालकर भारत को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के ही नेता उनसे टूटते जा रहे हैं, वह अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं को नहीं जोड़ पा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आज अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर थी। इस दौरान विशेश्वरगंज के काली मैदान में जन समूह को संबोधित करने से पहले अमेठी जिले के कांग्रेस के 14 नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया, जिसमें अमेठी संसदीय क्षेत्र के थौरी से राजेश्वर प्रताप सिंह प्रमुख हैं। राजेश्वर प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 10 वर्षों तक प्रदेश महासचिव के पद पर रह चुके हैं। राजेश्वर सिंह के पिता भी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। राजेश्वर सिंह ने कहा कि राहुल गांधी अमेठी में 10 लोगों को भी नाम से नहीं जानते हैं। वह भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अमेठी आए लेकिन नेताओं और कार्यक्रमों से दूरी बना कर रखा।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास के पद पर अग्रसर है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटी, नागरिकता संशोधन कानून का लागू हुआ। जिस पर देश भर से निगाहें टिकी हुई थी, 500 वर्षों बाद भगवान राम लाल टेंट से हटकर अपने भव्य मंदिर में पहुंचे। यही नहीं, पूरे देश के साथ-साथ अमेठी में भी विकास हो रहा है। हम लोग केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी के कार्यों से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष राम प्रसाद मिश्र ने सभी कांग्रेसियों को के गले में पटका डालकर बीजेपी की सदस्यता दिलाई। सदस्यता लेने वालों में पूर्व ब्लाक प्रमुख शुकुल बाजार दद्दन सिंह, रमेश सिंह , संजय सिंह , अनुराग सिंह, अमित सिंह , सत्यम सिंह, कुलवंत सिंह, आलोक सिंह, धर्मवीर मौर्य, अरविंद अग्रहरि, धर्मेंद्र सिंह, रमेश कुमार चौबे और अजय तिवारी प्रमुख रूप से है। इन सभी कांग्रेसी नेताओं में केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। कांग्रेसी नेताओं के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। आज शामिल होने वाले नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस पार्टी को संसदीय क्षेत्र के कई स्थानों से बूथ एजेंट भी नहीं मिल पाएंगे।

  • मेरठ से घोषित सपा उम्मीदवार का इंटरनेट मीडिया पर विरोध शुरू

    मेरठ से घोषित सपा उम्मीदवार का इंटरनेट मीडिया पर विरोध शुरू

    मेरठ। समाजवादी पार्टी द्वारा मेरठ से भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार घोषित करते ही विरोध तेज हो गया है। मेरठ में भानु प्रताप सिंह को बाहरी उम्मीदवार बताते हुए पार्टी के कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। जबकि मुस्लिम समाज के लोग इसे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम को लाभ पहुंचाने वाला कदम बता रहे हैं।

    मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से सपा ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। बुलंदशहर जिले से ताल्लुक रखने वाले भानु प्रताप सिंह अनुसूचित जाति से आते हैं और गाजियाबाद जनपद में रहते हैं। सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति का उम्मीदवार घोषित करना सपा कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है। इंटरनेट मीडिया पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस कदम का खुलकर विरोध किया जा रहा है। इंटरनेट मीडिया पर भानु प्रताप को बाहरी चेहरा बताया जा रहा है और ईवीएम के खिलाफ उनकी लड़ाई पर भी कमेंट किए जा रहे हैं। भानु प्रताप राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और ईवीएम को हटाकर बैलेट पेपर के जरिए चुनाव के लिए अभियान चला रहे हैं।

    सपा कार्यकर्ता इंटरनेट मीडिया पर ईवीएम के खिलाफ उनकी लड़ाई के बारे में कह रहे हैं कि अब किस मुंह से ईवीएम पर देने के लिए वोट मांगेंगे। इंटरनेट मीडिया पर सपा के सक्रिय कार्यकर्ता शैंकी वर्मा ने तो पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। एक्स पर अरशद अंसारी आजमी ने लिखा है कि भानु प्रताप को गली का बच्चा भी नहीं जानता है। मुस्लिम समाज को नजरंदाज किए जाने से यहां के लोगों का झुकाव एआईएआईएम की ओर देखा जा रहा है।

    एमएस चौधरी ने लिखा है कि सुबह दस बजे तक घर आ जाएंगे। रिहान ताबिश ने एक्स पर पोस्ट किया है कि अखिलेश यादव ने मेरठ में भानु प्रताप जैसे डमी उम्मीदवार को उतार कर ओवैसी को मौका दे दिया है। भानु प्रताप को कोई जानता ही नहीं है। मेरठ में इस बार ओवैसी का झंडा फहराएगा और वकील साहब की जमानत जब्त होगी।

  • यूपी में जातीय समीकरणों की नैया पर सवार राजनीतिक दल

    यूपी में जातीय समीकरणों की नैया पर सवार राजनीतिक दल

    लखनऊ। देश की संसद को सर्वाधिक 80 सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय दल जातिगत समीकरणों और गुणा-भाग के आधार पर ही चुनाव की वैतरणी पार करते हैं। 2024 के आम चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन सभी का पहला एजेंडा अभी तो जातीय समीकरण साधता हुआ दिखाई दे रहा है।

    यूपी में सपा और बसपा की राजनीति की शुरूआत कांग्रेस के विरोध से हुई। पहले बात सपा की की जाए तो सपा का कोर वोट बैंक यादव और मुस्लिम माना जाता रहा है। दिवंगत सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से लेकर उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक यादव और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे सत्ता में रहे। बहुजन समाज पार्टी का कोर वोट बैंक एससी-एसटी को माना जाता है। बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर और कांशीराम के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती अपने को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी मानती हैं। सपा बसपा का वोट बैंक किसी जमाने में कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता था। कांग्रेस को सवर्णों का भी समर्थन हासिल था। लेकिन पिछले तीन दशकों में कांग्रेस यूपी में अपनी सियासी जमीन काफी हद तक खो चुकी है।

    भारतीय जनता पार्टी को अपने कोर वोट बैंक के अलावा ओबीसी, दलितों और कम मात्रा में ही सही मुस्लिम वोटरों का समर्थन हासिल है। अपना दल की कुर्मी बिरादरी में अच्छी पकड़ मानी जाती है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ पूर्वांचल के करीब 18-20 प्रतिशत राजभर मतदाता होने का दावा किया जाता रहा है। सुभासपा की बंसी, आरख, अर्कवंशी, खरवार, कश्यप, पाल, प्रजापति, बिंद, बंजारा, बारी, बियार, विश्वकर्मा, नाई और पासवान जैसी उपजातियों पर भी मजबूत पकड़ मानी जाती है।

    निषाद पार्टी के कोर वोट बैंक केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी और गोंड की आबादी उत्तर प्रदेश में लगभग 18 फीसदी है। ये जातियां उत्तर प्रदेश की करीब 5 दर्जन विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखती है। राष्ट्रीय लोक दल की पश्चिमी यूपी में जाट बिरादरी पर मजबूत अच्छी पकड़ मानी जाती है।

    जातीय समीकरण का बड़ा खेल

    यूपी की राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा खेल हमेशा से माना जाता रहा है। जातीय आंकड़ों पर गौर करें तो ओबीसी यानी पिछड़ों का प्रतिशत 40 पार करता हुआ दिखाई दे रहा है। अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी प्रदेश में 21 प्रतिशत के आसपास बताई जाती है। मुस्लिम मत प्रतिशत करीब 19.5 प्रतिशत के आसपास होता है। एनडीए और इंडिया गठबंधन इस चुनाव में इन्हीं जातीय समीकरणों के आधार पर ही उम्मीदवारी तय कर रहे हैं।

    दोनों खेमों की है तैयारी

    यूपी में एनडीए के बैनर तले भारतीय जनता पार्टी के साथ रालोद, अपना दल सोनेलाल, सुभासपा और निषाद पार्टी का गठबंधन है। बीजेपी 74 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं गठबंधन में शामिल अपना दल और रालोद को दो-दो और सुभासपा और निषाद पार्टी को एक-एक सीट मिली हैं।

    विपक्ष के इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इंडिया मुख्य रूप से षामिल हैं। सपा के साथ अपना दल कमेरावादी, तृणमूल कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी भी है। गठबंधन के बटवारे में 63 सीटें सपा और 17 सीटें कांग्रेस को मिली हैं। सपा ने अपने हिस्से की एक सीट भदोही तृणमूल कांग्रेस को दी है। कहा जा रह है कि सपा अपना दल कमेरावादी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी को भी एक-एक सीट दे सकती है।

    बीजेपी ने बदल दिया वोटों का गणित

    भाजपा के पास अपने कोर वोटरों के अलावा सहयोगी दलों रालोद, अपना दल सोनेलाल, सुभासपा और निषाद का भी मजबूत वोट बैंक है। डबल इंजन की सरकार के कार्यों और सबके विकास की नीति ने एनडीए को बढ़त मिलती दिखती है। कई ओपनियन पोल में भी यूपी में एनडीए का पलड़ा भारी बताया गया है। भाजपा के मिशन-80 के विजय रथ को थामने के लिए समाजवादी पार्टी का अबकी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) पर पूरा भरोसा है। बसपा से खिसकते दलित वोट बैंक को सपा के साथ ही कांग्रेस भी हथियाने की कोशिश में है। सपा-कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ से उन्हें अबकी चुनाव में लाभ होगा।

    लोकसभा चुनाव 2019 में किस पार्टी को मिली कितनी सीट

    2019 के आम चुनाव में एनडीए में बीजेपी और अपना दल सोनेलाल एक साथ मिलकर लड़ा था और एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर रहा था। जिसमें बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल (एस) को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। वहीं महगठबंधन (बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। जिसमें बसपा को 19.43 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 6.36 वोट शेयर मिला था। इस बार समीकरण बदल हुआ है। एनडीए में बीजेपी, अपना दल सोनेलाल, रालोद, सुभासपा और निषाद पार्टी है। इंडिया गठबंधन में सपा और कांग्रेस है। रालोद इस बार एनडीए के साथ है, और फिलवक्त बसपा किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में हर लिहाज से भाजपानीत एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई देता है।

  • घोसी लोकसभा सीट पर सुभासपा की जीत पक्की – ओमप्रकाश राजभर

    घोसी लोकसभा सीट पर सुभासपा की जीत पक्की – ओमप्रकाश राजभर

    लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के नेता, कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार हैं। घोसी लोकसभा सीट पर सुभासपा उम्मीदवार की जीत पक्की है और इसके साथ एनडीए गठबंधन के 80 उम्मीदवारों को हमारे कार्यकर्ता दिनरात मेहनत कर जितायेंगे।

    सुभासपा के कार्यालय पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर का पार्टी कार्यकर्ताओं ने पुष्प गुच्छ देकर अभिनन्दन किया। प्रदेश के जनपदों से आये पदाधिकारियों ने अपनी भावनाओं को जाहिर करते हुए पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को बधाईयां दी। साथ ही घोसी लोकसभा सीट के जीत के लिए सुनिश्चित भी किया।

    सुभासपा कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश ने कहा कि मेरे कार्यकर्ता ही मेरी ताकत है। मेरे कार्यकर्ताओं के दम पर हर सीट जीतेंगे। यूपी में एनडीए गठबंधन की 80 सीटों पर जीत होगी। हर सीट हमारे लिए घोसी लोकसभा सीट है, हर सीट को जीतना हमारा लक्ष्य है।

    उन्होंने पत्रकारों के प्रश्न के उत्तर में कहा कि यूपी में किसी से लड़ाई नहीं है। विकास के मुद्दे पर हम चुनाव मैदान में उतर चुके है। देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास की गंगा बहा दी है। हर क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए विकास कार्य कराये गये है। कार्यकर्ताओं के काम हुए है और आगे भी होंगे।

  • आयोग आज करेगा आम चुनाव कार्यक्रम की घोषणा, इसी के साथ लागू हो जाएगी आचार संहिता

    आयोग आज करेगा आम चुनाव कार्यक्रम की घोषणा, इसी के साथ लागू हो जाएगी आचार संहिता

    नई दिल्ली,। चुनाव आयोग आज (शनिवार) यहां देश में होने वाले आम चुनाव की घोषणा करेगा। आयोग इसके साथ ही राज्य विधानसभाओं के चुनाव कार्यक्रम की भी घोषणा करेगा। इसके साथ ही देशभर में आचार संहिता लागू हो जाएगी।

    आयोग ने इस संबंध में प्रेसवार्ता आयोजित की है। कल दोपहर विज्ञान सभा में आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। इसके अलावा आयोग आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के कार्यक्रम की भी घोषणा करेगा। इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि आयोग जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त हो रहा है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव की घोषणा 10 मार्च को की गई थी और 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में मतदान हुआ था।

    आज सुबह नवनियुक्त चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधु और ज्ञानेश कुमार ने पदभार संभाल लिया ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कल दोनों के नामों को मंजूरी प्रदान की थी। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने निर्वाचन सदन में नवनियुक्त चुनाव आयुक्तों का स्वागत किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण में उनके शामिल होने के महत्व को रेखांकित किया जब टीम ईसीआई दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 2024 के आम चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

    तीन सदस्यीय चुनाव आयोग अब पूर्ण हो गया है। इससे पहले आयोग के दो पद रिक्त थे। चुनाव आयुक्त अनूप चन्द्र पांडे का पिछले महीने कार्यकाल समाप्त हो गया था और अरुण गोयल ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

  • निर्वाचन आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस शनिवार दोपहर 3 बजे, हो सकती है चुनाव की घोषणा

    निर्वाचन आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस शनिवार दोपहर 3 बजे, हो सकती है चुनाव की घोषणा


    नई दिल्ली। चुनाव आयोग 16 मार्च को दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी को लेकर सोसल मीडिया एक्स पर जारी स्टेटमेंट से आयोग के द्वारा कल लोकसभा चुनाव की तारिखों की घोषणा की संभावना जताई जा रही है।


    प्रेस कांन्फ्रेस के आयोजन के खलासे से ऐसा उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग की लोकसभा चुनाव के साथ ही विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कल शनिवार को करने के मूड में है। चुनाव आयोग ने आधिकारिक हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा हैए कि लोकसभा चुनाव 2024 और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव संबंधी कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कल 16 मार्च को दोपहर 3 बजे आयोजित की जाएगी से स्पष्ट हो गया है कि कल ही लोकसभा चुनाव और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का आयोग एलान करने जा रहा है।


    चुनाव आयोग की पोस्ट वायरल होने के साथ ही सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव 7 से 8 चरणों में करवाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं और चुनाव आयोग ने इनकी समीक्षा भी पूर्ण कर चुका है। यही वजह है कि अब चुनाव की तिथियां घोषित करना ही शेष रह गया हैए ऐसे में चुनाव आयोग की सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कल शनिवार को ही दोपहर 3 बजे लोकसभा के साथ ही विभिन्न प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की भी घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है।


    लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सूत्र उम्मीद जता रहे है कि उत्तर प्रदेशए पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में 6 से 7 चरण में लोकसभा चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं। जबकि महाराष्ट्र में 4 से 5 चरण में मतदान हो सकता हैए जबकि मध्य प्रदेशए छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों में 2 से 3 चरण में मतदान पूर्ण हो सकता है। तमिलनाडुए केरलए गुजरातए हरियाणाए आंध्र प्रदेशए तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेशों में एक ही चरण में चुनाव प्रक्रिया पू्र्ण कराए जाने का अंदाजा लगाया गया है। शेष अन्य राज्यों में दो चरण में मतदान कराए जाने का अनुमान है।

    गौरतलब है कि मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में नियमानुसार कार्यकाल समाप्त होने से पहले नए सदन का गठन करना होता है। इस स्थिति में पिछली दफा लोकसभा चुनाव की घोषणा 10 मार्च को की गई थी और 11 अप्रैल से सात चरणों में मतदान करवाया गया था और मतगणना 23 मई को हुई थी। इसे ध्यान में रखकर कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 6 से 7 चरणों में संपन्न हो जाएगा।

  • प्रलोभन, दबाव और धमकी से मुक्त संपन्न कराएं लोकसभा चुनाव: राजीव कुमार

    प्रलोभन, दबाव और धमकी से मुक्त संपन्न कराएं लोकसभा चुनाव: राजीव कुमार

    – मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रेक्षकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की बैठक

    भोपाल,। देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि प्रलोभन, दबाव और धमकी से मुक्त लोकसभा चुनाव संपन्न कराएं। भारत निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधियों के रूप में पर्यवेक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे खुद को पेशेवर रूप से संचालित करें और उम्मीदवारों सहित सभी हितधारकों के लिए सुलभ हों। उन्होंने पर्यवेक्षकों को मैदान पर सजग रहने के निर्देश दिए।

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार सोमवार को लोकसभा निर्वाचन 2024 के संबंध में सामान्य प्रेक्षक, पुलिस प्रेक्षक और व्यय प्रेक्षकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मतदान केंद्रों का दौरा करें और संवेदनशील क्षेत्रों का जायजा लें। आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी परिपत्रों को फिर से तैयार किया गया है जो ईसीआई की वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध है। बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन भी उपस्थित रहे।

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सोशल मीडिया मीडिया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चलने वाली भ्रामक खबरों पर त्वरित कार्रवाई करें। वस्तुस्थिति से अवगत कराएं। जिला स्तर पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सुनिश्चित करें।

    ब्रीफिंग के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने पर्यवेक्षकों को पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान उन्हें आवंटित संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के भीतर सतत गहन निरीक्षण के निर्देश दिए। पर्यवेक्षकों को सीईओ, जिला वेबसाइटों पर अपने मोबाइल-लैंडलाइन नंबर/ईमेल पते-रहने के स्थान आदि को व्यापक रूप से प्रचारित करने और इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया के माध्यम से इसे अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में पर्यवेक्षकों के आगमन के दिन डीईओ-आरओ द्वारा उम्मीदवारों/मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बीच प्रसारित करने को कहा।

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पर्यवेक्षकों से कहा कि अपने फोन/ई-मेल और उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों, आम जनता, चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मियों आदि की कॉल पर उपलब्ध रहें। जवाब दें। इस संबंध में किसी भी शिकायत को आयोग द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा। अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करें। अधिक से अधिक मतदान केंद्र और संवेदनशील क्षेत्रों का दौरा करें और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ बातचीत करें। क्षेत्रों की कमजोरियों को दूर करने के उपाय सुनिश्चित कराएं। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी और आरओ द्वारा बुलाई जा रही उम्मीदवारों-राजनीतिक दलों की बैठकों का निरीक्षण करें और देखें कि उनकी शिकायतों को ठीक से सुना जाए और उन पर कार्रवाई की जाए।

    उन्होंने पर्यवेक्षकों को मतदान के दिन मतदान के घंटों के दौरान अधिक से अधिक मतदान केंद्रों का दौरा करने और मतदान केंद्रों के अंदर की स्थिति का नियमित रूप से आकलन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया कि मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चल रहा है।

    उन्होंने कहा कि केंद्रीय बलों/राज्य पुलिस बलों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जा रहा है और निष्पक्षता बनाए रखी जा रही है और उनकी तैनाती भी किसी राजनीतिक दल/उम्मीदवार के पक्ष में नहीं है। इस पर भी पर्यवेक्षकों को निगरानी रखने के निर्देश दिए गए।

    पुलिस मुख्यालय स्थित कांफ्रेंस हॉल में हुई बैठक में भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों द्वारा प्रेक्षकों को चुनाव प्रबंधन की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। चुनाव योजना, पर्यवेक्षकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां, मतदाता सूची के मुद्दे, आदर्श आचार संहिता, कानूनी प्रावधानों, ईवीएम/वीवीपीएटी प्रबंधन, आयोग द्वारा मतदाताओं और उम्मीदारों को उपलब्ध कराए जा रहे सुविधाजनक एप सहित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक के दौरान अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कुमार कौल, बसंत कुर्रे, तरुण राठी सहित पुलिस व विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

  • सुभासपा राजभर समाज की पार्टी नही होकर अब बाप बेटा की पार्टी है: रामजीत


    मऊ। सुभासपा, राजभर समाज की पार्टी न होकर केवल बाप बेटा की पार्टी है। यह कहना सुभासपा के बागी नेता रामजीत राजभर का है। मीडिया से बातचीत मे रमजीत ने सुभासपा के ओपी राजभर से कई सवाल भी किये है।


    राम जीत राजभर ने मीडया से बातचीत मे कहा की घोसी लोकसभा सीट से भाजपा गठबंधन ने सुभासपा के अरविन्द राजभर को टिकट दिया है और यह टिकट उनके खाते गया है तो वे चुनाव लड़े, लेकिन वे किस मुँह से जनता के बींच वोट मांगने जाएंगे? उन्होंने सवाल किया कि क्या वे योगी बाबा को मठ पर वापस भेजनें की धमकी दिये थे, बाजा बजवाने की धमकी दिये थे, क्या इसी के नाप पर वह जनता से मत मांगेगे ?

    उन्होंने कहा की सुभसपा राजभर समाज की पार्टी नही होकर अब बाप बेटा की पार्टी है।

  • लोकसभा चुनाव: झारखंड के जमशेदपुर संसदीय सीट पर सर्वाधिक छह बार खिला भाजपा का कमल

    लोकसभा चुनाव: झारखंड के जमशेदपुर संसदीय सीट पर सर्वाधिक छह बार खिला भाजपा का कमल

    रांची (झारखंड)। राज्य में लोकसभा चुनाव का पारा चढ़ा हुआ है। राजनीतिक दल अधिक-अधिक सीटें जीतने के लिए सारे दांव आजमा रहे हैं। इनमें जमशेदपुर लोकसभा सीट भी है, जो 1957 में अस्तित्व में आई थी। इसे टाटानगर के रूप में भी जाना जाता है। जमशेदपुर को झारखंड की औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है। जमशेदपुर लोकसभा सीट पर कुड़मी, आदिवासी, ओड़िया, बंगाली और बिहारी वोटर निर्णायक साबित होते हैं। मुस्लिम, छत्तीसगढ़ी, कुशवाहा, यादव जैसी अन्य जाति व समुदायों के वोटरों की भी अहम भूमिका होती है।

    जमशेदपुर सीट पर अब तक 18 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें सबसे अधिक (छह बार) भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस और झामुमो ने चार-चार, सीपीआई, बीएलडी, जनता पार्टी और भोजोहरि महतो ने एक-एक बार जीत हासिल की है। भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए समय-समय पर कई प्रयोग किये हैं। इनमें वर्ष 1996 में महाभारत सीरियल में भगवान श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले नीतीश भारद्वाज को प्रत्याशी बनाया। नीतीश भारद्वाज ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार रहे बिहार जनता दल के कद्दावर नेता सह तत्कालीन मंत्री इंदर सिंह नामधारी को 95,650 मतों से पराजित किया था।

    पहली बार 1957 में हुए लोकसभा चुनाव

    वर्ष 1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी। एमके घोष जमशेदपुर के पहले सांसद बने थे। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 35.5 फीसदी वोट मिले जबकि झारखंड पार्टी को 29.5 फीसदी मत प्राप्त हुए। निर्दलीय उम्मीदवार को 19 फीसदी वोट मिले। वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में चली गई।

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को यहां बदला था और एनसी मुखर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन फिर कांग्रेस के हाथ से ये सीट निकल गई। वर्ष 1962 के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उदयकर मिश्रा ने जमशेदपुर से जीत दर्ज की थी। उन्हें 41.3 फीसदी प्राप्त हुए थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 30.4 फीसदी और झारखंड पार्टी को 16.3 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

    कांग्रेस को 1967 में मिली जीत

    वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में फिर से यहां पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इस बार भी कांग्रेस ने उम्मीदवार को बदला था और सुरेंद्र चंद्र प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस को 35.5 फीसदी मत प्राप्त हुए थे जबकि कम्युनिस्ट पार्टी को 16.5 फीसदी और भारतीय जनसंघ को 12.6 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

    वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार में फिर बदलाव किया और सरदार सरवन सिंह को टिकट दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 26.6 फीसदी वोट मिले जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के केदारनाथ को 26.5 फीसदी वोट मिले। यह चुनाव काफी दिलचस्प था। क्योंकि, जीत हार का अंतर हजार वोटों से भी कम का था। ऑल इंडिया झारखंड पार्टी को 16.6 फीसदी जबकि भारतीय जनसंघ को 12.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे।

    वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोक दल ने जमशेदपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। रुद्र प्रताप सारंगी को भारतीय लोकदल ने टिकट दिया था। उन्हें कुल 48.7 फीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.5 फीसदी वोट मिले थे। इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था और वीजी गोपाल को उम्मीदवार बनाया था।

    जनता पार्टी ने 1980 में जीत की दर्ज

    वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में रुद्र प्रताप सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। रुद्र प्रताप सिंह को 28.5 वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.3 और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 23.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस पार्टी ने सीट पर कब्जा किया। हालांकि, इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार बदलते हुए गोपेश्वर कुमार को टिकट दिया था। उन्हें 44.4 फीसदी वोट मिले थे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 29.5 फीसदी वोट मिले। इस बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने टीकाराम मांझी को यहां से उम्मीदवार बनाया। भाजपा को 10.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे जबकि झामुमो को 5.1 फीसदी वोट मिले थे।

    वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट पर फिर परिवर्तन हुआ और इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने जमशेदपुर लोकसभा सीट पर कब्जा किया। झामुमो के शैलेंद्र महतो ने 26.3 फीसदी वोट के साथ इस सीट पर कब्जा किया था जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चंदन बागची को 24.7 फीसदी वोट मिले थे। इस बार भी कांग्रेस पार्टी ने यहां उम्मीदवार बदला था। दूसरी तरफ रुद्र प्रताप सारंगी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे, जिन्हें 22.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 21.4 फीसदी रिपोर्ट प्राप्त हुए थे।

    झामुमो ने 1991 फिर हासिल की जीत

    वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से झामुमो ने ने इस सीट पर कब्जा किया। झामुमो ने के शैलेंद्र महतो को 39.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा को 28.5 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16.8 फीसदी वोट मिले।

    भाजपा ने 1996 में जीत दर्ज की

    वर्ष 1996 में भाजपा के नीतीश भारद्वाज ने इस सीट पर जीत दर्ज की। भाजपा को 32.9 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि, इस बार जनता दल से इस सीट पर झारखंड के बड़े कद्दावर नेता इंदर सिंह नामधारी चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें 24.7 फीसदी वोट ही मिले। झामुमो के शैलेंद्र महतो को 19.5 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बदला और आभा महतो को टिकट दिया। इसका फायदा भी पार्टी को मिली।

    भाजपा ने 1998 के चुनाव में कुल 41 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की। स्वतंत्र उम्मीदवार को 27.5 फीसदी वोट मिले। वर्ष 1999 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर आभा महतो ने भाजपा की सीट से जीत दर्ज की। उन्हें 44.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के घनश्याम महतो को 25.8 फीसदी वोट मिले। इसके अलावा झामुमो के सुनील कुमार महतो को 12.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

    झारखंड पटवारी के बाद 2004 में हुए हुए पहले लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर की सीट पर झामुमो का कब्जा हुआ। यहां सुनील कुमार महतो ने जीत दर्ज की। इस बार झामुमो को इस सीट पर कुल 51 फीसदी वोट प्राप्त हुए जबकि भाजपा को 37.4 फीसदी वोट मिले। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यहां परिवर्तन हुआ और जमशेदपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार अर्जुन मुंडा ने जीत दर्ज की। अर्जुन मुंडा को 45.3 फीसदी वोट को मिले थे। इस चुनाव में झामुमो को 28.3 और झारखंड विकास मोर्चा को 11.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे।

    हैट्रिक की तैयारी में विद्युत वरण

    जमशेदपुर में भाजपा लगातार दो बार हैट्रिक (1996, 1998, 1999 और 2009, 2014 व 2019) लगा चुकी है। वर्ष 1996 में नीतीश भारद्वाज, 1998 व 99 में आभा महतो, 2009 में अर्जुन मुंडा, 2014 तथा 2019 में विद्युत वरण महतो ने जीत हासिल की। व्यक्तिगत तौर पर रुद्र प्रताप षाड़ंगी (1977-80), शैलेंद्र महतो (1989-91), आभा महतो (1998-99) और विद्युत वरण महतो (2014-2019) ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने दो-दो बार जीत हासिल की।

    भाजपा से फिर विद्युत वरण महतो प्रत्याशी बनाये गये हैं। यदि वे जीत दर्ज करते हैं, तो वे पहले प्रत्याशी होंगे जो इस सीट से हैट्रिक लगायेंगे। साथ ही चौथी बार लगातार भाजपा की झोली में यह सीट जायेगी। फिलहाल सभी पार्टी 2024 के लोकसभा चु नाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस बार भी यहां से भाजपा ने विद्युत वरण महतो पर भरोसा जताया है।