Category: ईमानदार भ्रष्टाचारी

  • मऊ में ई रिक्शा चालक को पीट रहें दारोगा की वायरल हुई वीडीओ

    मऊ में ई रिक्शा चालक को पीट रहें दारोगा की वायरल हुई वीडीओ

    सरफराज अहमद
    मऊ। कोतवाली के हठीमदारी पुलिस चौकी प्रभारी द्वारा ई रिक्सा चालक को मारने पीटने की एक वीडीओ वायरल हो रही हैं। वीडियो की खरी दुनिया पुस्टि नहीं कर रही हैं.।

    वीडीओ में दारोगा के द्वारा ई रिक्शा चालक को इस लिए पीटते देखा जा रहा क्योंकि उसने पिट रहें पुलिस कर्मचारी के साथी को कही ले जाने से मना कर दिया हैं। पीटने के बाद पुलिस कर्मचारी द्वारा रिक्शा पर बैठ कर, उसे साथ ले जाया गया

  • मऊ में आधा दर्जन पत्रकारों पर रंगदारी सहित कई आरोप में मुकदमा दर्ज

    मऊ में आधा दर्जन पत्रकारों पर रंगदारी सहित कई आरोप में मुकदमा दर्ज


    मऊ। एक शिक्षिका से रंगदारी मांगने सहित बी एन एस कि कई अन्य धाराओं में पुलिस ने लम्बी जड्डो झड़ के बाद जिले के आधा दर्जन पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर जाँच शुरू कर दीं हैं


    पुलिस सूत्रों के अनुसार पीड़िता एक सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हैं आरोपी पत्रकारों पर शिक्षिका के बिद्यालय पर पत्रकारों द्वारा समूह में पहुंच कर घंटो रुक कर वहा पर अनर्गल आरोप लगाते हुए खबर रोकने के नाम पर खर्चे के मद में रंगदारी मांगने का आरोप हैं, अधिक जानकारी के लिए निचे की हेडिंग को क्लिक करें।

    पुलिस मामले में सुचना प्रोद्योगिकी अधिनियम कि धारा 67 भीं जोड़ी हैं
    बहरहाल मामले में पुलिस जाँच कर रही हैं। आरोपियों में 1 – एबीपी न्यूज से राहुल सिंह,भारत समाचार से विनय ज्ञानचंद, न्यूज18 लोकल से राजीव शर्मा, दैनिक भास्कर डिजिटल से अमित सिंह चौहान, यूट्यूबर संजय यादव

  • मऊ में अनधिकृत रूप से सरकारी स्कूल में प्रवेश कर पठन पाठन को अवरुद्ध करने व सरकारी कार्यों में बाधा डालने के आरोप में 4 पत्रकारों पर कभी भी दर्ज हो सकता हैं मुकदमा

    मऊ में अनधिकृत रूप से सरकारी स्कूल में प्रवेश कर पठन पाठन को अवरुद्ध करने व सरकारी कार्यों में बाधा डालने के आरोप में 4 पत्रकारों पर कभी भी दर्ज हो सकता हैं मुकदमा

    सरफराज अहमद
    मऊ। मऊ में कुछ ब्यक्तियो के द्वारा खुद को पत्रकार बताते हुए सरकारी कार्यों में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारी को धमकिया जाने कि खबर हैं। मामले में प्राथमिक बिद्यालय में अध्यापिका रागनी मिश्रा के द्वारा शनिवार को पुलिस अधीक्षक डा इलामारन जी को प्रार्थना पत्र दें कर न्याय की गुहार लगाई गई हैं, मामले में कभी भी प्रथमिकी दर्ज हो सकती हैं।


    पुलिस सूत्रों के अनुसार पीड़ित अध्यापिका ने एसपी मऊ को शनिवार को जिस अप्लीकेशन के साथ न्याय की गुहार लगाई हैं उसका कुछ अंश इस प्रकार हैं जिसको अध्यापिका से लेकर साभार प्रकाशित किया जा रहा हैं।

    विषयः-दिनांक-12.12.2024 को प्रभारी निरीक्षक, थाना सरायलखन्सी, मऊ को दिये गये तहरीर के क्रम में श्री राहुल सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह चौहान, संजय यादव, राजीव शर्मा व विनय ज्ञानचन्द के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के सम्बंध में।

    महोदय,

    सादर निवेदन के साथ अनुरोध करना है कि प्रार्थीनी बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका है व साथ में कथावाचक भी है। प्रार्थीनी के विद्यालय में बिना सक्षम स्तर की अनुमति के ही अपने को पत्रकार बताते हुए श्री राहुल सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह चौहान, संजय यादव, राजीव शर्मा व विनय ज्ञानचन्द विद्यालय में घुस कर सबको डरा धमकाकर मेरे विरूद्ध विडियों बनाया और धनउगाही के मकसद से सोशल मिडिया पर वायरल किया।

    इन लोगों द्वारा प्रतिमाह 10000 रू0 की मांग की गयी और न देने पर बी०एस०ए० को आधार बनाकर बदनाम करने की धमकी भी दी गयी। उपरोक्त पत्रकारों द्वारा मेरे चरित्र व व्यक्तिगत जीवन पर आघात किया गया है, जिससे मैं पूरी तरह आहत हूं। पूरी बात मैने अपने प्रत्यावेदन दिनांक-12.12.2024 में लिखा है।

    थानाध्यक्ष महोदय द्वारा 24 घण्टे के अन्दर कार्यवाही की बात कही गयी थी, परन्तु अब तक आरोपियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। यह लोग सोशल मीडीया के माध्यम से रोज मुझे अपमानित करने का काम कर रहे हैं और आत्महत्या के लिए उक्सा रहे हैं। अमित चौहान द्वारा तो फेसबुक पर सैंया भये कोतवाल तो डर काहें का जैसा घृणित पोस्ट किया गया है।

    यह भी अवगत कराना है कि दिनांक 12.12.2024 को जब मैं प्राथमिकी दर्ज कराने जा रही थी तो मेरे मो० पर 9621881409 न0 से धमकी भरा फोन आया और एफ०आई०आर० दर्ज न कराने व कार्यवाही करा देने की बात कही गयी।

    अतः दिनांक-12.12.2024 को दिये गये प्रत्यावेदन को संलग्न कर महोदय से निवेदन है कि श्री राहुल सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह चौहान, संजय यादव, राजीव शर्मा व विनय ज्ञानचन्द के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु सम्बंधित थाना प्रभारी को निर्देशित करने का कस्ट करें।

  • मऊ में पूर्व के डीआईओएस अफ्सरो ने अपात्रों के बींच बाँट दिये १ करोड़ ३१ लाख से अधिक की सरकारी रकम

    मऊ में पूर्व के डीआईओएस अफ्सरो ने अपात्रों के बींच बाँट दिये १ करोड़ ३१ लाख से अधिक की सरकारी रकम

    — वर्तमान जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश ने पूर्व के कार्यालयाध्यक्षों की कारगुजारी का किया खुलासा

    मऊ। जिला बिद्यालय निरीक्षक मऊ में तैनात पूर्व डीआईओएस अफसरों के द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए अपात्र लोगो को माध्यमिक शिक्षा परिषद के नियमों को ताक पर रखकर का १ करोड़ ३१ लाख से अधिक की धनराशि का भुगतान किये जाने की खबर है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला विद्यालय निरीक्षक मऊ में बतौर जिला विद्यालय निरीक्षक तैनात रहें अफसरों ने पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए एक करोड़ ३१ लाख रुपये से अधिक के सरकारी धनों को नियमों कानून कायदों को ताक पर रखकर बाँट दिया है।

    इस मामले में जिला बिद्यालय निरीक्षक रमेश सिंह वित्तीय साक्ष्यों का परिशीलन किया तो उनके द्वारा पाया गया कि 93.90,.034.00 (रुपये तिरानबे लाख नब्बे हजार चौतीस मात्र) का बिना अधिकार के शासनादेश का उल्लघन करते हुए वेतन अवशेष का भुगतान कर दिया गया हैं जो वित्तीय अनियमितता एवं गबन की श्रेणी में आता हैं।

    इसी प्रकार रू0 37.50.470.00 (रूपये सैतीस लाख पचास हजार चार सौ सत्तर मात्र) का साख सीमा से बाहर जाकर भुगतान किया गया हैं.जो कि निदेशालय के अधिकार क्षेत्र के अर्त्तगत आता हँं।

    जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश सिंह ने इस मामले में अवशेष के ‘एरियर को प्राप्त करने वाले संस्थाधिकारी को यह निर्देशित किया है कि उक्त वित्तीय अनियमितता के लिए कौन कौन दोषी हैं एक सप्ताह के अन्दर नाम उपलब्ध करावें अन्यथा कि स्थिति में आपके विरूद्ध अनुशानात्मक / विधिक / वित्तीय अनिमितता के दृष्टिगत प्रथम सूचना रि्पोट दर्ज करा दी जायेगी जिसके लिए आप स्वयं उत्तरदायी होगे।

  • मऊ में लिफाफे लेकर डीपीओ नहीं कर रहें जाँच, डीएम ने दिया है जाँच का आदेश

    मऊ में लिफाफे लेकर डीपीओ नहीं कर रहें जाँच, डीएम ने दिया है जाँच का आदेश


    विकास खंड मुहम्मदाबाद के ग्राम प्रधान और सचिव ने उतार लिया है अपने खाते में सरकारी धन, शिकायत, पर डीपीओ आरोपियों के बचाव में जुट कर नहीं कर रहें जाँच


    मऊ। जिला कार्यक्रम अधिकारी (बाल विकास पुष्टाहार) को जब से जिला पंचायत राज अधिकारी का प्रभार मिला है तब से डीपीओ द्वारा पंचायतो की जाँच में लिफाफे लेकर आरोपित ग्राम सचिवों और प्रधानों को आरोपों से बचाने में जाँच नहीं की जा रही है। विकास खंड मुहम्मदाबाद के ग्राम खैराबाद की जांच में देरी है उनके द्वारा पदीय अधिकारों की आड़ में की जा रही मनमानी और लिफाफे लेने का है साक्ष्य।


    बिभागीय् सूत्रों के अनुसार विकास खंड मुहम्मदाबाद के ग्राम पंचायत खैराबाद के ग्राम सचिव और ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी खाते से मजदूरी के नाम की भारी धनराशि को होने ब्यक्तिगत खाते में उतार कर गबन का आरोप है। इस मामले में पड़ी शिकायत के बाद २ जुलाई २०२४ को जिलाधिकारी ने कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास पुष्टाहर को जाँच अधिकारी नामित किया है।

    डीएम के इस आदेश के बाद डीपीओ द्वारा सचिव से अभिलेख उपलब्ध करवाने के जारी पत्र के बाद आरोपियों से लिफाफा लेकर जाँच नहीं की जा रही है। शिकायत करता के द्वारा मामले जब जाँच अधिकारी से सवाल किया गया तो बतौर जाँच अधिकारी डीपीओ द्वारा शिकायतकर्ता से ही उलटे सवाल किया जा रहा है।

    कहा जा रहा है कि क्या बिज्ञापन छाप कर जाँच कि जाएगी ? शिकायतकर्ता ने जब जाँच के बाद ३० दिन के शासनादेश के होने की बात कही गई तो डीपीओ द्वारा ऐसे बहुत शासनादेशों को देखने की बात कही जा रही है।

    डीपीओ ने खुद को मिली कई जांचो को आरोपियों से लिफाफे लेकर जानबूझकर जान ह नहिबकी जा रही है। डीपीओ द्वारा कितनी जाँचो को अब तक पुरा नहीं किया गया है ? खरी दुनिया इसके साक्ष्य संकलन में है।

  • सेक्रेटरी अनुपमा सिंह और ग्राम प्रधान धनंजय सिंह झब्बू आदि पर दर्ज मुकदमे की दुबारा होगी जाँच, अदालत ने दिया आदेश

    सेक्रेटरी अनुपमा सिंह और ग्राम प्रधान धनंजय सिंह झब्बू आदि पर दर्ज मुकदमे की दुबारा होगी जाँच, अदालत ने दिया आदेश


    मऊ। ग्राम पंचायत अहिलाद में पूर्व ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी द्वारा बिना निर्माण सरकारी धनों की की गई बंदर बांट के मामले में दर्ज मुकदमे में विवेचक द्वारा लगाई गई आंख्या पर मुख्य दंदाधिकारी की अदालत ने सवाल खड़ा करते हुए मामले की पुनः विवेचना का आदेश दिया है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार विकास खंड परदहा के ग्राम पंचायत अहिलाद में वर्ष २०२० में विना निर्माण कराये ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ने सरकारी धनों को हड़प लिया था। मामले में “खरी दुनिया” ने पत्रकारीय आंदोलन चलाया था, मामले में जाँच हुई और जिला पंचायत राज अधिकारी घनश्याम सागर ने मामले में थाना सराय लखनसी में जलसाजी कर धोखाधडी आदि का मुकदमा क़ायम कराया था।

    मामले में विवेचक रहें पन्ना लाल की जाँच में साबित हों रहें आरोपों को दरकिनार कर विवेचक बने प्रशांत श्रीवास्तव ने मामले एफ आर लगा दी थी। एफआर लगाने के लिए विवेचक ने कई फर्जी साक्ष्य भी अदालत तक दिये है।

    बहरहाल मामले में पुनः विवेचना के आदेश के बाद ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के कान खड़े हों गये है। ग्राम प्रधान का नाम धनंजय सिंह झब्बू, है तो सेक्रेटरी का नाम अनुपमा सिंह है।

  • जय नारायन दुबे को उनके प्रबंधक ने किया निलंबित, जाँच

    जय नारायन दुबे को उनके प्रबंधक ने किया निलंबित, जाँच


    मऊ। जिले के बी आर के इंटर कॉलेज वालिदपुर मऊ में तथ्यों को छुपाकर बतौर कार्यवाहक प्रधानाचार्य कार्य करने वाले जय नारायन दुबे को अंततः उनके अपराधिक कृत्यो का परिणाम मिल गया। जयनारायण दुबे हाई कोर्ट के आदेश को भी छुपा कर नौकरी करते हुए सरकार से धन लेता रहा। प्रबंधक ने इस तथ्य का खुलासा करते हुए सस्पेंड कर दिया है।


    सूत्रों के अनुसार बी आर के इंटर कॉलेज वालीदपुर मऊ में विभागीय कर्मचारियों के सहयोग से नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति कराकर सरकार को हर माह लाखो रुपये का चुना लगाने वाले जय नारायन दुबे को उनके प्रबंधक ने सस्पेंड कर दिया है।

    प्रबंधक ने जयनारायण दुबे के एक अपराधिक कृत्यो में उसके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दाखिल याचिका ११६३/१९९३ को वर्ष २०१६ में ख़ारिज होने के आदेश को छुपाकर सरकारी धन हड़पने ला आरोप लगाया है।

    इस याचिका के ख़ारिज होने के तथ्य को न तो जय नारायन दुबे ने विभाग को देते हुए खुद को नौकरी से हटाया और न ही विभागीय अफसरों ने इस तथ्य का खुलासा किया। सब ले दे कर चलता रहा।

    बहरहाल जय नारायण दुबे के इस अपराध का खुलासा उनके बिद्यालय के प्रबंधक ने करते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही करते हुए सस्पेंड कर दिया है। सुपेंशन दौरान जयनारायण दुबे को सस्पेंशन दौरान जीवन निर्वाह भत्ता दिया जायेगा

  • मऊ में २ करोड़ के घोटाले की जाँच के शासन के आदेश को दबाये बैठा है “डीपीआरओ” दफ्तर

    मऊ में २ करोड़ के घोटाले की जाँच के शासन के आदेश को दबाये बैठा है “डीपीआरओ” दफ्तर

    मऊ। जिले में वर्ष २०२० के सामान्य निर्वाचन दौरान ग्राम पंचायतो में नियुक्त प्रसाशकों के द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए २ करोड़ १० लाख २८ हजार से अधिक की धनराशि निकालने के मामले में शासन से १८ अप्रैल २०२४ में जाँच कर कार्यवाही को आदेश को विभाग द्वारा दबा दिये जाने की खबर है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार साशन में जनपद गोरखपुर के ग्राम पंचायतो में वर्ष २०२० के सामान्य निर्वाचन दौरान नियुक्त प्रसाशकों के द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए ग्राम पंचायतो के खातो से लाखो लाख डकार लिया गया। इस अनियमितता को लेकर शासन तक पहुंची शिकायत को विभागीय अफसरों ने जाँच में सही पाया।

    शिकायत को जाँच में सही पाए जाने के बाद अटल कुमार राय, निदेशक पंचायतीराज उत्तर प्रदेश सरकार कि ओर से जिले के सभी जिलाधिकारियो के नाम दिनांक १८ अप्रैल २०२४ को पत्र संख्या ६/६७४/२०२४-६/३५४/२०२३ के माध्यम से मामले में जाँच कर कार्यवाही का आदेश दिया गया था।

    मगर मजे कि बात यह रही कि आज तक विभागीय अफसरों ने इस जाँच अपने जिले में खिला ही नहीं। जबकि रानीपुर समेत केवल दो ब्लोको के प्रसाशकों के द्वारा इस दौरान धनराशि नहीं निकाली गई है। ७ बिकास खंडो के ग्राम पंचायतो में उस समय तैनात प्रसाशकों के द्वारा कुल २ करोड़ १० लाख २८ हजार ७४३ रुपये की धनराशि निकाल ली गई। सूत्रों पर यकीन करे तो इस धन से कोई कार्य तक नहीं कराया गया है। सूबे के 74 जिलों के ग्राम पंचायतो में तैनात प्रसाशकों ने बिना काम कराये उतार लिया है लाखो लाख रुपये ।

    खरी दुनिया इस मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी में है।

  • कोपागंज बीडीओ नहीं दे रहें रिपोर्ट, कार्यवाही हों रही बाधित

    — एक ही ब्यक्ति पर नाम बदल कर दो दो सरकारी लाभ लेने का है आरोप, बीडीओ रोक रहें जाँच आंख्या

    — सरकारी लाभ के लिए कही नन्हकी पत्नी दयाशंकर बनी तो कही बन गई तारा पत्नी दयाशंकर


    मऊ। दो नामो से सरकारी लाभ ले रही महिला को चिन्हित करने में बेसिक शिक्षा अधिकारी मऊ की बीते २८ जुलाई से चल रही जाँच अब तक फेल साबित हों रही है। कोपागंज की मीरपुर रहीमाबाद की नन्हकी पत्नी दयाशंकर ने जहा इस नाम से वर्ष २००८ में इंदिरा आवास लिया है तो वही पर अब नन्हकी द्वारा तारा पत्नी दयाशंकर बनकर रसोइया की नौकरी की जा रही है।

    मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहा पड़ी शिकायत की जाँच के लिए बी एस ए द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी कोपेगंज को पत्र लिखा गया है, जिन्होने खंड विकास अधिकारी कोपागंज को पत्र लिख कर नन्हकी द्वारा सरकार के भजाये गये चेक की असलियत रिपोर्ट मांगी है।

    आज तक बीडीओ की आख्या नहीं मिलने के कारण शिक्षा विभाग कार्यवाही को धरातल पर नहीं उतार पा रहा है।

  • दीवानी प्रकरण : आरोपी की उच्च न्यायालय इलाहाबाद से ख़ारिज अग्रिम जमानत याचिका को भी नहीं पकड़ पाये विवेचक, २ सौ अरोपियो मे से 1 पर चार्जशीट

    दीवानी प्रकरण : आरोपी की उच्च न्यायालय इलाहाबाद से ख़ारिज अग्रिम जमानत याचिका को भी नहीं पकड़ पाये विवेचक, २ सौ अरोपियो मे से 1 पर चार्जशीट

    — मामला दीवानी कचहरी में सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से २ सौ अधिवक्ताओं द्वारा छुड़ाने का

    — शहर कोतवाली में अपराध संख्या ६७/२०२४ पर उप निरीक्षक रामाश्रय गुप्ता की तहरीर पर दर्ज है आयुध अधिनियम की धारा ३० और भादवि की धारा १८८ और ३५३ के तहत तीन नामजद और डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा ।

    मऊ। शहर कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या ६७/२०२४ के विवेचक की विवेचना में बड़ी लापरवाही की खबर है। आयुध अधिनियम की धारा ३० और भादवि की धारा १८८,३५३ के आरोपित की इलाहाबाद उच्च न्यायालय से ख़ारिज हुई जमानत याचिका को भी विवेचक नहीं पकड़ पाये है। घटना २८ फ़रवरी २०२४ की है।

    पुलिस सूत्रों के अनुसार बीते २८ फरवरी २०२४ को दीवानी न्यायालय का सुरक्षा घेरा तोड़कर विधायक लिखे चार पहिया वाहन से अबैध असलहे के साथ घुसे तीन बदमाशों को पुलिस के कब्जे से दो सौ अधिवक्ताओं के द्वारा छुड़ाने का आरोप शहर कोतवाली में अपराध संख्या ६७ में दर्ज है। मामले की विवेचना अजीत दुबे ने की है। बतौर विवेचक अजीत दुबे इस मामले में आरोपित तीन नामजद और डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं को इस दर्ज आरोप में शामिल होने के प्रमाण तक को नहीं खोज पाए है, जबकि पुरा दीवानी परिसर सीसी टीवी कैमरे से सुस्ज्जित है। अजीत दुबे द्वारा मामले में टीपी सिंह को चार्जशीट दी गई तो वही पर खुद को अपराध में शामिल मानकर अपनी जमानत कराने पहुचे मिथिलेश दुबे की इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक से अग्रिम जमानत याचिका के ख़ारिज होने के भी तथ्य को नहीं पकड़ा जा सका है।

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    एक अधिवक्ता और उसके गिरोह के बुलाने पर दीवानी में तांडव मचाये थे बदमाश

    सूत्रों पर यकीन करे तो विधायक लिखे चार पहिया वाहन से दीवानी में तांडव मचाये तीन अबैध असलहेधारियों को दीवानी का खुद को अधिवक्ता बताने वाले रपेस पाण्डेय काशीष श्रीवास्टब , सुमेत पंडे , कुमेश सिंह ( ये सभी कल्पनिक नाम है ) ने किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए बुलाया था। विवेचक द्वारा इन तथाकथित अधिवक्ताओं को बचाने के लिए न तो मामले में आरोपित मिथिलेश दुबे और उसके सगे संबंधियों के मोबाइल नम्बर को खंगाला गया और उसके ख़ारिज अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों को ही पकड़ने की कोशिश की गई।

    विवेचक ने बदमाशों के सीडीआर नहीं खंगाले, वाहन मालिक तक पहुंचने में दीवानी परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरो तक के फुटेज को नहीं खंगाला !

    पुलिस ने वाहन भी किया था सीज, और तीन अबैध असलहेधारियों पर गिरफ्तारी का भी बनाया था दबाव, लेकिन इन अबैध असलहेधारियों के संरक्षक बदमाश और खुद को अधिवक्ता बताने वकील और उसके गिरोह के नाजायज दबाव में विवेचक द्वारा उनके दीवानी न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक से ख़ारिज हुई अग्रिम जमानत याचिका को भी विवेचना दौरान न पकड़ पाने का बहाना बना दिया गया । तीनो बदमाश किसके बुलाने पर? क्यो दीवानी परिसर के सुरक्षा घेरे को तोड़ कर ? परिसर में विधायक लिखे चार पहिया वाहन से घुसे ? विवेचक ने यहा तक पहुंचने में क्यो नहीं उनके मोबाइल सीडीआर और दीवानी परिसर में लगे सीसी टीवी कैमरे के फुटेज को आधार बनाया ? आदि तथ्यों को खरी दुनिया की लीगल टीम द्वारा ३ सितम्बर २०२४ को अदालत में प्रस्तुत किये जाने की तैयारी है।

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