Category: कुख्यात माननीय

  • मऊ मे ग्राम पंचायतो मे घोटालो का अम्बार, प्रसाशन की लचीली कार्यशैली साबित हो रही कारण

    मऊ मे ग्राम पंचायतो मे घोटालो का अम्बार, प्रसाशन की लचीली कार्यशैली साबित हो रही कारण

    मनरेगा कार्यों में गबन पर जिलाधिकारी ने पूर्व प्रधान से 2 लाख 82 हजार 223 रुपए की वसूली के दिए निर्देश,लोकपाल मनरेगा की जांच रिपोर्ट में 8 लाख 46 हजार 669 रुपए के गबन का था आरोप।

    तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव एवं तकनीकी सहायक से होगी शेष वसूली, ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी दिए निर्देश।

    मऊ। गावों के ग्राम प्रधानों के द्वारा ग्राम सचिव को साजिस मे लेकर किये जा रहे वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जिलाधिकारी पुरी तरह से गंभीर है। जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायत जमालपुर् मे मनरेगा मे हुई वित्तीय अनियमितत मे बुद्धवार को बड़ा एक्शन लेते हुए वसूली के आदेश दिये है। समाचार लिखे जाने तक अभी डीएम ने ऐसे घोटालो के प्रति अभी तक विधिक कार्यवाही नही की है।

    विभागीय सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारी श्री प्रवीण मिश्र ने बुद्धवार को विकासखंड मोहम्मदाबाद गोहना के ग्राम पंचायत जमालपुर में मनरेगा कार्यों में 8,46,669 रुपए के गबन का मामला संज्ञान में आने पर तत्कालीन प्रधान श्रीमती सावित्री देवी से 2,82,223 रुपए की वसूली के आदेश दिए। शेष 5,64,446 रुपए की वसूली दोषी पाए गए तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव एवं तकनीकी सहायक से कराए जाने के निर्देश भी जिलाधिकारी द्वारा डीसी मनरेगा को दिए गए।

    उल्लेखनीय है कि लोकपाल मनरेगा द्वारा विकासखंड मोहम्मदाबाद गोहना के ग्राम पंचायत जमालपुर में मनरेगा कार्यो में घपले की शिकायत की जांच में कुल 846669 रुपए के गबन का मामला पाया गया था। जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए आज पूर्व प्रधान श्रीमती सावित्री देवी से 2,82,223 रुपए वसूली के आदेश दिए।इसके अलावा उन्होंने तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव एवं तकनीकी सहायक से शेष धनराशि की वसूली के भी निर्देश दिए।जिलाधिकारी ने तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए।

    ग्राम पंचायतो मे घोटालो का अम्बार, प्रसाशनिक लचीली कार्यशैली बन रही घोटाले का कारण

    बहरहाल ऐसे घोटालो के प्रति अभी तक लचीली कार्यवाही ही सामने आई है, अभी तक की जाँच मे डीएम लेवल से किसी भी ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव के खिलाफ विधिक कार्यवाही नही की गई है जबकि मामला सीधे गबन का उजागर होता है। ग्राम प्रधान मजदूरी की धनराशि को किसी भी हाल मे अपने खाते मे नही उतार सकता लेकिन इसी लचीली कार्य प्रणाली के कारण 90 प्रतिशत ग्राम प्रधान अपने सचिव को साजिस मे लेकर मजदूरी की रकम को हड़प रहे है। शिकायत बाद बचाव मे मजदूरों से सपथ पत्र को आधार बनाया जा रहा है जबकि नियम विरुद्ध है।

  • पति द्वारा ठीकेदारों से की जा रही कमीशन खोरी के पत्रकारों सवाल पर जिलाध्यक्ष नुपुर् नही दे सकी जवाब

    पति द्वारा ठीकेदारों से की जा रही कमीशन खोरी के पत्रकारों सवाल पर जिलाध्यक्ष नुपुर् नही दे सकी जवाब


    मऊ। लोकसभा चुनाव के परिणाम के तीसरे दिन भाजपा कार्यालय पर मने जश्न के दौरान जिलाध्यक्ष भाजपा नूपुर अग्रवाल ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देने मे कंजूसी कर उनके पति गिरिराज अग्रवाल द्वारा ठीकेदार से काम दिलाने के नाम पर की जा रही वसूली पर मुहर लगा दी है।


    जिलाध्यक्ष भाजपा नूपुर अग्रवाल ने पत्रकारों के द्वारा कमीशन खोरी के सवाल का जबाब देते हुए कहा कि नीलम अग्रवाल ने चुनाव के तीन दिन पहले सपा उम्मीदवार राजीव राय को घर पर बुलाकर भोजन करने की बात कही।

    मजे कि बात यह रही कि पत्रकारों ने नूपुर अग्रवाल से कमीशन खोरी पर सवाल किया था, और जिलाध्यक्ष ने कामोशखोरी पर जबाव देने की जगह पर उत्तर को राजीव राय की ओर घुमा दिया गया।

    बहरहाल भाजपा मे आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, अभी तक भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर अपने उपर लगे कमीशन खोरी के सवाल के उत्तर मे कोई मजबूत आधार या कहे साक्ष्य नही दे सकी है।

  • मऊ मे भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर के नॉलेज में खेला जा रहा भ्रस्टाचार का खेल, उनका पति कर रहा दलाली

    मऊ मे भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर के नॉलेज में खेला जा रहा भ्रस्टाचार का खेल, उनका पति कर रहा दलाली


    ब्रह्मा नन्द पाण्डेय
    मऊ। जिले की भाजपा , अब सरकारी विभागों से मिलकर “दलाली” कर रही है। जिलाध्यक्ष नूपुर अग्रवाल का पति भी जिलाध्यक्ष की इस अबैध कमाई मे दलाली करता है। इस बात का खुलासा वायरल एक ऑडियो क्लिप से हो रहा है लेकिन “खरी दुनिया” इस ऑडिओ क्लिप की पुष्टी नही करता है।


    राजनितिक हलके से होकर आ रही खबरों के अनुसार जिलाध्यक्ष भाजपा नूपुर अग्रवाल सरकारी दफ्तरों से मिलकर भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित कर रही है।

    भ्रस्टाचार को प्रोत्साहित करने के खेल मे भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर अकेली नही है, इस खेल मे उनका पति गिरिराज अग्रवाल भी बराबर के हिस्सेदार है। “ऑडिओ क्लिप” मे भाजपा जिलाध्यक्ष के पति गिरिराज अग्रवाल द्वारा एक ठीकेदार को 9 नंबर पर फार्म डालने और काम हमेशा मिलता रहे इसके लिए 5℅ की कमीशन मांगी जा रही है।

    निचे प्रदर्शित फोटो है भाजपा जिलाध्यक्ष गिरिराज की तस्वीर, जिनकी आवाज को ऑडिओ मे है।

    जिलाध्यक्ष नूपुर अग्रवाल के निशाने पर वे सभी विभाग है जिनमे ठीकेदारी के माध्यम से निर्माण कार्यो को धरातल पर उतरा जाता है। जिलाध्यक्ष के इस कारनामे मे उनका पति भी उनके उन अबैध कारनामे मे हिस्सेदार है।

    जिलाध्यक्ष भाजपा नूपुर अग्रवाल और उनके पति पर ऐसे ही नही आरोप लग रहा है, इनके कृत्यो का खरी दुनिया के पास वायरल ऑडियो की कॉपी है जिसको वह सुरक्षित रखते हुए बिना पुष्टि किये जनहित मे पब्लिश कर रहा है ।

    उधर भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर अग्रवाल का वायरल ऑडियो से अपना कोई सरोकार मतलब होने से इनकार किया जा रहा है।

  • मऊ मे भाजपा सभासद की गुंडई को घटना के दूसरे दिन भी पुलिस ने नही किया रजिस्टर, घटना का फुटेज हुआ वायरल

    मऊ मे भाजपा सभासद की गुंडई को घटना के दूसरे दिन भी पुलिस ने नही किया रजिस्टर, घटना का फुटेज हुआ वायरल


    ( ब्रह्मा नंद पाण्डेय )
    मऊ। भाजपा सभासद की गुंडई से परेशान महिला के साथ हुई घटना को दूसरे दिन भी पुलिस द्वारा पंजीकृत नही किये जाने की खबर है।


    पुलिस सूत्रों के अनुसार हेमलता चौरसिया पत्नी श्री कन्हैया लाल चौरसिया वार्ड नंबर 12 की निवासनी है इनका मकान, भाजपा सभासद राजीव सैनी के मकान के सामने है |

    वार्ड नंबर 12 से सभासद माधुरी देवी, सभासद प्रतिनिधी राजीव सैनी व पूर्ण सभासद परिवार पर इनके उपर हमला किये जाने के साथ छेड़छाड़ के अपराध का आरोप है। पीड़िता के अनुसार सभासद द्वारा अतिक्रमण की कोशिश का विरोध करना है जिससे राजीव सैनी व उसके परिवार को गुस्सा आ गया और वह और उसका पुरा परिवार पीड़िता और उसके बेटे और बेटी पे हमला कर दिया जिसका साक्ष्य यह विडियो है, मुझे राजीव सैनी व उसके पिता ने धक्का दिया व छेड़खानी की और हम तीनो पे जानलेवा हमला किया ।


    यह अतिक्रमण हटाने को अभी भी तैयार नही है और हम पर हमला करने के कुछ दिन बाद फिर से गली मे कब्ज़ा करने का प्रयत्न किया जिसकी तैयारी मे उसने गुंडे बुला रखे थे |

  • मऊ मे १८ ग्राम पंचायतो से विना टेंडर हुए निर्माण का ५० लाख से अधिक का भुगतान, अधिकारी मौन

    मऊ मे १८ ग्राम पंचायतो से विना टेंडर हुए निर्माण का ५० लाख से अधिक का भुगतान, अधिकारी मौन


    (ब्रह्मा नंद पाण्डेय- अधिवक्ता, उच्च न्यायालय)


    मऊ। जिला पंचायत राज विभाग के अधिकारियो की मिलीभगत से नियम विरुद्ध विना टेंडर कराये ५ ब्लाको के कुल १८ ग्राम पंचायतो से ५० लाख रुपये से अधिक की धनराशि का भुगतान किये जाने की खबर है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय की मिली भगत से जिले पांच विकास खंडो मे शामिल कोपागंज, रानीपुर, रतनपुरा, फतेहपुर मंदाव और घोसी मे क्रमशः २५ लख २५ हजार से अधिक रानीपुर मे ४ लाख ९८ हजार से अधिक, ५ लाख ३२ हजार से अधिक , ८ लाख ३८ हजार से अधिक और घोसी मे १२ लख ९२ हजार से अधिक की राशि का भुगतान विना टेंडर प्रकाशन के ही कर दिया गया है। कोपागंज के बसारतपुर, चिरयाखुर्द, गरजहुल्ली, मुहम्मदपुर, सहरोज बिकास खंड रानीपुर का भिखम पुर, सोनिशा, उतरेजपुर, रतनपुरा का बड़ागांव, छिछोड़करोंदी, गहना, विकास खंड फतेहपुर मंडव का गागौपुर, रसूलपुर आदमपुर, और विकास खंड घोसी का मौरबोझ, मानिकपुर असना, मूरनपुर, तराडीह और जामदीह शामिल है। इब गांवो के ग्राम प्रधान और सेक्रेटरीयो ने मिलकर विना तेंदर हुए निर्माण कार्यो पर ५६ लाख से अधिक का भुगतान कर दिया है। खरी दुनिया की अभी पड़ताल जारी है, इस संख्या को खरी दुनिया बढ़ने से इंकार नही है।

    ग्राम पंचायत देवदह के बाद खैराबाद और मीरपुर रहीमाबाद के ग्राम प्रधान ने उतरी है मजदूरी की लाखो की रकम


    मऊ। ग्राम प्रधानों मे ग्राम पंचायत के सरकारी खाते से मजदूरी के नाम पर धन निकालने की होड़ लग गई है। विकास खंड रतनपुरा के ग्राम पंचायत देवदह के बाद खरी दुनिया ने मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के ग्राम पंचायत खैराबाद और रहिमाबाद मे मजदूरी के नाम पर गवह के ग्राम प्रधानों के द्वारा सचिव से मिलकर लाखो रुपये हड़प लिए गये है।

    मीरपुर रहिमाबाद मे केवल १० वाउचर के माध्यम से ३ लाख ४७ हजार से अधिक की निकासी के साक्ष्य है तो खैराबाद मे भी कुल १० वाउचर के माध्यम से ३ लाख ९९ हजार से अधिक की रकम को वाहा के ग्राम प्रधानों के द्वारा सचिवों से मिलकर धन हड़पने के साक्ष्य है। ग्राम प्रधानों ने सरकारी खाते से अपने ब्यक्तिगत खाते मे यह धन उतारा है।

    बताते चले की विकास खंड रतनपुर के देवदाह ग्राम पंचायत मे भी व्हा की ग्राम प्रधान ने मजदूरिंकी रकम को अपने खाते मे उठतरने के बाद खरी दुनिया ने मा उच्च न्यायालय से जाँच के आदेश कराये है जिसमे जाँच आधुकत के. द्वारा जानबूझकर जाँच आंख्या देने मे आनाकानी की जा रही है। जाँच समिति के अध्यक्ष / मुख्य पशु चिकिताधिकारी मऊ के द्वारा जाँच आंख्या देने मे जानबूझकर देरी की जा रही है।

  • लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    लोस चुनाव : सामूहिक हत्याकांड के बाद ये बाहुबली पहली बार बना था सांसद

    सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक रहना पड़ा था जेल में

    हमीरपुर। बुन्देलखंड के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जातिवाद के चक्कर में हमेशा जनता ठगी गई है। आम चुनाव में भी जातीय रंग में मतदाताओं ने एक ऐसे बाहुबली को जनादेश देकर संसद पहुंचाया था जो यहां पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। पहली बार में ही क्षेत्र का बाहुबली आम चुनाव में भारी मतों से निर्वाचित हुआ था, लेकिन मतगणना से पहले ही वह गिरफ्तारी वारंट जारी होने से फरार हो गया। फरारी हालत में ही इसने लोकसभा पहुंचकर सांसद की शपथ भी ली थी। बाद में सांसद रहते हुए वह यहां की जेल में ढाई साल तक बंद भी रहा।

    गौरतलब है कि कानपुर महानगर के किदवईनगर से अशोक सिंह चंदेल वर्ष 1980 में हमीरपुर जिले में सियासी पारी खेलने आए थे। शुरू में उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी जनता एस के टिकट से हमीरपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव मैदान में कदम रखा। हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप नारायण दुबे से वह पराजित हो गए थे। पहली मर्तबा में ही अशोक सिंह चंदेल ने 20549 मत हासिल किए थे। वह वर्ष 1985 में भी चुनाव हारे थे। इसके बाद 1989 में इन्होंने निर्दलीय रूप से चुनावी महासमर में आकर अन्य दलों के समीकरण फेल कर पहली बार जीत का परचम फहराया था। उन्हें 30813 मत मिले थे।

    वर्ष 1991 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1993 में जनता दल की लहर में विधानसभा के चुनाव में 42882 मत हासिल कर वह विधायक बने। वर्ष 1996 में यहां की सीट पर चंदेल बीएसपी के प्रत्याशी से पराजित हुए थे। जातीय राजनीति करने वाले अशोक सिंह चंदेल 26 जनवरी 1997 को हमीरपुर शहर में पांच लोगों की हुई सामूहिक हत्या में नामजद होने के बाद भी बीएसपी में एन्ट्री लेकर 1999 के आम चुनाव में आए तो वह पहली बार में ही निर्णायक मतों के एकजुट हो जाने से सांसद भी बन गए। उन्हें 217732 मत मिले थे। लेकिन सांसद बनने के बाद भी ढाई साल तक इन्हें जेल की सलाखों में रहना पड़ा था।

    कोर्ट से अशोक सिंह चंदेल दो बार कोर्ट से घोषित हुए थे भगोड़ा

    सामूहिक हत्याकांड में गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे लेकर अशोक सिंह चंदेल संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार में जुटे रहे, लेकिन मतदान के बाद मतगणना से पहले ये फरार हो गए थे। सामूहिक हत्याकांड के वादी राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि मतगणना से पहले सुप्रीमकोर्ट में एसएसपी खारिज होने पर अशोक सिंह चंदेल फरार हो गए थे। मतगणना में ये सांसद चुने गए थे। लेकिन विजयी प्रमाणपत्र उनके मतगणना एजेंट शिवचरण प्रजापति ने लिया था। उन्होंने बताया कि हमीरपुर में विशेष सत्र न्यायाधीश (द.प्र.क्षेत्र) की अदालत ने बाहुबली अशोक सिंह चंदेल को दो बार भगोड़ा भी घोषित किया था।

    गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सांसद ने किया था आत्मसमर्पण

    वर्ष 1999 में आम चुनाव में अशोक सिंह चंदेल सांसद तो बन गए थे लेकिन उन्हें ढाई साल तक हमीरपुर की जेल की हवा खानी पड़ी थी। सामूहिक हत्याकांड के पीड़ित पक्ष के राजीव शुक्ला एडवोकेट ने बताया कि तत्कालीन एसपी एलवी एंटनी ने फरार सांसद को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित की थी। पुलिस की टीमें दिल्ली गई थी जहां राजनेता की मदद से चंदेल लोकसभा पहुंचकर शपथ ली थी। बताया कि पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थी जिसके कारण सांसद को हमीरपुर स्थित कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। सांसद रहते हुए भी इन्हें यहीं की जेल की सलाखों में ढाई साल तक कैद रहना पड़ा था।

    हाईकोर्ट के फैसले पर चंदेल आगरा जेल में काट रहे उम्रकैद की सजा

    सामूहिक हत्याकांड में अशोक सिंह चंदेल समेत तमाम आरोपियों को अप्रैल 2019 में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद ये जेल गए थे। मौजूदा में ये आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सामूहिक हत्याकांड के वादी के मुताबिक अशोक सिंह चंदेल के खिलाफ डेढ़ दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्रकैद की सजा के बाद चंदेल का राजनैतिक जमीन भी खिसक गई है। बताते हैं कि हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में नौ फीसदी क्षत्रिय मत है, जिनमें अशोक सिंह चंदेल की मजबूत पकड़ थी। इन्होंने जातीय राजनीति के सहारे कई बार विधानसभा की सीट से विधायक भी बने थे।

  • मुख्तार अंसारी की मौत मामले की न्यायिक जांच के आदेश

    मुख्तार अंसारी की मौत मामले की न्यायिक जांच के आदेश

    बांदा। माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बांदा जेल में रहते हुए जेल प्रशासन और शासन पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं। अब जब मुख्तार अंसारी की मौत हो गई तो इस मामले में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज भी सवालों के घेरे में आ गया है। इलाज के लिए भर्ती कराए गए मुख्तार अंसारी को 14 घंटे बाद स्वस्वस्थ बताकर मेडिकल कॉलेज से हटाकर जेल में शिफ्ट करना और इसके एक दिन बाद हार्ट अटैक से मौत होना, मामले को संदेहास्पद बना रहा है। हालांकि इस मामले में सीजेएम ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

    मुख्तार अंसारी के वकील ने 19 मार्च को बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार को खाने में जहर दिए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 25 मार्च को रात में अचानक मुख्तार अंसारी की जेल में तबीयत बिगड़ी। इसे 26 मार्च को तड़के चार बजे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी की गई बुलेटिन में उसे साधारण कब्ज की बीमारी से पीड़ित बताया गया। 14 घंटे बाद उसे स्वस्थ बताते हुए पुनः शाम को लगभग 6.15 बजे मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिया गया।

    मेडिकल कॉलेज से मुख्तार को लाकर उसे जेल के अस्पताल में रखने के बजाय तन्हाई वाले बैरक में शिफ्ट किया गया। 27 मार्च को डॉक्टरों की टीम ने जेल में पहुंचकर मुख्तार की जांच की और उसकी हालत में सुधार बताया। इसके बाद 28 मार्च को अचानक मुख्तार अंसारी की तबीयत फिर बिगड़ गयी। बीमारी की जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी जेल पहुंचे। करीब 40 मिनट तक जेल में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी रही। इसके बाद एंबुलेंस से उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां देर रात हार्ट अटैक से मुख्तार की मौत हो गई।

    अब सवाल उठता है कि जब 26 मार्च को सवेरे मुख्तार अंसारी को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज लाया गया था। तब केवल 14 घंटे में कैसे इतना स्वस्थ हो गया कि उसे फिर से जेल में शिफ्ट करना उचित समझा गया। स्वास्थ्य विभाग के कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर बीमारी गंभीर थी तो उसे इलाज के लिए एक-दो दिन मेडिकल कॉलेज में ही भर्ती करके इलाज करना चाहिए था। लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई। जिससे जेल में पहुंचकर मुख्तार अंसारी की हालत बिगड़ी और फिर उसकी मौत हो गई।

    इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी जब 26 मार्च को उन्हें देखने मेडिकल कॉलेज आए थे तो उन्होंने मांग की थी कि अगर मुख्तार का समुचित इलाज यहां नहीं हो पा रहा तो उन्हें रेफर कर दिया जाए। हम अपने खर्च पर उनका इलाज करायेंगे। इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इस तरह देखा जाए तो इसमें मेडिकल कॉलेज की लापरवाही साफ नजर आती है।

    वहीं, इस मामले में एमपीएमएलए कोर्ट ने जेल अधीक्षक से मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने की रिपोर्ट 27 मार्च को मांगी थी, जिसमें 29 मार्च तक रिपोर्ट देने की बात कही गई थी। अब सीजेएम ने मुख्तार की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एमपी एमएलए कोर्ट की मजिस्ट्रेट गरिमा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इस टीम को एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है।

  • मुख्तार के अंतिम संस्कार में पत्नी अफसा बेगम और पुत्र अब्बास की उपस्थिति पर संशय बरकरार

    मुख्तार के अंतिम संस्कार में पत्नी अफसा बेगम और पुत्र अब्बास की उपस्थिति पर संशय बरकरार

    गाजीपुर,। मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार के विधायक रहे पूर्व विधायक व माफिया मुख्तार अंसारी का शव बांदा से उनके पैतृक गांव गाजीपुर जनपद के यूसूफपुर मोहम्मदाबाद लाया जा रहा है। यहां पर उनके पुस्तैनी कब्रिस्तान काली बाग में उनको दफनाया जायेगा। दुनिया को मुट्ठी में कैद करने की ख्वाहिश रखने वाले डॉन मुख्तार अंसारी को अंत में काली बाग के कब्रिस्तान में सात गुणे तीन फीट की जमीन मिली है। उनको सुपुर्दे खाक किए जाने के समय उनकी पत्नी अफसा बेगम और पुत्र अब्बास अंसारी मौजूद रहेंगे या नहीं इस पर अभी तक संशय बरकरार है।

    मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा बेगम काफी लंबे अरसे से फरार चल रही है। प्रशासन ने उस पर पचास हजार रुपये का इनाम रखा है। ऐसे में अब यह कयास लगाया जाने लगा है कि मिट्टी देने के लिए मुख्तार की पत्नी कब्रिस्तान आएगी या नहीं। वहीं, मुख्तार अंसारी के बड़े पुत्र मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी फिलहाल जेल में बंद है। उनकी हाई कोर्ट में पैरोल की सुनवाई नहीं हो पाई है। फिलहाल उनके तरफ से सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी लगाई जाने की बात आ रही है। अब ऐसे में विधायक की पत्नी और बड़े पुत्र उनके अंत्येष्टि में शामिल होते हैं या नहीं यह संशय अभी भी बरकरार है।

    पारिवारिक सूत्रों के अनुसार मुख्तार अंसारी के शव को दफनाने के लिए उनके पिता सुभानुल्लाह अंसारी के कब्र के पीछे कब्र खोदी गई है। मुख्तार के निधन की सूचना के बाद से ही उनके आवास और कब्रिस्तान में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

  • 11 दिनों तक झांसी जिला कारागार में भी रहा था माफिया मुख्तार

    11 दिनों तक झांसी जिला कारागार में भी रहा था माफिया मुख्तार

    जिला कारागार में उसने पूरे समय एकांत में गुजारा था

    झांसी,। कुख्यात अपराधी माफिया मुख्तार अंसारी का बीती रात हृदयाघात के चलते निधन हो गया है। आधिकारिक सूचना के मुताबिक बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हुई। मुख्तार अंसारी का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। पिछले 18 साल से वह लगातार जेल में बंद था। इस दौरान मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग कारागार में बंद रहा। पंजाब की जेल में भी उसका लंबा समय बीता। झांसी भी उससे अछूता नहीं रहा। 18 साल तक जेल में बंद रहने के दौरान मुख्तार अंसारी का 11 दिनों का छोटा सा समय झांसी के जिला कारागार में भी निकला है।

    झांसी जिला कारागार के आंकड़ों के अनुसार साल 2007 में 29 अप्रैल से लेकर 9 मई तक मुख्तार अंसारी बंद रहा था। कुल 11 दिन का समय मुख्तार अंसारी ने यहां बिताया था। इन 11 दिनों में वह पूरी तरह एकांत में रहा था। जेल रिकॉर्ड में मुख्तार अंसारी का नाम दर्ज है। झांसी जिला जेल से मुख्तार अंसारी को गाजीपुर के कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया था। इसके बाद वह लौट कर झांसी नहीं आया।

    इनका है कहना

    झांसी जिला जेल के अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि मुख्तार अंसारी 29 अप्रैल 2007 से लेकर 9 मई 2007 तक झांसी जेल में बंद रहा था। यहां से उसे गाजीपुर ले जाया गया था। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी कई अलग-अलग मामलों में आरोपी था। कुछ मामलों में सजा हो चुकी थी और कुछ मामले कोर्ट में चल रहे थे। इसी दौरान बीते रोज 28 मार्च 2024 को रात करीब 8.25 बजे दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी।

  • जरायम की दुनिया का मुख्तार बन बैठा सियासत का बादशाह

    जरायम की दुनिया का मुख्तार बन बैठा सियासत का बादशाह

    निजाम बदलते खत्म हुई बात बादशाहत फिर भी विपक्ष का चहेता था मुख्तार

    मऊ, । सदर सीट से पांच बार का विधायक रहे माफिया मुख्तार अंसारी गुरुवार की देर शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। मुख्तार अंसारी बांदा के मंडल जेल में बंद थे और बीमार थे हाल ही में उनका बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती भी कराया गया था जहां हालत स्थिर होने पर उन्हें वापस जेल भेज दिया गया था। मुख्तार अंसारी के मौत से पूरे यूपी में हाई अलर्ट है और सियासत भी गरमाती नजर आ रही है। जहां विपक्ष सरकार को घेरने में लगी हुई है वही माफिया मुख्तार के परिवार वाले भी मुख्तार की मौत पर संदेह जाहिर कर रहे हैं। पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार अंसारी को उनके पैतृक गृह जनपद गाजीपुर के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

    गाजीपुर के एक छोटे से कस्बे यूसुफपुर मोहम्मदाबाद से निकलकर एक युवा मुख्तार अंसारी कैसे माफिया मुख्तार अंसारी बन गया इसकी कहानी भी काफी दिलचस्प है।

    गाजीपुर के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद में सुब्हानऊल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर जन्मे मुख्तार अंसारी का पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति वाला रहा मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महात्मा गांधी के काफी करीबी रहे तो वहीं मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान भी महावीर चक्र विजेता रहे।

    घर के राजनीतिक माहौल के बावजूद मुख्तार युवावस्था में दबंगई और प्रभावशाली व्यक्ति बनने का महत्वकांक्षा रखकर बीएचयू की राजनीति से शुरुआत की। लेकिन पैसों की जरूरत में मुख्तार को जरायम की दुनिया की तरफ बढ़ा दिया। लोगों को मुख्तार के अपराधिक प्रवृत्ति की जानकारी तब हुई जब उसने पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए तत्कालीन विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रुंगटा का अपहरण कर लिया और फिरौती के तीन करोड रुपए मांगे फिरौती मिलने के बाद भी नंदकिशोर रुंगटा की हत्या कर दी गई।

    इस घटना के बाद मुख्तार अपराध की दुनिया का नया खिलाड़ी बनकर निकला। अब बड़े-बड़े माफिया गैंग मुख्तार के संपर्क में आने लगे। उसे समय के बड़े गैंग मखनू सिंह का गिरोह पूर्वांचल में सक्रिय था और मुख्तार उसका हिस्सा बन गया। इसके बाद मुख्तार ने फिर मुड़ कर नहीं देखा मुख्तार ने अपने बल पर अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी को विधायक बनाया लेकिन मुख्तार कब लगने लगा था कि उसे अपराध में संरक्षण के लिए राजनीति में जाना जरूरी हो गया है।

    1996 तक आते-आते मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का माफिया बन गया था पूर्वांचल के कोयला ठेके से लेकर के रेलवे ठेके तक और तमाम सरकारी ठेकों में उसकी दखलअंदाजी बढ़ गई थी बिना मुख्तार के पर्मिशन ठेके मिलने मुश्किल हो गए थे मुख्तार के अपराध का साम्राज्य लगातार बढ़ता जा रहा था और उसके ऊपर मुकदमे भी बढ़ते जा रहे थे। फिर क्या था 1996 में मुख्तार अंसारी ने बसपा से टिकट मांगा और पड़ोस के जिले मऊ के मऊ सदर सीट से मैदान में कूद गया।

    मुख्तार ने सीट से जीत हासिल की ओर विधायक बन बैठा धीरे-धीरे मुख्तार की पकड़ राजनीति में मजबूत होती गई और वह मऊ सदर को अपना गढ़ बनाकर लगातार पांच बार जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। मुख्तार इस सीट से 1996 से लगातार 2022 तक विधायक रहा 2022 में किन्हीं कारणों से उसने यह सीट छोड़ दी और अपने बेटे अब्बास अंसारी को यहां से मैदान में उतार दिया मुख्तार के बेटे अब्बास ने भी इस सीट से जीत हासिल कर विधानसभा की राह पकड़ ली।

    2005 में मऊ में हुए सांप्रदायिक दंगों में खुली जिप्सी से मुख्तार का लहराता हुआ वीडियो जमकर वायरल हुआ और उसके बाद इस दंगे के आरोप में मुख्तार को जेल जाना पड़ा 2005 में ही गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की उनके सात साथियों के साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में भी माफिया मुख्तार अंसारी का नाम आया और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

    लेकिन मुख्तार का रसूख राजनीति में इतना बढ़ गया था कि वह तत्कालीन राजनीतिक पार्टियों का चहेता बन गया था। पूर्वांचल के दो दर्जन लोकसभा सीटों और 50 से 60 विधानसभा सीटों पर माफिया मुख्तार अंसारी का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव ही राजनीतिक दलों की मजबूरी थी।

    पूर्वांचल के वाराणसी गाजीपुर बलिया जौनपुर और मऊ में मुख्तार का वर्चस्व रहा लेकिन यूपी का निजाम बदलते ही मुख्तार की बादशाह जाती रही। पंजाब जेल में बंद मुख्तार अंसारी को यूपी लाया गया और बांदा जेल में निरुद्ध कर दिया गया जहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही उसकी सुनवाई होती रही।

    मुख्तार अंसारी के 500 करोड़ की संपत्ति या तो जप्त कर दी गई है उसे पर बुलडोजर चला दिया गया मुख्तार के करीबियों के सम्पत्ति पर भी चुन चुन कर बुलडोजर चलाए गए । बुलडोजर चलने और कार्यवाही का खौफ इस कदर था कि जिस मुख्तार अंसारी की 90 के दशक में तूती बोलती थी 2022 तक आते-आते उस माफिया मुख्तार अंसारी के नाम के साथ लोग अपना नाम जोड़ने में भी डरने लगे थे।