— मामला दीवानी कचहरी में सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से २ सौ अधिवक्ताओं द्वारा छुड़ाने का
— शहर कोतवाली में अपराध संख्या ६७/२०२४ पर उप निरीक्षक रामाश्रय गुप्ता की तहरीर पर दर्ज है आयुध अधिनियम की धारा ३० और भादवि की धारा १८८ और ३५३ के तहत तीन नामजद और डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा ।
मऊ। शहर कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या ६७/२०२४ के विवेचक की विवेचना में बड़ी लापरवाही की खबर है। आयुध अधिनियम की धारा ३० और भादवि की धारा १८८,३५३ के आरोपित की इलाहाबाद उच्च न्यायालय से ख़ारिज हुई जमानत याचिका को भी विवेचक नहीं पकड़ पाये है। घटना २८ फ़रवरी २०२४ की है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार बीते २८ फरवरी २०२४ को दीवानी न्यायालय का सुरक्षा घेरा तोड़कर विधायक लिखे चार पहिया वाहन से अबैध असलहे के साथ घुसे तीन बदमाशों को पुलिस के कब्जे से दो सौ अधिवक्ताओं के द्वारा छुड़ाने का आरोप शहर कोतवाली में अपराध संख्या ६७ में दर्ज है। मामले की विवेचना अजीत दुबे ने की है। बतौर विवेचक अजीत दुबे इस मामले में आरोपित तीन नामजद और डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं को इस दर्ज आरोप में शामिल होने के प्रमाण तक को नहीं खोज पाए है, जबकि पुरा दीवानी परिसर सीसी टीवी कैमरे से सुस्ज्जित है। अजीत दुबे द्वारा मामले में टीपी सिंह को चार्जशीट दी गई तो वही पर खुद को अपराध में शामिल मानकर अपनी जमानत कराने पहुचे मिथिलेश दुबे की इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक से अग्रिम जमानत याचिका के ख़ारिज होने के भी तथ्य को नहीं पकड़ा जा सका है।
एक अधिवक्ता और उसके गिरोह के बुलाने पर दीवानी में तांडव मचाये थे बदमाश
सूत्रों पर यकीन करे तो विधायक लिखे चार पहिया वाहन से दीवानी में तांडव मचाये तीन अबैध असलहेधारियों को दीवानी का खुद को अधिवक्ता बताने वाले रपेस पाण्डेय काशीष श्रीवास्टब , सुमेत पंडे , कुमेश सिंह ( ये सभी कल्पनिक नाम है ) ने किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए बुलाया था। विवेचक द्वारा इन तथाकथित अधिवक्ताओं को बचाने के लिए न तो मामले में आरोपित मिथिलेश दुबे और उसके सगे संबंधियों के मोबाइल नम्बर को खंगाला गया और उसके ख़ारिज अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों को ही पकड़ने की कोशिश की गई।
विवेचक ने बदमाशों के सीडीआर नहीं खंगाले, वाहन मालिक तक पहुंचने में दीवानी परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरो तक के फुटेज को नहीं खंगाला !
पुलिस ने वाहन भी किया था सीज, और तीन अबैध असलहेधारियों पर गिरफ्तारी का भी बनाया था दबाव, लेकिन इन अबैध असलहेधारियों के संरक्षक बदमाश और खुद को अधिवक्ता बताने वकील और उसके गिरोह के नाजायज दबाव में विवेचक द्वारा उनके दीवानी न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक से ख़ारिज हुई अग्रिम जमानत याचिका को भी विवेचना दौरान न पकड़ पाने का बहाना बना दिया गया । तीनो बदमाश किसके बुलाने पर? क्यो दीवानी परिसर के सुरक्षा घेरे को तोड़ कर ? परिसर में विधायक लिखे चार पहिया वाहन से घुसे ? विवेचक ने यहा तक पहुंचने में क्यो नहीं उनके मोबाइल सीडीआर और दीवानी परिसर में लगे सीसी टीवी कैमरे के फुटेज को आधार बनाया ? आदि तथ्यों को खरी दुनिया की लीगल टीम द्वारा ३ सितम्बर २०२४ को अदालत में प्रस्तुत किये जाने की तैयारी है।