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दलित वोट बैंक में सेंध लगाने पहुंचे मंत्री ओमप्रकाश राजभर, वनवासियों के घर खाया खाना

मऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे हुए हैं। वह शुक्रवार को मोहम्मदाबाद तहसील अंतर्गत सगड़ी गांव में वनवासियों के घर पहुंचे, उनकी समस्याएं सुनीं और उनके घर पर उनके साथ भोजन किया।

उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के उम्मीदवार हैं। ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर के समर्थन में जिले में विभिन्न जगहों पर संपर्क करने के साथ ही जनसभाओं के जरिए मतदाताओं को लुभाने में जुटे हुए हैं।

ओमप्रकाश राजभर ने वनवासियों के घर भोजन के बाद पत्रकारों से कहा कि उनको मंत्रिमंडल में जो विभाग मिला है उसी के तहत वनवासियों की समस्याओं को जानने और समझने के लिए उनके घर आया हूं। उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने, भाईचारा बढ़ाने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए उनसे संपर्क करने आया हूं। चुनाव का समय है आचार संहिता लगी है, इसलिए अभी इन लोगों को कोई लाभ नहीं दे सकता, लेकिन चुनाव के बाद अभी तक इन लोगों के उपेक्षा क्यों हुई, इसका लेखा-जोखा निकलाऊंगा तथा इस समाज को सरकारी योजनाओं से जोडूंगां। उन्होंने एक सवाल के जवाब पर कहा कि भगवान श्री रामचंद्र जी शबरी के घर पहुंच कर जूठा बैर खाए थे तो ओमप्रकाश राजभर इन लोगों के घर खाना क्यों नहीं खा सकता है।

गौरतलब है कि गुरुवार को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने उनके बेटे और एनडीए के उम्मीदवार अरबिंद राजभर को भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच दंडवत व क्षमा मांगने के प्रकरण पर अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि राजभर समाज को अपमानित किया है। इस सवाल पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव ना समझी का परिचय दे रहे हैं। डॉक्टर अरविंद राजभर के बढ़ते लोकप्रियता से विपक्ष घबराया हुआ है।

उन्होंने कहा कि जनता से नेता अगर आशीर्वाद एवं सहयोग नहीं मांगेगा तो किससे मांगेगा। लोकतंत्र में जनता जर्नादन है। विपक्ष, बेवजह विरोध कर रहा है, वह अपने पार्टी में छिड़े युद्ध को खुद देंखे। प्रदेश में सिन बदल चुके हैं, उनको प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। यह विरोधियों का हताशा और निराशा है। अखिलेश जी को तो सोचना चाहिए जब उन्होंने मुझे एक पत्र भेजा था जिसमें लिखा था कि अब आपकी जरूरत नहीं है, आप स्वतंत्र हैं जहां चाहे जा सकते हैं मैं उसे पत्र को तलाक के रूप में स्वीकार कर लिया और उनका तलाक भिजवा दिया और हमने कबूल कर लिया तो आज उन्हें दर्द क्यों हो रहा है।

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