चिल्लाते कहे सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा
आर्डरशीट की प्रति मंगलवार को मिलते ही कचहरी परिसर मे दिन भर रही चर्चा
मऊ। महिला न्यायिक अधिकारी से एक अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में यह कहना कि आप ” चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है “, सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा ” के बात की मंगलवार को दिनभर चर्चा रही। अधिवक्ता के इस कथन के प्रमाणक जैसे ही एक अधिवक्ता के हाथ लगा, दीवानी कचहरी में चर्चाओ का बाजार गर्म हो गया। अधिवक्ता द्वारा कहा गया यह कथन किसी और से नही बल्कि सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ से है। सीजेजेड़ी ने अधिवक्ता के इस कथन को मामले की ऑर्डरसीट में उल्लिखित किया गया है। इस की जानकारी मंगलवार को आर्डरशीट की नकल मिलने पर अधिवक्ताओ को हुई। तो पढ़कर सभी दंग रह गए, जिसकी चर्चा दीवानी कचहरी परिसर में दिनभर होती रही। इसी अधिवक्ता द्वारा कुछ दिन पूर्व एक अन्य पिठासीन अधिकारी से दुर्ब्यवहार किया गया है।
अदालती सूत्रों के अनुसार न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ के न्यायालय में मुकदमा संख्या 727 सन 1990 विश्वकर्मी बनाम गामा आदि के मामले में सुनवाई के दौरान 9 जनवरी 24 को पत्रावली के आर्डरशीट में महिला न्यायिक अधिकारी ने अंकित किया है। पत्रावली पेश हुई, प्रतिवादी अधिवक्ता मय प्रतिवादी उपस्थित वादी मय अधिवक्ता उपस्थित।
पत्रावली में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय सिंह डायस की तरफ आक्रमक रवैया में आए और कहने लगे आप सिर्फ एक्शन प्लान और माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश वाली पत्रावलियां सुनती है। आप उन्हें क्यों सुनती है, आप और नई पत्रावलियां भी सुनो वरना अच्छा नहीं होगा। आप चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है।
न्यायिक अधिकारी ने ऑर्डरशीट में आगे लिखा है कि मैंने कहा कि आपकी बातों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। तो भी वो चिल्लाते रहे कि आप सही नहीं कर रही है, यहां काम करना है तो हमारे अनुसार ही करना होगा। पिठासीन अधिकारी ने मामले की ऑर्डर सीट में लिखा है कि उनके द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने पर भी वे अधिवक्ता लगातार चिल्लाते रहे और बोले सोच लीजिए आप अन्यथा फिर देखते हैं क्या होगा। यह कहते आंखें दिखाते हुए चले गए।
सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर के उक्त आदेश की जानकारी मंगलवार को दीवानी कचहरी मे अधिवक्ताओ को हुई तो पढ़कर सभी हैरान रह गए कि महिला न्यायिक अधिकारी को न्यायालय मे किसी अधिवक्ता द्बारा ऐसा कहा जाना किसी भी दशा मे सही नहीं है। जिसे लेकर कचहरी परिसर मे चर्चाए होती रही , इस अधिवक्ता द्वारा हाल के दिनों में एक और जज से अदालत में दुर्ब्यवहार किया जा चुका है, जिसमे अगली कार्यवाही का लोगो को इंतज़ार है।
पुलिस् के कब्जे से अवैध असलहेधारियो को छुड़ाने के मामले में जनहित याचिका की तैयारी
मऊ । दीवानी कचहरी में बीते २८ फरवरी २०२४ को पुलिस की कास्टडी से अबैध असलहेधारियो को छुड़ाने में पुलिस द्वारा १५० से २०० अधिवक्ताओं के खुलाफ दर्ज मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जल्द ही उच्च न्यायालय का अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय के द्वारा जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। पूर्व में अधिवक्ता इसी मामले में जनहित याचिका दाखिल कर चुके है।
पुलिस् सूत्रों के अनुसार के दीवानी कचहरी मऊ में २८ फ़रवरी २०२४ को चार पहिया सवार बदमाशों ने पुलिस सुरक्षा को तोड़कर दीवानी कचहरी में घुस गये थे। मामले में पुलिस द्वारा चार पहिया वाहन सवार बदमाशों में शामिल अबैध असलहेधारियो को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
गिरफ्तारी के बाद बदमाशों के संरक्षण दाता बदमाश अधिवक्ता द्वारा द्वारा कुछ अधिवक्ताओं की गोल बनाकर अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ा लिया गया था। मामले में पुलिस ने कुछ लोगो को नामजद करते हुए अज्ञात डेढ़ सौ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा आदि के अपराध के आरोप में मुकदमा पंजीकृत किया है।
इस मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय के अधिवक्या ब्रह्मा नन्द पाण्डेय द्वारा पूर्व में जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमे अदालत में सरकार ने मामले आरोपित अधिवक्ताओं की संख्या को अधिक बताते हुए अदालत समय ले लिया था। अब जब विवेचना के 3 माह से अधिक का समय बित गया है, आज तक मामले में पुलिस की कार्यवाही का अता पता नही है, तो इस मामले को लेकर दुबारा मा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका की तैयारी की जा रही है।