मऊ। दीवानी कचहरी में कार्यरत न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचाराधीन एक मुकदमे में अभियुक्तों को दुष्कर्म की धारा के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब करने के लिए प्रार्थना पत्र की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं, औकात में रह कर बात करिए। मैं उम्र व औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं, आपकी औकात क्या है मेरे सामने ?— आप जानते नहीं हैं, आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं ,आपको आपकी औकात दिखा दूंगा। यह डायलॉग किसी फिल्म का नहीं बल्कि दीवानी कचहरी के अधिवक्ता अजय सिंह के है, इन्होने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले का संज्ञान लेते हुए अधिवक्ता की बातों को पत्रावली की आर्डरशीट में उल्लेख करते हुए, जनपद न्यायाधीश को आदेश की एक प्रति के साथ ही पत्र प्रेषित किया। तथा अनुरोध किया कि वह उचित समझे तो अधिवक्ता के द्वारा प्रयोग की गई अभद्र भाषा व अमर्यादित आचरण को उच्च न्यायालय इलाहाबाद व उत्तर प्रदेश बार काउंसिल इलाहाबाद के संज्ञान में लाने की कृपा करें। साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी आदेश की प्रति इस आशय के साथ भेजा कि अधिवक्ता। अजय कुमार सिंह की सभी पत्रावलियां जो उनके न्यायालय में लंबित हैं उसे किसी अन्य न्यायालय में अंतरित कर दिया जाए।
मामले के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद संख्या 30 832 सन् 23 संगीता बनाम सूर्यभान चौहान विचाराधीन चल रहा है। जिसमें 19 जुलाई की तिथि नियत थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रावली के आर्डरशीट में लिखा कि भोजनावकाश के बाद कार्य समाप्त कर विश्राम कक्ष में बैठकर 3:15 पीएम पर प्रकीर्ण मामलों के आदेश की जांच कर रहा था। मुझे 3:30 पीएम पर बेलबांड स्वीकार करने हेतु कोर्ट में बैठना था। इस दौरान परिवादी के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह विश्राम कक्ष में आए बैठ गए, और कहने लगे कि पत्रावली में पारित आदेशानुसार मैंने गवाहों की सूची प्रस्तुत की है।
मामले में गवाहों को न बुलाकर सुनवाई कर अभियुक्तों को धारा 376 भादवि के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब कर दीजिए। उस समय पेशकार आशुलिपि और अर्दली भी मौजूद थे पेशकार ने कहा कि प्रार्थना पत्र विलंब से आया है। इस दौरान अधिवक्ता अजय कुमार सिंह बोले की सुनवाई आज ही होगी। मैंने उनसे कहा कि आप कोर्ट में चलिए सुनवाई वही होगी। इस बात पर वह नाराज हो गए और बोले कि आप मुझे वहां जाने को क्यों कह रहे हैं। आप तो यहीं बैठे हुए हैं आपको कोर्ट में होना चाहिए,, वह खड़े हो हुए और गुस्से से मेरी तरफ झुककर हाथ दिखाते हुए बोले कि मैं आपका चपरासी हूं क्या, जो आप जब चाहे बुला ले और मैं आपके इंतजार में खड़ा रहूं।
आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं। औकात में रहकर बात करिए, मैं उम्र और औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं। आपकी औकात क्या है मेरे सामने ? आप मेरी इज्जत करेंगे तो ही आपको इज्जत मिलेगी, आप जानते नहीं है आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं आपको आपकी औकात दिखा दूंगा।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आर्डरशीट में उल्लेख किया कि अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए अमर्यादित आचरण एवं व्यवहार दर्शाया है।