Blog

  • राजस्थान में आज बारिश का अलर्ट, 15 जिलों में पलट सकता है मौसम

    राजस्थान में आज बारिश का अलर्ट, 15 जिलों में पलट सकता है मौसम

    जयपुर। मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। राजस्थान के कई जिलों में मौसम सुहावना हो गया है। मौसम विभाग के नए अपडेट के अनुसार रविवार 24 मार्च को पश्चिमी राजस्थान के ऊपर बने परिसंचरण तंत्र के प्रभाव से बीकानेर, जयपुर, भरतपुर संभाग में मौसम अचानक पलट सकता है। राजस्थान के 15 जिलों के कुछ भागों में मेघगर्जन, आकाशीय बिजली चमकने व अचानक तेज हवाएं चलने की संभावना है। शेष भागों में बादल छाए रहने तथा मौसम मुख्यतः शुष्क रहने की संभावना है।

    राजस्थान में आज पश्चिमी विक्षोभ के असर से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। बीकानेर, जोधपुर, जयपुर और अजमेर संभाग के जिलों में आज सुबह से हल्के बादल छाए हुए हैं। बीकानेर और श्रीगंगानगर में सुबह तेज हवा चली। बॉर्डर के आसपास के गांवों में कुछ जगहों पर सुबह हल्की बूंदाबांदी भी हुई। मौसम केंद्र जयपुर ने आज बीकानेर, चूरू, नागौर समेत अन्य जिलों में हल्की बारिश की संभावना जताई है। इस सिस्टम का असर कल खत्म हो जाएगा। इससे आसमान एक बार फिर साफ होगा और तेज धूप निकलेगी।आज सुबह बीकानेर-श्रीगंगानगर के भारत-पाकिस्तान बॉर्डर एरिया में तेज हवा चलने के साथ बादलों की आवाजाही शुरू हो गई। नोखा में कुछ जगह हल्की बूंदाबांदी हुई। हवा चलने और बादल छाने से तापमान में भी मामूली गिरावट हुई। बीकानेर में कल दिन का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस था, जो आज गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने की संभावना है।

    जोधपुर, जैसलमेर, चूरू, हनुमानगढ़, सीकर, नागौर, अजमेर, झुंझुनूं और अलवर में आज बादल छाए हैं। यहां सुबह हल्की हवा चली। जयपुर में भी बादल हैं, लेकिन हल्की धूप भी है। जयपुर में आज दोपहर बाद आसमान साफ होने की संभावना है। मौसम केंद्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि ये सिस्टम बहुत कमजोर है। इसका असर आज ही राजस्थान के हिस्सों में रहेगा। कल से आसमान फिर से साफ हो जाएगा और तेज धूप निकलेगी। होली के बाद बाड़मेर-जालोर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में एक और कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के आने का अलर्ट है। यह पश्चिमी विक्षोभ 26 मार्च सक्रिय हो सकता है। इसके प्रभाव से 26 मार्च को पुनः बीकानेर, जयपुर संभाग में कहीं-कहीं मेघगर्जन के साथ हल्की बारिश की संभावना है। तत्पश्चात 29-30 मार्च को एक ओर कमजोर विक्षोभ का आंशिक प्रभाव होने की संभावना है। फिलहाल, राजस्थान के तापमान में उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है।

  • आचार संहिता लागू होने के बाद संदिग्ध वस्तुओं और धन जब्ती का आंकड़ा 150 करोड़ रुपये के पार

    आचार संहिता लागू होने के बाद संदिग्ध वस्तुओं और धन जब्ती का आंकड़ा 150 करोड़ रुपये के पार

    जयपुर। राजस्थान में अलग-अलग एनफोर्समेंट एजेंसियों ने मार्च महीने की शुरुआत से अब तक नशीली दवाओं, शराब, कीमती धातुओं, मुफ्त बांटी जाने वाली वस्तुओं (फ्रीबीज) और अवैध नकद राशि के रूप में लगभग 248 करोड़ रुपये कीमत की जब्तियां की हैं। निर्वाचन विभाग के निर्देश पर लोकसभा आम चुनाव-2024 के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 16 मार्च से अब तक एजेंसियों द्वारा पकड़ी गई वस्तुओं की कीमत 150 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अलग-अलग एजेंसियां चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से संदिग्ध वस्तुओं और धन के अवैध उपयोग पर कड़ी निगरानी कर रही है। इसी क्रम में प्रदेश भर में लगातार जब्ती की कार्रवाई की जा रही है।

    सात जिलों में 10 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती

    गुप्ता ने बताया कि राजस्थान में 7 जिलों में 10-10 करोड़ रूपये से अधिक मूल्य की संदिग्ध वस्तुएं अथवा नकद बरामद हुआ है। इनमें जोधपुर, पाली, जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, गंगानगर और बाड़मेर जिले शामिल है। जिला वार आंकड़ों के अनुसार, सर्वाधिक लगभग 32.88 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं की जब्ती जोधपुर में हुई है। साथ ही, लगभग 18.61 करोड़ रुपये की जब्ती के साथ पाली दूसरे स्थान पर है। जयपुर में 17.63 करोड़ रुपये, उदयपुर में 13.70 करोड़ रुपये, भीलवाड़ा में 13.08 करोड़ रूपये, गंगानगर में 12.65 करोड़ और बाड़मेर में 11.17 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं की जब्ती की जा चुकी है।

  • दक्षिण गुजरात की 5 लोकसभा सीटों के लिए 8556 मतदान केन्द्र बनेंगे

    दक्षिण गुजरात की 5 लोकसभा सीटों के लिए 8556 मतदान केन्द्र बनेंगे

    सूरत। गुजरात में लोकसभा चुनाव के लिए 7 मई को एक साथ सभी 26 सीटों के लिए मतदान किया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग इसकी तैयारियों में जुटा है, जिससे सभी मतदाता अपने मताधिकार का अच्छे से उपयोग कर सके। मतदान केंद्रों से लेकर विशेष मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जिससे दिव्यांगों, महिलाओं और नए मतदाताओं को मतदान के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके।

    राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार दक्षिण गुजरात की सूरत, भरुच, वलसाड, नवसारी और बारडोली लोकसभा सीटों के लिए कुल 8586 मतदान केंद्र और पूरक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। सूरत संसदीय क्षेत्र में शामिल ओलपाड, सूरत पूर्व, सूरत उत्तर, वराछा रोड, करंज, कतारगाम और सूरत पश्चिम विधानसभा इलाकों में कुल 1648 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें 12 पूरक मतदान केंद्र भी होंगे। बारडोली संसदीय सीट में मांगरोल, मांडवी, कामरेज, बारडोली और महुवा विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां कुल 1585 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें 24 पूरक मतदान केंद्र होंगे।

    इसके अलावा नवसारी लोकसभा सीट में सूरत के शहरी क्षेत्र लिंबायत, उधना, मजूरा, चौर्यासी और ग्रामीण क्षेत्रों में जलालपोर, नवसारी, गणदेवी और वांसदा मिलाकर कुल 2074 मतदान केंद्र स्थापित होंगे। भरुच लोकसभा सीट अंतर्गत करजण में 239, डेडियापाड़ा में 313, जंबूसर में 272, वागरा में 249, झगड़ियां में 313, भरुच में 260, अंकलेश्वर में 247 मिलाकर कुल 1893 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। वलसाड सीट अंतर्गत धरमपुर में 278, वलसाड में 266, पारडी में 243, कपराडा में 298 और उमरगाम में 271 मिलाकर कुल 1356 मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

  • लाल सेना के घर में वॉलीबॉल टूर्नामेंट, हेवरा की टीम विजयी

    लाल सेना के घर में वॉलीबॉल टूर्नामेंट, हेवरा की टीम विजयी

    – स्वतंत्रता सेनानी कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया का गांव है लोहिया

    औरैया। स्वाधीनता संग्राम के दौरान लाल सेना का प्रमुख छापामार केंद्र रहे लोहिया गांव में चंबल संग्रहालय परिवार ने वॉलीबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराया। टूर्नामेंट में कुल आठ टीमों ने हिस्सा लिया। टूर्नामेंट का रोमांचक फाइनल मुकाबला हेवरा और कुसेली टीमों के बीच हुआ, जिसमें हेवरा की टीम विजेता बनी। कड़ी टक्कर देने वाली कुसेली की टीम उपविजेता रही।

    कार्यक्रम में अतिथि विकास भदौरिया, अशोक यादव और चंद्रवीर चौहान ने विजेता रही हेवरा टीम के कप्तान विकास और उपविजेता कुसेली टीम के कप्तान आलोक कुमार को शील्ड व प्रतीक चिह्न प्रदान किए। आयोजन समिति की तरफ सभी खिलाड़ियों को स्मृति चिह्न ट्राफी दी गई। इस अवसर पर वॉलीबॉल टूर्नामेंट आयोजन समिति से जुड़े धर्मेन्द्र सिकरवार, राधाकृष्ण शंखवार, अटल बिहारी, अमर सिंह तोमर, सूरज सिंह शाक्य, सुदीप बाथम, अनिकेत, जयेन्द्र चौहान आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चंबल परिवार के संयोजक चन्द्रोदय सिंह चौहान ने कहा कि चंबल परिवार चंबल अंचल के तीनों प्रदेशों में निरंतर सामाजिक-सांस्कृतिक, शैक्षणिक और खेल गतिविधियां आयोजित करता रहता है।

    लोहिया गांव का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में ख़ास स्थान है। यह आज़ाद हिंद फ़ौज की तर्ज़ पर बनी लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया का गांव है और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यह लाल सेना का छापामार केंद्र रहा था। लोहिया गांव से कई क्रांतिकारी लाल सेना में शामिल हुए थे जैसे ज़हीरुद्दीन, अंगद सिंह आदि।

    कार्यक्रम के आयोजक चंबल संग्रहालय की स्थापना महान क्रांतिकारी पत्रकार पं.सुंदरलाल के जन्मदिवस पर 26 सितंबर 2018 को हुई थी। इसका मकसद स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों और चंबल की गौरवशाली लोक संस्कृति, परंपरा, विरासत और धरोहरों के संरक्षण और नई पीढ़ी के चेतना निर्माण के लिए शोध, अनुसंधान और प्रकाशन करना है। चंबल संग्रहालय के लिए शोध सामग्री की तलाश और और उसका अध्ययन निरंतर चल रहा है। बदलते समाज के साथ पुरानी वस्तुओं और धरोहर की चीजों के नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। संग्रहालय वे स्थान होते हैं जहाँ आप अपने पुरखों की चीजों को एकत्रित करके रख सकते हैं और उन्हें समय और मौसम के असर से नष्ट होने व खोने से बचाया जा सकता है। चंबल संग्रहालय समाज में बिखरे ज्ञान के इस अमूल्य स्रोत को सहेजने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के मिशन में जुटा हुआ है। संग्रहालय चंबल अंचल के तमाम गाँवों और वहाँ के निवासियों, किसानों, छात्रों, बुद्धिजीवियों व अन्य सभी सुधी जनों से लगातार संपर्क कर रहा है।

    चंबल संग्रहालय में चंबल अंचल और क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज, पत्र, गजेटियर, हाथ से लिखा कोई पुर्जा, डाक टिकट, सिक्के, स्मृति चिह्न, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें, तस्वीरें, वीडियो, पुरस्कार, सामग्री-निशानी, अभिनंदन ग्रंथ, पांडुलिपियां आदि ऐतिहासिक महत्व की सामग्री संरक्षित की गई हैं। समाज की ओर से भी चंबल संग्रहालय को काफ़ी सहयोग मिल रहा है. इस निरंतर बढ़ते ज्ञानकोश के कारण चंबल संग्रहालय देश-विदेश के शोधार्थियों के बीच एक सेतु का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है।

  • मेरठ में शार्ट सर्किट से मोबाइल फटा, आग लगने से चार बच्चों की मौत

    मेरठ में शार्ट सर्किट से मोबाइल फटा, आग लगने से चार बच्चों की मौत

    – दिल्ली के अस्पताल में चल रहा बच्चों की मां का इलाज

    मेरठ,। जनपद में मोदीपुरम की जनता कॉलोनी में किराये के मकान में रह रहे मजदूर के घर में शनिवार की रात को शॉर्ट सर्किट से मोबाइल में धमाका हो गया और कमरे में आग लग गई। आग की चपेट में आकर मजदूर के चारों बच्चों की मौत हो गई और उन्हें बचाने के चक्कर में दम्पति भी झुलस गए।

    मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा गांव में रहने वाला मजदूर जॉनी अपनी पत्नी और चार बच्चों सारिका (10) , निहारिका (08), गोलू (06) और कल्लू (05) के साथ मोदीपुरम की जनता कॉलोनी में एक मकान में किराये पर रहता है।

    होली के त्योहार को लेकर मजदूर अपनी पत्नी के साथ रसोई घर में पकवान बना रहा था। वहीं, चारों बच्चे बेड पर खेल रहे थे। कमरे में मोबाइल चार्ज पर लगा था तभी अचानक तेज धमाके के साथ आग लग गई। दम्पति जब तक किचन से कमरे में पहुंचते, आग ने विकरालरूप ले लिया और उसकी चपेट में चारों बच्चे आकर झुलस गये। बच्चों को बचाने के चक्कर में दम्पति भी झुलसे। सूचना पाकर पुलिस और फायर बिग्रेड पहुंची। राहत बचाव कार्य करते हुए झुलसे लोगों अस्पताल में भर्ती कराया। दो बच्चों को मौके पर ही मृत घोषित कर दिया गया था, जबकि दो बच्चों ने रविवार की सुबह के वक्त दम तोड़ा है।

    थाना प्रभारी मन्नेश कुमार ने बताया कि बबीता की गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया है। जॉनी भी झुलस गया है। वहीं, इस हादसे में चारों बच्चों की मौत हो गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

  • लोकसभा 2024 : कांग्रेस से आया ब्राह्मण प्रत्याशी, अजय कपूर भाजपा की करेंगे भरपाई!

    लोकसभा 2024 : कांग्रेस से आया ब्राह्मण प्रत्याशी, अजय कपूर भाजपा की करेंगे भरपाई!

    – भाजपा ने अभी तक नहीं उतारा उम्मीदवार, समीकरणों पर हो रहा विचार

    – लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारती रही कांग्रेस

    कानपुर,)। लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है और प्रथम चरण के तहत सीटों पर नामांकन प्रक्रिया भी शुरूहो गई है, लेकिन कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अभी तक भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा। वहीं देर रात कांग्रेस ने लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार रहे श्रीप्रकाश की जगह ब्राह्मण चेहरा उतार दिया। इन सबके बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं कि कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर भाजपा के वोटों में सेंध लगाने का काम कर दिया। तो वहीं भाजपा कांग्रेस की इस चाल को पहले ही समझ गई थी और कांग्रेस से तीन बार विधायक रहे राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर को हाल ही में अपने पाले में कर लिया। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि ब्राह्मण उम्मीदवार आने से जो वोट कटेगा उसकी भरपाई अजय कपूर के जरिये हो जाएगी और कानपुर सीट पर एक बार फिर भाजपा की ही जीत होगी।

    राम मंदिर आंदोलन से उपजी आस्था और संघ की शहर में अच्छी पैठ होने से 1991 में पहली बार कानपुर नगर लोकसभा सीट भाजपा जीतने में सफल रही। यही नहीं, जीत का अंतर करीब 28 प्रतिशत मतों का रहा और ब्राह्मण उम्मीदवार जगतवीर सिंह द्रोण संसद पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद 1996 और 1998 में भी संसद में कानपुर का जनप्रतिनिधित्व द्रोण ने ही किया। हालांकि उनके पक्ष में मतदान प्रतिशत कम होता चला गया और अन्तत: 1999 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने शिकस्त दे दी। 1998 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल पर कांग्रेस बराबर भरोसा जताती रही और पिछले लोकसभा चुनाव तक कुल छह बार उम्मीदवार बनाया। इसमें पहली बार को छोड़कर लगातार तीन बार उन्हें जीत मिली और इधर भाजपा लहर में दो लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण उम्मीदवार क्रमश: डॉ. मुरली मनोहर जोशी और सत्यदेव पचौरी से उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा था। इस बीच वह यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से अबकी बार उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इसके संकेत उन्होंने पिछले चुनाव में हार के दौरान ही दे दिया था। ऐसे में अजय कपूर का धड़ा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया।

    यहां यह भी बता दें कि कानपुर में पिछले तीन दशक से कांग्रेस में श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर ही सर्वमान्य नेता रहे और दोनों में एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ भी बनी रहती थी। अजय कपूर के अलावा आलोक मिश्रा पिछले पांच वर्ष से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे। माना जा रहा था कि इन्हीं दोनों के बीच में कांग्रेस किसी एक को टिकट देगी, हालांकि उम्मीदवार तो अन्य भी रहे। इसी बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे अजय कपूर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में लगभग पूरी तरह से साफ हो गया था कि 1996 के बाद कांग्रेस एक बार फिर ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है और उनमें प्रमुख दावेदारों में आलोक मिश्रा का नाम सबसे आगे रहा, देर रात उनके नाम पर मुहर भी लग गई।

    अजय कपूर करेंगे भरपाई

    औद्योगिक नगरी कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अबकी बार किसके सिर पर ताज सजेगा, इसका अनुमान लगाना नामुमकिन है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में बैठाए जा रहे समीकरण काफी कुछ कह रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी यह समझ चुकी थी कि अबकी बार कांग्रेस से ब्राह्मण उम्मीदवार ही आएगा। जिससे अजय कपूर के गुट की उम्मीदों पर पानी फिरेगा। इस बात को अजय कपूर भी भांप चुके थे तभी हाल ही में दिल्ली में उन्होंने भाजपा को अपना लिया। अजय कपूर के भाजपा में आने से यह चर्चाएं शुरू हुईं कि भाजपा अजय कपूर को उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अजय कपूर को टिकट नहीं मिलेगा उनके लिए दूसरे विकल्प हैं। यह भी बताया जा रहा है कि अजय कपूर को इसीलिए भाजपा में लाया गया कि कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार होने से जितना वोट भाजपा से कटेगा उससे कहीं अधिक अजय कपूर भरपाई कर देंगे और एक बार फिर कानपुर नगर लोकसभा सीट पर कमल ही खिलेगा। भाजपा का यह तर्क पूरी दमखम के साथ सटीक बैठता भी है, क्योंकि अजय कपूर गोविन्द नगर और किदवई नगर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके साथ ही शहर में उनकी अच्छी खासी पहचान है और जनता उन्हें पसंद भी करती है। हालांकि उनका कोई जातीय समीकरण नहीं है और सिंधी समाज से आते हैं, लेकिन बड़े कारोबारी होने के नाते लोगों को आर्थिक सहयोग भी बहुत करते हैं और सभी के दुख- सुख में शामिल होने का उनका प्रयास रहता है। इन्हीं सब वजहों से उनका शहर में उतना वोटर है कि हार जीत का समीकरण बना बिगाड़ सकते हैं।

  • लोकसभा चुनाव : कूचबिहार में भाजपा को मिल सकता है तृणमूल के अंतर्कलह का लाभ

    लोकसभा चुनाव : कूचबिहार में भाजपा को मिल सकता है तृणमूल के अंतर्कलह का लाभ

    कोलकोता। बांग्लादेश की सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल की कूचबिहार लोकसभा सीट पर इस बार विभिन्न कारणों से दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। कूचबिहार से भाजपा सांसद एवं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशिथ प्रमाणिक ने पहले ही प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी आगामी चुनावों के लिए अपनाई जाने वाली प्रचार शैली को लेकर थोड़े भ्रमित नजर आ रहे हैं।

    कूचबिहार में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है। वहां 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी पार्टी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। पार्टी के एक हाई प्रोफाइल विधायक एवं पूर्व जिला अध्यक्ष के समर्थकों के बीच जारी खींचतान चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। इस कारण भाजपा के हैवीवेट उम्मीदवार के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान की कमी दिख रही है। तृणमूल कांग्रेस ने जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक, सिताई के मौजूदा विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया को मैदान में उतारा है। बसुनिया को पहले से ही जिले में पार्टी की अंदरूनी कलह का आभास होने लगा है। पार्टी के कई दिग्गज नेता कैंपिंग रैलियों और नुक्कड़ सभाओं से नदारद हैं।

    तृणमूल के एक नेता पूर्णचंद्र सिन्हा ने बताया कि पार्टी के बुरे वक्त में तृणमूल कांग्रेस के साथ रहने के बावजूद पिछले साल पंचायत चुनाव के बाद से जिले के कई वरिष्ठ नेताओं को गतिविधियों से दूर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए इस बार हमने खुद को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने का फैसला किया है। इसी तरह की राय पार्टी के किसान मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष जुलजेलाल मियां ने भी व्यक्त की। एक शाखा संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष होने के बावजूद पार्टी के जिला नेतृत्व द्वारा उनके सुझावों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा था। यही कारण है कि हम चुनावी गतिविधियों से दूर रह रहे हैं, हालांकि भावनात्मक रूप से मैं अभी भी तृणमूल कांग्रेस के साथ हूं। हालांकि, बसुनिया खुद इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सीएए पर हालिया अधिसूचना आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि राजबंशी समुदाय इससे नाराज हैं।

    इंडी गठबंधन में भी एकजुटता नहीं-

    वाम मोर्चा के घटक दल ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जिले के अनुभवी पार्टी नेता नीतीश चंद्र रॉय को मैदान में उतारा है, जो छात्र राजनीति से पार्टी में आगे बढ़े हैं। यह स्वीकार करते हुए कि जिले में उनकी पार्टी का संगठनात्मक नेटवर्क सही स्थिति में नहीं है, रॉय ने कहा कि वह बड़ी रैलियों या बैठकों के बजाय घर-घर अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

    कूचबिहार लंबे समय तक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का एक मजबूत गढ़ रहा था। वहां के लोगों ने 1977 और 2009 के बीच वाम मोर्चा के इस घटक दल को लगातार दस बार जीत दिलाई थी। वर्ष 2009 में तृणमूल कांग्रेस की लहर के बीच भी ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार नृपेंद्र नाथ रॉय 41 हजार से अधिक वोटों के अंतर से निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में पैटर्न बदल गया। तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका सिन्हा करीब एक लाख वोटों के अंतर से चुनी गईं। इस सीट पर 2016 के उपचुनाव में तृणमूल उम्मीदवार पार्थ प्रतिम रॉय ने जीत का अंतर बढ़ाकर चार लाख से अधिक कर दिया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के निशिथ प्रमाणिक 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से विजयी रहे।

    कांग्रेस ने भी उतारा उम्मीदवार-

    पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान वाम दलों और कांग्रेस के बीच तालमेल की बात की जा रही थी लेकिन तमाम आपसी सहमति को दरकिनार कर कांग्रेस ने यहां से प्रिया राय चौधरी को उम्मीदवार बना दिया है। इसकी वजह से भाजपा विरोधी वोट एकजुट होने के बजाय तीन जगहों पर बंटेगा और निशिथ प्रमाणिक को इसका लाभ मिल सकता है।

  • मुश्किल में पड़े रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विधायक सहित 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज

    मुश्किल में पड़े रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विधायक सहित 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज

    हरिद्वार। मारपीट के मामले में आरोपितों को छुड़ाने ज्वालापुर कोतवाली और फिर अस्पताल में धरना देने वाले रानीपुर विधायक आदेश चौहान सहित करीब 150 लोगों आचार संहिता के उल्लंघन पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

    बीते शुक्रवार मारपीट के मामले में गिरफ्तार 4 आरोपितों को छोड़ने के लिए भाजपा के रानीपुर विधायक आदेश चौहान अपने कई समर्थकों संग कोतवाली पहुंचे थे। जहां उनकी पुलिस से काफी गहमा गहमी भी हुई, लेकिन जब पुलिस आरोपितों को मेडिकल के लिए अस्पताल ले गई, तो विधायक अस्पताल पहुंचे और आचार संहिता के बीच वह अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए।

    इसके बाद मौके पर एसपी सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट सहित कई पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्हें काफी समझाया गया, लेकिन विधायक अपने पूरे तेवर दिखाते हुए कोतवाल को हटाने, दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने व आरोपितों को छोड़ने की मांग पर अड़े रहे। बाद में उच्चाधिकारियों के आश्वासन पर बामुश्किल उन्होंने धरना समाप्त किया।

    पूरे प्रकरण की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेज दी गई थी, इसके बाद आज चुनाव आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए विधायक सहित करीब डेढ़ सौ लोगों पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया।

  • उप्र की रिजर्व सीटों पर क्लीन स्वीप की तैयारी में भाजपा

    उप्र की रिजर्व सीटों पर क्लीन स्वीप की तैयारी में भाजपा

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व हैं। उप्र में भाजपा ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को तय करने में रिजर्व सीटें निर्णायक बन सकती हैं। भाजपा इन सीटों पर अपना दबदबा और बढ़ाना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इन सीटों में भाजपा को कमजोर करने की संभावना देख रहे हैं। 2014 और 2019 के आम चुनाव में दिखा कि भाजपा ने प्रदेश की रिजर्व सीटों पर अव्वल दर्जे का प्रदर्शन किया। भाजपा ने आम सीटों के अलावा रिजर्व सीटों पर शानदार प्रदर्शन कर यह साबित किया प्रदेश की दलित आबादी की पहली पसंद भाजपा है। 2014 में भाजपा ने प्रदेश की सभी 17 रिजर्व सीटों पर जीत दर्ज की थी।

    उल्लेखनीय है कि देश के सबसे बड़े राज्य में 21.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति यानी दलितों की आबादी है। आजादी के बाद कांग्रेस के साथ खड़ा रहा दलित तकरीबन ढाई दशक तक बसपा के साथ रहा, लेकिन अब उसमें भाजपा गहरी सेंध लगाते दिख रही है। बसपा से खिसकते दलित वोट बैंक को सपा के साथ ही कांग्रेस भी हथियाने की कोशिश में है। सपा-कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ से उन्हें अबकी चुनाव में लाभ होगा।

    पहले चुनाव में भाजपा का ऐसा रहा प्रदर्शन

    6 अप्रैल 1980 को भाजपा का गठन हुआ। अपने गठन के चार साल बाद भाजपा ने देश में पहला संसदीय चुनाव लड़ा। यूपी में भाजपा ने 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। उसे किसी सीट पर जीत तो नहीं मिली, हालांकि उसके हिस्से में 21 लाख से ज्यादा वोट आए। इस चुनाव में भाजपा ने मोहनलालगंज, लालगंज, सैदपुर, राबर्टसगंज, घाटमपुर, हाथरस और हरिद्वार सात रिर्जव सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें तीन सीटों पर भाजपा चौथे और चार सीटों पर तीसरे स्थान पर रही। सभी रिजर्व सीटें कांग्रेस ने जीती थी।

    चुनाव दर चुनाव बेहतर हुआ प्रदर्शन

    1989 के आम चुनाव में भाजपा ने यूपी की 18 रिजर्व सीटों सैदपुर और राबर्टसगंज में जीत दर्ज की। जनता दल ने 11, कांग्रेस ने 4 और बसपा ने 1 सीट पर जीत दर्ज की। 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदर्शन सुधारा और बिजनौर, हरदोई, मोहनलालगंज, बस्ती, बांसगांव, फिरोजाबाद, हाथरस और हरिद्वार आठ सीटें जीती। इस चुनाव में कांग्रेस और जनता पार्टी के हिस्से में 1-1 और जनता पार्टी के खाते में शेष 8 सीटें आई। इस चुनाव में स्वयं को दलित वोटों की ठेकेदार समझने वाली बसपा के हाथ खाली ही रहे। 1996 के आम चुनाव में भाजपा ने अब तक का सबसे उम्दा प्रदर्शन करते हुए 18 रिजर्व सीटों में से 14 पर विजय पताका फहराई। बसपा और सपा के हिस्से में दो-दो सीटें आई। 1998 के चुनाव में भाजपा ने 11 और 1999 में 7 सीटों पर जीत दर्ज की। 1999 के चुनाव में बसपा ने 6, सपा ने 4 और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी।

    2004 और 2009 में फीका रहा प्रदर्शन

    2004 के आम चुनाव में भाजपा 17 रिजर्व सीटों में से 3 पर ही जीत सकी। सपा को 7, बसपा को 5 कांग्रेस और रालोद को 1-1 सीट मिली। 2009 के आम चुनाव में भाजपा 2 सीटें ही जीत पाई। इस चुनाव में सपा को 9, बसपा को 3 और रालोद को 1 सीट मिली।

    2014 में बदल गया नजारा

    2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भाजपा ने 71 और अपना दल ने 2 कुल जमा 73 सीटों पर जीत दर्ज कराई। इस चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 17 रिजर्व सुरक्षित सीटों पर भारी अंतर से जीत दर्ज की। 2014 में सपा और रालोद का गठबंधन था। बसपा और कांग्रेस अकेले मैदान में थी। बसपा के खाते में शून्य सीटें आई। सपा 5 और कांग्रेस 2 सीटों पर सिमट गई।

    2019 में रिजर्व सीटों पर अव्वल प्रदर्शन

    आम चुनाव 2019 में भाजपा और अपना दल ने 64 सीटें जीती। 62 सीटों पर भाजपा और 2 पर अपना दल ने सफलता हासिल की। हालांकि इस चुनाव में कुल 17 रिजर्व सीटों में 15 अपने कब्जे में रखी। भाजपा ने 14 और 1 सीट अपना दल ने जीती। बसपा को लालगंज और नगीना मात्र दो सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस, सपा और रालोद के हाथ खाली ही रहे।

    2014 का प्रदर्शन दोहराने की तैयारी में भाजपा

    इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में वो रिजर्व सीटों पर 2014 का प्रदर्शन दोहराकर क्लीन स्वीप की तैयारी में है। दलितों को अपने पाले में लाने और लगातार उनके हितों की योजनाएं चलाने वाली मोदी सरकार ने अहम पदों पर दलितों को प्राथमिकता भी दी। नतीजा यह रहा कि रिजर्व सीटों पर बसपा सहित दूसरे दलों की पकड़ ढीली होती जा रही है। भाजपा के पूरी शिद्दत से दलित वोटरों में गहरी सेंध लगाने की कोशिश का नतीजा रहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा एक भी सुरक्षित सीट पर जीत दर्ज नहीं करा सकी। सुरक्षित सीटों पर जीत पक्की करने के लिए अनुसूचित जाति महासम्मेलन, दलित सम्मेलन और दलित बस्तियों में भोजन के जरिए यह बताने में लगी है कि मोदी-योगी की सरकार ही अनुसूचित वर्ग का पूरा ध्यान रख रही हैं। कांग्रेस ने तो आंबेडकर के नाम पर अनुसूचित वर्ग की उपेक्षा की है। लोगों का प्रयोग सिर्फ वोट और सत्ता हथियाने के लिए किया गया।

    विपक्ष भी तैयारी में जुटा

    उत्तर प्रदेश की रिजर्व सीटों पर भाजपा की लगातार बढ़त को रोकने के लिए सपा, कांग्रेस और बसपा भी दलितों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। सपा को पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले पर पूरा यकीन है। दलितों को अपने पाले में लाने के लिए अखिलेश यादव ने दलितों के श्रद्धा के केंद्र महू जाकर बाबा साहब को श्रद्धांजलि दी, वहीं रायबरेली में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का भी अनावरण किया है। दलितों को सपा से जोड़ने के लिए अखिलेश ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर वाहिनी भी बनाई है। कांग्रेस भी दलितों को रिझाने में लगी है। मायावती स्वयं को दलितों का सबसे बड़ा पैरोकार मानती है। बसपा अपने कोर वोट बैंक को बिखरने से रोकने की रणनीति पर फोकस कर रही है।

  • लखनऊ में मिले चचेरे भाई-बहन के शव, जांच में जुटी पुलिस

    लखनऊ में मिले चचेरे भाई-बहन के शव, जांच में जुटी पुलिस

    लखनऊ। राजधानी लखनऊ के इंटौजा थाना क्षेत्र में रविवार को एक युवक और महिला की लाश मिली है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

    डीसीपी उत्तरी ने बताया कि इंटौजा पुलिस को सूचना मिली कि चन्द्रपुर गांव में एक युवक का शव मिला है। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच पड़ताल कर ही रही थी, तभी कुछ दूरी पर एक महिला के लाश मिलने की खबर पुलिस को मिली। पुलिस वहां भी पहुंची और शव को कब्जे में ले लिया।

    मृतक युवक की पहचान चन्द्रपुर गांव निवासी रमेश के रूप में हुई है। वहीं, महिला के शव की शिनाख्त नरेश की पत्नी व रमेश की चचेरी बहन विमला के रूप में हुई है।

    डीसीपी ने बताया कि प्रथमदृष्टया पुलिस की जांच में रमेश ने खुदकुशी की है। जबकि विमला के मौत का कारण अभी कुछ पता नहीं चल सका है। फिलहाल शवों को पोस्टमार्टम भेजकर पुलिस सभी बिन्दुओं पर जांच कर रही है।